'हिंदी से यूपीएससी में ख़ास नुकसान नहीं' - BBC हिंदी
संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफल उम्मीदवार निशांत जैन से बीबीसी संवाददाता समीरात्मज मिश्र की विशेष बातचीत
संघ लोक सेवा आयोग की साल 2014 की सिविल सेवा परीक्षा के नतीजे शनिवार को आए.
कुल 1236 उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा और इंटरव्यू में मिले नंबरों के आधार सफल घोषित किया गया है.
इस परीक्षा के माध्यम से भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय विदेश सेवा, भारतीय पुलिस सेवा सहित दूसरी केंद्रीय सेवाओं ग्रुप ए और ग्रुप बी के लिए चुना जाता है.
वरीयता सूची में शीर्ष पाँच में से चार स्थानों पर इस बार महिला उम्मीदवार रहीं. दिल्ली की रहने वाली इरा सिंघल को पहला स्थान मिला.
वहीं उत्तर प्रदेश के मेरठ के निशांत जैन हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वालों में अव्वल रहे. वरीयता सूची में उनका 13वां स्थान है.
बीबीसी संवाददाता समीरात्मज मिश्र ने ख़ास बात की निशांत जैन से.
पढ़ें बातचीत के चुनिंदा अंश
हिंदी माध्यम से अच्छी रैंक पाना क्या मायने रखता है?
मेरी राय में हिंदी माध्यम को लेकर पूर्वाग्रह ज़्यादा हैं. हिंदी माध्यम से परीक्षा देने में कोई ख़ास नुकसान नहीं होता.
इतना ज़रूर है कि कई बार स्टडी मटेरियल अच्छा नहीं मिल पाता. ये एक कमी है बाक़ी हिंदी में उत्तर लिखने में किसी भेदभाव की बात मुझे नहीं लगी.
सी-सैट का हिंदी और दूसरी भाषाओं से चयन को लेकर कई आरोप लगे और काफ़ी विवाद हुआ था, आपको क्या लगता है?
सी-सैट से हिंदी भाषा और ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले छात्रों के कम चयन की बात मीडिया में आती रही है, ये तो एक फ़ैक्ट है, जिसकी सच्चाई तो लोक सेवा आयोग के स्तर पर ही सामने आ सकती है. लेकिन ऐसी धारणा ज़रूर बन गई है कि सी-सैट से हिन्दी माध्यम के छात्रों की संख्या घट रही है.
मेरे हिसाब से सी-सैट मानविकी विषय वालों के लिए अच्छा है, वो भी इसमें अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं.
आपका वैकल्पिक विषय क्या था और आपने तैयारी में किन विशेष बातों का ध्यान रखा?
मेरा वैकल्पिक विषय हिंदी साहित्य था. मैंने हिंदी में एमए और एम फिल किया है. मैं हिंदी से नेट और जेआरएफ़ भी हूँ.
मुझे समय कम मिलता था, इसलिए मुझे टाइम मैनेजमेंट का ध्यान रखना पड़ता था.
मैंने अपने कमज़ोर और मज़बूत पक्षों के आधार पर अपनी प्राथमिकताएं तय कीं. अपने कमज़ोर पक्षों पर ज़्यादा ध्यान दिया.
मैं दबाव और तनाव मुक्त होकर तैयारी करता था. प्रसन्न होकर तैयारी करता था.
सी-सैट और जनरल स्टडीज को लेकर काफ़ी सवाल उठे थे, प्रारंभिक परीक्षा में आपको कोई दिक्कत हुई थी?
साल 2014 में प्रारंभिक परीक्षा में सी-सैट का भी नंबर जुड़ता था. मैं हिंदी माध्यम से हूँ फिर भी उसमें क्वालिफ़ाई किया. मेरा अंतिम चयन भी हुआ. इसलिए मुझे कभी नहीं लगा कि मुझे सी-सैट से कोई दिक्कत हुई.
सी-सैट के कारण प्राथमिक परीक्षा में लोगों के क्वालिफ़ाई होने, न होने के बारे में लोक सेवा आयोग ही बता सकता है. जब तक तथ्य सामने नहीं आते इस बारे में कैसे बात हो सकेगी.
आपको कितने प्रयासों में सफलता मिली?
मेरा दूसरा प्रयास में चयन हुआ है. पहले प्रयास में मैं प्राथमिक परीक्षा में क्वालिफाई नहीं कर सका था.
साहित्य को वैकल्पिक विषय चुनने को लेकर भी सवाल उठाए गए थे?
मेरा साहित्य को वैकल्पिक लेकर बहुत अच्छा अनुभव रहा.
साहित्य आपको संवेदनशील बनाता है और समाज के प्रति आपकी समझ बढ़ाता है. मुझे इसे पढ़ने में आनंद आता है. इसलिए मैंने इसे चुना.
सिविल सेवा की तैयारी में कोचिंग सेंटरों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है?
कोचिंग करना ज़रूरी तो नहीं है, लेकिन उससे मार्गदर्शन ज़रूर मिलता है. कोचिंग में आपकी तैयारी को थोड़ा अनुशासन मिल जाता है.
विजय कुमार मल्होत्रा , पूर्व निदेशक (राजभाषा),रेल मंत्रालय,भारत सरकार
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
कुछ हिंदी ई पत्रिकाएँ संलग्न हैं :-
1. हिंदी खबर- जून- 15
2. गर्भनाल - जुलाई 2015
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें