बुधवार, 21 सितंबर 2011

"कादम्बिनी क्लब की मासिक गोष्ठी आयोजित"













       "कादम्बिनी क्लब की मासिक गोष्ठी आयोजित"
      कादम्बिनी क्लब, हैदराबाद के तत्वावधान में रविवार दि. १८ सितम्बर को हिन्दी प्रचार सभा परिसर नामपल्ली में क्लब की २२९ वीं मासिक गोष्ठी का सफल आयोजन हुआ |

      क्लब संयोजिका डॉ. अहिल्या मिश्र एवं कार्यकारी संयोजिका मीना मूथा ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि इस अवसर पर प्रो. ऋषभदेव शर्मा (अध्यक्ष), प्रो. हेमराज मीणा (मुख्य अतिथि), जी, नीरजा (प्रपत्र प्रस्तोता), डॉ. अहिल्या मिश्र (क्लब संयोजिका) मंचासीन हुए | कार्यक्रम का आरम्भ शुभ्रा मोहन्तो द्वारा सुमधुर सरस्वती वंदना प्रस्तुती से हुआ | डॉ. अहिल्या मिश्र ने मंचासीन अतिथियों का परिचय एवं क्लब गतिविधियों संबंधी बात रखते हुए कहा कि कादम्बिनी क्लब एक ऎसी संस्था का नाम है जहां साहित्यकार को पनपने देने की प्रतिबद्धता को निभाया जाता है | प्रो. शर्मा एवं प्रो. मीणा जैसे गणमान्यों का परामर्श, मार्गदर्शन क्लब के लिए अमूल्य है | प्रथम सत्र में कवि बाबा नागार्जुन की जन्म शताब्दि के अवसर पर डॉ. जी. नीरजा ने अभ्यास पूर्ण आलेख की प्रस्तुती दीं | उनहोंने कहा कि नागार्जुन बिहार की भूमि में जन्में | वे संस्कृत के विद्यार्थी रहे | उनके साहित्य में बौद्ध दर्शन का विशेष दर्शन होता है | ठहराव को वे पसंद नहीं करते थे | ग्रामाचेताना,आंचलिकता आपके समग्र लेखन में व्याप्त है | सबमें प्रखर स्वर सामाजिक व राजनैतिक व्यंग में दिखाई देता है | वे सफल कवि के साथ-साथ उपन्यासकार-कहानीकार भी थे | केवल उनकी कविता ही नहीं, गद्य भी बतियाता है | उनके लेखन में सादगी, प्राकृतिक छटा का रमणीय चित्रण, स्त्री विमर्श का भी दर्शन होता है | साथ डॉ. नीरजा ने अपने वक्तव्य में नागार्जुन के काव्य के कुछ अंश भी सुनाए | डॉ. सीता मिश्र ने कहा कि नागार्जुन मेरे जन्मस्थान के कवि है | अक्सर यह होता है कि अपने घर में कोई जाना जाता नहीं है | बिहार की धरती की कथा-व्यथा उनके उपन्यासों में चित्रित हुई है | अन्याय के प्रति 'विद्रोही कवि' वे कहलाते थे |धनाढ्य वर्ग इनसे नाराज रहा करता था | उस समय की सामाजिक व्यवस्था का सुन्दर वर्णन उपन्यासों में देखने को मिलता था | डॉ. अहिल्या मिश्र ने नागार्जुन की कविताओं का ओजपूर्ण स्वर में पाठ किया और कहा कि मैं भी नागार्जुन की जन्मभूमि से जुड़ी हुई हूँ | उस समय की पूँजीवादी,सामंत-कालीन व्यवस्था, जमींदारों का मजदूरों के प्रति शोषण यह निर्विवाद सत्य है | श्री भगवानदास जोपट ने कहा कि कवि के लेखन में छटपटाहट, आक्रोश, शिकायत विद्रोह दृष्टिगोचर होता है | नागार्जुन ग्राम्यजीवन के जीवन के चितेरे हैं | व्यंग्य वासने में सिद्ध-हस्त हैं | ऐसे कवि की जन्मशताब्दी आयोजन पर क्लब को साधुवाद | डॉ. अमरनाथ मिश्र ने कहा कि भवानी भवन संस्कृत विद्यालय गनौली में बाबा की आरम्भिक शिक्षा-दीक्षा हुई | मैं १९५७ में उनके संपर्क में आया | बालवाडी का 'बालक' के वे कुछ समय के लिए संपादक रहे | वे यात्री के नाम से भी जाने जाते थे | प्रो. मीणा ने अपने वक्तव्य में कहा कि शताब्दि वर्ष के उपलक्ष्य में कवियों की रचनाओं को केन्द्रीय हिन्दी संस्थान अपने शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में शामिल करें | बाबा के मुख से बंगला में कविता पाठ सुना है | सामान्य जनता का बहुत बड़ा कवि नागार्जुन ही है | प्रो. शर्मा ने अध्यक्षीय बात में कहा कि जो लोग समाज को कुछ देते हैं, तो समाज को भी चाहिए कि वह उनका सम्मान करें, वरना निराला, नागार्जुन,धूमिल, दुष्यंत कोई बनना ही नहीं चाहेंगा | उनके जीते जी उन्हें आदर-सम्मान मिलना ही चाहिए | बाबा का उदय तो एक तरह से सन १९४५ के पहले की प्रगतिवादी पीढी के साथ हुआ था | ७० के दशक में परिस्थिति ऎसी थी कि रिक्शे पर खड़े होकर वे कविता सुनाया करते थे | वे एक जगह टिककर नहीं रहे | मोटे पेन से लिखा करते थे | आपकी रचनाधर्मिता आन्दोलन का रूप लेना चाहती है तो भारत भ्रमण करो ऐसा उनका दृढ मत था | बाबा का स्पर्श मेरे कंधों को प्राप्त हुआ है | बाबा के पास एक ताकत है | पीड़ा, वेदना के साथ सौंदर्यबोध की ओर भी हमारा ध्यान जाता है | वे साधारण को असाधारण व असाधारण को साधारण बना देते हैं | नक्सलवादी विचारधारा के कवि हैं | भारतीय कविता के कालिदास के परंपरा के कवि हैं | निराला, त्रिलोचन, मुक्तिबोध के साथ में उन्हें जोड़ता हूँ | 'वह तुम थीं', 'गुलाबी चूड़ियां' इन रचनाओं का पाठ सुनाकर प्रो. शर्मा ने अपनी बात का समापन किया |

      ततपश्चात डॉ. अमरनाथ मिश्र  की अध्यक्षता एवं लक्ष्मीनारायण अग्रवाल के संचालन में कविगोष्ठी संपन्न हुई | इसमें कुंजबिहारी गुप्ता, श्रीनिवास सावरीकर, जी. परमेश्वर, संपत देवी मुरारका, पवित्रा अग्रवाल, मधु भटनागर, सत्यनारायण काकडा, इब्राहिम अय्याज, डॉ. जी. नीरजा, सविता सोनी, डॉ. रमा द्विवेदी, ज्योति नारायण, मीना मूथा, डॉ. अहिल्या मिश्र, प्रो. ऋषभदेव शर्मा, नरहरिदयाल दादू, डॉ. अमरनाथ मिश्र, गौतम दीवाना, विनीता शर्मा, डॉ. देवेन्द्र शर्मा, भँवरलाल उपाध्याय, सूरज प्रसाद सोनी, भावना पुरोहित, एस. नारायण राव, मुरली मनोहर भटनागर, बालाप्रसाद गोयल, प्रो. हेमराज मीणा, सरिता सुराना जैन, भगवानदास जोपट, वी.कृष्ण राव, डॉ. सीता मिश्र, ने भाग लिया | 

संपत देवी मुरारका,  हैदराबाद 

शनिवार, 10 सितंबर 2011

उत्तर-पूर्वी यात्रा ( गीत )


उत्तर-पूर्वी यात्रा  ( गीत )
गद्य को पद्य में प्रस्तुत कर रही हूँ |
हम दोनों ननद-भावज, करने सैर चले |
वायुयान से बचे समय, गाड़ी देर चले ||                             
चैतन्य प्रभु की बनी समाधी,मायापुरी में देखी है |
जन्मस्थली रही नवद्वीप, जिस तट गंगा बहती है ||            
शिवशंकर का विशाल मंदिर ताड़केश्वर में है बना |
शिवगंगा में डुबकी लगाके, हर्ष हुआ है बहुत घना ||
दार्जिलिंग जा पहुँचे हम तो, करने सैर सपाटा |
छुक-छुक गाड़ी से उतरे हम, प्लेट फार्म को टाटा ||
प्रकृति-नटी की शान अनोखी, विस्तृत चाय-बागानों में |               
दृश्य अलौकिक सूर्योदय का, ओस चमकती धानों में ||
अब जा पहुँचे टाइगर हिल हम, सूर्योदय का दृश्य देखने |
उषा की मुस्कान सुनहरी, अरुणोदय के पल लखने ||  
स्वर्णिम हिम-आवृत शिखर |     
 गंगटोक दार्जिलिंग की राहों में फैली छटा निखर || 
तीस्ता और रंगीत का संगम, बड़ा सुहाना लगता था |
हनुमान मंदिर भी रंग-बिरंगे, फूलों से सजता था || 
सांगो झील गणेश मंदिर, फूलों के उत्सव अदभुत थे |      
दृश्य अलौकिक देखा सोचा, यह सपना या सचमुच थे || 
मौज  मनाने धूम मचाने, नेशनल पार्क में जा पहुँचे |      
नाम था काजीरंगा जू, गेंडे मोटे हाथी बड़े-बड़े देखे ||                           
तेजस्वनी उषा ने देखा, कभी एक शुभ-सपना |         
सहयोग चित्रलेखा का पा, अनिरुद्ध बनाया अपना ||     
सपन सुहाना था वो जिसमें, आया सुन्दर राजकुमार |
जिसे देख उषा रानी के, थिरक उठे थे मन के तार ||
घोर गर्जना मेघों की जो, मेघालय  नाम सार्थक होगा |   
खूब झमाझम बादल बरसें, उसका मजा अलग होगा ||  
प्यारी-प्यारी बालाएँ वो, गुड़िया जैसी दिखती थी |
शिलांग के बाजारों में तो, जापानी चीजें बिकती थी ||     
चेरापूंजी में होती है, सबसे ज्यादा बरसात |
हरे-भरे हैं बाग़-बगीचे, शीतल दिन वो ठंडी रात ||
कामख्या देवी के पूजन को, जा पहुँचे गुवाहाटी |
ठंडा-मीठा शर्बत पीये, खाए दाल वो बाटी ||
कलकत्ता की काली माता, तेरे दर्शन को आये |
पान सुपारी ध्वजा नारियल, भेंट चढाने लाये ||
मशहूर वहां का घाघरा चून्नी, और मिले सिंदूर |
खाने को रसगुल्ले सिंघाड़े, राजकचोरी भी भरपूर ||           
दृश्य निराले अदभुत सारे, सब देखे फिर लौट चले |                          
वायुयान से पहुंचे झटपट, गाड़ी से लगती देर भले ||                               
सारे अनुपम दृश्य पिरोकर, उस माला को फेर चले |                           
हम ननद और भावज दोनों की, पूरी सुन्दर सैर अरे !                                   

संपत देवी मुरारका (भाभी) "संपत"
विजयलक्ष्मी काबरा (ननद)

                         
























शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

"ऑथर्स गिल्ड ऑफ इण्डिया हैदराबाद चैप्टर का सम्मान समारोह एवं डॉ.कविता के नाम, कविता की एक शाम सम्प्पन"


"ऑथर्स गिल्ड ऑफ इण्डिया हैदराबाद चैप्टर का
 सम्मान समारोह एवं डॉ.कविता के नाम, कविता की एक शाम सम्प्पन"













"ऑथर्स गिल्ड ऑफ इण्डिया हैदराबाद चैप्टर का 
 सम्मान समारोह एवं डॉ.कविता के नाम, कविता की एक शाम सम्प्पन"

ऑथर्स गिल्ड ऑफ इण्डिया (ए. जी. आई.) हैदराबाद चैप्टर के तत्वावधान में दिनांक ३० अगस्त २०११ मंगलवार की शाम ४.३० बजे आबिड्स स्थित होटल ताजमहल के मिनी कांफ्रेंस हॉल में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया| इस दौरान 'डॉ. कविता के नाम, कविता की एक शाम' नामक कवी सम्मलेन भी संपन्न हुआ| 

      ए. जी. आई., हैदराबाद चैप्टर की संयोजिका एवं अध्यक्ष डॉ. अहिल्या मिश्र द्वारा यहाँ जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस अवसर पर गत दिनों रामनाथ गोइन्का पत्रकार शिरोमणि पुरस्कार से सम्मानित 'स्वतंत्र वार्ता' के संपादक डॉ. राधेश्याम शुक्ल एवं यू.के. प्रवासी भारतीय डॉ. कविता वाचकनवी का उत्तरीय, शॉल,एवं मोतीमाला से सम्मान किया गया|

      कार्यक्रम में अतिथि के रूप में मधुसूदन सौंथलिया, सम्मानित अतिथि प्रो. ऋषभदेव शर्मा विभागाध्यक्ष उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थान-दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, गौरवनीय अतिथि एम्.प्रभु, मानद प्रधान-मंत्री हिन्दी प्रचार सभा, हैदराबाद तथा डॉ. अहिल्या मिश्र कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में मंचासीन हुए|

      डॉ. मिश्र ने संस्था का परिचय देते हुए पिछले १८ वर्षों का इतिहास सभी उपस्थितों के समक्ष प्रस्तुत किया एवं संस्था की गरिमा बताते हुए संस्था द्वारा आयोजित राष्ट्रपति के समक्ष कवी सम्मलेन की बात भी रखी| संस्था के हैदराबाद चैप्टर के निर्माण में अन्य सहयोगियों के साथ स्व. श्रीमती कमलारानी संघी कहानीकार लेखिका की महत्ती योगदान को भी चिन्हित किया| अखिल भारतीय स्तर की इस संस्था को सभी प्रमुखों की जानकारी देते हुए वर्तमान में इसकी स्थितियों पर प्रकाश डाला| डॉ. मिश्र ने सभी अतिथियों का शब्द पुष्प से स्वागत किया| 

      कार्यक्रम के अंतर्गत ए. जी. आई. एवं प्रचार सभा की ओर से डॉ. शुक्ल व डॉ. कविता का सम्मान किया गया| 

      इस अवसर पर डॉ. राधेश्याम शुक्ल ने कहा कि कविता में कला एवं दर्शन के सिद्धांत की अधिकता दिखाई देती है| इसमें बुद्धितत्त्व का समावेश तो रहता है, विश्लेषणात्मक रूप से देखने पर हम पाते हैं कि इसमें राजनेतिक व सामाजिक चेतना का थोड़ा अभाव है| बात होती है तो ऐसा लगता है कि इन सबके बीच जीवन संधान से जुड़े महत्वपूर्ण तत्त्व 'कला तत्त्व' है| ये तत्त्व उपेक्षित रहते है| मेरा सोचना है कि इसमें हमारी चेतना व सक्रियता का अनुभाग एवं सहभागिता हो| 

      स्त्री की सफलता का उल्लेख करते हुए डॉ. शुक्ल ने शुभद्रा कुमारी चौहान की कविता की पंक्तियाँ सुनायी तथा जागृति व चेतना के प्रति चिंतन एवं मनन तथा इसके कार्यान्वयन पर इन्होंने बल दिया|

       डॉ. ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि महिला रचनाकारों के लिए एक ऐसा मंच प्रदान करने का कार्य हो रहा है, जिसे वे अपना मानें| इस मंच से विभिन्न भारतीय भाषाओं के बीच संबंध स्थापित करने का एक अच्छा कार्य हो रहा है|

       डॉ. कविता वाचकनवी ने कहा कि कला की बात करूँ तो बांग्ला समाज अपने गीतों एवं कलाओं में मस्त रहते हैं| आज मनुष्यता की बातें अलगाववाद के कारण संदिग्ध अवस्था में है| राष्ट्र बचेगा तो अपनी संस्कृति बचेगी| इस दौरान मधुसूदन सौंथलिया, एम्. प्रभु व डॉ. सीता मिश्र ने भी अपने विचार व्यक्त किये| 

      कार्यक्रम के दूसरे चरण में आयोजित बहुभाषी काव्य-संध्या संपन्न हुई, जिसकी अध्यक्षता अंतरार्ष्ट्रीय हास्य-व्यंग्य के प्रसिद्ध कवि वेणुगोपाल भट्टड ने की| वीर प्रकाश लाहोटी 'सावन' के गीत से काव्य संध्या आरम्भ हुई| मीना खोंड ने मराठी में माउली, एलिजाबेथ कुरियन मोना ने मलयालम एवं अंग्रेजी, डॉ. जी. नीरजा ने तमिल, एस. नारायण राव ने तेलुगु में एवं सीता मिश्र व दयानंद झा ने मैथिली में काव्य पाठ किया| अजीत गुप्ता अध्यक्ष अग्रवाल समाज, सुरेश जैन कविराय, विनीता शर्मा, प्रो. ऋषभदेव शर्मा, डॉ. कविता वाचकनवी, डॉ. अहिल्या मिश्र, पवित्रा अग्रवाल, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, संपत देवी मुरारका,गुरुदयाल अग्रवाल आदि ने हिन्दी में रचनाएँ प्रस्तुत की| डॉ. राजकुमारी सिंह, डॉ. वेणुगोपाल अग्रवाल, विजयलक्ष्मी काबरा, मुक्त मिश्र, विनायक खोंड आदि आमंत्रित व्यक्ति एवं सदस्य उपस्थित थे| लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने संचालन किया, जबकि पवित्रा अग्रवाल वरिष्ठ सदस्या ने धन्यवाद ज्ञापित किया|


  
                                                                                                                                                                                                                                         संपत देवी मुरारका, हैदराबाद