बुधवार, 31 अगस्त 2011

"कमला गोइंका फाउंडेशन" द्वारा पुरस्कार समारोह आयोजित"


"कमला गोइंका फाउंडेशन" द्वारा पुरस्कार समारोह आयोजित" 













कमला गोइंका फाउंडेशन के तत्वावधान में किन्नेरा आर्ट थियेटर्स के सहयोग से रविवार को नामपल्ली स्थित पोट्टी श्रीरामुलु तेलुगु विश्व विद्यालय के सभागार में संपन्न हुआ|

      इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात कला समीक्षक पद्मश्री जगदीश मित्तल ने की| ज्ञानपीठ पुरस्कार ग्रहीता डॉ. सी. नारायण रेड्डी मुख्य अतिथि, हिन्दी महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. एम. उपेन्द्र विशिष्ट अतिथि, आयोजित समारोह में पुरस्कार ग्रहीता 'स्वतन्त्र वार्ता' के संपादक डॉ. राधेश्याम शुक्ल, दक्षिण भारत के वरिष्ट हिन्दी सेवी व साहित्यकार डॉ. बालशौरि रेड्डी व हिन्दी के वरिष्ट साहित्यकार डॉ. वाई. लक्ष्मीप्रसाद के साथ श्यामसुंदर गोइंका मंचासीन हुए|

      'स्वतंत्र वार्ता' के संपादक डॉ. राधेश्याम शुक्ल को प्रतिष्ठित रामनाथ गोइंका पत्रकार शिरोमणि पुरस्कार से सम्मानित किया गया| हिंदीतर क्षेत्र के हिन्दी पत्रकारिता जगत के वरिष्ट पत्रकार के सम्मानार्थ कमला गोइंका फाउंडेशन द्वारा घोषित इस पुरस्कार के तहत डॉ. शुक्ल को 51 हजार रुपये की राशि भी प्रदान की गई| दक्षिण भारत के वरिष्ट हिन्दी सेवी व साहित्यकार डॉ. बालशौरि रेड्डी को भाभीश्री रमादेवी गोइंका सारस्वत साहित्य सम्मान तथा हिन्दी के वरिष्ट साहित्यकार डॉ. वाई. लक्ष्मीप्रसाद को उनकी अनुदित पुस्तक 'हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा' एवं उनके समग्र योगदान के लिए गीतादेवी गोइंका हिन्दी तेलुगु अनुवाद पुरस्कार से सम्मानित किया गया|पुरस्कार के रूप में उन्हें 21 हजार रुपये कि राशि, प्रशस्ति-पात्र, श्रीफल तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया| इस अवसर पर मुख्य अतिथि उपस्थित ज्ञानपीठ पुरस्कार ग्रहीता डॉ. सी. नारायण रेड्डी ने तीनों हस्तियों को पुरस्कार प्रदान किया| 

      डॉ. नारायण रेड्डी ने हिन्दी के प्रचार-प्रसार हेतु अभियान चलाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि हिन्दी एक महान भाषा है तथा सभी को इसे अपनाने का प्रयास करना चाहिए| उन्होंने कहा कि गोइंका फाउंडेशन द्वारा हिन्दी साहित्यकारों को पुरस्कृत कर हिन्दी की सेवा की जा रही है| 

      कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हिन्दी महाविद्यालय के पूर्व डॉ. एम. उपेन्द्र ने कहा कि हिन्दी को वह स्थान प्राप्त नहीं हो पा रहा है,जिसकी वह हकदार है और अंग्रेजी बिना किसी सहयोग व प्रयास के तेजी से प्रगति कर रही है|

      बालशौरि रेड्डी ने अपने अभिनंदन भाषण में कहा कि वे कमला गोइंका फाउंडेशन का पुरस्कार प्राप्त कर गौरव व प्रसन्नता महसूस कर रहे हैं| उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी के प्रचारार्थ कार्य करने का आह्वान किया था तथा उन्हीं के आह्वान पर उन्होंने हिन्दी सेवा प्रारम्भ की थी|

      डॉ.वाई. लक्ष्मीप्रसाद ने कहा कि गोइंका परिवार के पुरस्कार से सम्मानित होना उनके लिए काफी गर्व की बात है| उन्होंने कहा कि फाउंडेशन द्वारा राष्ट्रीय एकता में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा रहा है| उन्होंने आगे कहा कि आंध्र-प्रदेश में अन्य भाषाओं के साहित्य का काफी अनुवाद हो रहा है| 

      डॉ. राधेश्याम शुक्ल ने अपने अभिनंदन भाषण में हिन्दी के प्रचार हेतु ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि रामनाथ गोइंका मेरे प्रेरणा स्रोत रहे हैं तथा उनके व्यक्तित्व ने मुझे काफी प्रभावित किया है| उन्होंने कहा कि उत्तर भारत व दक्षिण  भारत के हिन्दी साहित्यकारों में समानता है तथा इनमें कोई भी छोटा या बड़ा नहीं है| उन्होंने  कहा कि हमें उत्तर व दक्षिण भारत के भेद को समाप्त करने हेतु प्रयास करना चाहिए| उन्होंने आगे कहा कि हिन्दी किसी प्रांत की भाषा नहीं है, बल्कि सारे देश की भाषा है| हिन्दी प्रेमियों ने हिन्दी भाषा को धर्म व संस्कृति से जोड़कर उसे संकीर्ण कर दिया है| हिन्दी साहित्यकारों ने उत्तर भारत के साथ भी अन्याय किया है| उन्होंने कहा कि कमला गोइंका फाउंडेशन हिन्दी के प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है| 
      प्रख्यात कला समीक्षक पद्मश्री जगदीश मित्तल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि कमला गोइंका फाउंडेशन जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समारोह से जुड़ते हुए उन्हें काफी प्रसन्नता हो रही है| उन्होंने कहा कि साहित्य व कला दोनों अलग नहीं है तथा कला पर भी अधिक से अधिक लिखा जाना चाहिए|

      फाउंडेशन के संस्थापक न्यासी श्यामसुंदर गोइंका ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि हैदराबाद में यह कमला गोइंका फाउंडेशन का तीसरा कार्यक्रम है| उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 से मात्र आंध्र-प्रदेश के हिन्दी पत्रकारों को मुनीन्द्र जी पत्रकारिता सम्मान पुरस्कार प्रदान किया जायेगा|

      ललिता गोइंका ने कार्यक्रम का संचालन किया, जबकि ओमप्रकाश गोइंका ने धन्यवाद ज्ञापित किया| इस अवसर पर सुशीला गोइंका, संजय गोइंका, बालकृष्ण गोइंका, डॉ. टी. मोहन सिंह, बी. सत्यनारायण, डॉ. कविता वाचक्नवी,प्रो. ऋषभदेव शर्मा, रामगोपाल गोइंका, अमृत कुमार जैन, डॉ. अहिल्या मिश्र, संपत देवी मुरारका,सुरेन्द्र लुनिया, प्रसन्न भंडारी,चंद्रमौलेश्वर एवं नगराद्वय के कई साहित्यकार व प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित थे|

संपत देवी मुरारका, हैदराबाद 

      

बुधवार, 24 अगस्त 2011

"कादम्बिनी क्लब की २२८वीं गोष्ठी आयोजित"


"कादम्बिनी क्लब की २२८वीं गोष्ठी आयोजित" 
कादम्बिनी क्लब, हैदराबाद के तत्वावधान में शनिवार २१ अगस्त को हिन्दी प्रचार सभा परिसर में क्लब की २२८वीं मासिक गोष्ठी का आयोजन किया गया|
     क्लब संयोजिका डॉ. अहिल्या मिश्र एवं कार्यकारी संयोजिका मीना मूथा ने आज यहाँ जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि इस अवसर पर न्यायाधीश वी. वरलक्ष्मी (अध्यक्ष) एवं वरिष्ठ कहानीकार पवित्रा अग्रवाल मंचासीन हुए| कार्यक्रम का आरम्भ डॉ. रमा द्विवेदी द्वारा सुमधुर सरस्वती वंदना प्रस्तुति से हुआ| मीना मूथा ने उपस्थित सभा का स्वागत किया| प्रथम सत्र में 'भ्रष्टाचार और साहित्य' विषय पर अपने स्पष्ट विचार व्यक्त करते हुए लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने कहा कि मनुष्य का सफर जंगल-गुफाओं से होकर किस प्रकार आज के विकसित समाज तक पहुँचा है, इसका सुन्दर वर्णन करते हुए उन्होंने आगे कहा कि भ्रष्टाचार में सबसे बड़ा योगदान मान्यताओं का है| ईश्वर ने पाप-पुण्य-मोह के साथ-साथ मनुष्य में संग्रह की प्रवृत्ति भी दी है| आज आम आदमी का भ्रष्टाचार असुरक्षा जनित है| उन्होंने कहा कि अपनी पहचान बनाने के चक्कर में साहित्य में कई लोग आ जाते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि साहित्य में स्थापित वही हो पाया है, जिसके पास मौलिकता है| रमा द्विवेदी ने कहा कि मूल में हमारी इच्छाओं को सीमित करना आवश्यक है| संतुष्टि का होना जरूरी है| रातोरात बहुत कुछ बन जाना चाहते हैं और इसी होड़ में चोरी और नक़ल का प्रमाण बढ़ रहा है| हम भले ही चार पंक्ति ही क्यों न लिखें पर वह अपनी मौलिक होनी चाहिए| यश के शिखर पर पहुँचने के लिए संयम आवश्यक है| पवित्रा अग्रवाल ने कहा कि भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी जड़ महत्वाकांक्षा है| महत्वाकांक्षा उतनी ही करो जितनी हममें क्षमता है| दूसरों का सान्निध्य चुराकर अपने नाम से छपवाना ऎसी घटनाएँ खुलकर हो रही है| तत्पश्चात लक्ष्मीनारायण अग्रवाल के सफल संचालन में सम-सामयिक विषयों पर काव्य पाठ हुआ, जिसमें कुंज बिहारी गुप्ता, नीरज त्रिपाठी, टाक दिलबाग सिंह, अविनाश, डॉ. रमा द्विवेदी, संपत देवी मुरारका, लीला बजाज, सत्यनारायण काकड़ा, प्रभारती गोस्वामी, मुकुंददास डांगरा, मीना मूथा, भावना पुरोहित, पवित्रा अग्रवाल, डॉ. सीता मिश्र, सरिता सुराणा जैन और वी. वरलक्ष्मी ने भाग लिया| 
संपत देवी मुरारका, "संपत" संरक्षक कादम्बिनी क्लब हैदराबाद, दिल्ली.
मोबाईल: ०९४४१५११२३८
bahuwachan.blogspot.com 

बुधवार, 17 अगस्त 2011

"सिंगापुर का सेंटोसा द्वीप रिसॉर्ट"









 
"सिंगापुर का सेंटोसा द्वीप रिसॉर्ट"
क्रूज यात्रा का अनुभव मन में बसाये हुए मैं निद्रा देवी का आवाहन करती लेटी हुई थी| आज 
जलयान में हमारी अंतिम यात्रा थी| जलयान अपने गंतव्य की ओर अविराम गति से अग्रसर हो रहा था|  करवटें बदलने के बावजूद जब मैं नींद को अपनी पलकों तक नहीं बुला सकी, तो मुझे बिस्तर छोड़  देना ही श्रेयस्कर लगा| मैं हमेशा की तरह डेक पर चली आई| समुद्र की लहरों से अठखेलियाँ करते हवा  के मद्धिम-मद्धिम झोंके साँसों को चेतना के शिखर-बिन्दु तक खींचे लिए जा रहे थे| मैं विमुग्ध भाव से प्रकृति के चित्रपट पर रंग बदलते और भरते देखती रही| देखते ही देखते पसरा हुआ अँधेरा तिरोहित होगया और समुद्र की लहरों पर सूर्य-रश्मियाँ अपनी सुनहरी आभा का अभिनव संसार रचने लगी| मैं डेक से नीचे उतर आई और नित्य-क्रियाओं से निवृत होकर सारा सामान पेक किया|
     डेक पर हवन का भी आयोजन किया गया था| हवन के पश्चात् सभी यात्रियों ने आपस में बिदाई
ली और जलयान का सिंगापुर पहुँचने का इंतज़ार करने लगे|
     ता.२९-०६-२००८ को जलयान का सिंगापुर  समुद्रतट तक पहुँचते-पहुँचते लगभग १० बज चुके थे| 
सभी यात्रियों ने जलयान पर उपलब्ध हल्का-फुल्का नाश्ता किया| हमें सूचित किया गया था कि
हैदराबाद वालों  के लिए ग्रीन होटल में ठहरने की व्यवस्था की गई है और सामान होटल पहुँचा दिया  जायेगा| जल-यान के परिचारिकाओं ने राधे-राधे बोलकर हमें विदा किया| जलयान से उतर कर हमने  अपने पासपोर्ट की  एंट्री क्रूज एम्बेसी में करवाई और हमें हमारा पासपोर्ट वापस दिया गया| मैं हैदराबाद ग्रुप में शामिल हो गई|  क्रूज रूपी पिंजरे में कैद पक्षी आज पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो गए थे|
     जलयान से बाहर आकर तैयार खड़ी बस में बैठ गई| अनूप अग्रवाल जी ने कहना आरम्भ किया
कि यहाँ के लोग बड़े ईमानदार होते हैं| अगर कोई सहयात्री छूट जाये  तो टेक्सी या बस द्वारा होटल
का नाम बता दें तो वे आपको पहुँचा देंगे| किसी प्रकार की भी बेईमानी नहीं बरतेंगे| मैं उनकी बातें बड़े ध्यान से सुन रही थी| मैंने उनसे कहा कि आप विदेश में यात्रा करते हुए भारत की संस्कृति को बदनाम  कर रहे हैं| उन्होंने जवाब दिया कि मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि सिंगापुर हमारे लिए अनजान शहर है, भटक न जायें इसलिए मैंने कहा था| मैंने उनसे कहा मेरी सिंगापुर यात्रा दूसरी बार है|
        बस में बैठे-बैठे ही हमें दोबारा यहाँ के सुन्दर हरीतिमा ओढ़े बागों, गगनचुंबी इमारतों, मुसलमानों
के मकबरों, चीनी मंदिरों और ईसाइयों के भव्य गिरजाघरों के साथ कई हिन्दू मंदिरों को बाहर-बाहर
से देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ| आज हमें सेंटोसा द्वीप रिसॉर्ट का भ्रमण करना था| मुझे पल भर में
ही २ जनवरी २००० में सिंगापुर के सेंटोसा द्वीप की यात्रा याद आ गई| हमने माता के मंदिर के
नजदीक एक रेस्तरां में भारतीय भोजन का लुत्फ उठाया और कुछ ही दूरी पर स्थित मुस्तफा माल
देखने गये| 
     माल के ऊपर नीचे घूमते हुए काफी समय व्यतीत हो गया| सभी साथी कब वापस चले  गये, मुझे
पता भी नहीं चला| अत: जी घबड़ाने लगा| जिस प्रकार हम सभी आये थे वैसे ही मैं वापस लौटी
लेकिन बस वहाँ नहीं थी| बस को ढूँढ़ने के लिए यहाँ से वहाँ घूमते-घूमते काफी समय व्यतीत हो
गया| मेरे साथ यह  पहली घटना नहीं थी| एक-एक करके सारी घटनाएँ चलचित्र की भाँति आँखों के
सामने गुजरने लगी| मैंने इस बार भी हिम्मत नहीं हारी| होटल में बैठने से अच्छा सेंटोसा द्वीप दोबारा
घूमने का मन बनाया| वहाँ के तमिल निवासी से मैंने पूछा कि सेंटोसा द्वीप किस प्रकार जा सकते हैं?
उन्होंने मुझे कहा एम. आर.टी. से आप हार्बर फ्रंट चले जाइये| मैंने फिर पूछा एम. आर. टी. कैसे
जाऊं? उन्होंने कहा पैदल ५ मिनट का रास्ता है, सीधे जाकर बायें चले जाइये| मैं आगे बढ़ी, थोड़ी
ही दूरी पर लक्ष्मीनारायण जी का मंदिर है वहाँ भी मैंने हिन्दी में ही पूछा एम. आर. टी. कहाँ है?
मंदिर से बाहर आकर एक सज्जन ने स्पष्ट हिन्दी भाषा में मुझे उत्तर दिया कि यहाँ से थोड़ी दूर
मेन रोड़ पर ही एम.आर.टी. है| मैं उनसे हिन्दी भाषा में जवाब सुनकर अवाक रह गई| उनसे काफी
जानकारियाँ प्राप्त हुई| मंदिर के कपाट बंद होने के कारण दर्शनों के लाभ से वंचित रह गई|
     मैं मेन रोड़ पहुँची लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आया कि एम. आर. टी. स्टेशन कहाँ है|
मैंने वहाँ के तमिल निवासी से पूछा Where is M.R.T.Railway Station? उन्होंने मुझसे पूछा!
Where do you want to go? मैंने जवाब दिया, I want to go to Sentosa Island. उन्होंने मुझे
कहा कि Just go under ground and buy the ticket to harbour front.
      मैं भूमिगत रेल्वे स्टेशन गई, वहाँ मशीन में सिंगापुर डॉलर रखा और मशीन से एक टीकिट
 बाहर आई और कुछ चिल्लर भी| पास ही भारतीय मूल के सज्जन खड़े थे उन्होंने मुझे कौनसी
ट्रेन में सवार होना है बता दिया| उनकी ट्रेन पहले आ गई थी वे चले गये| उन्होंने भी मुझे काफी
जानकारियाँ दी, मेरी हिम्मत और भी बढ़ गई| मैं ट्रेन में सवार हुई, काफी देर बैठी रही, बीच में
उतरने लगी तब वहाँ की अंग्रेजी महिला ने इशारा करके कहा, Look at the sign board and
when it shows harbour front you get down. एम.आर.टी. हार्बर फ्रंट रेल्वे स्टेशन उतर कर
एस्कलेटर द्वारा ऊपर आकर पूछा कि Where does the cable car start? तब ऑफिस में बैठी
महिला ने उत्तर दिया कि You can go to the harbour front Tower.2. मैंने फिर पूछा How to
reach there? तब उसने कहा To take a right. घबराहट के कारण दिल तेजी से धड़कने लगा
लेकिन भ्रमण की जिज्ञासा मेरी हिम्मत बढ़ा रही थी| काफी लोग वहाँ जा रहे थे, मैं भी उनके
साथ चलने लगी| हार्बर फ्रंट, टॉवर-२ को केबल कार टॉवर भी कहते हैं| वहाँ पहुँचते ही क्रूज के
मेरेसहयात्रियों को कतारबद्ध देखकर जान में जान आई| मैं भी उनके साथ कतार में खड़ी हो
गई|लिफ्ट द्वारा १५वीं मंजिल गई, जहां से केबल कार प्रारम्भ होती है।  यह स्थान माउंट फेबर
 के नाम से जाना जाता है| यहाँ केबल कार (उड़नखटौला) दो प्रकार के हैं, एक सादी केबिन,
दूसरीकाँच से नीर्मित| केबल कार का प्रवेश शुल्क आवा-जाही व्यस्क S.$.10.90 है और
आवा-जाही बच्चों के लिए S.$.6.50 है| काँच वाली केबिन का प्रवेश शुल्क आवा-जाही व्यस्क
S.$.20.00 और बच्चों के लिए S.$.13.00 है| मैं ग्रूप की कतार में खड़ी थी इसलिए मुझे किसी
ने नहीं पूछा|
      मुझे काफी हर्ष हो रहा था कि केबल कार में मुझे दूसरी बार बैठने का सौभाग्य प्राप्त हुआ|
सर्व प्रथम 25दिसंबर 1999से 5जनवरी 2000 तक की मेरी विदेश यात्रा के दौरान यह अवसर
प्राप्त हुआ था| समुद्र तल से 90 मीटर की ऊँचाई से चलने वाली केबल कार में बैठ कर मुझे
आनंद की अनुभूति हो रही थी| ऐसा महसूस हो रहा था कि विश्व से ऊँचे आकाश में स्वच्छंद
 पक्षी की तरह विचरण कर रही हूँ| जबमेरी केबिन  धीरे-धीरे चल रही थी तब मन पुलकित,
प्रफुल्लित हो गया| नीचे "पृथ्वी का स्वर्ग" कहलाने वाले सुन्दर दृश्यों का अवलोकन करते हुए
मेरी आँखों से आनंदाश्रु का प्रवाह शुरू हो गया| नीचे उष्ण प्रदेश के जंगल और सेंटोसा द्वीप के
देदीप्यमान दृश्यों को इतनी ऊँचाई से निहारना मुझे अच्छालग रहा था| सिंगापुर शहर की
गगनचूँबी इमारते, विश्व के व्यस्त बंदरगाहों में से सर्व प्रथम होनेका गौरव प्राप्त बंदरगाह,
दक्षिणी द्वीपों का अलौकिक दृश्य देखना अपने आप में मेरे लिए एक रोमांचक अनुभव था|
आँखों को आनंदित करने वाली सुन्दर हरीतिमा और समुद्री तटों को देखकर चमत्कृत हो गई|
केबल कार का 16 किलोमीटर का सफर कब ख़त्म हुआ पता भी नहीं चला|
      "केबल कार अरैवल प्लाजा" जो इम्बिया लूक आउट के दाहिनी ओर स्थित है,वहां केबिन से
समस्त यात्रीगण उतर गये| मैं भी उनके साथ उतर गई और उनके पीछे-पीछे चलने लगी| सेंटोसा
द्वीप के साहसिक कार्यों को देखने की शुरुआत भी इम्बिया लूक आउट से की जाती है|
      सेंटोसा द्वीप रिसॉर्ट "धरती का स्वर्ग" के चारों ओर का स्थान बिल्कुल प्रशांत और सुरम्य है|
यहाँ की प्राकृतिक सुषमा बेजोड़ है| इसका प्राकृतिक सौन्दर्य अतुलनीय, एश्वर्यपूर्ण और प्रभावशाली
है| सिंगापुर का सेंटोसा द्वीप रिसॉर्ट तीन उत्कृष्ट समुद्री तटों से घिरा है| तीन समुद्री तटों को यहाँ
अतिविशिष्ट माना जाता है जो टेनजोंग,सिलोसो और पालावान के नाम से जाने जाते हैं| समृद्ध
समुद्री किनारों से सुशोभित सेंटोसा द्वीप प्रत्येक  व्यक्ति के लिए आकर्षण का केंद्र है| सेंटोसा
नि:संदेह अपने नाम को चरितार्थ करताहै जिसका अर्थ मलय भाषा में धैर्य और शान्ति|       
      सिंगापुर के दक्षिणी किनारे और सिटी सेंटर से १५ मिनट की दूरी पर सेंटोसा द्वीप स्थित है|
अगर सिंगापुर आकर सेंटोसा द्वीप न देखा हो तो यात्रा अधूरी मानी जाती है| यहाँ आकर ऐसा
अनुभव होता है कि आराम करने के लिए दुनिया में सबसे अच्छा इसके सिवा दूसरा कोई भी
स्थान नहीं है| यह द्वीप मनोरंजन के लिए आकर्षित खेलों का खूबसूरत रिसॉर्ट है और यहाँ कई
तरह के पानी के खेलों का भी आयोजन होता है|
     प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर हरीतिमा लिए विशाल पार्क, 2 कि.मी. लम्बाई वाले सुन्दर कॉटेजों
से युक्त समुद्री तटों, फोर्ट सीलोसो, गोल्फ कोर्स, लाइफ स्टाइल मॉल और पाँच सितारा होटल से
यह द्वीप सुसज्जित है| सेंटोसा द्वीप के इम्बिया लूक आउट में मन को मोहित करने वाले अत्यधिक
भीड़ वाले ८ विशाल आधुनिक मनोरंजन खेलों का आयोजन किया गया है| बटर फ्लाई पार्क और
इन्सेक्ट किंग्डम, इमेज ऑफ सिंगापुर, दी मेरलाइन टॉवर और मेरलाइन वॉक, सेंटोसा  4 D मेजिक्स
सेंटोसा सीने ब्लास्ट, सेंटोसा ल्यूग एंड स्काई राइड, केबल  कार एराइवल प्लाजा और सर्वाधिक
प्रसिद्ध माना जाने वाला टाइगर स्काई टॉवर अवस्थित है| इनके अतिरिक्त डोल्फिन लगून, सोंग्स
ऑफ दी सी,  अंडर वाटर वर्ल्ड प्रमुख है|
     सूर्यास्त के समय मेरलाइन वॉक करते हुए मेरलाइन की चमकती हुई सुन्दर छबि को
 निहारना अच्छा लगता है और वहाँ भोजन करते हुए विश्व के अत्यधिक व्यस्त बंदरगाह पर
क्षितिज के अलौकिक दृश्य का अवलोकन करना अच्छा लगता है| यह द्वीप वास्तव में मुझे
प्रकृति के विलक्षण सौन्दर्य की धरोहर ही समझ में आया|
     एराइवल प्लाजा से बस में सवार होकर दूसरे बस अड्डे उतर कर अन्य बस में सवार हुई|
अत्यधिक सुन्दर पालावान समुद्र तट के पास मेरे समस्त सहयात्री और मैं उतर गईं| जिनके साथ
मैं यहाँ तक पहुँची थी उन सभी को उनके गाइड ने डोल्फिन लगून शो के प्रवेश टिकट वितरित
किये तब मैं अकेली रह गई, तब मुझे गाइड ने पूछा कि आपका गाइड कौन है? मैंने उत्तर दिया
अनूप अग्रवाल जी| मेरे ग्रूप के सभी संगी साथी अन्दर प्रवेश कर चुके थे| उस गाइड ने वहाँ के
संत्री से अनूप अग्रवाल को बाहर बुलवाने का आग्रह किया| बाहर आते ही अनूप अग्रवाल जी मुझे
देखकर चकित रह गये और मुझसे कहा कि आप किस प्रकार यहाँ तक पहुँची? मैंने सारी घटना
उन्हें कह  सुनाई| मुझे उन्होंने टिकट खरीदकर दी और मैं अन्दर प्रवेश कर गई| तेजी से धड़कता
दिल धीरे-धीरे अपने सामान्य गति में आने लगा|
     पालावान समुद्र तट के कुछ हिस्से पर डोल्फिन लगून स्थित है| विजयलक्ष्मी काबरा, पुष्पा
दरक भी मुझे देखकर चकित रह गई| उन्होंने मुझसे पूछा कैसे हिम्मत की? मैंने उनसे कहा
होटल जाने से तो अच्छा है कि सेंटोसा द्वीप दोबारा देख लिया जाये यही सोचकर यहाँ तक
आने कीहिम्मत जुटा पाई| जनवरी 2000 में, मैं पहले यहाँ आ चुकी थी| यहाँ के अनुपम सौन्दर्य
की तुलनाहोटल के कमरे से नहीं की जा सकती और बस में अनुप अग्रवाल जी की हौसला-
वर्धक बातें, यहाँ के लोगों का सभ्य आचरण मुझे यहाँ तक बिना दिक्कत के खेंच लाया|
     कुछ ही देर बाद सुखद अनुभूति तब हुई जब मुझे सुनहरी रेती से युक्त 2 किलोमीटर विस्तार
वाले समुद्र तट पर चहल-कदमी करने का मौका मिला| शांत समुद्र के साथ ही सुनहरी रंगत की
रेती पर सूर्य-रश्मियों की चमकीली आभा सब कुछ मन को मोह लेने वाली ही प्रतीत होती थी|
सुविस्तृत समुद्र को स्पर्शित कर तट तक आने वाली मंद-मंद ठंडी वायु साँसों को एक अभिनव
सुगंध से परिपूरित कर रही थी| ऐसे में मन का प्रफुल्लित हो जाना सहज स्वाभाविक है| इस स्थान
पर खड़े होकर समुद्र को निहारना अच्छा लगता है| तट के किनारे-किनारे जो नारियल और ताड़ वृक्षों
की घनी पंक्तियाँ है वे इस तट को और भी भव्य बनाती है| नीले सुविस्तृत समुद्र की उत्ताल तरंगों
का नर्तन और तट से टकराने वाली लहरों का अभिनव संगीत सारी थकावट को हर लिया था|
पालावान समुद्री तट सभी के लिए आनंद दायक क्रीड़ा स्थल है| सिंगापुर का यह तट पूरे परिवार के
लिए खुशहाल तट माना जाता है| दक्षिणी एशिया महाद्वीप का अंतिम छोर है| यहाँ एक अखाड़ा भी
है| झूले वाले पूल द्वारा वहाँ जाया जाता है जहाँ 300 पर्यटक बैठकर पशु-पक्षियों का आपस का
मुकाबला देख सकते हैं|
     यहाँ काफी कुर्सियाँ लगी हुई थी लेकिन पहुँचने में विलम्ब के कारण मुझे बैठने का सौभाग्य
प्राप्त नहीं हुआ| मुझे विजयलक्ष्मी जी ने कहा कि अब हमारा साथ नहीं छोड़ना| उनके साथ ही
सुनहरी रेती पर विराजमान हो गई| डोल्फिन शो आरम्भ होने में अभी काफी समय बाक़ी था|
     गुलाबी रंगत लिए दो परम चतुर मादा डोल्फिनों का करतब देखकर मैं वशीभूत हो गई, उनका
जल में से उछल-उछल कर गेंद से खेलना, अपनी पीठ पर बैठाकर तेजी से जल में भागना बड़े
विमुग्ध भाव से मैं देख रही थी| इंडो-पेसिफिक कुबड़ा पन लिए गुलाबी कलर की दुर्लभ रमणीय
डोल्फिन के सम्मुख जाने का भी सौभाग्य प्राप्त किया| यह शो हर दो घण्टे के अंतराल में दिखाया
जाता है| सुबह 11 बजे से शाम के 5.30 बजे तक| शनिवार-रविवार और छुट्टी के दिन इनके शो
होते हैं,बाक़ी दिन डोल्फिनों को प्रशिक्षण दिया जाता है| डोल्फिन शो और अंडर वाटर वर्ल्ड दोनों
मिलाकर प्रवेश शुल्क वयस्कों के लिए S.$.22.99 और बच्चों के लिए S.$.14.60 है|
     खेल समाप्त होने के पश्चात हम सभी यात्रीगण अंडर वाटर वर्ल्ड आ गये| सिलोसा पाइंट में फोर्ट
सिलोसो ट्युर्स, अंडर वाटर वर्ल्ड और फिश रिफ्लेक्सोलोजी स्थित है| प्रसिद्धि में अंडर वाटर वर्ल्ड को
सेंटोसा के सभी मनोरंजन आकर्षणों में से सर्वप्रथम होने का गौरव प्राप्त है| यहाँ पूरे विश्व से 2500
 से भी अधिक मछलियाँ लाई गई हैं, जिनमे 250 अनेक प्रकार की महासागरीय प्रजातियाँ हैं| हम
सभी यात्रीगण यहाँ के साहसिक कार्यों की सराहना करते हुए, अंडर वाटर वर्ल्ड की मछलियों का
अवलोकन करते हुए भूमिगत सीढ़ियों द्वारा नीचे उतर रहे थे| गतियुक्त ट्रेवलेटर पर 83 मीटर लम्बी
एक्रेलिक सुरंग में प्रवेश करते ही विश्व प्रसिद्ध शार्कें, स्टींगरेज, सर्प के आकार की मछलियाँ और
कई समुद्रीय प्राण धारी जीवों  को, महासागर की हृदयंगम गहराइयों में उनकी संपन्नता देखकर
मैं आश्चर्य चकित रह गई| प्रत्येक मंजिल पर शीशे के चेम्बर में कई प्रकार की मछलियों को
अठखेलियाँ करते देख मन मंत्र-मुग्ध हो गया| सुबह 9 बजे से रात के 9 बजे तक खुला रहता
है|
     अंडर वाटर वर्ल्ड के एक तरफ फिश रिफ्लेक्सोलोजी है, जहाँ तुर्की से आयात की गई हष्ट-पुष्ट
बहुत ही छोटी-छोटी सुन्दर मछलियाँ रखी हुई है,जो खनिज-जल धारा में पर्यटकों के पाँव के
तलवों की निर्जीव चमड़ी को बड़ी कोमलता से कुतर कर सुन्दर बनाती है| यहाँ भी प्रवेश शुल्क
देना पड़ता है| हमारे पॅकेज टूर में यह नहीं था, सिर्फ देखकर मन को सांत्वना देकर आगे सोंग्स  
ऑफ दी सी देखने आ गये|
     सोंग्स ऑफ दी सी सीलोसो समुद्री तट और पालावान समुद्री तट के मध्य के कुछ हिस्से में 
स्थापित किया गया है| सीलोसो समुद्री तट के पास ही सेंटोसा  ल्यूग एंड स्काई राइड भी स्थित है|
समुद्री तटों पर वॉलीबॉल खेल की शुरूआत भी सीलोसो समुद्री तट से ही आरम्भ हुई थी| यह
तट सैलानियों के लिए आनंद-दायक क्रीडा स्थल भी है| हजारों-हजार की संख्या में पर्यटक इस
समुद्र तट पर वॉलीबॉल खेलने आते हैं| हमने इस बात को नोट किया कि तट पर काफी संख्या
में सैलानियों के होते हुए भी यह स्थल बिल्कुल प्रशांत और सुरम्य है| शोरगुल की दुनिया से दूर
हमें जो प्रशांति इस स्थान पर महसूस हुई और कहीं नहीं|
     तट के एक तरफ सुन्दर सीढ़ियों से उतर कर सोंग्स ऑफ दी सी जो पानी का खेल है देखने
आ गये| सिंगापुर का रात का सुन्दर आकर्षित खेल समुद्र में स्थापित किया गया है| इस खेल
को दो बार दर्शाया जाता है| पहला खेल 7.40 बजे आरम्भ होता है और दूसरा 8.40 बजे| प्रवेश
शुल्क S.$. 8 है| इस खेल को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं| बैठने की सुविधा
भी उपलब्ध है| सोंग्स ऑफ दी सी मस्तिष्क को चकित और मूर्छित कर देने वाला पानी का शो है
जिसमें नाटक का रूप भी सम्मिलित किया गया है| सायंकाल अस्त होते सूर्य का रक्ताभ बिम्ब जब
समुद्र के जल में आलोड़ित होने लगा था तब उस दृश्य की छटा ही कुछ और थी| संगीत की धुनों
पर थिरकने वाले अद्भुत फव्वारे और चलचित्र का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है| सुन्दर
आतिशबाजियों से सारा आकाश जगमगा गया| समुद्र के पानी से बनाये गये शो में विभिन्न
आकृतियाँ दर्शाई जाती ही, जिनमें अत्यंत आधुनिक टेक्नीकल, वाटर जेट्स, लेजर्स, आधुनिक
कंप्यूटर से बने हुए अति सुन्दर दृश्य दर्शाए जाते हैं| इतना सुन्दर खेल मैंने कभी नहीं देखा | जब
मैं सन 2000 में आई थी तब फव्वारों को थिरकते ही लेजर शो यहाँ देखा था| जब हैदराबाद के
लुम्बिनी पार्क में लेजर शो आरम्भ हुआ था, तब पल में सिंगापुर का लेजर शो मेरे मानस-पटल
पर चलचित्र की भाँति कौंध गया था| सिंगापुर के शो के आगे हैदराबाद के लुम्बिनी पार्क का शो
कम सुन्दर है, लेकिन सोंग्स ऑफ दी सी के शो का वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं
है| 
     अब तक मौसम बहुत खुला हुआ और खुशगवार था, लेकिन देखते ही देखते मौसम का रुख
बदला और घने बादलों की वजह से घनघोर वर्षा होने लगी| खेल देखते-देखते सभी यात्री उठकर
वर्षा से बचने के लिए यहाँ-वहाँ भागने लगे| खेल अधुरा छोड़कर हम सभी यात्रीगण भाग खड़े हुए|
यहाँ के बाक़ी सुन्दर खेलों का अवलोकन नहीं कर पाने की वजह से मन में यह कचोट बनी रही
कि जितना कुछ देखा उसे संतोष ही कहा जा सकता है| अगर अवसर मिला तो एक बार फिर         
यात्रा करूँगी|
संपत देवी मुरारका "संपत"
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