मंगलवार, 20 नवंबर 2012

कादम्बिनी क्लब का दीपावली मिलन एवं पुस्तक लोकार्पण संपन्न




कादम्बिनी क्लब का दीपावली मिलन एवं पुस्तक लोकार्पण संपन्न

कादम्बिनी क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में रविवार दि. 18 नवम्बर 2012 को कल्ब का दीपावली मिलन एवं श्रीमती शशि कोठारी कृत काव्य संग्रह जब नदिया बहना भूल गई का लोकार्पण उल्लासमय वातावरण में संपन्न हुआ |

क्लब संयोजिका डॉ.अहिल्या मिश्र एवं कार्यकारी संयोजिका मीना मूथा ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि इस अवसर पर प्रो.ऋषभदेव शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की | लोकार्पणकर्ता प्रो.आलोक पांडे, श्री निर्मल कुमार सिंघवी, श्रीमती विमलेश सिंघी, श्री एम. प्रभु, कवयित्री श्रीमती शशि कोठारी एवं डॉ.अहिल्या मिश्र मंचासीन हुए | श्री लक्ष्मीनारायण अग्रवाल के संचालन में मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया | श्रीमती शुभ्रा महंतो ने सुमधुर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की | डॉ.अहिल्या मिश्र ने स्वागत भाषण में अतिथियों का परिचय दिया तथा क्लब का परिचय दिया | उन्होंने कहा कि निरंतर 18 वर्षों से क्लब साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में अपनी पहचान बना चुका है और इसका श्रेय त्रयनगर के साहित्य प्रेमियों को जाता है | तत्पश्चात क्लब सदस्यों द्वारा अतिथियों का पुष्पगुच्छ-शाल द्वारा सम्मान किया गया |

श्रीमती कोठारी कृत जब नदिया बहना भूल गई काव्यसंग्रह का परिचय देते हुए डॉ. रमा द्विवेदी ने कहा कि यह काव्यसंग्रह व्यक्तिगत-वैचारिक अनुभूतियों का समूह है | कविताएँ भक्तिभाव से पूर्ण एवं अध्यात्म से संबंधित हैं | शीर्षक आकर्षित करता है और यह कविता संग्रह का सार तत्व है | शिल्प की दृष्टि से अनगढ़ ही सही किन्तु प्रेम भक्तिधारा में पाठक को बहा ले जाती है | हर कविता का कथ्य स्वयं पर आलंबित किया है इसलिए कवयित्री अदेशात्मकता से बच गई है | नदी का प्रतीक लेकर शशि जी ने जीवन के उतार-चढ़ाव, विसंगतियों का चित्रण और फिर प्रेमरूपी सागर में मिलकर खुद के अस्तित्व को विलीन कर देना था-मिटा देना इस नारी जीवन की चाह को सुंदरता से चित्रित किया है | पृष्टसज्जा मनमोहक है | डॉ. रमा ने कविता के कुछ काव्यांश पढ़कर सुनाए |

तत्पश्चात प्रो.आलोक पांडे एवं अतिथियों के करकमलों से तालियों की गूँज में काव्यसंग्रह का लोकार्पण हुआ | प्रो.पांडे ने कहा कि सुन्दर भावों के साथ ये कविताएँ एक लम्बी प्रार्थना है | नए तरिके से सोचने पर पाठक को मजबूर करती है | भाषा सक्षम है, कवयित्री को साधुवाद | ’आसमान’ कविता के अंश भी उन्होंने पढ़कर सुनाए | श्री सिंघवी ने कहा कि ज्ञानपंचमी का जैन दर्शन में बहुत महत्त्व है और इस शुभ संजोग पर शशिजी के किताब का लोकार्पण हो रहा है | उन्हें मेरी हार्दिक बधाइयां | इनकी रचनाएँ पथप्रदर्शक बनकर अध्यात्म एवं चिंतन के भावविध में ले जाती है | श्रीमती सिंघी ने कहा कि जीवन एक चुनौती, एक कसौटी, एक कर्तव्य, एक उत्तरदायित्व है | ‘ये जिंदगी है एक उपहार खो नहीं जाए’ गीत को लयबद्ध कर सुन्दर प्रस्तुति दी | श्री प्रभु ने संग्रह को गागर में सागर बताया | प्रो.ऋषभदेव जी ने अध्यक्षीय बात में कहा कि कवयित्री के पास विशेष शब्दों की बुनावट है | शीर्षक काव्यात्मक है | प्रेम और शांति की कामना करने वाला व्यक्ति कवि जरुर होता है | पूरे जगत के साथ अपनी अनुभूतियों को जोड़ने की बात शशिजी करती है | भाषा सशक्त है, नि:संदेह वे आगे बढ़ सकती है | कविता और वार्ता में फर्क बताते हुए उन्होंने कहा कि वार्ता सूचना देती है, कविता भावना विचार के माध्यम से सौन्दर्य की कृति है |

श्रीमती शशि ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे 2 प्रश्नों ने उद्वेलित किया – हम क्या है? हम क्यूँ आए संसार में? सकारात्मक दृष्टिकोण एवं खुश रहो,खुशियाँ फैलाओ, इस सच्चाई को मैंने पहचाना | स्व को प्यार करेंगे तो सबको प्यार करेंगे | क्लब की ओर से शशि जी का सम्मान हुआ तथा डॉ.रमा को भी पुष्पगुच्छ भेंट किया गया | प्रथम सत्र के समापन पर मीना मूथा ने आभार व्यक्त किया |

दितीय सत्र में श्री नरेंद्र राय की अध्यक्षता एवं प्रो. ऋषभदेव शर्मा, श्री तेजराज जैन, डॉ. मिश्र के आतिथ्य में तथा लक्ष्मीनारायण के संचालन में काव्य गोष्ठी आयोजित हुई | सम्पूर्ण कार्यक्रम में आयोजक डॉ. सुशील कोठारी, डॉ. सीता मिश्र, वेणुगोपाल भट्टड़, अजित गुप्ता, जुगल बंग जुगल, विनीता शर्मा, ए. कुरियन मोना, वी.वरलक्ष्मी, गौतम दीवाना, संपत देवी मुरारका, सुषमा वैद, सत्यनारायण काकडा, सरिता सुराना जैन, उमा सोनी, सूरज प्रसाद सोनी, तनुजा व्यास, तन्मय-संजय, पनिया, स्नेहिता कोठारी, रायचंद राकेचा, सुमेर सिंग, बालाप्रसाद गोयल, दीपक वाल्मिक, पूर्णिमा शर्मा, प्रो.सुरेश पूरी, बिशनलाल संघी, मुकुंददास डांगर, सीताराम, पुरुषोत्तम कड़ेल, भावना पुरोहित, हेमांगी ठाकर, आनंद सुराना, डॉ. देवेन्द्र शर्मा, आदि की प्रशंसनीय उपस्थिति रही | सरिता सुराना के धन्यवाद के साथ कार्यक्रम का समापन रहा |
संपत देवी मुरारका
मीडिया प्रभारी
 हैदराबाद











बुधवार, 14 नवंबर 2012

काव्यपाठ और कथाकथन कार्यक्रम संपन्न


काव्यपाठ और कथाकथन कार्यक्रम संपन्न

काव्यपाठ और कथाकथन कार्यक्रम संपन्न

दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के खैरताबाद स्थित सम्मेलन कक्ष में काव्यपाठ एवं कथाकथन कार्यक्रम आयोजन किया गया | इसमें कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के साहित्यकार डॉ. अशोक भाटिया का सम्मान किया गया | कार्यक्रम की अध्यक्षता अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. एम. वेंकटेश्वर ने की | संचालन ‘श्रवंती’ की सह-संपादक डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा ने किया |

आज यहाँ जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ‘कथाकथन’ के अंतर्गत अतिथि रचनाकार अशोक भाटिया ने अपने भीतर का सच, तीसरा चित्र, रिश्ते, रंग, पीढ़ी दर पीढ़ी और श्राद्ध जैसी लघुकथाओं का भावपूर्ण वाचन किया | साथ ही उन्होंने अपनी कुछ कविताएँ भी प्रस्तुत की | चर्चा में उनकी रचना ‘जिंदगी की कविता’ के इस अंक को खूब सराहा गया | ‘कविता/धरैतिन के हाथों से होकर/तवे पर पहुंचती है/तो बनती है रोटी/ जहां कहीं भी कविता है/ वहां जीवन का/ जिन्दा इतिहास रचा जा रहा है |’ पठित लघुकथाओं पर डॉ. एम वेंकटेश्वर, डॉ. राधेश्याम शुक्ल, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, आशीष नैथानी, पवित्रा अग्रवाल, वेत्सा पांडुरंगा राव, संपत देवी मुरारका, ऋतेश सिंह, अशोक तिवारी, डॉ. सीमा मिश्र, वी. कृष्ण राव और नागेश्वर राव ने समीक्षात्मक टिप्पणियाँ कीं |

आयोजन पत्रिका ‘भास्वर भारत’ के तत्वावधान में हुआ | आरम्भ में आर. राजा राव ने मंगलाचरण किया | आगंतुकों के परिचय और स्वागत-सत्कार की जिम्मेदारी समारोह के संयोजक प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने निभाई |
संपत देवी मुरारका
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद


गुरुवार, 8 नवंबर 2012

‘भास्वर भारत’ लोकार्पित

‘भास्वर भारत’ लोकार्पित




‘भास्वर भारत’ लोकार्पित
नगर से प्रकाशित नयी हिंदी मासिक पत्रिका ‘भास्वर भारत’ का लोकार्पण आज हिंदी महाविद्यालय में संपन्न हुआ | विख्यात साहित्यकार पद्मश्री प्रो.रमेशचंद्र शाह एवं कला समीक्षक जगदीश मित्तल ने पत्रिका का लोकार्पण किया |

इस अवसर पर हिंदी महाविद्यालय के सभागार में प्रो.पद्मश्री रमेशचंद्र शाह (लोकार्पण कर्त्ता मुख्य अतिथि), पद्मश्री जगदीश मित्तल (अध्यक्ष), वरिष्ठ तेलुगु कवि प्रो.एन.गोपि, रामगोपाल गोयनका, डॉ.जे.पी.वैद्य, मधुसूदन सौन्थालिया, अमृत कुमार जैन, रमेश कुमार बंग, डॉ.बी.सत्यनारायण, सुरेंद्रमल लुनिया, डॉ.जगदीश प्रसाद डिमरी (विशिष्ट अतिथि), डॉ. रामकुमार तिवारी, परसराम डालमिया, प्रसन्न भंडारी, रमेश अग्रवाल, डॉ.अहिल्या मिश्र, रत्नकला मिश्र, निर्मल सिंघल, डॉ.जी. नीरजा, अंशुल शुक्ल, विजयलक्ष्मी काबरा, रितेह सिंह और विकास कुमार (समारोह आयोजन समिति), राधेश्याम शुक्ल (सम्पादक) मंचासीन हुए |

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और शुभ्रा महंतो के ‘वंदे मातरम’ गायन से हुआ | अतिथियों का परिचय प्रो.एम.वेंकटेश्वर ने कराया | इस अवसर पर पत्रिका के संपादक राधेश्याम शुक्ल ने साहित्य, संस्कृति और भाषा के क्षेत्र में कार्यरत हैदराबाद के विशिष्ट अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान भी किया |

डॉ.राधेश्याम शुक्ल द्वारा संपादित मासिक पत्रिका ‘भास्वर भारत’ के लोकार्पण के अवसर पर हिंदी, तेलुगु और उर्दू के साहित्यकारों और पत्रकारों ने शुभाशंसशाएँ प्रकट की |

प्रसन्न भंडारी के संचालन में हिंदी महाविद्यालय के सभागार में आयोजित भारतीय भाषा, संस्कृति एवं विचारों की अंतर्राष्ट्रीय मासिक पत्रिका ‘भास्वर भारत’ के प्रवेशांक का लोकार्पण करते हुए विख्यात साहित्यकार पद्मश्री रमेशचंद्र शाह ने कहा कि हिंदी के विकास में दक्षिण की महत्वपूर्ण भूमिका रही है | आधुनिक हिंदी के इतिहास को देखने से यह स्पष्ट होता है कि इसके विकास में साहित्यकारों और पत्रकारों की विस्मयकारी जुगलबंदी का बड़ा योगदान रहा है, जब-जब कोई संकट उपस्थित हुआ तब-तब इन दोनों ने समाज को नया प्रकाश दिया है | आज भी हम एक ऐसे संकट काल से गुजर रहें हैं जहाँ विभिन्न क्षेत्रों में मानवीय मूल्यों का चरम अद्य:पतन हो चूका है | साहित्य और पत्रकारिता को आज फिर प्रकाश पुंज की भूमिका निभानी होगी |उनहोंने आगे कहा कि भास्वर भारत से यह अपेक्षा है कि वह पत्रकारिता के क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित करें और वर्त्तमान घोर यथार्थ वाद से टकराते हुए व्यवहारिक आदर्शों की स्थापना करें | उनहोंने हिंदी के सर्जक पत्रकारों की परंपरा का उल्लेख करते हुए याद दिलाया कि हिंदी आम जन की तथा भारतीय अस्मिता की भाषा है और सदा सत्ता के संरक्षण के बिना अपनी लोकशक्ति के आधार पर सुदृढ़ हुई है | उनहोंने जोर देकर कहा कि हर प्रकार के आलोक तांत्रिक व्यवहार के विरुद्ध सात्विक कठोरता ही हिंदी की पूंजी है तथा भास्वर भारत के प्रवेशांक में यह सात्विक कठोरता को आश्वस्त करने के लिए पर्याप्त है |

वरिष्ठ तेलुगु विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति कवि प्रो.एन.गोपि ने पत्रिका की विशिष्ट भाषा दृष्टि से सहमति जताते हुए कहा कि कोई भाषा बड़ी और छोटी नहीं है बल्कि सभी भारतीय भाषाएँ हमारी संस्कृति की विशेषताओं को प्रकट करती है इसलिए भारत की भाषा को एक सामुहिक नाम ‘भारती’ देना उचित होगा | उनहोंने आगे कहा कि अखंड भारत के भाव को हिंदी और भारतीय भाषाओं द्वारा ही जागरुक किया जा सकता है | समारोह में मंचासीन एवं अन्य अनेक महानुभावों ने इस अवसर पर शुभकामनाएं देते हुए ‘भास्वर भारत’ के सतत सहयोग का आश्वासन दिया |

विख्यात कला समीक्षक जगदीश मित्तल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि ‘भास्वर भारत’ ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ध्यान रखते हुए अच्छी शरुआत की है | उनहोंने याद दिलाया कि हैदराबाद को ‘कल्पना’ पत्रिका के लिए जाना जाता रहा है जो अपने समय की सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक पत्रिका थी | उनहोंने आगे कहा कि ‘कल्पना’ ने जिस प्रकार साहित्य का नेतृत्व किया था उसी भांति ‘भास्वर भारत’ भी भारतीय भाषाओं, संस्कृति और विचारों के आंदोलन को नेतृत्व प्रदान करेगी |

संपादक डॉ.राधेश्याम शुक्ल ने स्पष्ट किया कि ‘भास्वर भारत’ अपनी तरह की हिंदी की पहली अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका है जिसका लक्ष्य प्राचीन भारत की विस्मृत है चुकी वैज्ञानिक विचार धारा और देश-दुनिया की आधुनिक प्रगति के बीच सेतु निर्माण करने का है |

इस अवसर पर रामगोपाल गोयनका, सुरेंद्रमल लुनिया, रमेश कुमार बंग, डॉ.ऋषभदेव शर्मा, वृजगोपाल बंसल, मिसेस शुक्ल, पूनम शर्मा, संपत देवी मुरारका, डॉ.अहिल्या, नरेंद्र राय, अलका चौधरी, विजयलक्ष्मी काबरा एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे |
संपत देवी मुरारका
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद 

बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

कादम्बिनी क्लब की मासिक गोष्ठी संपन्न


कादम्बिनी क्लब की मासिक गोष्ठी संपन्न




कादम्बिनी क्लब की मासिक गोष्ठी संपन्न

कादम्बिनी क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में रविवार दि.21 अक्टूबर 2012 को हिंदी प्रचार सभा परिसर नामपल्ली में क्लब की 242 वीं मासिक गोष्ठी का सफल आयोजन हुआ |

क्लब संयोजिका डॉ.अहिल्या मिश्र एवं कार्यकारी संयोजिका मीना मूथा ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि इस अवसर पर प्रो.रोहिताश्व (अध्यक्ष), श्रीमती विजयलक्ष्मी काबरा (पू.पार्षद मुख्य अतिथि), डॉ.डंडा लखनवी, डॉ.तुकाराम वर्मा, श्री रामऔतार ‘पंकज’ (विशेष अतिथि लखनऊ) एवं डॉ.अहिल्या मिश्र (क्लब संयोजिका) मंचासीन हुए | डॉ. रमा द्विवेदी द्वारा सुमधुर सरस्वती वंदना से गोष्ठी का आरम्भ हुआ | मीना मूथा ने उपस्थित सभा का स्वागत किया | डॉ.अहिल्या मिश्र ने स्वागत भाषण में क्लब की संक्षिप्त जानकारी देते हुए कहा कि सन 1994 से निरंतर क्लब साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में अग्रसर रहा है | सरिता सुराणा जैन ने लखनऊ से पधारे अतिथियों का परिचय दिया |

प्रथम सत्र में भोपाल से प्रकाशित पत्रिका समय के साखी पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ.मदन देवी पोकरणा ने कहा कि आज कल हर जगह नई पत्रिकाओं का विमोचन फैशन सा हो गया है | इस होड़ में जो स्तरीय पत्रिका होगी, वही टिक पाएगी | उन्होंने कहा कि 64 पृष्ठीय इस पत्रिका का सम्पादकीय सटीक है | उन्होंने कहा कि बाजार में सब कुछ पहले जैसे चल रहा है, पर जीवन जीवंत नहीं है | गजल दिल को छू लेती है | इसमें 22 कविताएँ शामिल हैं, जिसमें सभी सजग है | समसामायिक घटनाओं को इसमें चुना गया है | मुद्रण साफसुथरा है और भाषा के मामले में भोपाल जाना ही जाता रहा है | कुलमिलाकर पठनीय पत्रिका है | श्री लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने कहा कि सम्पादक के पास अलग दृष्टिकोण है | किसान की दशा और वर्त्तमान में वह किस दशा में है, इस पर गहरा चिंतन है | गाँव पहले स्वतंत्र ईकाई होता था | आज वह दिल्ली का सेटेलाइट हो गया है | कहानियाँ अच्छी है, चतुष्कोण में बुजुर्गों की समस्या चित्रित है | कुछ काव्यांश भी अग्रवाल ने सुनाए | डॉ.अहिल्या मिश्र ने कहा कि पत्रिका द्वेमासिक है और संपादिका डॉ.आरती है | संपादकीय सशक्त एवं चिंतन पूर्ण है | तायवा, चाँदनी सो गई भावात्मक कहानियाँ हैं | मौलिकता-सृजनशीलता इसमें निहित है | मुखपृष्ट पलटते ही पत्रिका अपनी ओर आकर्षित करती है |

श्रीमती काबरा ने क्लब की निरंतरता के लिए शुभकामनाएँ दीं | लखनऊ से पधारे सभी कवियों ने क्लब की गतिविधियों की सराहना की | प्रो.रोहिताश्व ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हिंदी की सेवा में श्रीराम शर्मा का योगदान सराहनीय है | हिंदी प्रचार सभा की स्मृतियों को प्रस्तुत किया तथा पत्रिका को साधुवाद दिया | तत्पश्चात क्लब के सदस्यों ने मंचासीन अतिथियों का सम्मान किया |

श्री अग्रवाल के संचालन में दूसरे सत्र में कवि गोष्ठी संपन्न हुई | इसमें भावना पुरोहित, नीरज त्रिपाठी, जुगल बंग जुगल, डॉ.रमा द्विवेदी, संपत देवी मुरारका, मीना मूथा, बलवीर सिंह, भँवरलाल उपाध्याय, विजयलक्ष्मी काबरा, डॉ.डंडा लखनवी, डॉ. तुकाराम वर्मा, रामऔतार ‘पंकज’, डॉ.अहिल्या मिश्र, पवित्रा अग्रवाल, सरिता सुराणा जैन ने समसामायिक काव्यपाठ किया | डॉ. रमा ने क्लब सदस्यों को उनके जन्मदिन-विवाहदिन की बधाई दी | जी.पुष्पलता, भूपेन्द्र आदि भी उपस्थित थे | सरिता सुराणा जैन के धन्यवाद के साथ गोष्ठी का समापन हुआ |
संपत देवी मुरारका
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद






















  

सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

पंचम साहित्य गरिमा पुरस्कार एवं `फूलों से प्यार’ का लोकार्पण संपन्न


पंचम साहित्य गरिमा पुरस्कार एवं `फूलों से प्यार’ का लोकार्पण संपन्न    




पंचम साहित्य गरिमा पुरस्कार एवं `फूलों से प्यार’ का लोकार्पण संपन्न    

 साहित्य  गरिमा पुरस्कार समिति एवं आथर्स गिल्ड आफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में प्रेस क्लब, बशीरबाग़ हैदराबाद में दिनांक 14 अक्टूबर को 2 बजे पंचम साहित्य गरिमा पुरस्कार एवं `फूलों से प्यार' का लोकार्पण  समारोह संपन्न हुआ । 

संस्था की संस्थापक अध्यक्ष  डॉ.अहिल्या मिश्र एवं महासचिव डॉ.रमा द्विवेदी ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि इस समारोह की अध्यक्षता प्रो शकुन्तलम्मा (क्षेत्रीय निदेशक,केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, हैदऱाबाद केंद्र) ने की । इस अवसर पर डॉ.शिवशंकर अवस्थी (असोसिएट प्रोफ़ेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं सेक्रेटरी जनरल, ए.ज़ी.आई) मुख्य अतिथि और उदघाटन कर्ता, जैन रत्न सुरेन्द्र लूणिया सम्मानीय अतिथि, श्री कमल नारायण अग्रवाल गौरवनीय अतिथि, श्री मधु सूदन सोंथालिया विशेष अतिथि, प्रो ऋषभ देव शर्मा, पुस्तक परिचय कर्ता एवं डॉ.अहिल्या मिश्र संस्थापक अध्यक्ष के रूप में मंचासीन हुए । मुख्य अतिथि डॉ.शिव शंकर अवस्थी एवं अन्य सभी अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित किया एवं शुभ्रा मोहन्तो की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ ।

संस्था की संस्थापक अध्यक्ष एवं ए.जी.आई. की संयोजिका (हैदराबाद चैप्टर) डॉ.अहिल्य  मिश्र ने स्वागत भाषण में कहा कि पूरे  देश  में महिला लेखिकाओं के हेतु यह विशेष पुरस्कार है। दक्षिण के पांच प्रान्तों की महिला लेखन हेतु यह पुरस्कार निरंतर दिया जा रहा है । महिलाओं के लेखन को प्रतिष्ठित एवं प्रोत्साहित करना इसका विशेष उद्देश्य है । ए.जी.आई. का परिचय देते हुए  कहा कि यह भारतीय लेखको के हेतु महत्व पूर्ण अखिल भारतीय संस्था है । सभी अतिथियों का स्वागत शाल, मोती माला एवं पुष्प गुच्छ से संस्था के सदस्यों द्वारा किया गया । प्रो.शुभदा वांजपे ने अतिथियों का परिचय दिया | डॉ. रमा द्विवेदी ने संस्था का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया एवं डॉ. सीता मिश्र ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया । तत्पश्चात नगर की वरिष्ठ लेखिका श्रीमती शान्ति अग्रवालजी  को उनके कहानी संग्रह `गुलमोहर' की पांडुलिपि पर  पंचम साहित्य गरिमा पुरस्कार के रूप में ग्यारह हजार की राशि का चेक, शाल,प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न, श्री फल और पुष्प गुच्छ प्रदान कर उनका सम्मान किया गया ।

लेखिका ने अपने उद्गार में साहित्य गरिमा और सभी अतिथियों का हार्दिक आभार व्यक्त   करते हुए अपनी  कामना व्यक्त करते हुए कहा कि  आप सबका स्नेह मेरी लेखनी को सदैव  प्राप्त होता रहे   

डॉ. शिवशंकर अवस्थी  का सम्मान  शाल, मोती माला, पुष्प गुच्छ और उपहार से डॉ.  अहिल्या मिश्र, प्रो  शुभदा वांजपे एवं सभी सदस्यो द्वारा  ( ए.जी.आई. हैदराबाद चैप्टरकी और  से) किया गया ।

पवित्रा अग्रवाल कृत `फूलो से प्यार’  बाल कहानी संग्रह का परिचय देते हुए प्रो ऋषभ देव शर्मा ने कहा - इन कहानियों में   बच्चो में चरित्र निर्माण, राष्ट्रीयता की भावना जाग्रत करना, रीति रिवाजों का सकारात्मक रूप और रिश्तो की कद्र करना अभिव्यक्त हुआ है एवं वैज्ञानिक चेतना जाग्रत करने के साथ-साथ इनमे सूक्तियाँ-उक्तियों का प्रयोग भी दिखाई पड़ता है । यह संग्रह   बच्चो के लिए उपयोगी सिद्ध होगा । तत्पश्चात `फूलो से प्यार’ बाल कहानी  संग्रह का लोकार्पण मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों के द्वारा किया गया।  लेखिका पवित्रा अग्रवाल ने अपनी पुस्तक को अपने पति श्री  लक्ष्मीनारायण अग्रवाल  जी को समर्पित किया है । लेखिका ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी बचपन  से ही यह इच्छा थी  कि वह  बच्चो के लिए उपयोगी कुछ लिखे और उनका यह सपना आज पूरा हो गया है और इसका श्रेय उनके पति और परिवार को जाता है ।

मुख्य  अतिथि डॉ.शिव शंकर अवस्थी ने ए.जी. आई. का परिचय देते हुए कहा कि यह एक आन्दोलन है जो लेखको के हित के लिए चल रहा है । साहित्य गरिमा पुरस्कार की सराहना  करते हुए कहा कि हमारे देश में महिला लेखिकाओं के लिए ऐसे पुरस्कार की व्यवस्था नहीं है । पांडुलिपि पर पुरस्कार देकर साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति न केवल लेखिकाओं को प्रोत्साहित कर रही है बल्कि नए रचनाकार भी  पैदा कर रही है । जैन रत्न  सुरेन्द्र लूणिया ने साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति को शुभकामनाएँ देते हुए कहा की संस्था महिलाओं की उन्नति के लिए सराहनीय कार्य कर  रही है। श्री कमल नारायण अग्रवाल और श्री मधु सूदन  सोंथालिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए । डॉ. राधेश्याम शुक्ल जी ने शान्ति अग्रवाल और पवित्रा   अग्रवाल को  अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित की ।  अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो शकुन्तलम्मा ने   इस समारोह को अत्यंत सारगर्भित बताते हुए कहा, सच में साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति महिला लेखिकाओं के हित में कार्य कर रही है इससे निश्चित ही महिला लेखन को प्रोत्साहन मिलेगा एवं  यह पुरस्कार अपने आप में अप्रतिम है । श्री भंवर लाल उपाध्याय ने सफल संचालन किया एवं मीना मुथा ने आभार प्रदर्शन ज्ञापित किया । इस समारोह में प्रो सत्यनारायण, प्रो रोहिताश्व , डॉ.त्रिवेणी झा, पूर्व पार्षद विजय लक्ष्मी काबरा, श्री जगजीवन लाल अस्थाना, डॉ.पूर्णिमा शर्मा, डॉ.कर्ण सिंह, अजित गुप्ता, नीरज कुमार, आशा मिश्र, मानवेन्द्र मिश्रा, जी परमेश्वर, विनय कुमार झा, संयोग ठाकुर, उमा सोनी, संपत देवी मुरारका, डॉ.राधे श्याम शुक्ल, तेजराज जैन, एस नारायण राव, श्रीनिवास सोमानी, आशा देवी सोमानी, वी वरलक्ष्मी, रत्नमाला साबू, डॉ.अर्चना झा, भावना पुरोहित, डॉ.मदन देवी पोकरणा , तनुजा व्यास, सरिता सुराना जैन, विनीता शर्मा, मधु भटनागर, डॉ.सीता मिश्र, शीला सोंथालिया, दयानंद झा, नीरज त्रिपाठी, विशेषवर  राज अस्थाना की उपस्थति के साथ-साथ  साहित्य प्रेमियों से  सभागृह खचाखच भरा हुआ था ।
संपत देवी मुरारका
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद  



दगड़ू सेठ (गणेशजी महाराज) पूना

दगड़ू सेठ (गणेशजी महाराज) पूना 









मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012

साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति की व्यवस्था समिति की बैठक संपन्न


साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति की व्यवस्था समिति की बैठक संपन्न





साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति की व्यवस्था समिति की बैठक संपन्न


साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति की बैठक श्री रामगोपाल  गोयनका जी की अध्यक्षता में (27-9-12) सुन्दर वाटिका, बंजारा हिल में 4 बजे से आयोजित की गई |

संस्था की संस्थापक अध्यक्ष डॉ.अहिल्या मिश्र एवं महासचिव डॉ.रमा द्विवेदी  ने संयुक्त रूप से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि पंचम साहित्य गरिमा पुरस्कार का आयोजन 14 अक्तूबर 2012 रविवार को किया जाएगा | यह पुरस्कार आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं केरल की महिला लेखिकाओं के लेखन से संबंधित पुरस्कार है |

कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु विभिन्न समितियों का गठन किया गया | स्वागत समिति में डॉ.अहिल्या मिश्र, श्री वेद प्रकाश लाहोटी सावन, शीला सोंथालिया, अजित गुप्ता, संपत देवी मुरारका, विनीता शर्मा, रामगोपाल गोयनका, पवित्रा अग्रवाल, अमर नाथ मिश्र, प्रो.शुभदा वांजपे अपना सहयोग प्रदान करेंगे | मंच व्यवस्था में मीना मुथा, भावना पुरोहित, सत्यनारायण काकड़ा, लीला बजाज, सरिता सुराना जैन, नीरज त्रिपाठी सहयोग करेंगे | पुरस्कार की व्यवस्था ज्योति नारायण, डॉ.मदन देवी पोकरना, डॉ,रमा द्विवेदी  एवं मीना मुथा का सहयोग आपेक्षित है |  अल्पाहार की व्यवस्था का विभाग लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, डॉ.सीता मिश्र, मुकुंद दास  डांगरा, गौतम दीवाना  एवं सुरेश जैन की देख-रेख में रहेगा  | पूजा समिति में शुभ्रा मोहन्तो एवं पुष्प वर्मा सहयोग देंगी | एलिजाबेथ कुरियन मोना, उमा सोनी, भंवरलाल उपाध्याय, वी.वरलक्ष्मी, विजय विशाल, विनय झा, दयानंद झा, डॉ.देवेन्द्र शर्मा, एमा ठक्कर, संयोग ठाकुर, चन्द्र मोहन कर्ण एवं सूरजप्रसाद सोनी इस समारोह में  अपना विशेष सहयोग प्रदान करेंगे | इस बैठक में डॉ.सीता मिश्र, प्रो.शुभदा वांजपे, मीना मुथा, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, भावना पुरोहित, ज्योति नारायण, संपत देवी मुरारका, पवित्रा अग्रवाल श्री रामगोपाल गोयनका जी  उपस्थित थे | शीला सोंथालिया के आभार प्रदर्शन से बैठक समाप्त हुई |
                                                                                     
संपत देवी मुरारका
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद