“नवजागरण के परिप्रेक्ष्य में रवीन्द्र साहित्य” विषय पर व्याख्यान संपन्न
आंध्र-प्रदेश हिंदी
अकादमी, हैदराबाद के तत्वावधान में मंगलवार दि. 7 मई को नोबल पुरस्कार
ग्रहीता गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की 152 वीं जयंती के
उपलक्ष्य में ‘नवजागरण के परिप्रेक्ष्य में रवीन्द्र-साहित्य’ विषय पर व्याख्यान
कार्यक्रम का आयोजन आंध्र-प्रदेश हिंदी अकादमी, 8वीं मंजिल, गगन विहार,
एम.जे.रोड, नामपल्ली में किया गया |
यहाँ जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, व्याख्यान
में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. एम. वेंकटेश्वर ने भाग लिया | उन्होंने कहा कि
भारतीय साहित्य में गुरुदेव का स्थान अतुलनीय रहा है | उन्होंने कहा कि भारतीय
नवजागरण में राजा राममोहन राय ने नवजागरण का जो नींव रखी उसे आगे जाकर रामकृष्ण
परमहंस, विवेकानंद, देवेन्द्रनाथ ठाकुर, रवीन्द्रनाथ ठाकुर आदि महानुभावों ने सुस्थिर
किया | उन्होंने रवीन्द्र के ‘गोरा’ उपन्यास में तत्कालीन समस्याओं, धार्मिक
विश्वासों के साथ-साथ धर्म की कट्टरता आदि का वृत्तांत प्रस्तुत किया | अकादमी के
निदेशक डॉ. के. दिवाकरा चारी ने कहा की रवीन्द्र गीतांजलि को 1913 में नोबल पुरस्कार मिला | ऐसी महान हस्ती की जयंती के अवसर पर व्याख्यानमाला
का आयोजन किया गया है | उन्होंने कहा कि आज के नीतिहीन समाज के लिए उनका साहित्य
अत्यंत उपयोगी है |
अकादमी के अनुसंधान अधिकारी डॉ. बी. सत्यनारायण
ने व्याख्यान का संचालन किया | इस अवसर पर ऋषभदेव शर्मा, संपत देवी मुरारका,
राजकुमारी, एलिजाबैथ कुरियन, डॉ. कोकिला, आदि उपस्थित थे | अनुवादक एन.अप्पल नायडू
के धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम का समापन हुआ |
संपत देवी मुरारका
लेखिका यात्रा विवरण
(अध्यक्षा), इण्डिया काइंडनेश मूवमेंट
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
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