बीजापुर [कर्नाटक], 5 अगस्त 2015.
‘’शिक्षा का अर्थ पुस्तकीय ज्ञान प्रदान करना मात्र नहीं है, बल्कि वह हमें विविध प्रकार की संकीर्णताओं से मुक्त करके सही अर्थ में मनुष्य बनाने की प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया में हमारी मूल प्रवृत्तियों का उदात्तीकरण तो शामिल है ही, जीवन प्रबंधन का विज्ञान भी निहित है.’’ ये विचार तेवरी काव्यान्दोलन के प्रवर्तक प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने कर्नाटक के अत्यंत पिछड़े अंचल बीजापुर में स्थित अंजुमन कला, विज्ञान एवं वाणिज्य महाविद्यालय के इकबाल हॉल में उपस्थित विद्यार्थियों और आचार्यों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए.
महाविद्यालय के भाषणकला संघ और जीमखाना के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में ‘’जीवन प्रबंधन और मूल्य शिक्षा’’ पर बोलते हुए अपने उद्घाटन भाषण में प्रो. शर्मा ने मनुष्यता, सामाजिकता, राष्ट्रीयता, धर्म निरपेक्षता, सकारात्मक चिंतन, शुभ संकल्प, उच्च जीवनादर्श और आत्म निरीक्षण का महत्व बताने के साथ ‘दुनिया को मनुष्य जाति के लिए बेहतर स्थान’ बनाने का सन्देश दिया.
आरम्भ में अंजुमन महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने ईश वंदना और देश वंदना की. प्रो. साहिब हुसैन जहागीरदार ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया. प्राचार्य डॉ.ए. जी. नवलगुंड ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सर्वतोमुखी व्यक्तित्व विकास में ही शिक्षा की सार्थकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षा हमें सही अर्थों में ‘इन्सान’ बनाए तभी हम समूचे समाज और विश्व के लिए अनुकरणीय मूल्य स्थापित कर सकते हैं. संचालन श्रीमती रुकैया ने किया तथा धन्यवाद प्रो. सैयद रिजवान ने व्यक्त किया. सामूहिक राष्ट्रगान के साथ समारोह संपन्न हुआ.
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Blogger द्वारा हैदराबाद से के लिए 8/09/2015 01:24:00 am को पोस्ट किया गया
प्रस्तुत कर्त्ता
संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा, विश्व वात्सल्य मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
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