कादम्बिनी क्लब की मासिक गोष्ठी संपन्न
कादम्बिनी क्लब हैदराबाद की 302 वीं मसिक गोष्ठी का आयोजन
रविवार दिनांक 17 सितंबर को हिंदी प्रचार सभा परिसर में श्रुतिकांत भारती
की अध्यक्षता में संपन्न हुआ ।
प्रेस विज्ञप्ति
में आगे बताते हुए विश्व वात्सल्य मंच की अध्यक्ष ने कहा कि इस अवसर पर प्रथम सत्र
में श्रुतिकांत भारती, वरुणा अभ्यंकर, अवधेश कुमार सिन्हा एवं डॉ.अहिल्या मिश्र
मंचासीन हुए | मंगला अभ्यंकर ने निराला रचित सरस्वती वंदना प्रस्तुत की | डॉ.अहिल्या
मिश्र ने स्वागत भाषण में कहा कि संस्था अपने 24 वें पायदान पर साहित्यिक गतिविधियों में निरंतरता बनाए हुए हैं | राष्ट्रकवि
रामधारी सिंह दिनकर की जयंती के अवसर पर आयोजित सत्र में अपने विचार रखते हुए
डॉ.अहिल्या मिश्र ने कहा कि दिनकर का निबंध संग्रह "संस्कृति के चार
अध्याय" किताब हरेक अवश्य पढ़ें । भारतीय संसद
भवन में आज भी दिनकर का चित्र लगा हुआ है | वह
ब्रम्हर्षि परिवार से थे और उर्वशी खंडकाव्य के साथ-साथ गद्य में भी कलम सफलता से
चली है ।
इसी श्रंखला में अवधेश
कुमार सिन्हा संगोष्ठी संयोजक ने कहा की ‘संस्कृति के
चार अध्याय’ संपूर्ण भारत
का दर्शन कराना है । दिनकर के काव्य संसार के साथ-साथ गद्य संग्रह भी विपुल है । 1956 में प्रकाशित यह किताब आज इतनी सच साबित हो
रही है । वे युगदृष्टा थे | संस्कृति है
क्या इसके मूल तत्व होते क्या है, विभिन्न
कालखंडों में कैसे प्रभावित होती रही संस्कृति इसका समाधान उपरोक्त पुस्तक में है
। दिनकर कहते हैं, सच्चा वेदांती न हिंदू न मुसलमान, न बौद्ध, न ईसाई होता
है, वह तो केवल अच्छा इंसान होता है । प्रस्तुत
पुस्तक के प्रकाशित होने पर लगभग 400 पत्र लेखक को
आये जिसमें कुछ लोगों ने नाराजगी दर्शाई और कुछ ने समर्थन किया । यह ग्रंथ भारतीय
एकता का सैनिक है ।
एक युगसृष्टा ही भविष्य को
इतनी सक्षमता से परख और पहचान सकता है । डॉ. मिश्र ने कहा कि बिहार राज्य के
बेगूसराय जिले के सिमरिया गांव में 23 सितंबर 1908 में दिनकर का जन्म हुआ था । भारत सरकार ने इन्हें "पद्मभूषण" से
सम्मानित किया था । सुनंदा जमदग्नि ने कहा कि हर धर्म का एक संस्थापक है पर हिंदू
धर्म का कोई संस्थापक नहीं है । दिनकर ने आज के हालातों का 100 वर्ष पूर्व चित्रण कर लिया
यह उनके समझ को दर्शाता है । 2-3 सदस्यों ने दिनकर की रचनाओं का पाठ किया ।
हिंदी दिवस के
महत्व पर बात रखते हुए मंगला अभ्यंकर ने कहा कि आज भी हिन्दी को फाइलों पर लाने
में कितने प्रयास करने पड़ रहे हैं । लोगों के दिलों में हिन्दी को पहुंचाने के
लिए कार्यशालाएं,
संपर्क अभियान, साहित्यकारों की जयंतियां, हिंदी नाटकों का मंचन आदि किए जाते रहे हैं ।
वरुण अभ्यंकर ने
कहा कि एक राष्ट्र होना चाहिए, एक भाषा होनी चाहिए । संपर्क भाषा न होने पर व्यक्ति बेचैन हो जाता है ।
श्रुतिकांत भारती ने अध्यक्षीय टिप्पणी में कहां की किताबों को बार-बार पढ़ें ।
बार-बार पढ़ोगे तो नई चीजें ही मिलती है । तभी दिनकर जी को समझने में आसानी होगी ।
हिन्दी आज विश्व में पहुंच चुकी है । धैर्य रखना होगा - हिन्दी कभी मरने वाली नहीं
बढ़ने वाली भाषा है ।
तत्पश्चात क्लब
अध्यक्ष डॉ.अहिल्या मिश्र का उनके 69 वें जन्मदिन पर क्लब की ओर से शॉल, पुष्पमाला से सम्मानित किया गया तथा चिरआयु के लिए शुभकामनाएं व्यक्त की ।
सुनीता लुल्ला ने प्रथम सत्र का आभार व्यक्त किया । मीना मूथा ने संचालन किया ।
भँवरलाल उपाध्याय के संचालन में कवि गोष्ठी हुई | सुरेश जैन ने गोष्टी की अध्यक्षता की | डॉ.मदन देवी पोकरणा व डॉ.मिश्र मंचासीन हुए । भावना पुरोहित, कुंज बिहारी गुप्ता, सचिदानंद, चिराग राजा, दीपक दीक्षित, संपत देवी मुरारका, संतोष रजा, सुषमा बैद, श्रीमन्नारायण चारी विराट, उमा सोनी, सूरज प्रसाद सोनी, सरिता सुराणा जैन, मीना मूथा, सुनीता लुल्ला, एल. रंजना, शशी राय डॉ.गीता जांगिड़, दर्शन सिंह, सत्यनारायण काकड़ा आदि ने काव्य पाठ किया । भूपेंद्र मिश्र, गुरुदयाल अग्रवाल, अशमला नाज, आशीष बिहारी, अरुण कुमार सिंह, कोहिर, जुगल बंग जुगल की भी उपस्थिति रही । मीना मूथा ने आगामी अक्टूबर-नवंबर माह के कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए सभा का आभार व्यक्त किया । सुरेश जैन ने अध्यक्षीय काव्य पाठ किया |
प्रस्तुति
: संपत देवी मुरारका (विश्व वात्सल्य मंच)
email: murarkasampatdevii@gmail.com
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136
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