हिन्दी टाइपिंग नहीं आती तो नहीं बढ़ेगा वेतन, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
- योगेश सोनी
- Nov 25, 2015, 06:05 AM IST
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जबलपुर. मध्य प्रदेश के सरकारी विभाग में लिपिक पद पर नियुक्त होने वाले कर्मचारियों की वेतन वृद्धि को लेकर हाईकोर्ट ने मंगलवार को काफी बड़ा और दूरगामी फैसला सुनाया।
चीफ जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस एसके गंगेले और जस्टिस आलोक अराधे की फुल बैंच ने 20 मामलों पर 22 पन्नों का फैसला सुनाते हुए कहा है कि वेतन वृद्धि उसी तारीख से मिलेगी, जब कर्मचारी हिन्दी टाइपिंग की परीक्षा पास कर लेंगे। ये रिफरेंस हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा विभिन्न विरोधाभासी फैसलों को देखते हुए चार साल पहले फुल बैंच को भेजा गया था।वेतन वृद्धि को लेकर ये मामले मनोज कुमार पुरोहित व अन्य की ओर से दायर किए गए थे। आवेदकों का कहना था कि प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों में लिपिक के पद पर सीधी भर्ती, नियमित भर्ती या अनुकंपा नियुक्ति के जरिये भर्ती होती है। कई विभागों में विज्ञापन में ही स्पष्ट कर दिया जाता है कि उम्मीदवार का हिन्दी टाइपिंग पास करना अनिवार्य है।
कुछ विभागों में दिए जाने वाले नियुक्ति पत्र में यह शर्त रखी जाती है। कुछ याचिकाकर्ताओं का कहना था कि वे विभाग में पिछले कई वर्षों से कार्य कर रहे हैं, लेकिन हिन्दी टाइपिंग की परीक्षा पास न होने के कारण उन्हें वेतन वृद्धि नहीं दी जा रही है। वहीं कुछ का कहना था कि उन्हें वेतन वृद्धि टाइपिंग परीक्षा पास करने की तिथि के बजाय नियुक्ति दिनांक से ब्याज के साथ दी जाए। ऐसी वेतन वृद्धि को लेकर मप्र हाईकोर्ट के कुछ फैसलों में व्यवस्था दी गई थी कि याचिकाकर्ताओं को वेतन वृद्धि दी जाए। जबकि कुछ फैसलों में वेतन वृद्धि नियुक्ति दिनांक से दिए जाने के आदेश थे। हाईकोर्ट के विरोधाभासी फैसलों को देखते हुए एकलपीठ ने 27 अगस्त 2011 को यह मामला फुल बैंच के पास भेजा था, ताकि वेतन वृद्धि को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सके।
सरकार तय कर सकती है पैमाना
राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता समदर्शी तिवारी ने युगलपीठ को बताया कि नियमितिकरण और अनुकंपा नियुक्ति से संबंधित नीतियां याचिकाकर्ताओं के मामलों से अलग है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे मामलों में हिन्दी टाइपिंग की परीक्षा पास करना अनिवार्य है। इस बारे में योग्यताएं तय करने का पैमाना सरकार के पास है।
निराकरण के लिए यह था सवाल
एकलपीठ द्वारा भेजे गए रिफरेंस में फुल बैंच से राय मांगी गई थी। एकलपीठ ने पूछा था कि भर्ती नियमों के तहत हुई नियुक्ति के बाद क्या कर्मचारी नियुक्ति दिनांक से वेतन वृद्धि पाने का हकदार है? क्या नियुक्ति पत्र में लिखे होने के बाद भी यदि कर्मचारी हिन्दी टाइपिंग की परीक्षा पास नहीं करता तो क्या उसे वेतन वृद्धि देने से इनकार किया जा सकता है?
देश भर की नजीरों का आया हवाला
पूरे प्रदेश के लिपिकीय कर्मचारियों से सीधे जुड़े इस मामले में फुल बैंच ने न सिर्फ मध्य प्रदेश, बल्कि देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों के अलावा सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का भी हवाला अपने फैसले में दिया। फुल बैंच ने कर्मचारियों की नियुक्तियों और सेवाशर्तों से संबंधित स्कीमों का भी अवलोकन करने के बाद यह मीलगामी फैसला सुनाया।
पूरे प्रदेश के लिपिकीय कर्मचारियों से सीधे जुड़े इस मामले में फुल बैंच ने न सिर्फ मध्य प्रदेश, बल्कि देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों के अलावा सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का भी हवाला अपने फैसले में दिया। फुल बैंच ने कर्मचारियों की नियुक्तियों और सेवाशर्तों से संबंधित स्कीमों का भी अवलोकन करने के बाद यह मीलगामी फैसला सुनाया।
हजारों मामलों का होगा निराकरण
फुल बैंच का फैसला आने के बाद वेतन वृद्धियों को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में हजारों की संख्या में लंबित मामलों का एक ही बार में निराकरण हो सकेगा। जानकारों की मानें तो विरोधाभासी फैसलों के कारण ही बड़ी संख्या में मामले हाईकोर्ट में लंबित थे। फुल बैंच का यह फैसला उन मामलों के निराकरण में अहम भूमिका निभाएगा।
फुल बैंच का फैसला आने के बाद वेतन वृद्धियों को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में हजारों की संख्या में लंबित मामलों का एक ही बार में निराकरण हो सकेगा। जानकारों की मानें तो विरोधाभासी फैसलों के कारण ही बड़ी संख्या में मामले हाईकोर्ट में लंबित थे। फुल बैंच का यह फैसला उन मामलों के निराकरण में अहम भूमिका निभाएगा।
प्रस्तुत कर्त्ता
संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा, विश्व वात्सल्य
मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
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