मित्रोॆ,
सभी राष्ट्र-प्रमियों से अनुरोध है कि निम्नलिखित पत्र जिसकी वर्ड - फाइल संलग्न है इसे डाउनलोड करते हुए इसे भरकर यहाँ दिए ई-मेल पते पते पर ई मेल कर दें। दे मिनिट में मा. राष्ट्रपति जी को संबोधित आपका पत्र हमें प्राप्त हो जाएगा। जिसे मा, राष्ट्रपति तक पहुंचाया जाएगा। इस संदेश व पत्र के प्रारूप को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएँ।
डॉ. मोतीलाल गुप्ता 'आदित्य'
निदेशक, वैश्विक हिंदी सम्मेलन।------------------------------------------------------------ ----------------------------- भारतीय अस्मिता की पुनर्स्थापना अभियान प्रमुख
डॉ. रवींद्र शुक्ल,
पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तरप्रदेश सरकार
एवं केंद्रीय अध्यक्ष, हिंदी साहित्य भारती।
सेवा में,
महामहिम राष्ट्रपति महाभाग,
भारत गणराज्य
राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली
विषय : भारतीय अस्मिता की पुनर्स्थापना के लिए अनुरोध।
परम श्रद्धेय,
विनम्र अनुरोध है कि-
1. हम भारतवासियों का दृढ़ मत है कि हमारे पवित्र आर्षग्रन्थों की भाषा संस्कृत, विश्व की सभी भाषाओं की जननी है; जो आदिकाल से भारतीय सभ्यता और संस्कृति का वैज्ञानिक अधार रही है। किसी राष्ट्र की मूल सभ्यता और संस्कृति के अनुरूप राष्ट्रभाषा किसी भी स्वाभिमानी राष्ट्र की आस्था, अस्मिता और गौरव की प्रतीक होती है। खेद है कि आज, स्वाधीनता -प्राप्ति के तिहत्तर वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी, इच्छाशक्ति के अभाव में, हम अपने भाषाई गौरव को पुनर्स्थापित करने के लिए प्रति गंभीरता से सचेष्ट नहीं हो सके हैं।
आवश्यकता है कि वैदेशिक भाषाई मानसिक दासता के बंधन तोड़कर, अब हम संस्कृत की ज्येष्ठ पुत्री, अपनी हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिस्थापित करें। दास्यबोधक दंश से मुक्त होवें और आत्मगौरव की अनुभूति करें। हिन्दीतर भाषाभाषी प्रदेशों में, प्रारम्भिक कक्षाओं तक, वहाँ की मातृभाषा में शिक्षा की व्यवस्था स्वीकारते हुए, सहज और सग्राह्य ‘हिन्दी भाषा‘ को भारतवर्ष की ‘राष्ट्र-भाषा‘ घोषित करने की महती अनुकम्पा करें।
2. आप सहमत होंगे कि ‘‘इण्डिया‘‘ (India) शब्द दासता का प्रतीक है; जिसका प्रयोग हमारे संविधान तथा समस्त कानूनों में किया गया है; गुलामी के इस प्रतीक को शीघ्रातिशीघ्र हटाया जाए। साथ ही सभी न्यायालयीन निर्णयों को अनिवार्यतः हिंदी में भी लिखे जाने का प्राविधान बनाया जाए।
3. शिक्षण की व्यवस्था हिंदी माध्यम से हो; इसके लिए चरणबद्ध योजना बनाकर लागू की जाए।
4. संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को मान्यता दिलवाने हेतु सभी आवश्यक प्रयास किये जाएँ।
मैं, अपने देश का/की सभ्य नागरिक /प्रतिनिधि होने के नाते उपर्युक्त सभी माँगों को शीघ्रातिशीघ पूर्ण करने हेतु दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ अपना सम्पूर्ण समर्थन व्यक्त करता / करती हूँ।
अतः विश्वास है कि महामहिम महाभाग इन माँगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए, राष्ट्र और समाजहित में, उपर्युक्त समस्त माँगों को यथाशीघ्र पूर्ण करने की कृपा करेंगे।
सादर, साभिवादन धन्यवाद;
भवनिष्ठ,
हस्ताक्षर:
प्रार्थी/प्रार्थिनी का पूर्ण विवरण पूरा नाम:
नाम:
व्यवसाय (अनिवार्य):
दायित्व (वैकल्पिक):
पूरा पता (अनिवार्य):
कार्यालय का पता (वैकल्पिक) :
(पिन कोड सहित)
आवासीय पता (अनिवार्य):
(पिन कोड सहित)
अणुडाक (ई मेल आईडी):
चलभाष (मोबाइल/व्हाट्स एप्प नंबर):
--
वैश्विक हिंदी सम्मेलन की वैबसाइट -www.vhindi.in
'वैश्विक हिंदी सम्मेलन' फेसबुक समूह का पता-https://www.facebook.com/
संपर्क - vaishwikhindisammelan@gmail.
प्रस्तुत
कर्ता : संपत देवी मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें