गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

[वैश्विक हिंदी सम्मेलन ] भारतीय अस्मिता की पुनर्स्थापना के लिए अनुरोध।

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वैश्विक हिंदी सम्मेलन
एवं
हिंदी साहित्य भारती का आह्वान

देश-विदेश के सभी भारत व भारत-भाषा प्रेमी विद्वान
भारत की अस्मिता की पुनर्स्थापना के लिए, 
दें अपना ऐतिहासिक योगदान।
एक लाख पत्रों में हो आपका भी एक पत्र
राष्ट्रपति जी तक पालकी में पहुंचे, 
आपका अनुरोध और बदले विधान।

मित्रोॆ,
सभी राष्ट्र-प्रमियों से अनुरोध  है कि निम्नलिखित पत्र जिसकी वर्ड - फाइल संलग्न है इसे डाउनलोड करते हुए इसे भरकर यहाँ दिए ई-मेल पते hindisahityabharati@gmail.com  पते पर ई मेल कर दें।  दे मिनिट में मा. राष्ट्रपति जी को संबोधित आपका पत्र हमें प्राप्त हो जाएगा। जिसे मा, राष्ट्रपति तक पहुंचाया जाएगा। इस संदेश व पत्र के प्रारूप को  अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएँ।
डॉ. मोतीलाल गुप्ता 'आदित्य'
निदेशक, वैश्विक हिंदी सम्मेलन।
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भारतीय अस्मिता की पुनर्स्थापना अभियान प्रमुख
डॉ॰ रवींद्र शुक्ल, पूर्व शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश.png
डॉ. रवींद्र शुक्ल,
पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तरप्रदेश सरकार
एवं केंद्रीय अध्यक्ष, हिंदी साहित्य भारती

 
भारतीय अस्मिता की पुनर्स्थापना के लिए अनुरोध

सेवा में,

महामहिम राष्ट्रपति महाभाग,

भारत गणराज्य

राष्ट्रपति भवननई दिल्ली

विषय      : भारतीय अस्मिता की पुनर्स्थापना के लिए अनुरोध।

परम श्रद्धेय,

विनम्र अनुरोध है कि-

1. हम भारतवासियों का दृढ़ मत है कि हमारे पवित्र आर्षग्रन्थों की भाषा संस्कृतविश्व की सभी भाषाओं की जननी हैजो आदिकाल से भारतीय सभ्यता और संस्कृति का वैज्ञानिक अधार रही है। किसी राष्ट्र की मूल सभ्यता और संस्कृति के अनुरूप राष्ट्रभाषा किसी भी स्वाभिमानी राष्ट्र की आस्थाअस्मिता और गौरव की प्रतीक होती है। खेद है कि आजस्वाधीनता -प्राप्ति के तिहत्तर वर्ष व्यतीत हो जाने पर भीइच्छाशक्ति के अभाव मेंहम अपने भाषाई गौरव को पुनर्स्थापित करने के लिए प्रति गंभीरता से सचेष्ट नहीं हो सके हैं।

आवश्यकता है कि वैदेशिक भाषाई मानसिक दासता के बंधन तोड़करअब हम संस्कृत की ज्येष्ठ पुत्रीअपनी हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिस्थापित करें। दास्यबोधक दंश से मुक्त होवें और आत्मगौरव की अनुभूति करें। हिन्दीतर भाषाभाषी प्रदेशों मेंप्रारम्भिक कक्षाओं तकवहाँ की मातृभाषा में शिक्षा की व्यवस्था स्वीकारते हुएसहज और सग्राह्य हिन्दी भाषा‘ को भारतवर्ष की राष्ट्र-भाषा‘  घोषित करने की महती अनुकम्पा करें।

2. आप सहमत होंगे कि ‘‘इण्डिया‘‘ (India) शब्द दासता का प्रतीक हैजिसका प्रयोग हमारे संविधान तथा समस्त कानूनों में किया गया हैगुलामी के इस प्रतीक को शीघ्रातिशीघ्र हटाया जाए। साथ ही सभी न्यायालयीन निर्णयों को अनिवार्यतः हिंदी में भी लिखे जाने का प्राविधान बनाया जाए।

     3. शिक्षण की व्यवस्था हिंदी माध्यम से होइसके लिए चरणबद्ध योजना बनाकर लागू की जाए।

     4. संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को मान्यता दिलवाने हेतु सभी आवश्यक प्रयास किये जाएँ।

मैंअपने देश का/की सभ्य नागरिक /प्रतिनिधि होने के नाते उपर्युक्त सभी माँगों को शीघ्रातिशीघ पूर्ण करने हेतु दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ अपना सम्पूर्ण समर्थन व्यक्त करता / करती हूँ।

अतः विश्वास है कि महामहिम महाभाग इन माँगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुएराष्ट्र और समाजहित मेंउपर्युक्त समस्त माँगों को यथाशीघ्र पूर्ण करने की कृपा करेंगे।

सादरसाभिवादन धन्यवाद;

भवनिष्ठ,

 

हस्ताक्षर:

 

प्रार्थी/प्रार्थिनी का पूर्ण विवरण                                                                पूरा नाम:

नाम:

व्यवसाय (अनिवार्य):

दायित्व (वैकल्पिक):

पूरा पता (अनिवार्य):

कार्यालय का पता (वैकल्पिक) :

(पिन कोड सहित)

आवासीय पता (अनिवार्य):

(पिन कोड सहित)

अणुडाक (ई मेल आईडी):

चलभाष (मोबाइल/व्हाट्स एप्प नंबर):


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डॉ. एम.एल. गुप्ता 'आदित्य'




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वैश्विक हिंदी सम्मेलन की वैबसाइट -www.vhindi.in
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संपर्क - vaishwikhindisammelan@gmail.com

प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी मुरारकाविश्व वात्सल्य मंच

murarkasampatdevii@gmail.com  

लेखिका यात्रा विवरण

मीडिया प्रभारी

हैदराबाद

मो.: 09703982136

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