31वीं केंद्रीय हिंदी समिति की बैठक में हुई वार्ता तथा
प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी जी द्वारा भेजे गए सुझाव।
( प्रतिक्रियाएँ)
1. सभी सुझाव तो बहुत अच्छे हैं किंतु इस बैठक का आधिकारिक कार्यवृत्त जारी होने पर ही पता चलेगा कि सारी चर्चाओं को कार्य रूप में परिवर्तित करने हेतुअंतिम निर्णय क्या हुआ और कार्यान्वित करने की समय सीमा क्या रखी गयी है. ऐसा होने पर ही बैठक की सार्थकता सिध्द होगी.कुछ मंत्रालयों की इस तरह की बैठकों के कार्यवृत्त पढने को मिले,वक्तव्य और चर्चाओं का जिक्र तो था किंतु निर्णय और उन पर कार्र्वाई का कहीं कोईउल्लेख नही था .- जवाहर कर्नावट2. ऐसे सुझाव तो चालीस साल से पढ़ रहा हूँ ।
राजेश बादल3. मा. प्रधानमंत्री ने चार साल में कुछ नहीं किया तो अब भी कुछ नहीं करेंगे। स्व. मुरारजी देसाई ने शायद बिना ऐसी बैठक किये यूपीएससी(आईएएस) में हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाएं को कुछ सीमा तक स्वीकार किया था। सब चाहिए वाले हैं।**महेश रौतेला4. बहुत महत्त्वपूर्ण बातें कही गईं। डॉ कृष्ण कुमार जी के भाषा सम्बन्धी कार्यों से मैं विगत 30 वर्षों से परिचित हूँ। आपके सारे सुझाव व्यावहारिक हैं। सरकारी वेबसाइट और केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय की दुर्गति परेशान करने वाली है। हमें विश्व समनेलन के नाम पर करोड़ों रुपये पानी में बहाने के बजाय अपनी संस्थाओं को मजबूत करना चाहिए। दो -तीन नाम को छोड़ दीजिए,मॉरीशस में हिन्दी की स्थिति क्या है, यह जग जाहिर है।रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'सम्पादक5. बेहतरीन प्रयास !प्रियंका कुमारी
लीना मेहंदले7. केन्द्रीय हिन्दी समिति की यह बैठक संभवत: एक दशक बाद हुई है. इसके लिए प्रधान मंत्री जी तथा गृह मंत्री जी धन्यवाद के पात्र हैं. इस अवसर पर रखे गए प्रस्ताव भी बहुत जरूरी हैं. डॉ. कृष्णकुमार गोस्वामी जी द्वारा रखे गए प्रस्ताव तो बहुत ही उपयोगी हैं. मेरी दृष्टि में यू.पी.एस.सी से लेकर एस.एस.सी. तक की सरकारी नौकरियों में अंग्रेजी के वर्चस्व पर अंकुश लगना चाहिए और हिन्दी को महत्व मिलना चाहिेए. इसके अतिरिक्त उच्चतम न्यायालय में अंग्रेजी के साथ साथ हिन्दी और सभी उच्च न्यायालयों में अंग्रेजी के साथ साथ उन राज्यों की राजभाषाओं के प्रयोग की अनुमति मिलनी चाहिए. हिन्दी समिति के सदस्यों से हमारा आग्रह है कि उन्हें जब भी अवसर मिले वे इन प्रस्तावों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने की अवश्य कोशिश करें.हिन्दी समिति के सभी सदस्यों को बधाई और सार्थक चर्चा के लिेए साधुवाद.अमरनाथ8. आप सभी विद्वजन यह भली-भांति जानते हैं कि भारत सरकार के सभी मंत्रालयों में जितना भी कार्य राजभाषा हिंदी में हो रहा है उसका 90 फीसदी कार्य उन मंत्रालयों में कार्यरत राजभाषा हिंदी के कर्मियों द्वारा किया जा रहा है। अगर मंत्रालय स्तर पर राजभाषा हिंदी में ढ़ंग से कार्य नहीं हो रहा है तो उसके पीछे दो मुख्य कारण है। पहला-मंत्रालयों में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारीगण शिद्दत से न तो हिंदी में कार्य करते हैं और न ही कार्य करने देते हैं।दूसरा-केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा संवर्ग (CSOLS) के कुल स्वीकृति 1010 पदों में से आज की तारीख में 372 पद खाली पड़े हुए हैं जिनका विवरण इस प्रकार है:1-निदेशक कुल पद 18, रिक्त 14;2-संयुक्त निदेशक कुल पद 36, रिक्त 02;3-उप निदेशक कुल पद 85, रिक्त 81;4-सहायक निदेशक कुल पद 203, रिक्त 835-वरिष्ठ अनुवादक कुल पद 318, रिक्त 72 और6-कनिष्ठ अनुवादक कुल पद 350, रिक्त 121।केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा संवर्ग एसोसिएशन, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, गृह राज्य मंत्री और राजभाषा सचिव से पिछले 5 साल से इन पदों को भरने का अनुरोध कर रही है लेकिन राजभाषा विभाग की नकारात्मक कार्यप्रणाली और नौकरशाहों के कारण हमारे सारे प्रयास निष्फ़ल हो गए हैं।इसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार के मंत्रालयों और उनके अधीनस्थ, संबद्ध कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बोर्डों, स्वायत्त निकायों, निगमों, परिषदों आदि में केंद्र सरकार की राजभाषा नीति, राजभाषा हिंदी की कार्यान्वयन स्थिति, उसकी मॉनिटरिंग दिनोंदिन बदतर होती जा रही है।राजभाषा विभाग किसी की नहीं सुनता। जिस विभाग का मूल दायित्व ही राजभाषा हिंदी को बढ़ावा देना है, वही विभाग राजभाषा हिंदी और उसके कार्यान्वयन करने वाले को हतोत्साहित करता हो, तो क्या किया जा सकता है।जय हिंद, जय हिंदी।
मोहनलाल मीणा
9. प्रो.कृष्ण कुमार जी गोस्वामी द्वारा केन्द्रीय हिन्दी समिति की बैठक में दिये गये सुझाव सभी भारतीय भाषाओं के हित में हैं। अतः इन्हें बिना देरी लागू किया जाना चाहिए। आश्वासन, वादें, दावे बहुत हो चुके हैं, अब केवल क्रियान्वयन की प्रतीक्षा है। आशा है प्रधानमंत्री जी हिंदी सेवी प्रो.गोस्वामी जी को दिये गये आश्वासन को पूरा कर राष्ट्रीय एकता और भारतीय ज्ञान परम्परा को सुदृढ़ करने वाले इस यज्ञ का शंखनाद करेंगे।डा. विनोद बब्बर (राष्ट्र किंकर)संपर्क- 8800963021, 9868211911 , 1vinodbabbar@gmail.com10 मैंने तो मित्रों और हिन्दी प्रेमियों के आग्रह पर परिश्रम किया है और मीटिंग का विवरण भेज दिया। ओफिशियल रिपोर्ट आने के बाद क्या होता है, यह राजभाषा विभाग ही बता पाएगा, जवाहर कर्नावैट जी। मैं तो गैर-सरकारी सदस्य था और मैंने अपने विचार जोरदार शब्दों में रखे थे।प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी
11. केंद्रीय हिंदी समिति में प्रस्तुत सुझावों पर सरकार कितना कुछ कर पाती है, यह अभी कहा नहीं जा सकता । इतने लंबं अर्से बाद प्रधानमंत्री जी ने केंद्रीय हिंदी समिति की बैठक के लिए समय निकाला, बैठक हुई और सरकार के उच्चतम स्तर पर हिंदी के संबंध में विचार-विमर्श हुआ यह भी महत्वपूर्ण है। जहाँ तक केंद्रीय हिंदी समिति के एक सदस्य के रूप में मा. कृष्ण कुमार गोस्वामीजी के योगदान का प्रश्न है, उन्होंने इस उम्र में भी इस बैठक के लिए इतनी तैयारी की और अनेक हिंदी सेवियों और विद्वानों से चर्चा के पश्चात एक-एक कर तमाम बिंदुओं को पहले तैयार करके राजभाषा विभाग को भेजा और फिर सिमिति की बैठक में मा, प्रधानमंत्रीजी के सामने पुरजोर ढंग से रखा, इसकी हमें सराहना करनी चाहिए। कितने लोग हैं जो इतनी मेहनत करते हैं। कमी निकालने में तो कुछ नहीं लगता लेकिऩ करने में बहुत मेहनत लगती है । सुझावों पर सरकार कितना कर पाती है या नहीं कर पाती उसके लिए तो मा. गोस्वामी जी जिम्मेदार नहीं। उऩ्होंने इस बैठक में सर्वाधिक सक्रिय भूमिका निभाई, इसके लिए मैं मा. गोस्वामी जी को सादर धन्यवाद देता हूँ । हम आशा करते हैं कि सरकार बैठक में प्रस्तुत सुझावों पर सकारात्मक रुख अपनाते हुए आवश्यक कार्रवाई करेगी । और फिर यदि कुछ नहीं होता तो हमें अपना आवाज उठानी चाहिए ।
डॉ. एम.एल. गुप्ता 'आदित्य'
झिलमिल
तथ्य भारती सितंबर 2018 का लिंक
वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई
प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी
मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136
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