संचार माध्यम और संस्कृति.... सत्र चल रहा है।
भानुमति रामदास कक्ष में आ गया हूँ। प्रवासी साहित्य पर सत्र चल रहा है।
अनिरुद्ध जगन्नाथ संबोधित कर रहे हैं।
रवि महाराज (त्रिनिदाद से) संबोधित कर रहे हैं।
फ़िल्म और संस्कृति के संबंध पर जवाब देते हुए प्रसून जोशी.
शालीनता तो घर और समाज से आएगी। महिलाओं के प्रति दृष्टि और मन बदलो। नारी का अपमान पर्दे पर हो या कमरे में हो, अपमान ही है।
सिनेमा/tv पर रोक समाधान नहीं है।
लोगों को लगता है कि समाज में एक ही दानव राह गया है फिल्में। भाषा की शुद्धता अशुद्धता का ठीकरा भी फ़िल्म के सिर पर फोड़ना उचित नहीं। - प्रसून जोशी
दोहरे मापदंड खत्म होने चाहिए। - प्रसून जोशी
: एक ही वर्ग को बुरा और किसी एक वर्ग को ही बुरा दिखाना अवांछित है।
माइंडसेट बदलने के लिए भी सिनेमा महत्वपूर्ण
विशेष रूप से बाल फिल्में बनना आवश्यक। - प्रसून
हिंदी और साड़ी सब हमने फिल्मों से सीखा है। - मारीशस की एक महिला
भोजन कक्ष के बंद द्वार पर टूट पड़ने को तैयार बुभक्षु हिंदीजन
प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी
मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें