7 सितंबर 2015 को 9:09 pm को, Nirmal <nirmal.patodi@gmail.com> ने लिखा:
दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन के लिए कुछ बुनियादी मौलिक सुझाव----------------------------------------------------------सूत्र वाक्य: अपना देश अपनी भाषा/इण्डिया हटाओ-भारत बनाओदसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में हिन्दी को उसका वांछित अधिकार दिलाने के लिए गम्भीरता सेउसका उपयोग सर्वत्र बढ़ाने के लिए जो विचारार्थ विषय चुने गये हैं। विश्वास है, पहली बारहिन्दी के मार्ग की बड़ी बाधाऐं दूर होने की उम्मीदें जागी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने सवासाल के कार्यकाल में सरकार में, देश में और दुनिया राष्ट्रों में अपना बात प्रभावी ढंग से बोलकर हिन्दी को उसका प्रथम संवैधानिक प्रथम राजभाषा का सम्मान प्रदान करने के लिए आधारस्थापित कर दिया है। हिन्दी के प्रति उनकी सुलझी हुंई नीति से 'इण्डिया' के स्थान पर 'भारत'का सांस्कृतिक स्वरुप बनने का मार्ग भी खुलने की उम्मीद जाग गयी है। भोपाल में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन कोरा औपचारिक या साहित्यक होने की अपेक्षा वास्तव में विदेशों में,विधि तंथा न्याय के क्षेत्र में उच्च स्तर तक, प्रशासन में शिखर तक, अन्य भाषा-भाषी राज्यों मेंसहजता से सम्पर्क भाषा बन जाने के लिए पहली बार दिशा प्रदान करने सफल होगा, ऐसीआशा करना संगत होगा।देश अपना है, भाषाऐं अपनी है, संस्कृति अपनी है, इतिहास अपना है, स्वाधीनता अपनी है,संविधान अपना है, तो राष्ट्र का विकास, राष्ट्र के लोगों द्वारा राष्ट्र की भाषाओं के मांध्यम सेतेज़ी से होता ही है। ऐसा दुनिया के विकसित राष्ट्रों ने किया है। संविधान का निर्माण हुए पैंसठवर्ष निकल गये हैं। किंतु अपनी जड़ों से विमुख होने से हमारा विकास सही दिशा में तेज़ी से नहींहुआ है। अब भोपाल सम्मेलन को आधार बना कर निम्न बिन्दुओं को ध्यान में रख कर, सम्यक्निर्णय लेने का अवसर उपलब्ध हुआ है। विचारणीय बिन्दु ये हैं:१ . भारत सरकार के सभी कार्यालयों, मंत्रालयों, विभागों आदि का कामकाज प्रथम राजभाषाहिन्दी में नोट शीट से ले कर सभी विधेयक तक बिना विलम्ब प्रारम्भ कर दिया जाय।२. न्याय के क्षेत्र में सर्वोच्च न्यायालय तक अपील तथा बहस की सुविधा हिन्दी में भी उपलब्धकरा दी जाय।३. संसद में प्रस्तुत होने वाले सभी प्रस्ताव, विधेयक मूल रूप से हिन्दी में बनाए जाय।४. विदेशों में स्थित दूतावासों के सभी लोग स्थानीय भाषा का ज्ञान उस देश से सीधे-सीधेजुड़ने के लिये आवश्यक समय में अर्जित करें। दूतावासों का आन्तरिक कामकाज प्रथमराजभाषा हिन्दी में किया जाय।५. विदेशों में स्थित दूतावास उस देश में निवास कर रहे भारतीयों से सीधा तादात्म रख सके,इसके लिये प्रतिवर्ष हिन्दी और भारतीय भाषा मिलन-दिवस का आयोजन करें। इसकेमाध्यम से उस देश के नागरिकों को सरलता से हिन्दी सिखने की प्रेरणा के साथ वातावरणउपलब्ध कराया जाय।६. हिन्दी और अन्य भाषा-भाषी राज्यों का विश्व हिन्दी सम्मेलन की तरह का सम्मेलन भाषाओंको निकट लाने के लिए प्रति दो वर्ष में आयोजित किया जाय।७. सभी प्रशासनिक सेवाओं की प्रवेश परीक्षा हिन्दी में देने की सुविधा उपलब्ध की जाय।८. देश में देवनागरी लिपि के लिये अँग्रेजी भाषा की लिपि का उपयोग तेज़ी से बढ़ाया जा रहारहा है। यह सभी प्रचार माध्यमों की ओर से चल रहा है। यह हिन्दी की लिपि देव नागरी के।अस्तित्व पर संकट पैदा कर रहा है। हतोत्साहित किया ही जाना चाहिए।९. भाजपा शासित प्रदेशों में प्रसाशनिक, वैधानिक, न्याय, प्रचार-प्रसार आदि कार्य मूल रूप सेप्रदेश का भाषा में करने का निर्णय लिया जाय।१०. राजभाषा हिन्दी किसी भी भारतीय भाषा का विरोध करके आगे नहीं बढ़ेगी। अपितु सभी राज्योंका विकास अपनी-अपनी भाषाओं के माध्यम से तेज़ी से हो। ऐसी परस्पर हित कारी भूमिकाका निर्वाह करेगी। यही हमारे प्राचीन इतिहास की सीख है। दुनिया के विश्वविद्यालयों मेंहमारे विश्वविद्यालयों का स्थान सम्मानजनक हो, इसके लिये, गुणात्मक शिक्षा-प्रणाली कीपूर्ति करने के लिए सरकारों के बजट का छ: प्रतिशत शिक्षा पर करना ही होगा।११. सभी कक्षाओं में शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषाओं को बिना विलम्ब बनाने के समय आ गया है।१२. सभी बच्चों को स्थानीय राज्य भाषा और हिन्दी की पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध की जाना होगीजो बच्चा चाहें वह दुनिया की जितनी भाषाऐं सिखना चाहें सीखें। दुनिया के देशों में हो रहे ज्ञान-विज्ञान और नये-नये अनुसंधान की जानकारी अपने देश की भाषाओं में सीधे-साधे पहुँचावें।यह भाषा नीति भारत राष्ट्र को पुन: सोने की चीड़ियाँ बनाना देगी।निर्मलकुमार पाटोदी,विद्या-निलय, ४५, शान्ति निकेतन, ( बॉम्बे हॉस्पीटल के पीछे ),इन्दौर-४५२ ०१० म. प्र. मो. ०७८६९९ १७०७०Web: Vidyasagar.netनिर्मलकुमार पाटोदी,
विद्या -निलय, ४५, शांति निकेतन ,(बाॅम्बे हाॅस्पीटल के पीछे),
इन्दौर-४५२०१० मध्य प्रदेश
सम्पर्क :०७८६९९१७०७० । मेल: nirmal.patodi@gmail.com
भवदीय,
सीएस. प्रवीण कुमार जैन,
कम्पनी सचिव, वाशी, नवी मुम्बई – ४००७०३.
प्रस्तुत कर्त्ता
संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा, विश्व वात्सल्य
मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
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