हिन्दी के श्रद्धांजलि दिवस पर विशेष
हिन्दी के श्रद्धांजलि दिवस पर विशेष
हिन्दी नहीं .... समस्त भारतीय भाषाएं
Ø सभी भारतीय भाषाओं का स्तर समान हो...
Ø 343 (1) में संशोधन हो हिन्दी की जगह समस्त भारतीय भाषाओं को समान स्थान दिया जाए । इससे अखिल भारतीय ‘हिन्दुस्तानी’ भाषा का स्वतः विकास होगा ।
Ø 343 (2) को ‘डिलीट’ किया जाए....
Ø 348 में अंग्रेजी को ‘कट’ करके भारतीय भाषाओं को ‘पेस्ट’ किया जाए
Ø भारतीय भाषाओं को उदार बना कर विदेशी भाषाओं से आये शब्दों को भारतीय भाषाओं में समाहित किया जाए..
Ø हिन्दी को भारत की देवनागरी के अलावा भारतीय भाषाओं को लिखने के लिए अन्य लिपीयों में भी लिखा जाए। इसी प्रकार तमाम भारतीय भाषाओं को देवनागरी में लिखने की परम्परा का विकास किया जाए ।
जरा बताएं कि लिपी का भेद मिट जाए तो जरा तो हिन्दी और उर्दू मे क्या भेद है?
अश्विनी कुमार 'सुकरात'
जन भाषा – जन शिक्षा – जन चेतना – जन क्रांति अभियान
‘इंग्लिश मीडियम सिस्टम’ = काले अंग्रेजों का‘अंग्रेजी राज’ = ‘भ्रष्टाचार’, ‘शोषण’, ‘गैरबराबरी’ की व्यवस्था पर ‘साँस्कृतिक ठप्पा’
फेसबुकएवं एवं वाट्सअप संपर्क करने हेतू फोन 9210473599, 9990210469
श्रद्धांजलि शब्द का प्रयोग पूर्ण गंभीरता के साथ किया है । हिन्दी दिवस का आयोजन सेव टाईगर प्रोजेक्ट की तरह लगता है । पर जिस तरह से अंग्रेजी का वर्चस्व बढ़ रहा है । उससे आने वालले समय में न केवल हिन्दी अपितु समस्त भारतीय भाषा विलुप्त न सही , विकृत तो 100% होगी.. या हो चुकी है । वार्तनी में अशुद्धि के लिए माफी ।
2015-09-10 19:17 GMT+05:30 Ashwini Singh <ashwini.economics@gmail.com>:
हिन्दी के श्रधांजलि दिवस पर विशेषहिन्दी नहीं .... भारतीय भाषा दिवस पर विशेषØ सभी भारतीय भाषाओं का स्तर समान हो...Ø 343 (1) में संशोधन हो हिन्दी की जगह समस्त भारतीय भाषाओं को समान स्थान दिया जाए । इससे अखिल भारतीय ‘हिन्दुस्तानी’ भाषा का स्वतः विकास होगा ।Ø 343 (2) को ‘डिलीट’ किया जाए....Ø 348 में अंग्रेजी को ‘कट’ करके भारतीय भाषाओं को ‘पेस्ट’ किया जाएØ भारतीय भाषाओं को उदार बना कर विदेशी भाषाओं से आये शब्दों को भारतीय भाषाओं में समाहित किया जाए..Ø हिन्दी को भारत की देवनागरी के अलावा भारतीय भाषाओं को लिखने के लिए अन्य लिपीयों में भी लिखा जाए। इसी प्रकार तमाम भारतीय भाषाओं को देवनागरी में लिखने की परम्परा का विकास किया जाए ।जरा बताएं कि लिपी का भेद मिट जाए तो जरा तो हिन्दी और उर्दू मे क्या भेद है?अश्विनी कुमार 'सुकरात'जन भाषा – जन शिक्षा – जन चेतना – जन क्रांति अभियान‘इंग्लिश मीडियम सिस्टम’ = काले अंग्रेजों का‘अंग्रेजी राज’ = ‘भ्रष्टाचार’, ‘शोषण’, ‘गैरबराबरी’ की व्यवस्था पर ‘साँस्कृतिक ठप्पा’फेसबुकएवं एवं वाट्सअप संपर्क करने हेतू फोन 9210473599, 9990210469
प्रस्तुत कर्त्ता
संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा, विश्व वात्सल्य
मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
शुक्रिया
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