बुधवार, 29 नवंबर 2017

डॉ तोमियो मिजोकामी का 2 दिसम्बर को मुम्बई स्थित बैंक ऑफ बडौदा में व्याख्यान, झिलमिल


डॉ तोमियो  मिजोकामी

 डॉ तोमियो  मिजोकामी 2 दिसम्बर को मुम्बई स्थित बैंक ऑफ बडौदा के कारपोरेट कार्यालय के सभागृह में ' भारत-जापान आर्थिक एवम सांस्कृतिक सम्बंध '  विषय पर हिंदी में  90 मिनिट व्याख्यान देंगे.इसके अलावा हिंदुस्तानी प्रचार सभा में भी उनका व्याख्यान रखा गया है. वे 30 नम्बर की शाम को मुम्बई आएंगे और 4 दिसम्बर की सुबह यहां से अमृतसर के लिए रवाना हो जाएंगे .संपर्क -  जवाहर कर्नावट, मुम्बई 91 75063 78525
 

जापानके रहने वाले प्रो. टोमियो मिज़ोकोमी पीयू के डिपार्टमेंट ऑफ पंजाबी में पंजाबी लैंग्वेज में 4 दिसंबर को भारत और जापान संबंधों पर लेक्चर देंगे। 70 मिनट के इस लेक्चर का विषय रहेगा इंडिया एंड जापान, कल्चर, लिट्रेचर, इकोनॉमी एंड फिलॉस्फी। प्रो. मिज़ोकोमी ओसाका यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं और भारतीय भाषाओं से प्रेम की वजह से ही उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से हिंदी में पीएचडी की है। वह दोनों देशों की इकोनॉमी और लिट्रेचर पर कई पेपर छाप चुके हैं। उन्होंने जपुजी साहिब का जापानी भाषा में अनुवाद भी किया है। भारतीय भाषाओं की अमीरी का हवाला देते हुए प्रो. मिजोकोमी पहले भी कह चुके हैं कि उनको अच्छा नहीं लगता कि भारतीय लोग आपस में अंग्रेजी में बात करें। स्कूल ऑफ पंजाबी स्ट्डीज के चेयरपर्सन प्रो. योगराज अंगरिश ने बताया कि उनको अपने मित्र परमिंदर सोढ़ी के जरिए डॉ. मिज़ोकोमी के बारे में पता लगा जो जापान में बसे हैं। जब एक ऐसे व्यक्ति के बारे में पता लगा जो पंजाबी में भारत और जापान की बात करता है तो उसमें दिलचस्पी हुई।
}इन लैंग्वेज में अच्छी पकड़...प्रो. मिजोकोमीपंजाबी के अलावा हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी और फ्रेंच पर भी अच्छी पकड़ रखते हैं। करीब 70 साल के मिजोकोमी हिंदुत्व, बुद्ध धर्म, ताओ और सिख धर्म में समानताएं और विभिन्नताएं जानना चाहते हैं। प्रो. मिजोकोमी ने 1972 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से हिंदी में पीएचडी की है।

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डॉ तोमियो  मिजोकामी

 डॉ तोमियो  मिजोकामी 2 दिसम्बर को मुम्बई स्थित बैंक ऑफ बडौदा के कारपोरेट कार्यालय के सभागृह में ' भारत-जापान आर्थिक एवम सांस्कृतिक सम्बंध '  विषय पर हिंदी में  90 मिनिट व्याख्यान देंगे.इसके अलावा हिंदुस्तानी प्रचार सभा में भी उनका व्याख्यान रखा गया है. वे 30 नम्बर की शाम को मुम्बई आएंगे और 4 दिसम्बर की सुबह यहां से अमृतसर के लिए रवाना हो जाएंगे .संपर्क -  जवाहर कर्नावट, मुम्बई 91 75063 78525
 

जापानके रहने वाले प्रो. टोमियो मिज़ोकोमी पीयू के डिपार्टमेंट ऑफ पंजाबी में पंजाबी लैंग्वेज में 4 दिसंबर को भारत और जापान संबंधों पर लेक्चर देंगे। 70 मिनट के इस लेक्चर का विषय रहेगा इंडिया एंड जापान, कल्चर, लिट्रेचर, इकोनॉमी एंड फिलॉस्फी। प्रो. मिज़ोकोमी ओसाका यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं और भारतीय भाषाओं से प्रेम की वजह से ही उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से हिंदी में पीएचडी की है। वह दोनों देशों की इकोनॉमी और लिट्रेचर पर कई पेपर छाप चुके हैं। उन्होंने जपुजी साहिब का जापानी भाषा में अनुवाद भी किया है। भारतीय भाषाओं की अमीरी का हवाला देते हुए प्रो. मिजोकोमी पहले भी कह चुके हैं कि उनको अच्छा नहीं लगता कि भारतीय लोग आपस में अंग्रेजी में बात करें। स्कूल ऑफ पंजाबी स्ट्डीज के चेयरपर्सन प्रो. योगराज अंगरिश ने बताया कि उनको अपने मित्र परमिंदर सोढ़ी के जरिए डॉ. मिज़ोकोमी के बारे में पता लगा जो जापान में बसे हैं। जब एक ऐसे व्यक्ति के बारे में पता लगा जो पंजाबी में भारत और जापान की बात करता है तो उसमें दिलचस्पी हुई।
}इन लैंग्वेज में अच्छी पकड़...प्रो. मिजोकोमीपंजाबी के अलावा हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी और फ्रेंच पर भी अच्छी पकड़ रखते हैं। करीब 70 साल के मिजोकोमी हिंदुत्व, बुद्ध धर्म, ताओ और सिख धर्म में समानताएं और विभिन्नताएं जानना चाहते हैं। प्रो. मिजोकोमी ने 1972 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से हिंदी में पीएचडी की है।


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The President of India, Shri Ram Nath Kovind, conferred the 3rd ICCR Distinguished Indologist Award on Professor Hiroshi Marui of Japan today (November 27, 2017) at a function held at Rashtrapati Bhavan. 
Speaking on the occasion, the President congratulated Professor Hiroshi Marui for receiving the Distinguished Indologist Award and thanked him for his exemplary contribution to Indology. He said that Professor Marui has spent over 40 years working on Indian philosophy and Buddhist Studies. His many acclaimed publications and research papers are considered a final authority on several subjects the world over. As President of the Japanese Association of Indian and Buddhist Studies, he has made a significant contribution to Indology in Japan. He expressed confidence that such endeavours will lead to a greater interest in not only classical Indology but also study of India in all its aspects. 

The President said that Indian culture and its many attributes have evolved over centuries. The depth of time has given it a unique strength and character. It is integral and holistic, synthetic and accommodating. That is why it could survive the onslaughts of time and transcend the limits of space. Indianness is characterized by inclusive pluralism; it is rooted in the principle of DHARMO RAKSHATI RAKSHITAH that is - Dharma or the virtuous order, which when protected, protects all without exclusion. 

The President said that today, we all live as a global community. There is greater need for mutual understanding. New ideas are shaping our daily lives. People and policy makers are looking for options to make living more sustainable, one where we have a symbiotic relationship with nature and ecology. We are delving deep into our traditional knowledge and ancient wisdom to share with the humankind the best of our achievements. India is doing its best to explain the virtues of Yoga and Ayurveda for the well-being of humanity. Likewise, other nations and societies are making efforts to revive their traditional cultural expressions. In such a scenario, Indology assumes greater significance to promote better undertaking between peoples.
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हिंदी-विमर्श" group

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वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई
वेबसाइट- वैश्विकहिंदी.भारत /  www.vhindi.in
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संपर्क - vaishwikhindisammelan@gmail.com
प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com  
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136

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