शनिवार, 12 अगस्त 2017

कई संगठनों की तरफ से मांग आई है कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए, प्रवीण कुमार जैन.




केन्द्रीय शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि मोदी सरकार ने अपने तीन साल के कार्यकाल में लोगों का भरोसा जीता है। उनका मंत्रालय 'सबको शिक्षा और अच्छी शिक्षा' देने की दिशा में काम कर रहा है। मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर जावड़ेकर से बात की पूनम पाण्डे ने :

सवाल: सरकार की तीन साल की मुख्य क्या उपलब्धि है?
जवाब: सरकार ने लोगों का भरोसा जीता है। आम तौर पर सरकार के तीन साल होने पर सत्ता विरोधी लहर हावी होने लगती है, लेकिन मोदी सरकार में लोगों का भरोसा लगातार बढ़ा है। संप्रग सरकार में अर्थशास्त्री प्रमं होने के बावजूद महंगाई बेलगाम थी, लेकिन मोदी सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाई है। हमने साबित किया है कि यह सरकार गांव, गरीब, किसान और मजदूर की सरकार है।

सवाल: क्या वजह है कि आपका मंत्रालय अब तक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति नहीं ला पाया?
जवाब: जल्द ही हम नीति का प्रारूप तैयार करने के लिए समिति का ऐलान कर देंगे। इस साल के अंत तक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आ जाएगी।

सवाल : राष्ट्रीय शिक्षा नीति में किस पर विशेष ध्यान रहेगा?
जवाब: हम शिक्षाविदों की समिति को पूरी स्वतंत्रता देंगे कि वह 2-3 दशकों के हिसाब से अर्थपूर्ण शिक्षा के लिए नीति का मसौदा तैयार करें। शिक्षा के जरिए कौशल विकास होना चाहिए, साथ ही मानवीय मूल्य भी निखरने चाहिए। शिक्षा  सबकी पहुंच में होनी चाहिए।

सवाल: स्मृति इरानी जब शिक्षा मंत्री थीं उस वक्त वैदिक शिक्षा मंडल बनाने पर विचार हो रहा था, उसका क्या हुआ?
जवाब: अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।

सवाल: राष्ट्रिय अकादमिक निक्षेपागार की क्या स्थिति  है?
जवाब: इस साल से सभी विद्यालयीन बोर्ड, विश्वविद्यालय अपनी डिग्री अकादमिक निक्षेपागार में अपलोड करेंगे। नई डिग्री के साथ ही पुरानी डिग्री भी उसमें अपलोड की जाएंगी। डिग्री में अब विद्यार्थी की तस्वीर होगी, जिससे कोई दूसरा किसी और के नाम की डिग्री का गलत इस्तेमाल नहीं कर पाएगा।

सवाल: निजी स्कूलों में फीस बेलगाम बढ़ती जा रही है। अभिभावक परेशान हैं। उस पर लगाम कैसे लगेगी?
जवाब:निजी स्कूल अगर नियमों के विरुद्ध कुछ करते हैं तो राज्य सरकारें उनके खिलाफ कदम उठा रही हैं। हमारा उद्देश्य है कि सरकारी स्कूलों को इतना अच्छा बना दिया जाए कि अभिभावक के पास सरकारी स्कूल में बच्चों को भेजने का विकल्प हो।

सवाल: क्या केन्द्रीय विद्यालयों में केजी कक्षाएँ शुरू करने की कोई योजना पर विचार चल रहा है?
जवाब: सिक्किम में ऐसा प्रयोग शुरू हुआ है। सिक्किम के सरकारी स्कूलों में केजी कक्षा भी शुरू की गई है, जिससे अभिभावक को केजी के लिए बच्चों को निजी स्कूल में ही भेजने की मजबूरी न हो। यह अच्छा प्रयोग है। हम देश के अलग अलग हिस्सों में शिक्षण मंथन कार्यक्रम कर रहे हैं।

सवाल: कई संगठनों की तरफ से मांग आई है कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए, संघ के कई संगठन भी यह मांग उठा चुके हैं?
जवाब: मैं ऐसा नहीं सोचता। किस भाषा में पढ़ना है यह बच्चे की पसंद होनी चाहिए। उन पर कोई भाषा थोपनी नहीं चाहिए।

सवाल: प्रांतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए क्या कदम उठा रहा है मंत्रालय?
जवाब: त्रिभाषा सूत्र को सही से लागू कराया गया है। विद्यार्थी के पास 22 भारतीय भाषाएं और एक अंग्रेजी यानी 23 भाषाओं में से तीन भाषा चुनने का विकल्प होता है। बीच में सीबीएसई ने काफी गड़बड़ कर दी थी। अगर किसी को इन 23 भाषाओं के अलावा कोई विदेशी भाषा पढ़नी है तो वह चौथी भाषा हो सकती है। त्रिभाषा सूत्र में भारतीय भाषाएं और अंग्रेजी में से ही कोई भाषा होगी।

सवाल: महिला और बाल विकास मंत्री ने एकल माँओं की शिकायतों पर आपसे मांग की है कि डिग्री-प्रमाण-पत्रों में पिता का नाम लिखना जरूरी न हो और सिर्फ मां का नाम देने की अनुमति हो?
जवाब: इसमें कोई दिक्कत नहीं है। यह अच्छा सुझाव है। कोई मां का नाम देना चाहता है तो यह उसकी पसंद है। मैं इसे सही मानता हूं।

सवाल: शिक्षा क्षेत्र के लिए अलग "भारतीय शिक्षा सेवा" बनाने की मांग कई संगठन कर चुके हैं। टीएसआर सुब्रमण्यम समिति की रिपोर्ट में भी यह कहा गया है?
जवाब : मुझे ऐसी अलग सेवा की जरूरत नहीं लगती। सेवा एक अनुशासन है। भारतीय प्रशासनिक सेवा एक अनुशासन है। एक तंत्र तैयार होता है, मस्तिष्क को व्यवस्थित करते हैं, एक अनुशासन में लाते हैं तो उससे काम कर सकते हैं। उसके लिए अलग सेवा की जरूरत नहीं।

नवभारत टाइम्स |  23 मई, 2017, 11:56 पूर्वाह्न भामास

मूल हिंग्लिश में साक्षात्कार:


प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com  
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136
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