गुरुवार, 3 अगस्त 2017

[वैश्विक हिंदी सम्मेलन ] चीन ने बनाया हिंदी को हथियार.....! झिलमिल - परिचर्चा - गिरमिटिया : तब और अब। अनुलग्नक -संपर्क



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चीन ने बनाया हिंदी को हथियार.....!
चीन हमें आर्थिक और सामरिक मोर्चे पर ही मात देने की तैयारी नहीं कर रहा है बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी वह हमें पटकनी मारने पर उतारु है। उसने चीनी स्वार्थों को सिद्ध करने के लिए अब हिंदी को अपना हथियार बना लिया है। इस समय चीन की 24 लाख जवानों की फौज में हजारों जवान ऐसे हैं, जो हिंदी के कुछ वाक्य बोल सकते हैं और समझ भी सकते हैं। 
भारत-चीन सीमांत पर तैनात चीनी जवानों को हिंदी इसलिए सिखाई जाती है कि वे हमारे जवानों और नागरिकों से सीधे बात कर सकें। उनका हिंदी-ज्ञान उन्हें जासूसी करने में भी जम कर मदद करता है। चीनी जवान भारतीय जवानों को हिंदी में धमकाते हैं, चेतावनी देते हैं, गालियां काढ़ते हैं और पटाने का भी काम करते हैं। हमारे जवान तो क्या, फौजी अफसर भी उनके आगे बगलें झांकते हैं। उनके दुभाषिए दोनों फौजों के बीच संवाद करवाते हैं। 
चीनी के लगभग 20 विश्वविद्यालयों में बाकायदा हिंदी पढ़ाई जाती है। मैं चीन में ऐसे हिंदी विद्वानों से भी मिला हूं, जो हिंदी में पीएच.डी. हैं और जिन्होंने हमारे अनेक शास्त्रीय और काव्य-ग्रंथों का चीनी अनुवाद किया है। मैं जब भी चीन जाता हूं, चीनी सरकार से मैं हमेशा हिंदी-चीनी दुभाषिए की मांग करता हूं। जब प्रधानमंत्री नरसिंहराव चीन गए थे तो मैंने एक मित्र हिंदी प्रोफेसर को उनका दुभाषिया तय करवाया था। 
भारत का दुर्भाग्य है कि हमारे नेता भाषा के महत्व को नहीं समझते। वे अंग्रेजी को ही दुनिया की एक मात्र भाषा समझते हैं। वे भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बन कर अकड़ दिखाने लगते हैं लेकिन उन्हें अंग्रेजी की गुलामी करते हुए शर्म नहीं आती। 
भारत में चीनी भाषा जानने वाले 500 लोग भी नहीं हैं। इसीलिए हमारे व्यापारियों को चीन में हजारों रु. रोज़ के दुभाषिए रखने पड़ते हैं। अंग्रेजी वहां किसी काम नहीं आती। हमारी कूटनीति भी कई देशों में अधकचरी रहती है, क्योंकि हमारे राजदूत उन देशों की भाषा ही नहीं जानते। हमारे ये अर्धशिक्षित नेता कब समझेंगे कि भारत को यदि हमें महाशक्ति बनाना है तो एक नहीं, अनेक विदेशी भाषाएं हमें नागरिकों को सिखानी होंगी और स्वभाषा को ही अपनी मुख्य भाषा बनानी होगी।
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परिचर्चा - गिरमिटिया : तब और अब
मुख्य वक्ता:
 श्री प्रहलाद रामशरण, मॉरीशस,  श्री कृष्ण बिहारी , आबूधाबी,
दिनांक : 29. 07.2017, शनिवार।  समय- सांय 6 बजे।
स्थान: होटल राजपथ रेजीडेंसी
D-31, कौशाम्बी, दिल्ली-110031, (EDM माल के पीछे),  निकट मेट्रो स्टेशन-कौशाम्बी
आप सादर आमंत्रित है।
निवेदक : राकेश पांडेय

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संपर्क नागरी



 तथा 
अनुलग्नक :  हिंदी खबर ( हिंदी शिक्षा संघ - दक्षिण अफ्रीका )


वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई
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संपर्क - vaishwikhindisammelan@gmail.com

प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com  
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136

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