राष्ट्रपति और भाषायी गुलामी!
-डॉ वेदप्रताप वैदिक
हरियाणा के पांच गांवों को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गोद लिया है ताकि उन्हें ‘आदर्श ग्राम’ बनाया जा सके। इन गांवों से एक-एक सरपंच और दो-दो प्रतिनिधियों को राष्ट्रपति भवन बुलाया गया। याने ये 15 ग्रामवासी जब राष्ट्रपति भवन पहुंचे तो उसका ठाठ-बाट देख कर हक्के-बक्के रह गए। शायद उनमें से कोई भी वहां पहले नहीं गया होगा। वहां जितने भी कार्यक्रम हुए, वे उन्हीं की भाषा में हुए, जिन्होंने यह राष्ट्रपति-भवन बनाया था याने अंग्रेज की भाषा में। अंग्रेजी में।
बेचारे ग्रामीणों के कुछ पल्ले नहीं पड़ा। राष्ट्रपतिजी क्या बोले, राष्ट्रपति भवन दिखाते हुए ‘गाइड’ क्या बड़बड़ाता रहा और अफसर लोग क्या गिटपिट करते रहे, कुछ समझ में नहीं आया। जब सवाल ही समझ में नहीं आए तो वे जवाब क्या देते? बेचारे चुपचाप सुनते रहे। उबते रहे लेकिन हरियाणा तो चौधरियों का प्रदेश है। वे किसी को भी जरुरत से ज्यादा नहीं बख्शते। वे बोल पड़े और अफसरों को अफसोस हुआ। उन्होंने कसम खाई कि इन ग्रामीणों के साथ सारी बातचीत अब हिंदी में होगी।
उच्चशक्ति प्रेषित आकाशवाणी, मुंबई में हिंदी प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन
वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई
वेबसाइट- वैश्विकहिंदी.भारत / www.vhindi.in
प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी
मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
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