नई शिक्षा नीति - 2016 पर सुझाव व आपत्तियाँ
जावड़ेकर करे शिक्षा में क्रांति
डॉ. वेदप्रताप वैदिक
जावड़ेकर एक अच्छे और कर्मठ कार्यकर्ता रहे हैं। उनसे हमें बहुत आशाएं हैं। मैं कुछ मोटे-मोटे सुझाव यहां देता हूं, जिन्हें वे तुरंत लागू करें। सबसे पहले उनके मंत्रालय का नाम बदला जाए। मानव-संसाधन नहीं, शिक्षा मंत्रालय रखा जाए। जब राजीव ने यह नाम पहले-पहल दिया तो नरसिंहरावजी को मंत्री बनाया। इस अटपटे और बुद्धिहीन नाम के बारे में राव साहब से जब मैंने पूछा तो वे कहने लगे, क्या करें, प्रधानमंत्री हमेशा सही होता है। मनुष्य को साधन बताना भारतीय संस्कृति को सिर के बल खड़ा करना है। शिक्षा मंत्रालय को अशिक्षा मंत्रालय बनाना है।
ईरानी द्वारा दो साल में बनवाई गई और फिर दबवाई गई शिक्षा-रपट को कूड़ेदान के हवाले किया जाए। नौकरशाहों द्वारा बनाई गई रपट भी क्या रपट होगी? जैसे वे खुद बनकर निकले हैं, वैसे ही अगली पीढ़ियों को वे बनवा देंगे।
जावड़ेकर यदि शिक्षा में क्रांति कर सकें तो साल भर बाद भी यह सरकार मुंह दिखाने लायक रह सकेगी। सबसे पहले उन्हें अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म करनी होगी। दूसरा, सारे विषय भारतीय भाषाओं के माध्यम से पढ़ाए जाने चाहिए। अंग्रेजी माध्यम के सभी स्कूल-कालेजों पर प्रतिबंध लगाया जाए। तीसरा, किताबें रटाने की बजाय छात्रों को काम-धंधों का प्रशिक्षण दिया जाए। चौथा, शिक्षा के नाम पर चल रही निजी संस्थाओं की लूट-पाट पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए। पांचवाॅं, शिक्षा में 10 वीं कक्षा तक गरीबों के बच्चों को 75-80 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। उन्हें भोजन, वस्त्र और निवास की भी सुविधा दी जाए। छठा, नैतिक शिक्षा अनिवार्य की जाए। सुझाव तो कई और विस्तृत हो सकते हैं लेकिन अभी तो इतना ही कर दें तो देश शत प्रतिशत साक्षर हो सकता है। फेल होनेवाले और आत्महत्या करनेवाले छात्रों की संख्या घट सकती है। स्व-रोजगार की बाढ़ आ सकती है। पांच साल में देश का नक्शा बदल सकता है।
Ved Pratap Vaidik
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वयोवृद्ध हिंदीसेवी निर्मल कुमार पाटोदी के विचार
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने प्रस्तावित नयी शिक्षा नीति जारी कर दी है। इस पर सुझाव ३१ जुलाई तक दिये जा सकते है।
यह शिक्षा नीति पूर्व केबिनेट सचिव टी एस आर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली पाँच सदस्यीय मसौदा समिति ने तैयार की है।
रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि नयी शिक्षा नीति के बिंदु कैसे तैयार किए गए।
रिपोर्ट में यह भी नहीं बताया गया है कि इसे जारी करने से पहले राज्यों से पहले कोई चर्चा हुई या नहीं।
रिपोर्ट में साफ़ तौर पर कहा गया है कि आठवीं तक बच्चों को फ़ेल नहीं करने की मौजूदा नीति को ५ वीं तक सीमित किया जायगा। इससे छात्रों के अकादमिक प्रदर्शन पर गंभीर असर पड़ा है।
आईएएस-आयपीएस की तरह शिक्षा व्यवस्था के लिए अलग अखिल भारतीय कैडर तैयार होगा।
सभी राज्य छात्रों को पाँचवी तक की शिक्षा उनकी मातृभाषा अथवा स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में दें।
अँग्रेजी को दूसरी भाषा का दर्जा दें।
ओपन ऑन लाइन पाठ्यक्रम शुरु करने के लिए अलग से स्वायत्त संस्थान शुरू हो।
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आपत्ति:
१. रिपोर्ट प्रशासनिक अधिकारियों की अपेक्षा शिक्षा के क्षेत्र के विशेषज्ञों से क्यों नहीं बनवाई गयी।
२. रिपोर्ट सिर्फ़ अंग्रेज़ी में क्यों बनाई गयी। प्रथम संवैधानिक राजभाषा हिंदी है। मूल रूप से हिंदी में नियमों के अनुसार बनाई जानी थी। जान-बूझ कर
राभाषा नियमों का पालन नहीं किया गया है।
३. ५ वीं तक फ़ेल नहीं करने की नीति ही ग़लत है। निजी विद्यालयों में सभी विद्यार्थी शुरू से ही अँग्रेजी में पढ़ेंगे। मातृभाषा वाले विद्यार्थी आगे जाकर पिछड़
जावेंगे।
४. नीति भेदभाव पर आधारित है।
५. नीति में सरकार के बजट में शिक्षा पर छ: प्रतिशत ख़र्च करने का कोई उल्लेख नहीं है।
६. नीति में शिक्षा में गुणवत्ता कैसे पूर्ण होगी, कोई उल्लेख नहीं है।
७. नीति में ग़रीब-अमीर के बालकों को एक समान शिक्षा नज़दीकी विद्यालयों में देने का उल्लेख नहीं है।
८. नीति में आईएएस-आईपीएस में अँग्रेजी की अनिवार्यता को हटा कर समान प्रतियोगिता का अवसर देने की ओर ध्यान नहीं दिया गया है।
९. नीति में शिक्षा का आधार भारत की संस्कृति, विरासत, जीवन मूल्यों को मिले, इस पर ध्यान नहीं दिया गया है।
१०. प्रस्तावित शिक्षा नीति भेदभाव पूर्ण है। इसका आधार विदेशी संस्कृति पर है। यह स्वाधीन राष्ट्र की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं करती है। इसलिए पूर्णत: अस्वीकार करने योग्य है। इसका प्रचार अख़बारों और अन्य सभी माध्यमों से करना था।
देश के ९० प्रतिशत लोगों तक नयी शिक्षा नीति की जानकारी पहुँचाना थी। प्रस्तावित शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं पर विदेशी भाषा अँग्रेजी की प्रभुत्व पुन: प्रभुत्व और अधिक बढ़ाने वाली है। भारत के तेज़ी से विकास में बाधक है।
प्रस्तुत विचार/सुझाव पर समय रहते व्यापक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। जन-जन तक नीति की जान कराई जाएगी, तभी भारत की पहचान का पथ प्रशस्त होगा। 'इण्डिया' का बढ़ रहा प्रभाव ख़त्म करने से ही राष्ट्र की छवि दुनिया में सही ढंग से उभरेगी। - निकुपा
[23:42, 7/2/2016] Nirmalkumar Patodi वार्ड-२९ 'Vidya Nilay 45 Shanti Niketan: निकुपा, इंदौर:
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प्रेम चन्द अग्रवाल के विचार
इस शिक्षा नीति में कहीं कोई राष्ट्रीयता की झलक नहीं दिखाई देती। जितनी भारतीय जनमानस पर अंग्रेजी की पकड़ मजबूत इस शिक्षा नीति के कारण होगी और जितना नुकसान भारतीय भाषाओं को इस शिक्षा नीति से होगा वह तो अंग्रेजी प्रस्त कांग्रेस की नीतियां भी नहीं कर पाई।
कहाँ तो हम आशा कर रहे थे कि हिन्दी व भारतीय भाषाओं को शिक्षा नीति में उचित सम्मान दिया जाएगा, लेकिन अब तो भारतीय भाषाओं के लिए उनके अस्तित्व का संकट ही खड़ा हो गया है। और कुछ हो न हो लेकिन इस शिक्षा नीति ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि अगले 5-10 वर्षों में भारत की आधिकारिक (सरकारी) राष्ट्रभाषा अंग्रेजी होगी। जो काम भारतीयों को काला अंग्रेज बनाने का मैकाले व उसके वंशज न कर पाए वह अब होने जा रहा है।
भारतीय इतिहास इस काल खण्ड को हिन्दी व भारतीय भाषाओं के विनाश काल के रुप में लिखेगा या भारत में अंग्रेजी के स्वर्ण काल खण्ड के रुप में ? प्रेम चन्द अग्रवाल
9467909649
कहाँ तो हम आशा कर रहे थे कि हिन्दी व भारतीय भाषाओं को शिक्षा नीति में उचित सम्मान दिया जाएगा, लेकिन अब तो भारतीय भाषाओं के लिए उनके अस्तित्व का संकट ही खड़ा हो गया है। और कुछ हो न हो लेकिन इस शिक्षा नीति ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि अगले 5-10 वर्षों में भारत की आधिकारिक (सरकारी) राष्ट्रभाषा अंग्रेजी होगी। जो काम भारतीयों को काला अंग्रेज बनाने का मैकाले व उसके वंशज न कर पाए वह अब होने जा रहा है।
भारतीय इतिहास इस काल खण्ड को हिन्दी व भारतीय भाषाओं के विनाश काल के रुप में लिखेगा या भारत में अंग्रेजी के स्वर्ण काल खण्ड के रुप में ? प्रेम चन्द अग्रवाल
9467909649
94.prem.rajat@gmail.com
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चेन्नै से अशोक केड़िया की व्यथा
Dear Sir,
I am Ashok Kedia from Chennai and i am connected with educational institutions.
I like to inform you sir that in the year 2010 ,the Tamil Nadu Government removed Hindi from all the state board schools by introducing Tamil learning act.
In the year 2015 the state government made Tamil as compulsory in CBSE schools.
As in Tamil Nadu only TWO language formula is there since 1965 or 66.Now students cant learn Hindi in CBSE schools also.
Now the students form North India are struggling to learn there mother tongue.
The biggest problem is for the parents who are working in Govt.jobs, defense, railways, bank ,software companies who come on transfers. and the migratory citizens from all over the country coming to Tamil Nadu.
If some students studding form LKG to 12th.Std.can learn Tamil but the students who studies till 5th or 6th.in Tamilnadu and is transfered to northern part of the country, how he will learn Hindi ,in higher class after learning Tamil till middle school.
Same way from north to south , no one can come in Tamilnadu to admit there child in higher class who dont know TAMIL.
Pl.if you have any forum to inform our HRD Minister and if they understand the problems of Parents in Tamil Nadu , pl.try and let them know the gravity of problem.
The govt.of Tamil Nadu is against Hindi language and by this act they have succeeded in there Anti Hindi Moment.
The ex-HRD minister was so rude to reply that we cant do any thing in this matter as this is a state subject and central govt.cant do any thing.
They don't understand that
Education is a state subject, they can form the syllabus but as per the fundamental rights , the citizen of this free independent INDIA has the fundamental right to read, study any language of his or her choice and who is the Government to dictate what we must learn or what not.
I request you to take up this type of crucial issues in your forum and if not one day TAMIL NADU will not be part of INDIA>
Regards
Ashok Kedia
9841026580
Chennai
My personnel mail id -kedia...@ymail.com
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अनुरोध !
भारत सरकार, मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नई शिक्षा नीति - 2016 का मसौदा प्रस्तुत करते हुए नागरिकों से इस संबंध में 31 जुलाई 2016 तक सुझाव माँगे गए हैं। अत: सभी भारतीय-भाषा प्रेमियों से अनुरोध है कि वे भारतीय भाषा संस्कृति के उन्नयन की दृष्टि से अपने सुझाव भेजें। यदि आप उपरोक्त सुझावों से सहमत हैं तो इन्हे यथावत अथवा अपने विचारानुसार संशोधन कर के या फिर मूल रूप से अपने सुझावों को ई मेल - nep.edu@gov.in पर अपने नाम से व अपनी ई मेल आई डी से भेज कर राष्ट्रहित में अपना सहयोग प्रदान करें। जो लोग डाक द्वारा अपने सुझाव देना चाहते हैं वे डाक द्वारा भी यथासमय अपने सुझाव भेज सकते हैं।
नई शिक्षा नीति - 2016 का मसौदा सुचनार्थ संलग्न है।
वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई
वेबसाइट- वैश्विकहिंदी.भारत / www.vhindi.in
वैश्विक हिंदी सम्मेलन की वैबसाइट -www.vhindi.in
'वैश्विक हिंदी सम्मेलन' फेसबुक समूह का पता-https://www.facebook.com/groups/mumbaihindisammelan/
संपर्क - vaishwikhindisammelan@gmail.com
प्रस्तुत कर्ता: संपत देवी मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
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