शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

दक्षिण एशियाई खेल 2016 का आयोजन भारत के दो पूर्वी राज्यों असम एवं मेघालय में हो रहा है, प्रवीण जैन


सेवा में 
1. मुख्य कार्यकारी अधिकारी/अध्यक्ष,
आयोजन समिति,
दक्षिण एशियाई खेल 2016

2. मंत्री महोदय/संयुक्त सचिव,
युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय
भारत सरकार

3.  राजभाषा विभाग 
भारत सरकार, नई दिल्ली  

प्रिय महोदय /महोदया 
दक्षिण एशियाई खेल 2016 का आयोजन भारत के दो पूर्वी राज्यों असम एवं मेघालय में हो रहा है जो प्रसन्नता का विषय है. असम की राजभाषा असमिया है और मेघालय की खासी तथा भारत की राजभाषा हिंदी है।  भारत सरकार का युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय असम एवं मेघालय की राज्य सरकारों के साथ मिलकर इस खेल महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं परन्तु दुखद एवं शर्मनाक पहलु यह है कि पूरे आयोजन में आयोजन स्थलो पर, खेल मैदानों, क्रीडांगनों में, वेबसाइट पर, आधिकारिक प्रतीक चिह्न, आधिकारिक बैनर-पोस्टर, स्टेशनरी , सामाजिक संचार माध्यमों (ट्विटर, फेसबुक आदि) एवं टीवी विज्ञापनों में असमिया, खासी अथवा हिन्दी भाषा का कहीं भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।   

हम आज़ादी के अड़सठ सालों बाद भी अपने मालिकों (अंग्रेजों) के सच्चे दास बने हुए हैं इसलिए सिर्फ दक्षिण एशियाई खेल 2016 के पूरे आयोजन में सिर्फ अंग्रेजी इस्तेमाल की गई है जबकि अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में भी मेजबान देश हमेशा अपनी -२ राजभाषाओं को प्राथमिकता देते हैं जैसे रियो ओलम्पिक 2016 हेतु बनी वेबसाइट पर, सोशल मीडिया आदि पर अंग्रेजी के अलावा फ्रांसीसी, स्पेनी एवं पुर्तगाली भाषा इस्तेमाल की जा रही है। बीजिंग ओलम्पिक 2008  में हर जगह चीनी भाषा प्रयोग की गई थी।  

आयोजन समिति को निर्देश जारी करें कि अंग्रेजी के साथ-२ :

1.  वेबसाइट असमिया, खासी एवं हिन्दी भाषा में बनाई जाए। 
2.  सोशल मीडिया पर असमिया, खासी एवं हिन्दी तीनों भाषाओं में जानकारी/अपडेट डाले जाएँ। 
3. आयोजन स्थलो पर, खेल मैदानों, क्रीडांगनों में, वेबसाइट पर, आधिकारिक प्रतीक चिह्न, आधिकारिक बैनर-पोस्टर, स्टेशनरी में असमिया, खासी एवं हिन्दी तीनों भाषाओं का प्रयोग किया जाए। 
4. टीवी विज्ञापनों/प्रसारणों में असमिया, खासी अथवा हिन्दी भाषा का  इस्तेमाल करें। 
5. खेल में भाग ले रहे देशों के सदस्य दल द्वारा प्रयोग  वाली तख्ती पर देश का नाम  असमिया, खासी अथवा हिन्दी भाषा में लिखा जाए।  

Dear Sir/Madam,
Its a pleasure momemt that our Country is host for दक्षिण एशियाई खेल 2016, which are being organised in two eastern states Assam (Guwahati) & Meghalaya (Shillong). Official Languages of these 2 states are Assamese and Khasi respectively. Official Language of our country is Hindi.

GOI's Youth & Sports Ministry is part of this mega sports event along with these 2 state goverments but none of the 3 official languages have been used at venues, in website, official logo/banners and social media (twitter) or TV advertisements.

Its a bitter truth that even after 68 years of independence we are true slaves of our masters therefore only English has been used everywhere and all over the event. While I have seen International events like olympics, Asian games, all host countries give preference to their own official languages in addition to other common langauge in all banners, hoardings, tv screens, in websites and on twitter & facebook. Rio Olympics 2016 website, banners, stationery is being made/printed in 3 languages in addition to English and Beijing Olympics 2008 website was made in Chinese. 

Moreover, none of the participating countries in दक्षिण एशियाई खेल 2016 have English as official language.

I humbly request you to give instructions to the organising committee to (In addition to Eng):

1. Make website in Assamese, Khasi and Hindi.
2. Get print all banners, posters and stationery in Assamese, Khasi and Hindi
3. Include Assamese, Khasi and Hindi in official banner and official logo of the event.
4. Include official language of the participating country, Assamese, Khasi and Hindi on placard carried by team for displaying name of the country.
5. Mandate use of Assamese, Khasi and Hindi on twitter, facebook and other social media.

I am awaiting a positive response.

शीघ्र कार्यवाही की अपेक्षा के साथ.

भवदीय 
प्रवीण जैन 
पता: ए -103, आदीश्वर सोसाइटी 
श्री दिगंबर जैन मंदिर के पीछे,
सेक्टर-9ए, वाशी, नवी मुंबई - 400 703

प्रवीण जी ,
 हिन्दी की ये उपेक्षा अत्यधिक लज्जास्पद है और असहनीय भी है । 
 स्वतन्त्र भारत की राष्ट्रभाषा का अपमान है । ये प्रस्ताव अत्यन्त आवश्यक है । ये केवल विचारणीय ही नहीं है वरन् इस दिशा में तत्काल आचरणीय क़दम उठाया जाना चाहिये ।
आपके विचारों से मैं पूरी तरह सहमत हूँ और  प्रस्ताव का समर्थन करती हूँ। 
हिन्दी तेरी सदा विजय हो !!
 शकुन्तला बहादुर 

         कैलिफ़ोर्नियाब

प्रस्तुत कर्ता:
संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा, विश्व वात्सल्य मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद

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