मंगलवार, 23 जून 2015

कादम्बिनी क्लब की गोष्ठी एवं पुष्पक लोकार्पण संपन्न



कादम्बिनी क्लब की गोष्ठी एवं पुष्पक लोकार्पण संपन्न

कादम्बिनी क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में रविवार दि.21 जून, हिंदी प्रचार सभा परिसर में क्लब की 274 वीं मासिक गोष्ठी का सफल आयोजन हुआ |
      क्लब अध्यक्षा डॉ.अहिल्या मिश्र एवं कार्यकारी संयोजिका मीना मूथा ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में आगे बताया कि इस अवसर पर गोष्ठी की अध्यक्षता सुनीला लुल्ला (पूर्व प्रधानाध्यापिका-साधु वासवानी हायस्कूल एबिड्स) ने की | मुख्य अतिथि के रूप में शोभा महाबल, विशेष अतिथि के रूप में देवीदास घोडके एवं क्लब अध्यक्षा डॉ.अहिल्या मिश्र एवं पुष्पक-28 के लोकार्पण कर्त्ता डॉ.किशोरीलाल व्यास (पूर्व अध्यक्ष, हिंदी विभाग उ.वि.वि. एवं पर्यावरणविद्) मंचासीन हुए |
      मंचासीन अतिथियों के कर-कमलों से दीप प्रज्ज्वलन किया गया | डॉ.रमा द्विवेदी ने सुमधुर स्वर में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की | मीना मूथा ने उपस्थित सभा का स्वागत किया | डॉ.मिश्र ने अतिथियों का परिचय दिया तथा क्लब की विगत 21 वर्ष की यात्रा के पहलुओं पर प्रकाश डाला | क्लब की इस यात्रा में उन्होंने सभी रचनाकारों की सहभागिता एवं उपस्थिति को सर्वोपरि कहा है | डॉ.अहिल्या मिश्र ने दिसंबर माह में हैदराबाद शहर में ऑथर्स गिल्ड ऑफ इण्डिया का अधिवेशन होने जा रहा है, इस बात की सभा को जानकारी दी | इसमें देशभर के साहित्यकारों का आगमन होगा तथा यह अधिवेशन 2 दिन का होगा, तिथि जल्द ही घोषित होगी कहा | सरिता गर्ग ने पुष्पक-28 में शामिल कहानियां बड़े शहर में’, ‘बुनियाद’, ‘चल देसवा की ओर’, ‘महुआ’, ‘गुल्लू उर्फ उल्लूइन कहानियों पर संक्षिप्त बात रखते हुए कहा कि शहरी एवं कस्बे की मानसिकता का सुंदर चित्रण, आम आदमी से जुड़े हुए प्रश्न और दैनंदिन जीवन की घटनाओं का सुंदर चित्रण इन कहानियों में है जो पुष्पक की ऊँचाई को और बढ़ाता है | डॉ.मदनदेवी पोकरणा ने पुष्पक परिचय में कहा कि पुष्पक के हर अंक की अब प्रतीक्षा होने लगी है | कहानी, लघुकथाएँ, कविता, गीत, गजल, दोहे, हायकु, विभिन्न आलेख, समीक्षा, संस्मरण आदि साहित्यिक रचना-संसार इस 112 पृष्ठ की पत्रिका में समाया हुआ है | सशक्त संपादकीय, स्थायी स्तंभ, विभिन्न कार्यक्रमों की झलकियाँ पूरा ब्यौरा ही प्रस्तुत कर देती है | डॉ.रमा द्विवेदी ने संपादकीय कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि पुस्तक प्रकाशन में सबसे बड़ी और कड़ी मेहनत अर्थ जुटाने की है | साथ ही मुद्रित रचनाएँ हो तो प्रूफ में गलतियों की संभावना कम हो जाती है, साथ ही रचनाकार अपना पता देवें तो कार्य और आसान होता है | रचना छापने योग्य हो, इस पर ध्यान केंद्रित होना है, अत: योग्य रचनाओं का भी हमें इंतज़ार अवश्य होता है | कंप्यूटर प्रणाली में टाइपिस्ट की भूमिका भी अहम् होती है |
     तत्पश्चात डॉ.व्यास एवं मंचासीन अतिथियों के करकमलों से पुष्पक-28 का लोकार्पण हुआ | डॉ.
 व्यास ने डॉ.अहिल्या जी की निरंतर साहित्य-साधना की प्रशंसा की तथा क्लब को शुभकामनाएँ दी |
साथ ही पर्यावरण, पेड़ बचाओ, सरोवर बचाओ के लिए चल रहे कार्यों की जानकारी दी | शोभाजी एवं देवीदासजी ने भी संस्था को साधुवाद दिया | अध्यक्षीय बात में सुनीताजी ने कहा कि सिन्धी भाषा के साथ-साथ हिंदी से उनका जुड़ाव रहा है और क्लब के साथ भी वे निरंतर जुडी रहेगी, यह आश्वासन दिया | प्रथम सत्र का आभार सरिता सुराणा जैन ने दिया |
     द्वितीय सत्र में मीना मूथा के संचालन में और डॉ.व्यास की अध्यक्षता तथा कुंजबिहारी गुप्ता के आतिथ्य में काव्यगोष्ठी का आयोजन हुआ | इसमें सुनील गौड़, आशीष नैथानी, लीला बजाज, मंगला अभ्यंकर, डॉ.अहिल्या मिश्र, संपत देवी मुरारका, सरिता गर्ग, पवन जैन, सुजीत मिश्र, अनुपम कुमारी मिश्र, देवीदास घोडके, डॉ.रमा द्विवेदी, अवधेश कुमार सिन्हा, भावना पुरोहित, सुनीता लुल्ला, शिवकुमार तिवारी कोहिर, सीताराम माने, डॉ.सीता मिश्र, कुंजबिहारी गुप्ता, पुरुषोत्तम कडेल, सरिता सुराणा जैन, संतोष कुमार रजा आदि ने काव्यपाठ किया | गीत, गजल, हायकु, कवितायें, कहानी का सभी ने आनंद लिया | डॉ.व्यास ने चट्टानें कहानी संग्रह से हास्यव्यंग से भरपूर कहानी का पाठ किया | जिसे सभी ने खूब सराहा | इस अवसर पर भूपेन्द्र मिश्र भी उपस्थित थे | आशीष नैथानी के धन्यवाद के साथ गोष्ठी का समापन हुआ |
प्रस्तुति: संपत देवी मुरारका 
संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा, विश्व वात्सल्य मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद

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