गुरुवार, 18 जून 2015

प्रो.पुष्पिता अवस्थी एवं डॉ.एम.एल.गुप्ता




 ​प्रो. पुष्पिता अवस्थी


प्रो. पुष्पिता अवस्थी  बनीं ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’, मुंबई की

 कैरिबियाई, यूरोपीय तथा भारतवंशी बहुल देशों की मानद समन्वय प्रभारी ।

प्रो. पुष्पिता अवस्थी भारतीय दूतावास एवं भारतीय सांस्कृतिक केंद्र, पारामारिबो, सूरीनाम में पूर्व प्रथम सचिव एवं हिंदी प्रोफेसर रही हैं। वे सुप्रसिद्ध साहित्यकार, संपादक, अनुवादक,

 संगठनकर्ता हैं। इसके पूर्व वे जे कृष्णमूर्ति फाउन्डेशन के बसंत कॉलेज फॉर विमैन की हिंदी विभागाध्यक्ष भी रही हैं। उन्हीं के संयोजन में वर्ष 2003 में सूरीनाम में सातवाँ विश्व हिंदी 

सम्मलेन संपन्न हुआ था। वर्ष 2006 से वे नीदरलैंड स्थित 'हिंदी यूनिवर्स फाउन्डेशन' की निदेशक हैं और वे वर्ष 2010 में गठित अंतर्राष्ट्रीय भारतवंशी सांस्कृतिक परिषद की महासचिव हैं।

उन्होंने ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’, मुंबई की कैरिबियाई, यूरोपीय तथा भारतवंशी बहुल देशों की मानद समन्वय प्रभारी के रूप में कार्य के लिए अपनी सहमति प्रदान की है। 


 

वैश्विक सम्मेलन परिवार में प्रो. पुष्पिता अवस्थी का हार्दिक स्वागत है।

 प्रो. पुष्पिता अवस्थी के संपर्क सूत्र :
नवीनतम काव्य रचना के लिए ब्लॉग स्पॉट 

Professor Dr. Pushpita Awasthi
Director Hindi Universe Foundation
Postbus 1080, 1810 KB Alkmaar,   Netherlands
0031 72 540 2005,     0031 6 30 41 0778
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नेपाल में भूकंप पर मन की आवाज

... और आज हमारी बारी ।
   -डॉ. एम.एल. गुप्ता 'आदित्य'  
पहाड़ों से आकर करते; जो हमारी, हर दिन पहरेदारी,
मुश्किल में है उनका आंगन, और आज हमारी बारी ।।

घर-बार छोड़कर; मन मसोसकर, आते करके तैयारी,
 कैसे भी हालात; इन्होंने, हिम्मत कभी न हारी।
आपदा झेल रहे हैं, हमको आशा से देख रहे हैं,
मुश्किल में है उनका आंगन, और आज हमारी बारी ।।

आया भूचाल; हिला नेपाल, ठनका भारत का भाल,
तत्काल प्रधानमंत्री मोदी ने, उनसे पूछा उनका हाल।
बिना जरा भी वक्त गंवाए भेजी, हर मदद सरकारी,
मुश्किल में है उनका आंगन, और आज हमारी बारी ।।

सरहद भले अलग है, पर दिल तो अलग नहीं है।
लगता हैं सब अपने जैसा, कुछ भी तो अलग नहीं है।
देश का बच्चा-बच्चा, उनकी समझ रहा लाचारी,
मुश्किल में है उनका आंगन, और आज हमारी बारी ।।

भारत में बैठा नेपाली, घर की सोच घबराया है,
न जाने कौन चला गया, कौन-कौन बच पाया है।
अपने घर पर ही टिकी हैं , उसकी नजरें सारी,
मुश्किल में है उनका आंगन, और आज हमारी बारी ।।

पर्वत-पुत्रों के इस संकट में, पूरा भारत उनके साथ है,
कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, हमने बढ़ाया मदद का हाथ है ।
हजारों राहतकर्मियों-स्वयंसेवकों का, वहाँ पहुंचना जारी,
मुश्किल में है उनका आंगन, और आज हमारी बारी ।।

  
प्रस्तुत कर्त्ता
संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा, विश्व वात्सल्य मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद

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