हिन्दी में लगातार बढ़ रहे हैं रोजगार के अवसरः डॉ.राजन यादव
राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग के तत्वावधान में हिन्दी भाषा, साहित्य और उसमें भविष्य की संभावनाओं पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस आयोजन में अतिथि वक्ता के रूप में इंदिरा कला संगीतविश्व विद्यालय, खैरागढ़ के हिन्दी विभाग के रीडर डॉ.राजन यादव उपस्थित थे। प्राचार्य डॉ.आर.एन.सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि वर्तमान युग में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पूरा ध्यान उसे अधिक से अधिक रोजगारमूलक बनाने पर एकाग्र है। इसलिए हिन्दी में भी उज्ज्वल भविष्य की संभावनाओं पर मार्गदर्शन मील के पत्थर के समान है। प्रासंगिक और उपयोगी कार्यक्रम के लिए प्राचार्य ने हिन्दी विभाग की सराहना की। हिन्दी विभागाध्यक्ष श्रीमती चन्द्रज्योति श्रीवास्तव, डॉ.शंकर मुनि राय, डॉ.चन्द्रकुमार जैन, डॉ.बी.एन.जागृत, डॉ.नीलम तिवारी,श्री प्रवीण पाण्डेय और विद्यार्थियों ने अतिथि वक्ता का स्वागत किया।
विषय प्रवर्तन करते हुए हाल ही में विश्व हिन्दी सम्मेलन में प्रभावी सहभागिता कर लौटे ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी के विकास ने हिन्दी भाषा में भविष्य की संभावनाओं में इंद्रधनुषी रंग भर दिए हैं ।जरूरत इस बात की है हिन्दी के बदलते स्वरूप,प्रयोग और उसमें सम्प्रेषण की कला में महारथ हासिल की जाए। विश्व के प्रख्यात विद्वानों के अनुभव के आधार पर डॉ.जैन ने कहा हिन्दी का आकाश अनंत है। परन्तु, हिन्दी को जीवन का आधार बनाने की ललक रखने वालों को उस पर अपने विश्वास को भी विस्तार देना होगा।
डॉ.राजन यादव ने कहा कि परीक्षा और भविष्य की तैयारी एक समझदारी से भरा काम है। अपने पास में उपलब्ध साधनों का अधिक से अधिक उपयोग करना बड़ी कला है। अपने लक्ष्य के स्पष्ट निर्धारण के साथ उसे हासिल करने के लिए सार्थक कदम उठाना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि सिर्फ परीक्षा तक बात सीमित न रहे, ज्ञानार्जन का क्रम निरंतर चलना चाहिए। जरूरी बातों और विषयों को पढ़ने को आदत बना लेना सफलता का सही राजमार्ग है। कोर्स के बाहर की सामान्य जानकारी से अपने मस्तिष्क को पुष्ट बनाते रहें। यह मानकर पढ़ें कि कोई भी सूचना कभी भी आपके लिए उपयोगी हो सकती है।
डॉ.यादव ने बताया कि आज हिन्दी के विद्यार्थी अनुवाद के अलावा बैंकों, निगमों, सार्वजनिक क्षेत्रों में हिन्दी अधिकारी, शिक्षक, प्राध्यापक, पटकथा लेखक, उद्घोषक, समाचार वाचक, दुभाषिया, संवाददाता बन सकते हैं। स्वतंत्र लेखन, पर्यटन, फैशन, कार्यक्रम संयोजन सहित सिविल सेवा में भी प्रवेश कर सकते हैं। यह सूची लगातार बढ़ती जा रही है। जरूरत इस बात की है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सही और उपयोगी किताबों का चयन किया जाये। डॉ.यादव ने हिन्दी और छत्तीसगढ़ी कवियों की कई रचनाओं का सस्वर पाठ भी किया। स्नातकोत्तर हिन्दी के छात्र-छात्राओं ने अतिथि वक्ता डॉ.आभा तिवारी से करियर को लेकर प्रासंगिक प्रश्न किए और व्याख्यान के दौरान उनके सवालों के ज़वाब भी दिए। प्रेरणास्पद व्याख्यान का कुशल संयोजन डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने किया। अंत में विभागाध्यक्ष श्रीमती चन्द्रज्योति श्रीवास्तव में आभार व्यक्त किया।
प्रस्तुत कर्त्ता
संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा, विश्व वात्सल्य
मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
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