शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

यात्रा-क्रम भाग द्वितीय लोकार्पित के समय पढ़ा गया आलेख



यात्रा-क्रम भाग द्वितीय लोकार्पित के समय पढ़ा गया आलेख
  
मैं एक व्यवसायी परिवार से संबंध रखने वाली उद्यमी और घरेलू महिला हूँ | इसके अलावा मेरी शिक्षा-दीक्षा भी बहुत सामान्य है | बचपन से ही मैं पर्यटन और तीर्थाटन के प्रति बहुत लालायित रही हूँ, लेकिन मेरी लालसा को साकार होने का मौका मुझे अपनी प्रौढावस्था में मिला और इस दृष्टि से मैंने अपने पति स्व.श्रीकृष्ण मुरारका तथा अपने परिवार के साथ यात्रा-क्रम की शुरुआत वैष्णो देवी की यात्रा से की | इस यात्रा ने मुझे इतना अधिक उत्प्रेरित किया कि अब तीर्थाटन, भ्रमण और पर्यटन मेरे जीवन का प्रमुख उद्देश्य बन गया है | इस क्रम में मैंने अपने देश के सभी दिशाओं में स्थित प्रमुख तीर्थों, स्थापत्यों तथा ऐतिहासिक स्थलों की बहुतेरी यात्राएँ की है और आज भी कर रही हूँ | यात्रा-क्रम मेरे गिरते स्वास्थ्य और ढलती उम्र के बावजूद लगातार जारी है | इसी क्रम में मैंने दक्षिण-पूर्व के एशियायी देशों के साथ ही अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों की भी यात्रायें की है.|

अपनी इन यात्राओं में मैंने राष्ट्रीय एकता और अखंडता का भी दिग्दर्शन किया है और अपनी महान संस्कृति के भी विविध रूपों का दर्शन किया है | अपने पूर्वजों के श्रद्धाभाव ने मुझे बहुत प्रभावित किया है, जिसके चलते धार्मिक संरचना के रूप में वास्तु-कला तथा अन्य बहुत सारी कलाओं का विकास हुआ है | इसके अलावा विभिन्न समाजों के बीच लोकाचार की विविधता ने मेरे मन को बहुत आकर्षित किया है | अपनी यात्राओं में मैंने बहुत सुक्ष्मता के साथ लोक मन में स्थापित परंपराओं का अध्ययन करने की कोशिश की है | इन सारी बातों से अलग मुझे प्रकृति के अनेकानेक रूपों में बिखरे सौन्दर्य के अवलोकन की लालसा हमेशा से उद्वेलित कराती रही है | प्रकृति के पल-पल बदलते दृश्य उसके पहाड़, नदियाँ और झरने और यहाँ तक कि घने जंगल और रेगिस्तान भी मुझे अपने सुषमा-सौन्दर्य से विमोहित करते रहे हैं | अपने इन सभी यात्रा-अनुभवों को मैंने क्रमवार अपने लेखन में उतारने की कोशिश की है | कितनी सफल हुई है इसका आकलन तो पाठक ही कर सकेंगे | इन अनुभवों के प्रतिरूप में साल भर पहले अपने यात्रा-क्रम प्रथम भाग’ को मैंने पाठकों को समर्पित किया था | ‘यात्रा-क्रम, द्वितीय’ भी आज लिकार्पित हो रहा है | आगे भी मेरा यह प्रयास जारी रहेगा | इस संबंध में मैं अपने पाठकों और विद्वत-जनों से उनका आशीर्वाद तो मांगूगी ही, उनसे सुझावों सहित मार्गदर्शन की भी अपेक्षा करुँगी |
संपत देवी मुरारका
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी

हैदराबाद

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