शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

आदरणीय मंच को नमन,




आदरणीय मंच को नमन
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मैं सर्वप्रथम 'परिकल्पना साहित्य सम्मानके आयोजकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करती हूँ | आज मुझे यह सम्मान  स्वीकार करते समय बहुत हर्ष का अनुभव हो रहा है | साथ ही मुझे इस समय उन मित्रों की याद आ रही है जिनके कारण मैं ब्लॉगिंग की दुनिया से जुड़ी | सर्वप्रथम इसका श्रेय मैं डॉ कविता वाचक्नवी को दूँगी क्योंकि उन्होंने ही मुझे इस सोशल नेटवर्क से जुड़ने के लिए प्रेरित किया | इस प्रेरणा को साकार रूप तब मिला जब वरिष्ठ कवि और ब्लॉगर डॉ ऋषभदेव शर्मा जी ने मेरे लिए ब्लॉग बनाकर दिया | मेरे ब्लॉग ''बहुवचन'' का नामकरण  उन्होंने ही किया और मुझे कम्प्यूटर पर हिंदी में काम करने से लेकर सामग्री पोस्ट करने और सजाने का प्रशिक्षण दिया | उन्होंने मुझे ''कलम'' के ब्लॉगर स्व. चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी से जुड़ने की सलाह दी | सच बात है कि अपनी ब्लॉग्गिंग के लिए मैं स्व. चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी की बड़ी ऋणी हूँ | उन्होंने समय समय पर फोन पर ही मुझे  ब्लॉग का संचालन सिखाया, और फिर मैं धीरे धीरे इस दुनिया से जुड़ती गई | ऐसा नहीं होता तो शायद मैं घर-गृहस्थी और अपनी यात्राओं तक ही सीमित रह जाती.. मैं विशेष रूप से अपने ब्लॉग के माध्यम से अपने यात्रावृत्तों को जनसमूह के समक्ष प्रस्तुत करती हूँ | साथ ही हैदराबाद की गतिविधियों को भी |

मैं सोचती हूँ कि ब्लॉग जन-जन का मीडिया है | इसने लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र को व्यापक बना दिया है |

मैं पुनः परिकल्पना साहित्य सम्मान के आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने मुझे इस सम्मान के योग्य समझा |
धन्यवाद.
संपत देवी मुरारका
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद

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