प्रो.ऋषभदेव शर्मा कृत ‘तेलुगु साहित्य का
हिंदी पाठ’ (निबंध संग्रह) लोकार्पित
बिंदु आर्ट्स एवं श्री त्यागराय गानसभा,
हैदराबाद के संयुक्त तत्त्वावधान में मंगलवार 7 जनवरी
2014 को श्री कलासुब्बाराव ऑडिटोरियम, श्री त्यागराय गानसभा
के प्रेक्षागृह में प्रमुख हिंदी कवि प्रो. ऋषभदेव देव शर्मा की पुस्तक ‘तेलुगु
साहित्य का हिंदी पाठ’ (निबंध संघ्रह) का लोकार्पण डॉ. सी. भवानी देवी (प्रमुख
तेलुगु साहित्यकार) की अध्यक्षता में संपन्न हुआ |
इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं लोकार्पणकर्ता
प्रो. एम. वेंकटेश्वर (अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (इफ्लू), हैदराबाद
के हिंदी एवं भारत अध्ययन विभाग के पूर्व अध्यक्ष), कृति स्वीकार प्रो.एन.गोपि
(केंद्र साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत तेलुगु कवि), आत्मीय अतिथि डॉ. कलावेंकट
दिक्षितुलु (विश्व रिकार्ड ग्रहीता), पुस्तक समीक्षक डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा (सह
संपादक ‘स्रवंति’ दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा), समन्वयक डॉ. एस. रघु
(प्राध्यापक, तेलुगु विभाग, उस्मानिया विश्वविद्यालय) एवं प्रो. ऋषभदेव शर्मा (अध्यक्ष, उच्च शिक्षा और शोध
संस्थान द.भा.हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद) मंचासीन हुए |
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ.
एम. वेंकटेश्वर ने प्रो. ऋषभदेव शर्मा की समीक्षा पुस्तक ‘तेलुगु साहित्य का हिंदी
पाठ’ का लोकार्पण करते हुए कहा कि भारतीय भाषाओं में तेलुगु भाषा का भाषिक साहित्य
एवं सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष महत्त्व है तथा तेलुगु साहित्य का हिंदी में बड़ी
मात्रा में अनुवाद भी हो चूका है, जो तेलुगु संस्कृति को निकट से जानने-समझने के
लिए बहुत सहायक है | उन्होंने आगे कहा कि इस पुस्तक में तेलुगु साहित्य का विवेचन
हिंदी में अनुदित पाठ के प्रति लेखक की सहज संवेदना का प्रतिक है |
प्रो. एन. गोपि ने लोकार्पित पुस्तक की
पहली प्रति स्वीकार करते हुए कहा कि अन्नमाचार्य से लेकर आज तक के तेलुगु
साहित्यकारों के रचनाकर्म पर हिंदी में प्रस्तुत यह समीक्षा कृति वास्तव में हिंदी
और तेलुगु के मध्य एक नए स्नेह संबंध की शुरुआत है | उन्होंने आगे कहा कि इस
पुस्तक को स्वीकार करते हुए मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है, क्योंकि इससे हिंदी समाज
का तेलुगु समाज के प्रति प्रेम प्रकट हो रहा है |
डॉ. कलावेंकट दीक्षितुलु ने ‘तेलुगु साहित्य
का हिंदी पाठ’ के प्रकाशन को हिंदी तेलुगु साहित्य की महत्वपूर्ण साझा घटना बताया
और कहा कि इसके लिए तेलुगु साहित्य जगत कृतज्ञ रहेगा |
डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा ने लोकार्पित
पुस्तक की समीक्षा विस्तार पूर्वक प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस पुस्तक में 36
निबंध और 1 विस्तृत शोधपत्र
शामिल है जिनसे यह पता चलता है कि तेलुगु साहित्य के अनुवाद के माध्यम से हिंदी के
भाषा समाज को सामाजिक, सांस्कृतिक भाषिक और साहित्यिक स्तर पर निश्चित तौर पर समृद्ध किया है तथा भारत की
सामाजिक संस्कृति के विकास में उल्लेखनीय योगदान किया है |
डॉ. सी. भवानी देवी समारोह की अध्यक्षता
करते हुए लेखक ऋषभदेव शर्मा के कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी यह पुस्तक
हिंदी और तेलुगु दोनों भाषाओं के पाठकों के लिए तो उपयोगी है ही अनुवाद, भारतीय
साहित्य और तुलनात्मक अध्ययन के शोधार्थियों और अध्येताओं के लिए भी समान रूप से
लाभकारी है |
इस अवसर पर संपत देवी मुरारका (अध्यक्ष,इण्डिया
काइंडनेस मूवमेंट), वी.कृष्णा राव (श्री साहिती प्रकाशन), डॉ.सी.एस.आर.मूर्ति
(बिंदु आर्ट्स) की ओर से तथा तेलुगु और हिंदी की विभिन्न संस्थाओं के
प्रतिनिधियों, साहित्यकारों और शोधार्थियों सहित विमोचन पुस्तक के लेखक
प्रो.ऋषभदेव शर्मा का सारस्वत सम्मान भी किया |
साहित्यिक समारोह में संपत देवी मुरारका, डॉ.
पूर्णिमा शर्मा, विनीता शर्मा, डॉ. गोरखनाथ तिवारी, ज्योति नारायण, लक्ष्मीनारायण
अग्रवाल, आशीष नैथानी एवं नगरद्वय के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे |
डॉ. सी. भवानी देवी ने कार्यक्रम का
संचालन किया तथा समन्वयक डॉ. एस. रघु ने सभी अतिथियों और आगंतुकों का आभार व्यक्त किया
|
संपत देवी मुरारका
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
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