रामेश्वर सिंह के हैदराबाद आगमन पर स्नेह मिलन समारोह
संपन्न
एम वेंकटेश्वर और गुर्रमकोंडा नीरजा सहित 7 लेखकों को
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी भास्कर,
2 को हिंदी रत्नाकर तथा रामेश्वर सिंह को
संस्कृति सेतु सम्मान प्रदत्त |
"हिंदी केवल भारत की ही नहीं विश्व की बेहद
शक्तिशाली भाषा है जो बहुत बड़े जन समुदाय को तरह-तरह की भिन्नताओं के बावजूद
जोड़ने का काम करती है । मैंने देश-विदेश की अपनी साहित्यायिक यात्राओं में कभी भी
अकेलापन अनुभव नहीं किया है,
क्योंकि हिंदी मेरे साथ हमेशा रहती है । आज
जब विश्व पटल पर भारत और रूस के मैत्री संबंध नई दिशा की ओर बढ़ रहे हैं, ऐसे समय भारतीय
रूसी मैत्री संघ 'दिशा'
के संस्थापक डॉ. रामेश्वर सिंह का हैदराबाद
में सम्मान तथा उनकी संस्था की ओर से भारत के कुछ हिंदी सेवियों का सम्मान हिंदी
के माध्यम से परस्पर मैत्री को मजबूत बनाने की खातिर एक सराहनीय कदम है,"
यह विचार अग्रणी
तेलुगु साहित्यकार प्रो. एन. गोपी ने रूसी-भारतीय मैत्री संघ "दिशा"
(मास्को), साहित्यिक-सांस्कृतिक शोध संस्था (मुंबई) तथा 'साहित्य मंथन' (हैदराबाद) के
संयुक्त तत्वावधान में आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी के सभा कक्ष में संपन्न 'स्नेह मिलन एवं
सम्मान समारोह' की अध्यक्षता करते हुए प्रकट किए ।
इस अवसर पर
मास्को से आए डॉ रामेश्वर सिंह को श्रीमती लाडो देवी शास्त्री की पावन स्मृति में
प्रवर्तित "साहित्य मंथन संस्कृति-सेतु सम्मान :2016" प्रदान किया गया । अपने कृतज्ञता भाषण में डॉ. रामेश्वर सिंह ने कहा कि कोई भी
भाषा अपने बोलने वालों के दम पर विकसित होती है और विश्व भर में हिंदी अपने
प्रयोक्ताओं की बड़ी संख्या तथा अपनी सर्वसमावेशी प्रकृति के कारण निरंतर विकसित
हो रही है, अतः आने वाले समय में सांस्कृतिक से लेकर कूटनैतिक संबंधों तक के लिए हिन्दी
को बड़ी भूमिका अदा करनी है।
'दिशा'
और 'शोध संस्था' की ओर से डॉ.आर.
जयचंद्रन (कोचिन) और डॉ. मुकेश डी. पटेल (गुजरात) को "हिन्दी रत्नाकर
अंतर्राष्ट्रीय सम्मान" से तथा डॉ. बाबू जोसेफ (कोट्टायम) डॉ. एम. वेंकटेश्वर
(हैदराबाद) डॉ.अनिल सिंह (मुंबई) डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा (हैदराबाद) डॉ.वन्दना पी
पावसकर (मुंबई) डॉ.सुरेंद्र नारायण यादव (कटिहार) और डॉ.कांतिलाल चोटलिया (गुजरात)
को "हिन्दी भास्कर अंतर्राष्ट्रीय सम्मान" से अलंकृत किया गया ।
पुरस्कृत साहित्यकारों ने हिंदी भाषा के प्रति अपने पूर्ण समर्पण का संकल्प
जताया ।
कार्यक्रम के
प्रथम चरण में आगंतुक और स्थानीय साहित्यकारों के परस्पर परिचय के साथ 'चाय पर चर्चा' का अनोपचारिक
दौर चला तथा दूसरे चरण में सम्मान समारोह संपन्न हुआ । आरंभ में स्वस्ति-दीप
प्रज्वलित किया गया तथा कवयित्री ज्योति नारायण ने वंदना प्रस्तुत की ।
साहित्यिक-सांस्कृतिक शोध संस्था के सचिव डॉ. प्रदीप कुमार सिंह ने अतिथियों का
स्वागत किया और विश्व मैत्री के लिए हिंदी की संभावित भूमिका पर विचार प्रकट किए ।
अपनी सक्रिय भागीदारी और उपस्थिति से
चर्चा-परिचर्चा को जीवंत बनाने में डॉ. बी. सत्यनारायण, डॉ.अहिल्या
मिश्र, डॉ रोहिताश्व,
डॉ करंण सिंह ऊटवाल, वुल्ली कृष्णा
राव, डॉ. बी. बालाजी,
डॉ मंजू शर्मा, डॉ बनवारी लाल
मीणा, प्रभा कुमारी,
मो. आसिफ अली, प्रवीण प्रणव, शशि राय, भँवरलाल
उपाध्याय, जी.परमेश्वर, पवित्रा अग्रवाल,
लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, डॉ राजेश कुमार,
संपत देवी मुरारका, डॉ.मोनिका शर्मा, वर्षा, डॉ. सुनीला सूद,
डॉ.राजकुमारी सिंह, टी. सुभाषिणी, संतोष विजय, अशोक तिवारी, आलोक राज, शरद राज, श्रीधर सक्सेना, श्रीनिवास
सावरीकर, डॉ रियाज अंसारी,
मदन सिंह चारण और डॉ. पूर्णिमा शर्मा आदि ने
महत्वपूर्ण योगदान किया ।
प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी
मुरारका, संस्थापक अध्यक्ष : विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136
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