शनिवार, 21 सितंबर 2013

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान ने किया भारतीय ब्लॉगरों का सम्मान





                                     भारत व नेपाल के साहित्यकारों का समागम


रवीन्द्र प्रभात की अगुवाई में शामिल हुए अंतरराष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन काठमाण्डौं के प्रतिभागी

 
 
काठमांडौं स्थित नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान (Nepal Academy), भवानी भिक्षु स्मृति प्रतिष्ठान तथा अवधि सांस्कृतिक विकास परिषद्‌ के तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में भारत से आये हुए साहित्यकारों तथा नेपाली साहित्यकारों का एक विचार विनिमय कार्यक्रम नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान के सभागार में सम्पन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता नेपाल के वरिष्ठ अवधी साहित्यकार विश्वनाथ पाठक ने की। भारतीय साहित्यकारों एवं ब्लॉगरों का प्रतिनिधित्व परिकल्पना समय के प्रधान सम्पादक लखनऊ निवासी रवींद्र प्रभात ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान के सदस्य सचिव सनत रेग्‌मी थे तथा विशिष्ट अतिथि भारत से आये अवधी साहित्यकार तथा अवध ज्योति के सम्पादक डॉ. राम बहादुर मिश्र थे ।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए परिकल्पना समय के प्रधान सम्पादक रवींद्र प्रभात ने कहा नेपाली और अवधी साहित्य की विरासत और परम्परा साझी है। नेपाली की लिपि देवनागरी होने के कारण नेपाल और भारत दोनों देशों में एक दूसरे की भाषा समझने में कठिनाई नहीं होती है।

इस अवसर पर नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान द्वारा प्रकाशित कृति अवधी निबंधजिसमें नेपाली तथा हिंदी के प्रतिष्ठित साहित्यकारों के निबंधों का अनुवाद किया गया है, परिचर्चा की गयी। नेपाल के अवधी साहित्यकार प्रो. विष्णुराज आत्रेय तथा भारत के अवधी साहित्यकार डॉ. रामबहादुर मिश्र ने अवधी भाषा साहित्य की दोनों देशों में वर्तमान स्तिथि पर चर्चा की। डॉ. राम बहादुर मिश्र ने अवधी निबंध को महत्वपूर्ण तथा उल्लेखनीय कृति बताते हुए अनुवादक विक्रम मणि त्रिपाठी की अनुवाद कला की प्रशंसा की और कहा कि इससे अवधी गद्य की अनुवाद कला की प्रशंसा की और कहा कि इससे अवधी गद्य की मानक स्वरूप निर्धारित करने में सहायता मिलेगी।
नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान में आयोजित विशेष सत्र का दृश्य

प्रज्ञा प्रतिष्ठान के सचिव सनत रेग्‌मी ने भारत से आये हुए विद्वानों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत और नेपाल के सम्बंधों को मजबूती देने के लिए यह आवश्यक है कि भारत में भी नेपाली भाषा को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाये। भारत की उपेक्षा नेपाल को खलती है। नेपाल और भारत की मैत्री को व्यापक स्वरूप देने का प्रयास किया जाये। नेपाल और भारत की भाषा और संस्कृति साझा है। मैथिली, भोजपुरी, अवधी, थारु आदि भाषाएँ दोनों देशों में बोली और समझी जाती है। नेपाल में सभी भाषाओं को राष्ट्रीय भाषा का दर्ज़ा देने का प्रयास किया जा रहा है। नेपाल और भारत की भाषा पर साझा कार्यक्रम करने की आवश्यकता है यह दुर्भाग्य यह है कि नेपाली तो भारत और वहाँ की भाषा को सम्मान देते हैं किंतु भारत में यह भाव नहीं।

इस कार्यक्रम में इं. विनय प्रजापति, डॉ. नमिता राकेश, श्रीमती सम्पत देवी मुरारका, मुकेश सिन्हा, सुशीला पुरी, मनोज पाण्डेय, रामबाबू गुप्ता (भारत) , तपानाथ शुक्ला, सुमित्रा मानंधर, डॉ. संजिता वर्मा, आलोक तिवारी, रामभरोस कापड़ी, आलोक तिवारी (नेपाल) आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन नेपाल के प्रतिष्ठित अवधी साहित्यकार विक्रममणि त्रिपाठी ने किया।
संपत देवी मुरारका
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद



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