तीसरी पीढ़ी तक नष्ट हो जाएँगी हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाएँ..!
‘पिछले 10-15 वर्ष से यह साफ दिख रहा है कि यदि हमने कुछ बड़े बदलाव नहीं किए और चीजें इसी तरह चलती रही तो आज से तीस - चालीस साल बाद एक भी भारतीय भाषा जीवंत मजबूत और शक्तिशाली भाषा के रूप में जीवित नहीं बचेगी’। यह कहना था वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव का वे विश्व हिंदी दिवस पर ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ तथा ‘जनता की आवाज फाउंडेशन’ द्वारा उद्योग एवं व्यापार जगत के प्रतिनिधियों के साथ आयोजित 'अपनी भाषा-अपना देश, ग्राहक की भाषा में संदेश' विषय पर आयोजित वैश्विक ई-संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार प्रस्तुत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारे समय में ही आप देख सकते हैं कि हमारे बच्चों की जिंदगी में हमारी कितनी भाषा बची है? उन्होंने कहा कि यदि हमें अपनी भाषाओं को बचाना और बढ़ाना है तो इस देश के उद्योगपतियों और व्यापारियों को अपनी भाषा से पढ़ने वाले योग्य विद्यार्थियों को नौकरियां देनी होंगी। अपने उत्पादों पर नाम और ग्राहकों के लिए सूचना भी ग्राहकों की भाषा में देनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हमारी भाषाएँ न बची तो पिछले आठ – दस हजार वर्षों में हमने ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में जो कुछ भी अर्जित किया है और हमारे धर्म से जुड़ा समस्त साहित्य भी सदा के लिए नष्ट हो जाएगा। अगर हमें यह सब बचाना है तो हमें अपनी भाषाओं को भी बचाना और बढ़ाना होगा, और यह पहल उद्योग और व्यापार जगत ही कर सकता है।
इसके पूर्व अमेरिकी नागरिक और भारतीय आध्यात्मिक ग्रंथों की हिंदी में पद्यबद्ध रचनाकार डॉ. मृदुल कीर्ति ने कहा कि अमेरिका, आस्ट्रेलिया आदि देशों में विभिन्न देशों से जो उत्पाद आते हैं उन उत्पादों की पैकिंग पर उन देशों की भाषा में नाम आदि लिखा होता है लेकिन भारत से आने वाले ज्यादातर उत्पादों में भारतीय भाषाओं में हमारी भाषा में नाम या कोई जानकारी नहीं होती। इससे भारत, भारतवासियों और भारतीय भाषाओं का अपमान होता है। उन्होंने भारत की सभी उत्पादकों और व्यापारियों से अनुरोध किया कि वे निर्यात किए जाने वाले सभी उत्पादों पर भारत की भाषाओं में ‘भारत में निर्मित’ अवश्य लिखें।
फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज के कार्यकारी अध्यक्ष राजस्थान चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के मानद सचिव व प्रवक्ता अरुण अग्रवाल ने कहा कि यदि न्यायपालिका कार्यपालिका सहित सभी स्तरों पर अगर हिंदी आ जाए तो भारत में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले ऊपर आ सकते हैं।
'महाराजा सोप उद्योग समूह' जो करीब 125 उत्पाद बनाती है और उनका निर्यात भी करती है, उसके अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक तथा फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष और विभिन्न औद्योगिक एवं सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी जगदीश सोमानी ने संगोष्ठी में कहा- व्यापार और उद्योग जगत में हिंदी को महत्व दिया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मैं जिन भी व्यापारिक औद्योगिक संस्थाओं में रहा तो उनकी तरफ से किया जाने वाला समस्त पत्राचार हमने हिंदी में ही किया। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा लगभग 125 तरह के जो उत्पाद बनाए जाते हैं उनमें उस देश की जरूरत के साथ-साथ हम हिंदी में भी जानकारी देते हैं। अगर कोई मना करता है तो हम कहते हैं कि यह हमारी देश की कानूनी अनिवार्यता है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी वेबसाइट में हिंदी सहित पांच भाषाएं हैं लेकिन सबसे पहले हिंदी में ही खुलती है। उनका कहना था कि लेकिन इस संबंध में सरकार को अधिनियम बनाकर ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि जानकारी हिंदी में और ग्राहक की भाषा में अनिवार्य रूप से दी जाए।
भारत सरकार द्वारा ‘उद्योग-रत्न’ और ‘बेस्ट एंप्लॉयर ऑफ द ईयर अवार्ड’ से सम्मानित ' विद्युत टेलिट्रॉनिक्स लिमिटेड' के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री नरेंद्र कुमार जैन जो 'एंप्लॉयर एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष' और विभिन्न औद्योगिक - व्यापारिक व सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी हैं। उन्होंने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे बच्चे घर में तो हिंदी बोलते हैं लेकिन स्कूल में जाने पर सब अंग्रेजी में हो जाता है। यह बहुत बड़ी विडंबना है। इसके कारण समाज में अधकचरा ज्ञान होता जा रहा है। उन्होंने आह्वान किया कि दुनिया में जहाँ कहीं भी भारतवासी हैं, उन्हें अपने देश की भाषा हिंदी का प्रयोग करना चाहिए।
‘जनता की आवाज फाउंडेशन’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ के संरक्षक तथा बोथरा ग्रुप के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सुंदर बोथरा ने कहा कि ऐसा नहीं है कि जो अंग्रेजी में पारंगत नहीं है, वे कामयाबी हासिल कर सकते। यह जरूरी है कि हमारे देश का काम हमारे देश की भाषा में किया जाए। उन्होंने कहा कि हमारे देश का नाम हजारों वर्षों से ‘भारत’ है इसलिए किसी भी भाषा में इसे ‘भारत’ ही कहा जाना चाहिए और इंडिया नाम को संविधान से हटाया जाना चाहिए। कई वक्ताओं ने इस पर जोर दिया।
कार्यक्रम का विषय-प्रवर्तन करते हुए ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ के निदेशक तथा ‘जनता की आवाज फाउंडेशन’ के राष्ट्रीय मंत्री डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’ ने कहा कि विभिन्न कानूनों के अंतर्गत दी जाने वाली सूचनाएँ जनता को देश और राज्य की भाषा में न दिए जाने से इस देश की 96-97% लोगों के विभिन्न कानूनी अधिकारों का और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है। उन्होंने बताया कि विश्व के 20 सबसे विकसित देश वे हैं जो देश की भाषा में पढ़ते और काम करते हैं, जबकि इसके विपरीत विदेशी भाषा में पढ़ने और काम करने वाले देश दुनिया के बीस सबसे गरीब देश हैं।
संगोष्ठी उड़ीसा की विद्यार्थी स्वरूपा सिंह द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से प्रारंभ हुई। संगोष्ठी में जनता की आवाज फाउंडेशन के उपाध्यक्ष द्वय कानबिहारी अग्रवाल तथा विनोद माहेश्वरी ने और सुरेंद्र सुराना, उदय कुमार सिंह, मनोरमा मिश्र ने अपने विचार रखे। धन्यवाद ज्ञापन ‘जनता की आवाज फाउंडेशन’ के राष्ट्रीय महासचिव कृष्ण कुमार नरेडा ने प्रस्तुत किया। संगोष्ठी में पंकज बोहरा, मोतीलाल भुरा, ईश्वरचंद बैद, शंकर आसकंदानी, विपिन गुप्ता, डॉ. राजीव कुमार, संजय कुमार आदि उपस्थित थे।
विश्व हिंदी दिवस पर वैश्विक ई-संगोष्ठी का यूट्यूब लिंक
https://www.youtube.com/watch?
v=UXoOhbWu--k
‘विश्व हिंदी दिवस’ के अवसर पर दैनिक जागरण के मंच पर ‘अनंत विजय’ जी द्वाराअमेरिका स्थित आई.टी. विशेषज्ञ व कवि हृदय अनूप भार्गव जी से विशेष चर्चा‘हिंदी और विश्व में हिंदी के बढ़ते हुए प्रभाव’ के ‘विभिन्न पहलुओं’ पर बातचीत हुई।कई रोचक सवाल सामने आए, 'हिंदी से प्यार है' का भी ज़िक्र हुआ, बहुत ही रोचक चर्चा।यदि समय हो सुनिएगा । लिंक नीचे दिया गया है।
https://www.facebook.com/watch/?v=1095431694574792 याद है आज 'विश्व हिंदी दिवस' है……...प्रकाशित हुई है,
जिसका यूआरएल - https://hindibhashaa.com/याद-है-आज-विश्व-हिंदी-दिवस/
वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई
वैश्विक हिंदी सम्मेलन की वैबसाइट -www.vhindi.in
'वैश्विक हिंदी सम्मेलन' फेसबुक समूह का पता-https://www.facebook.com/
संपर्क - vaishwikhindisammelan@gmail.
प्रस्तुत
कर्ता : संपत देवी मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136
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