डॉ अहिल्या मिश्र हिंदी के लिए कार्य करनेवाली एक सशक्त रचनाकार
डॉ अहिल्या मिश्र दक्षिण में हिंदी की सक्रिय ध्वजवाहक हैं
डॉ अहिल्या उत्तर और दक्षिण भारत की हिंदी की सेतु-सूत्र हैं
हैदराबाद : ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Authors Guild of India) की ओर से 'अभिनव इमरोज़' (Abhinav Imroz) मासिक पत्रिका के 'डॉ अहिल्या मिश्र (Dr Ahilya Mishra) विशेषांक' के ऑनलाइन लोकार्पण-समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने वक्तव्य में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रो राजाराम शुक्ल ने 180 पृष्ठों के इस विशेषांक के प्रकाशन की बधाई देते हुए डॉ अहिल्या मिश्र के रचनात्मक और संगठनात्मक व्यक्तित्व को रेखांकित करते हुए कहा कि उन्हें मैंने एक योग्य रचनाकार और कुशल संगठनकर्ता के रूप में देखा है। वे सुदूर दक्षिण में हिंदी के लिए कार्य करनेवाली एक सशक्त रचनाकार हैं। वे हिंदी की सक्रिय ध्वजवाहक हैं।
विशिष्ट अतिथि, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्यप्रदेश के भाषा-निदेशक प्रो. दिलीप सिंह ने हैदराबाद में रहते हुए डॉ मिश्र के साथ मिलकर हिंदी के विकास के लिए किए गए कार्यों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि विगत पाँच दशकों से डॉ मिश्र ने अकेले हैदराबाद में अपने संसाधनों से हिंदी के लिए अनेक उल्लेखनीय कार्य किए हैं।
तीन दशक संबंधों की स्मृति
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ श्याम सिंह शशि ने डॉ मिश्र के तीन दशक अपने पुराने संबंधों की स्मृति को ताजा किया और उनके रचना-कर्म की भूरि-भूरि प्रशंसा की। आयोजन की अध्यक्ष ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की उपाध्यक्ष और वरिष्ठ कवयित्री डॉ सरोजिनी प्रीतम ने डॉ अहिल्या की कविताओं में निहित स्त्री-सशक्तीकरण के संदर्भ का उल्लेख किया और युवाकाल से अपने संबंधों की चर्चा की।
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आयोजन के प्रारंभ में ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के महासचिव एवं वरिष्ठ लेखक डॉ शिवशंकर अवस्थी ने डॉ अहिल्या मिश्र के कृतित्व और व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला तथा ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के हैदराबाद चैप्टर की कन्वेनर के पद-दायित्व के साथ उनके महत् योगदान का भी विशेष उल्लेख किया।
हैदराबाद में साहित्यिक गतिविधि
'कादंबिनी' पत्रिका के सह-संपादक रहे श्री संत समीर ने डॉ राजेंद्र अवस्थी के समय से 'कादंबिनी क्लब' के माध्यम से हैदराबाद में साहित्यिक गतिविधियों को संचालित करने में डाॅ. अहिल्या की सक्रियता का उल्लेख करते हुए दक्षिण भारत में हिंदी के प्रचार-प्रसार में उनके विशिष्ट योगदानों को सभा के समक्ष प्रस्तुत किया।
हिंदी को और अधिक समृद्ध
'अभिनव इमरोज़' के संपादक श्री देवेंद्र कुमार बहल जी ने अपने संदेश में कहा कि "डॉ. अहिल्या मिश्र के रचनात्मक यज्ञ में, जो उन्होंने दक्षिण भारत में रच रखा है, मेरी ओर से यह एक श्रद्धायुत आहुति समर्पित है। 'अभिनव इमरोज़' एवं 'साहित्य नंदिनी परिवार' की ओर से हमारा यह प्रयास उस यज्ञ की अग्नि को निरंतर ऊर्ध्वगामी बने रहने के लिए प्रस्तुत हुआ है। यह प्रयास उन उभरती हुई प्रतिभाओं के लिए भी, जो अहिल्या जी के मार्गदर्शन में हिंदी को और अधिक समृद्ध बनाने के लिए सक्रिय एवं तत्पर रहती हैं, प्रेरक होगा।"
दक्षिण भारत की हिंदी की सेतु-सूत्र
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी-विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ अशोक कुमार ज्योति ने कहा कि डॉ अहिल्या उत्तर और दक्षिण भारत की हिंदी की सेतु-सूत्र हैं। उन्होंने उन्हें 'कर्म-सौंदर्य की उपासिका' कहा, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी वैयक्तिक प्रयासों से सतत हिंदी के उत्थान के लिए हैदराबाद में कार्य कर रही हैं और इसकी निरंतरता बनाए रखने के लिए अगली पीढ़ी को भी तैयार कर रही हैं। डॉ अशोक ने कहा कि उन्होंने 'कलुषित विचार के गहन अंधकार के गढ़ को ध्वस्त कर हिंदी का प्रकाश फैलाया है।'
डॉ अहिल्या मिश्र बहुआयामी व्यक्तित्व
इस विशेषांक की अतिथि संपादक और बॉल्डविन्स महिला महाविद्यालय, बेंगलुरु की हिदी-विभागाध्यक्ष डॉ उषारानी राव ने कहा कि डॉ अहिल्या मिश्र बहुआयामी व्यक्तित्व की स्वामिनी हैं। इन्होंने अपने लोकजनीन अनुभव को साहित्य में तो प्रतिफलित किया ही है, साथ ही अपने आसपास की संवेदनाओं को समेटकर स्त्री-शिक्षण और स्त्री-सम्मान के लिए एक सशक्त जमीन भी तैयार की है। अदम्य जिजीविषा और जीवटता से भरपूर इस संकल्प-शक्ति को देखकर मुझे इस विशेषांक के अतिथि संपादन की प्रेरणा मिली। इसका प्रकाशन मेरे लिए गौरव की बात है।
हिंदी की विकास-यात्रा
अनुवाद ब्यूरो, भारत-सरकार के पूर्व-निदेशक डॉ श्रीनारायण समीर ने अपने उद्बोधन में कहा कि 'अभिनव इमरोज़' ने अनुष्ठान के माध्यम से डॉ. अहिल्या मिश्र जी के जीवन पर बेहतरीन प्रस्तुति दी है डॉ मिश्र ने अपने लेखन में पूरे-के-पूरे स्त्री-संघर्ष के निचोड़ को प्रस्तुत किया है। दक्षिण में हिंदी की विकास-यात्रा को, उनके संघर्ष की यात्रा को उत्तर की उदासीन आँखों से नहीं देखा जा सकता। उसके लिए उदार और सदाशयता की आवश्यकता है। डॉ अहिल्या मिश्र जी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।' उन्होंने बल देते हुए कहा कि डॉ अहिल्या मिश्र के पचास वर्षों के अवदानों को लिपिबद्ध करने के पाँच हजार पृष्ठ भी कम पड़ जाएँगे।
लेखिका का गंभीर चिंतन
प्रसिद्ध विद्वान् प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि मैं प्रायः उनकी हर रचना का पाठक रहा हूँ और मुझे उनमें एक गंभीर लेखिका का गंभीर चिंतन मिला है। हिंदी के लिए दक्षिण के प्रदेशों में हमने साथ मिलकर कार्य किया है और मैंने निकट से उनके उत्साह को महसूस किया है। श्री प्रवीण प्रणव ने डॉ मिश्र की रचनाओं की मूल संवेदनाओं को प्रस्तुत किया और उनकी कुछ कविताओं तथा गद्य-पंक्तियों को भी उद्धृत किया।
हैदराबाद की डॉ. रमा द्विवेदी, श्रीमती ज्योति नारायण, श्रीमती उषा शर्मा, श्री हर्ष कुमार हर्ष, नागपुर के 'दीवान मेरा' के संपादक श्री नरेंद्र परिहार, जबलपुर की डॉ. उषा दुबे और फरीदाबाद की वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती कनुप्रिया ने अपने-अपने संबोधन में डाॅ. अहिल्या मिश्र के व्यक्तित्व के अनेक पक्षों का उल्लेख किया।
हैदराबाद से प्रकाशित पत्रिका 'पुष्पक' की संपादक और युवा कवयित्री डॉ आशा मिश्रा 'मुक्ता' ने डॉ अहिल्या के मातृत्व और अभिभावक के गुणों का आत्मीय उल्लेख किया। डॉ आशा ने सभी सम्मानित अतिथियों और वक्ताओं के प्रति अपना धन्यवाद ज्ञापित किया। संपूर्ण आयोजन का सफल संचालन डॉ शिवशंकर अवस्थी ने किया।
सभी वक्ताओं ने एक स्वर से 'अभिनव इमरोज़' के संपादक श्री देवेंद्र कुमार बहल और 'डॉ अहिल्या मिश्र-विशेषांक' की अतिथि संपादक डॉ उषारानी राव के कार्यों की मुक्तकंठ से प्रशंसा की और इसे हिंदी-साहित्य के एक ऐतिहासिक प्रकाशन के रूप में महत्त्व दिया।
इस अवसर पर देशभर से लगभग सौ से अधिक साहित्यप्रेमी आयोजन से जुड़े रहे, जिनमें श्री अशोक कुमार, डॉ मानसी रस्तोगी, डॉ प्रभा शर्मा, ज्ञानचंद मर्मज्ञ, कनुप्रिया, रानु मुखर्जी, गीता शास्त्री, लाडी धानुका, प्रतिभा विश्वकर्मा, प्रो गोपाल शर्मा, सुधा सिंह, सम्पत देवी मुरारका, नीलम कुलश्रेष्ठ, सुवर्णा केंचा, डॉ मुकेश, अफ़सर उन्नीसा बेगम और अन्य शामिल हैं।
प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136
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