सोमवार, 19 फ़रवरी 2018

लिपि ही भाषा को रूपायित करती है । guptasadanand52


[वैश्विक हिंदी सम्मेलन ] लिपि ही भाषा को रूपायित करती है । हिन्दी भाषा को देवानागरी लिपि ही उपयुक्त ढंग से रूपायित कर सकती है । रोमन में लिखने की प्रवृत्ति ने भाषा को विकृत ही नहीं किया है इससे अर्थ का अनर्थ भी हुआ है । शिव को शिवा कहा जाने लगा जिसका अर्थ पार्वती होता है । कृष्ण को कृष्णा जिसका अर्थ द्रौपदी होता है । यह सब रोमन में लिखने का परिणाम है । जहाँ तक फिल्म उद्योग जगत की बात है , उनके बारे में अपवादों को छोड़ दें सब अँग्रेज़ी के गुलाम हैं . मैकाले ने जो बीज बोया था वह ठीक से फल फूल रहा है |
guptasadanand52 <guptasadanand52@gmail.com>

-- 
वैश्विक हिंदी सम्मेलन की वैबसाइट -www.vhindi.in
'वैश्विक हिंदी सम्मेलन' फेसबुक समूह का पता-https://www.facebook.com/groups/mumbaihindisammelan/
संपर्क - vaishwikhindisammelan@gmail.com


प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com  
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें