हैदराबाद, 22 मई (मीडिया विज्ञप्ति).
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiplDQS9nzCMXY8Ab2zDE1nNNlLai4Q2I4A5oKVY3qdcacSX5bKzE2Fa_hsKm9YTQWcNfvTeqQltxpCqypDKtYkeYSaDNN7tFYKhLsyQh-3RJeOqrgERvTAozb-Ny3wAhrDP4gdls74Etw/s200/lakshmi+%25281%2529.jpg)
‘साहित्य मंथन’ की संयोजक डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा ने बताया कि ‘कथाभाषा और काव्यभाषा का समाजभाषिक संदर्भ’ शीर्षक पुस्तक में डॉ. एन. लक्ष्मी ने समाजभाषाविज्ञान और शैलीविज्ञान के सिद्धांतों का समन्वय करते हुए प्रेमचंद से लेकर संजीव तक के उपन्यासों व कहानियों तथा मैथिलीशरण गुप्त से लेकर जितेंद्र श्रीवास्तव तक की कविताओं की भाषाशैली के सामाजिक संदर्भ का पहली बार गहन विश्लेषण किया है. उल्लेखनीय है कि यह पुस्तक प्रसिद्ध समाज शैलीवैज्ञानिक प्रो. दिलीप सिंह को समर्पित है. संयोजक डॉ. जी. नीरजा ने सभी साहित्य प्रेमियों और शोधार्थियों से कार्यक्रम में उपस्थित होने का अनुरोध किया है.
डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा
संयोजक ‘साहित्य मंथन’
संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा, विश्व वात्सल्य मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें