विश्व वात्सल्य मंच एवं कादम्बिनी क्लब के तत्वावधान में
परिचर्चा संगोष्ठी संपन्न
विश्व वात्सल्य मंच एवं कादम्बिनी क्लब, हैदराबाद के
तत्त्वावधान में शनिवार दि.9 मई की शाम श्री कृष्णदेवराय आ.भाषा निलयम, सुलतान बाजार में
श्रीमती संपतदेवी मुरारका कृत्त “यात्रा क्रम-भाग 3 पर परिचर्चा का आयोजन किया गया |
प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए अध्यक्षा संपत देवी मुरारका एवं डॉ.अहिल्या मिश्र ने
आगे बताया कि इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ.ऋषभदेव शर्मा (अध्यक्ष,
उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थान द.भा.हिंदी प्र.सभा, खैरताबाद) ने की | डॉ.कविता वाचकनवी (साहित्यकार, कवयित्री, इंगलैंड) मुख्य अतिथि, प्रो.शुभदा वांजपे (हिंदी विभागाध्यक्ष
उ.वि.वि.) एवं विजयलक्ष्मी
काबरा (पूर्व
पार्षद) सम्माननीय
अतिथि तथा डॉ.मदनदेवी पोकरणा एवं डॉ.अहिल्या मिश्र पुस्तक समीक्षक, कार्यक्रम आयोजक
तथा “यात्रा क्रम-भाग 3” की लेखिका संपत देवी मुरारका मंचासीन हुए |
प्रथम सत्र का आरंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ |
मंचासीन अतिथियों ने माँ शारदे
की प्रतिमा का दर्शन-वंदन किया | श्रीमती शुभ्रा महंतो ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी | तत्त्पश्चात
अतिथियों का आयोजक परिवार की ओर से अंगवस्त्र-पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया | संपत देवी ने
विश्व वात्सल्य मंच की ओर से कहा कि यह साहित्यिक-सांस्कृतिक मंच है और पंजीकरण की प्रक्रिया भी
पूर्ण हो गई है | डॉ. मिश्र ने कादम्बिनी क्लब की ओर से उपस्थित सभा का स्वागत किया |
परिचर्चा में अपनी बात रखते हुए डॉ.पोकरणा ने कहा कि यात्रा क्रम-भाग 3 को पढ़ते हुए ऐसा लगा कि हम इसे पढ़ नहीं रहे
हैं, बल्कि
यात्रा में उसके सहभागी बन रहे हैं | इसमें इतिहास भी है,
वर्त्तमान स्थितियों का जिक्र भी
हैं | धार्मिक
स्थलों का विवरण विस्तार में हैं | लेखिका को साधुवाद है |
वे इसी प्रकार यात्राओं को
शब्दबद्ध करती रहें |
डॉ.मिश्र ने कहा कि संपत जिस भी यात्रा पर जाती है,
वहाँ का आनंद लेती है, साथ ही पूरा भूगोल
पुस्तक के माध्यम से सामने रख देती है | गृहिणी होते हुए भी अपने यात्रा के शौक को
उन्होंने समय-समय पर शब्दबद्ध किया है, यह उनकी खासियत है |
डॉ.
शुभदा ने अपने विचार रखते हुए
कहा कि आज इस परिचर्चा में केंद्रविन्दु संपतजी है |
आज व्यक्ति प्रकृति से धीरे-धीरे दूर होते जा
रहा है, ऐसी
स्थिति में आवश्यकता है यात्रा के अवसर को ना खोते हुए उसका आनंद लें और उस
अनुभूति को शब्दबद्ध कर लेवें | साहित्य का
उद्देश्य ही आनंद प्रदान करना है, यात्रा ऐसी ही आनंद की अनिभूति प्रदान करती है
| इस
यात्रा वर्णन में ज्ञानवर्धन, मनोरंजन और रोचकता भी है | विजयलक्ष्मी काबरा
ने लेखिका को इसी प्रकार आगे बढ़ते रहने की शुभकामनाएँ दी |
डॉ.कविता ने कहा कि यात्रा विवरण लिखते समय प्रामाणिकता,
पर्यटक की दृष्टि, अनुभव, स्थानीय बातों का ज्ञान आदि का विशेष महत्त्व होता है | कृत्ति की अपेक्षा
लिखने वाले के हाव-भाव, आचरण को देखा जाना चाहिए | संपतजी को यात्रा क्रम के भाग 3 के लिए मेरी
बधाइयां |
डॉ.ऋषभदेव शर्मा ने अध्यक्षीय बात में कहा कि हम जहाँ भी जाते हैं, वहाँ की संस्मरणीय
चीजें अपने ह्रदय पर अंकित हो जानी चाहिए, जो देखा उसे कैसा लगा,
चाहे सरल भाषा में ही सही
शब्दबद्ध करें | यात्रा वृत्तांत मूलत: संस्मरण ही होती है |
वह टूरिष्ट गाइड न हो | इतिहास से बचे और
वृत्तांत को संक्षिप्त रखें | आज हैदराबाद शहर में निरंतर यात्रा वृत्तांत
के साहित्य लेखन में संपत देवी का जिक्र आता है,
यह प्रशंसा की बात है | जल्द ही आगे की
पुस्तक की भी प्रतीक्षा रहेगी |
इस बीच प्रसन्न भंडारी-सरोज भंडारी ने लेखिका का सम्मान किया | प्रथम सत्र का
धन्यवाद संपत देवी मुरारका ने दिया | द्वितीय सत्र में सुरेश जैन की अध्यक्षता में
कविगोष्ठी का आयोजन हुआ | इसमें सविता सोनी,
विजयलक्ष्मी काबरा, लक्ष्मीनारायण
अग्रवाल, पवित्रा अग्रवाल, पवन जैन,
पुरुषोत्तम कडेल, डॉ.आलोक शुक्ला, डॉ.कविता वाचकनवी, सुनीता गुप्ता, संपत देवी मुरारका, डॉ.अहिल्या मिश्र, मीना मूथा, रूबी
मिश्रा ने काव्यपाठ किया | राजेश मुरारका ने व्यवस्था में अल्पाहार के
साथ सहयोग प्रदान किया | गीता अग्रवाल,
सीता अग्रवाल, आनिया अग्रवाल, प्रसन्न भंडारी, सरोज भंडारी, प्रिया गर्ग, सन्नी गर्ग, रत्नकला मिश्र, जी.सी.महंतो भी इस अवसर
पर उपस्थित थे | मीना मूथा ने कार्यक्रम का संचालन किया |
संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा, विश्व वात्सल्य
मंच
डॉ.अहिल्या मिश्र
संयोजिका, कादम्बिनी क्लब
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