बुधवार, 24 सितंबर 2014

‘नया मीडिया’ और हिंदी के बढ़ते चरण





नया मीडियाऔर हिंदी के बढ़ते चरण
-    संपतदेवी मुरारका
सभी प्राणी आपस में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए किसी माध्यम का प्रयोग करते हैं. ये माध्यम इशारेआवाज या कोई दूसरे संकेत व साधन भी हो सकते हैं |  मनुष्य जाति ने आपसी सूचनाएँ प्रेषित करने के लिए कई माध्यमों को समय व जरूरत के अनुसार समय समय पर विकास किया |  इस दिशा में सभ्यता के विकास की एक बड़ी घटना - भाषा के अविष्कार के रूप में सामने आई |  भाषा के अविष्कार के बाद मानव एक दूसरे से बातचीत करके व अपनी बात कहकर आपस में सूचनाओं और विचारों का आदान-प्रदान करने लगा | आगे चलकर मानव ने दूर दूर तक सूचनाएँ प्रेषित करने के लिए लिपि का अविष्कार किया | लिपि के माध्यम से पत्र लिखकर उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजकर अपने से दूर रहने वालों तक सूचनाएँ भेजना संभव हुआ | सूचना प्रश्न की इस प्रणाली का विकास व्यक्तिगत के साथ सार्वजनिक सूचना प्रेषित करने के माध्यम के रूप में भी हुआ | बाद में कागज पर लिखने के लिए मशीनों का अविष्कार हुआ जो प्रिंटिंग प्रेस के नाम से जानी जाने लगी |  इन मशीनों पर मानव ने सूचनाएँ भेजने के लिए थोक में एक जैसे पत्र छापकर घर घर पहुँचाने शुरू किए | इससे समाचार पत्र अथवा अखबार सामने आए जिन्हें मुद्रित माध्यम अथवा प्रिंट मीडिया कहा जाता है |

अख़बारों के बाद मानव ने सूचनाएँ त्वरित गति से जन-जन तक पहुँचाने हेतु पहले रेडियो व बाद में टेलीविजन का अविष्कार कर उसे माध्यम बनाया फिल्मों का भी  इसके लिए उपयोग किया गया | इन्हें मिलाकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया खा गया | सूचना-संप्रेषण के माध्यम की विकास यात्रा में नया मोड आया - इंटरनेट के अविष्कार के साथ | इंटरनेट के माध्यम से अपने घर बैठे अपने कंप्यूटर पर अपना संदेश टंकण कर सुदूर बैठे अपने रिश्तेदार व संबंधित व्यक्ति को त्वरित गति से कुछ ही क्षणों में भेजना शुरू किया | शुरू में इस माध्यम में भी सूचनाएँ सिर्फ आपस में ही भेजी जाने लगी पर धीरे धीरे इंटरनेट पर कुछ ऐसी वेब साइट्स का प्रयोग शुरू हुआ जहाँ व्यक्तियों के समूह बनने लगे और समूह के लोग आपसी सूचनाओं व संदेशों का आदान-प्रदान करने लगे |  इस सूचनाओं ने परंपरागत मीडिया की गति को तो पीछे छोड़ दिया साथ ही इसकी सीमाएँ भी असीमित हो गई |  इस तरह नया मीडिया सामने आया | ज्ञानदर्पणके अनुसार लोगों द्वारा अपना सामाजिक दायरा बढ़ाने हेतु समूह बना कर आपसी सूचनाओं का आदान-प्रदान करने की सुविधाएँ उपलब्ध कराने वाली ऐसी वेब साइट्स को लोगों ने सोशल मीडिया का नाम दिया |  उतरोतर ये सोशल वेब साइट्स काफी लोकप्रिय हुईं और इनके उपयोगकर्ता बढ़ते गए और यह संख्या आज भी बढ़ती ही जा रही है | विश्व में पिछले कुछ वर्षों में हुए कई देशों के आंदोलनों में इस सोशल मीडिया का प्रभाव व उपयोगिता स्पष्ट देखी गई है |  मिस्र, लीबिया,सीरियाभारत में अन्ना आंदोलन व अभी हाल ही में दिल्ली बलात्कार कांड के खिलाफ छिड़े आंदोलन में आंदोलनकारियों द्वारा सोशल मीडिया सूचनाएँ संप्रेषित करने का मुख्य माध्यम बना |”  समझा जा रहा है कि 2014 के भारतीय आम चुनाव में नव माध्यम अथवा सोशल मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही थी | इसका एक स्वरूप इंटरनेट पर उसका ब्लॉग” या वेब साइट का है |  ब्लॉग या वेब साइट पर कोई भी व्यक्ति सूचनाएँ लिखकर एक क्लिक में लोगों की असीमित संख्या और विश्व के किसी भी कोने में पहुँचा सकता है | ये सूचनाएँ असीमित समय तक इंटरनेट पर मौजूद रहती है जो समय समय पर लोगों के सामने आती रहती है | एन्साइक्लोपीडिया के अनुसार – (1) न्यू मीडिया द फॉर्मस ऑफ कम्यूनिकेटिंग इन द डिगिटल वर्ल्ड, विच इन्क्लूड्स पब्लिशिंग ऑन सीडीज़, डीवीडीज एंड मोस्ट सिग्निफिकेंट्ली ओवर द इंटरनेट | आईटी इम्पलाईज दट द यूसर ऑबटैंस द मेटेरियल वया डेस्कटॉप एंड लैपटॉप कम्प्यूटर्स, स्मार्टफोनस एंड टेबलेटस | एवरी कंपनी इन द डेवेलोपड वर्ल्ड इस इन्वोल्वड वित न्यू मीडिया | कंट्रास्ट वित ओल्ड मीडिया | (2) द कंसेप्ट दट न्यू मेथोड्स ऑफ कम्युनिकेटिंग इन द डिजिटल वर्ल्ड अल्लौ स्मालर ग्रुप्स ऑफ पीपुल टू कांग्रेगेट ऑनलाइन एंड शेर, सेल एंड स्वैप गूड्स एंड इन्फोर्मेशन | आईटी अल्लौस मोर पीपुल तो हैव अ वोइस इन थेयर कम्युनिटी एंड इन द वर्ल्ड इन गेनेरल |  इसी प्रकार वेबोपीडिया ने न्यू मीडिया को ओल्ड मीडिया से अलगाते हुए इसमें निम्नलिखित सिद्धांत को शामिल किया है न्यू मीडिया इंक्लूडस वेबसाइटस, स्ट्रीमिंग ऑडियो एंड वीडियो, चैट रूमस, ईमेल, ऑनलाइन कम्युनिटीज, वेब एडवरटाइजिंग, डीवीडी एंड सीडी रॉम मीडिया, विर्तुअल रियलीटी एन्विरोंमेंट्स, इंटीग्रेशन ऑफ दिगितल डाटा वित द टेलीफोन सच एस इंटरनेट टेलीफोनी, डिजिटल कैमरास और मोबाइल कंप्यूटिंग |
इसमें शक नहीं कि अभी न्यू मीडिया” पारंपरिक मीडिया की तरह संगठित नहीं है | लेकिन इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसका हर उपयोगकर्ता स्वयं एक पत्रकार हैस्वयं संपादक हैस्वयं प्रकाशक है |  इसमें दी गई सूचना एक क्लिक में ही पुरे विश्व में पहुँच जाती है | न्यू मीडिया या सोशल मीडिया में यह बात आश्चर्यचकित करती है कि उससे जुड़े तरह तरह के लोग अपने मुद्दों को समाज के समक्ष असरदार रूप से रखते हैं | ये लोग अपने आप में एक असंगठित फौज की तरह हैं | वे स्वयं ही फौज के सैनिक हैं और स्वयं ही जनरल भी | जैसा कि नरेंद्र मोदी ने कहा है, अपने निजी स्वार्थ को दरकिनार कर किसी सामाजिक या राष्ट्रीय समस्या के निराकरण के लिए वेब पर इतना ज्यादा समय और ऊर्जा निरंतर देते रहना कोई मामूली बात नहीं | इसके लिए व्यक्ति को संबद्ध समस्या को लेकर फिक्र होनी चाहिएऔर वह व्यक्ति जागृत और सृजनात्मक भी होना चाहिए | व्यावसायिक कैरियर और कामकाज की व्यस्तता के बावजूद इस मीडिया से जुड़े लोग मानवीय और वैश्विक मुद्दों के लिए समय निकालते हैं | ये लोग सिर्फ एकाध आयुवर्ग या प्रदेश के साथ जुड़े हुए नहीं हैं. प्रत्येक आयु और प्रदेश के लोग इस माध्यम द्वारा सामाजिक चेतना के प्रसार के लिए अपना योगदान दे रहे हैं | अप्रवासी भारतीय भी अपनी मातृभूमि की खबर जानने के लिए सोशल मीडिया का अधिकतम उपयोग कर रहे हैंक्योंकि यह माध्यम दिन-प्रतिदिन तेज और मजेदार बन रहा है | सोशल मीडिया के कारण अब आम आदमी के लिए भी लोगों के समक्ष अपनी बात रखना पहले की तरह अति कठिन नहीं रहा है | लोग अब आसानी से अपने अभिप्राय अन्य लोगों के समक्ष रख सकते हैं | ऐसे भी लोग हैं जो अद्भुत कार्य कर रहे हैं और अन्य लोगों के जीवन को अर्थपूर्ण बनाने में सहायक बन रहे हैं | समाज में परिवर्तन लाने के लिए इन लोगों ने आधुनिक टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया का जो बखूबी उपयोग कर दिखाया है वह प्रभावित करने वाला है | अभिप्राय यह है कि सोशल मीडिया का प्रभाव क्षेत्र अनंत है अतः उसकी संभावनाएँ भी असीम हैं | इसका सबसे सकारात्मक प्रयोग जन जागरण और सामाजिक परिवर्तन के लिए किया जा सकता है |

यहाँ मैं रवीश कुमार के ब्लॉग की इस स्थापना को उद्धृत करना चाहूँगी कि “हिंदी में ब्लॉग लेखन अब ब्लॉग तक सीमित नहीं है | फेसबुक ने जब से अपने 140 कैरेक्टर की बंदिश हटाई हैफेसबुक नया ब्लॉग हो गया है | शुरूआती ब्लॉगरों ने ग़जब तरीके से साथी ब्लॉगरों की तकनीकी मदद की | हिंदी के फॉन्ट की समस्या को सुलझायाजानकारी दी और लिंक की साझेदारी से एक ऐसा समाज बनाया जो विचारों से एक दूसरे से स्पर्धा कर रहा थामगर तकनीकी मामले में एक दूसरे का हाथ पकड़ कर चल रहा था | हिन्दी की दुनिया में ऐसी साझीदारी अगर पहले रही भी होगी तो इस तरह से तो बिल्कुल नहीं रही होगी | ज्यादतर लेखक नए थे | हिंदी के स्थापित लेखक संसार ब्लॉग रचना संसार से आरंभ से लेकर बीच के सफर तक दूर ही रहा | इसलिए भाषा की ऊर्जा बिल्कुल अलग थी | हिंदी में बात कहने का लहजा उपसंपादक और व्याकरण नियंत्रकों से आजाद हो गया | कुछ बहसें इतनी तीखीं रहीं कि उसने साहित्य की दुनिया के मुद्दों को भी झकझोर दिया |

इसी प्रकार रविशंकर श्रीवास्तव के इन विचारों का भी मैं समर्थन करना चाहूँगी कि – निजी ब्लॉगों पर संपादकप्रकाशक और मालिक स्वयं रचनाकार होता है | अतः यहाँ प्रयोग अंतहीन हो सकते हैंप्रयोगों की कोई सीमा नहीं हो सकती | यही कारण है कि जहाँ आलोक पुराणिक नित्य प्रति अपनी व्यंग्य रचनाओं को अपने ब्लॉग में प्रकाशित करते हैं तो दूसरी ओर भारतीय प्रसाशनिक सेवा की लीना महेंदले सामाजिक सरोकारों से संबंधित अपने अनुभवों को लिखती हैं। वे आगे यह भी बताते हैं कि आज हिंदी ब्लॉग जगत विषयों की प्रचुरता से संपन्न हो चुका हैऔर इसमें दिन प्रतिदिन इज़ाफ़ा होता जा रहा है | इरफान का ब्लॉग सस्ता शेर प्रारंभ होते ही लोकप्रियता की ऊँचाइयाँ छूने लगा | इसमें उन आम प्रचलित शेरोंदोहों और तुकबंदियों को प्रकाशित किया जाता हैजो हम आप दोस्त आपस में मिल बैठकर एक दूसरे को सुनाते और मज़े लेते हैं | ऐसे शेर किसी स्थापित प्रिंट मीडिया की पत्रिका में कभी प्रकाशित हो जाएँये अकल्पनीय है | सस्ता शेर में शामिल शेर फूहड़ व अश्लील कतई नहीं हैंबसवे अलग तरह कीअलग मिज़ाज मेंअल्हड़पन और लड़कपन में लिखे, बोले बताए और परिवर्धित किए गए शेर होते हैंजो आपको बरबस ठहाका लगाने को मजबूर करते हैं |  इतना ही नहीं, हिंदी ब्लॉगिंग का विस्तार करेंट अफेयर्स, साहित्य और मनोरंजन में भी आगे बढ़ रहा है | तकनालाजी पर भी हिंदी ब्लॉग लिखे जा रहे हैं | ई-पंडित, सेल गुरु और दस्तक नाम के चिट्ठों में तकनालाजी व कंप्यूटरों में हिंदी में काम करने के बारे में चित्रमय आलेख होते हैं. *** कुछ हिंदी ब्लॉग सामग्री की दृष्टि से अत्यंत उन्नतपरिष्कृत और उपयोगी भी हैं | जैसेअजित वडनेकर का शब्दों का सफर | अपने इस ब्लॉग में अजित हिंदी शब्दों की व्युत्पत्ति के बारे में शोधपरकचित्रमयरोचक जानकारियाँ देते हैं जिसकी हर ब्लॉग प्रविष्टि गुणवत्ता और प्रस्तुतिकरण में लाजवाब होती हैं | इस ब्लॉग की हर प्रविष्टि हिंदी जगत के लिए एक धरोहर के रूप में होती हैं | मध्यप्रदेश के एक छोटे से शहर के पत्रकार रमाशंकर अपने ब्लॉग सेक्स क्या में यौन जीवन के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियाँ देते हैं | बाल उद्यान में बाल रचनाएँ होती हैं तो रचनाकार में हिंदी साहित्य की हर विधा की रचनाएँ | अर्थ शास्त्रशेयर बाजार संबंधी गूढ़ जानकारियाँ अपने अत्यंत प्रसिद्ध चिट्ठे वाह मनी में कमल शर्मा नियमित प्रदान करते हैं | वे अपने ब्लॉग में निवेशकों के लाभ के लिए समय समय पर टिप्स भी देते हैं कि कौन से शेयर ख़रीदने चाहिए और कौन से निकालने | शेयर मार्केट में उतार चढ़ाव की उनके द्वारा की गई भविष्यवाणियाँ अब तक पूरी खरी उतरी हैं |

एक खास यह है कि हिंदी ब्लॉगिंग ने लेखन और पत्रकारिता की हिंदी को आभिजात्य की जड़ता से मुक्त करके गली-मुहल्ले की भाषा से जोड़ा है | भड़ास, कबाड़खानाअखाड़े का उदास मुदगरनुक्ताचीनीनौ-दौ-ग्यारहविस्फोटआरंभउधेड़-बुनबतंगड़चवन्नी चैपजैसे ब्लॉगों के नाम और उनकी सामग्री की भाषा इसका प्रमाण है | हिंदी के पहले ब्लॉग का नाम ही है – नौ दो ग्यारह, जो इस माध्यम की हिंदी के जन भाषा के समीप होने का द्योतक है | यहाँ तकनीकी ब्लॉग लेखन की भाषा पर भी विचार करना अपेक्षित है | टेकसमीक्षा के अनुसार  यह अपेक्षा की जाती है कि विज्ञान तथ्यों की भाषा बोले और यह भाषा अगर बेरहम भी हो तो मान्य होगी | इस परंपरागत सोच में बदलाव के बीज बोए जा रहे हैं और इसका श्रेय आज के सम्मुन्नत माध्यमों को मिलना चाहिए जिसने लेखक और पाठक दोनों को बड़ी तेजी से आपस में जोड़ने का काम किया है | अंग्रेजी भाषा में लिखे गए आज के तकनीकी या समालोचनात्मक लेखों ने एक नई सरस विधा को जन्म देने का संकेत दिया है जिसके बड़े सार्थक परिणाम सामने आए हैं | फ्रेंचस्पेनिश और अन्य पाश्चात्य भाषाएँ बड़ी तेजी से इसका अनुकरण कर रही हैं और लोगों का रुझान इस बात का संकेत देता है कि विज्ञान और कला का अगर सही मिश्रण किया जाए तो तकनीकी लेखन में अपार संभावनाएँ हैं |” अभिप्राय यह है कि नव मीडिया द्वारा विज्ञान की हिंदी का नया जनप्रिय रूप उभरने की आवश्यकता है | वस्तुतः विश्वजाल पर हिंदी लेखन का विकास अब शुरू हो रहा है और जरूरत इस बात की है कि विज्ञान और कला क्रियात्मक रूप से एक दूसरे के पूरक बने | विज्ञान की हिंदी को सहज संप्रेषणीय बनाने में सोशल मीडिया का बड़ा योगदान अपेक्षित है | स्मरणीय है कि फ़ोर-जी तकनीक से भविष्य में जीवन का कोई पक्ष अछूता नहीं रहेगा - चाहे शिक्षा का माध्यम हो या सरकार की नीतियाँचाहे टेलिकॉम सेक्टर हो या सामाजिक ढाँचा | आवश्यकता इस बात की है कि लोगों के पास पहुँच रही त्वरित सूचनाएँ उनकी भाषा में पहुँचे ताकि सूचनाओं का आदान प्रदान भी त्वरित हो | इस आवश्यकता की पूर्ति का प्रयास करेंगे तो स्वतः ही हिंदी के और भी नए नए संप्रेषणपरक स्वरूप सामने आएँगे | विकीपीडिया के अनुसार दुनिया में लगभग 60 करोड़ लोग हिंदी जानते समझते हैं जिसमें 50 करोड़ से ज्यादा भारत में है तथा हिंदी विश्व भाषा बनने की तरफ अग्रसर है | आने वाले समय में विश्वस्तर पर अंतरराष्ट्रीय महत्व की कतिपय भाषाओं में हिंदी भी प्रमुख होगी | इसके लिए इंटरनेट पर हिंदी में तकनीकी संबंधी लेखन को बढ़ाना बेहद जरूरी है |
अंततः मैं यही कहना चाहूँगी कि नया मीडिया जन-जन का मीडिया है अतः इसकी भाषा भी जन-जन की भाषा ही होकर रहेगी | इसलिए हिंदी के लिए यह अत्यंत व्यापक और संभावनापूर्ण क्षेत्र है |   
संपत देवी मुरारका
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें