मुंबई
में वैश्विक हिंदी सम्मेलन आयोजित
वैश्विक हिंदी सम्मेलन संस्था,
हिन्दुस्तानी प्रचार सभा तथा सेंट्रल बैंक ऑफ इण्डिया के संयुक्त तत्वावधान में
बुधवार 10 सितम्बर को मुंबई के बिले पार्ले स्थित
सर सोराबजी पोचखानावाला बैंकर प्रशिक्षण महाविद्यालय में वैश्विक हिंदी सम्मेलन-2014 का आयोजन डॉ.एम.एल. गुप्ता की अध्यक्षता में
संपन्न हुआ | इस अवसर पर कवि अतुल अग्रवाल की पुस्तक ‘बैल का दूध’ तथा मानव
निर्माण नामक मासिक पत्रिका का विमोचन भी संपन्न हुआ | यह आयोजन कई मायने में
भिन्न था | यह कार्यक्रम विदेश के लोगों को भाषा के सेतु से जोड़ने की कोशिश थी,
साथ ही एक सार्थक पहल भी थी कि हिंदी भाषा को कैसे आगे बढ़ाया जाए ?
संस्था की समन्वयक संपत देवी
मुरारका ने प्रेस विज्ञप्ति में आगे बताया कि इस अवसर पर डॉ.एम.एल.गुप्ता ने
कार्यक्रम की अध्यक्षता की | मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार व गोवा की नवनियुक्त
राज्यपाल मृदुला सिन्हा, गणमान्य अतिथि के रूप में फिरोज पैछ, हिन्दुस्तानी प्रचार
सभा के सचिव, सुश्री लीना मेहेंदले, मुख्य सूचना आयुक्त-गोवा, एस.पी. गुप्ता, अपर
पुलिस महानिदेशक, महाराष्ट्र शासन, एम.के. जैन, मुख्य महाप्रबंधक, भारत संचार निगम
लि.महाराष्ट्र एवं गोवा तथा श्रीमती मालती रामबली, अध्यक्ष-हिंदी शिक्षा संघ,
दक्षिण अफ्रीका मंचासीन हुए |
अतिथियों के कर-कमलों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित से उद्घाटन
समारोह का शुभारंभ हुआ | महिलाओंने सुमधुर स्वर में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की | सम्मेलन का प्रमुख उद्बोधन हिंदी की जानीमानी साहित्यकार श्रीमती मृदुला
सिन्हा ने किया | उन्होंने कहा कि अपनी भाशादिलों को जोड़ती है इसके उन्होंने अपने
विदेश प्रवास के कई वाकये सूनाये, जब केवल अपनी भाषा बोलने मात्र से अजनबी लोग
अपने जैसे हो गए | उन्होंने यह भी कहा कि अगर सब लोग मिलकर प्रयास करें तो भाषा को
वो सम्मान मिल सकेगा जिसकी वह अधिकारी है | उन्होंने आगे कहा कि हिंदी भाषा माँ के
दूध की तरह है जो पालन पोषण करने के साथ-साथ संस्कार भी डालती है | उन्होंने कहा
कि इस समय हिंदी को ह्रदय और पेट की भाषा बनाने की जरुरत है और यही हिंदी के
बहुआयामी विकास की कुंजी है | इस अवसर पर उन्होंने वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई
की वेबसाइट का भी विमोचन किया |
गोवा की मुख्य सूचना आयुक्त लीना मेहेंदले ने
कहा कि अंग्रेजी, हिंदी, चीनी, अरबी व स्पेनिश दुनिया की 5 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाएँ हैं | जब हिंदी 5 भाषाओं में शामिल है तो उसे संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनवाना समय की माँग है
| उन्होंने कहा कि हिंदी का किसी अन्य भाषा से कोई कटुता, कोई विरोध नहीं है
क्योंकि सभी भारतीय भाषाएँ हाथ में हाथ डालकर चलने वाली सहेलियों की तरह हैं |
उन्होंने आगे भी कई पते की बातें कहीं | उनका
कहना था कि जब तक हम ‘राम’ को लिखने से पहले अंग्रेजी के आरएएम की जगह मन में ‘र आ
म’ नहीं सोचेंगे तब तक हिंदी के माध्यम से सोचने की प्रवृति नहीं विकसित हो सकेगी
| उनका यह भी कहना था कि राजभाषा विभाग एवं इसके कामकाज से जुड़े लोग गैर हिंदी
भाषी प्रदेशों में स्थानीय भाषाओं के साथ पुल का काम नहीं करेंगे तब तक हिंदी को वह
स्वीकार्यता नहीं मिलेगी, जिसकी वह अधिकारिणी है | उन्होंने कहा कि संगणक पर हिंदी
टंकण हेतु इन्स्क्रिप्ट प्रणाली सिखना
वर्त्तमान समय में अपरिहार्य हो गया, इसके लिए व्यापक जन अभियान चलाया जाना चाहिए
|
सम्मेलन में सबसे भावनात्मक और प्रभावशाली
वक्तव्य सुश्री मालती रामबली का रहा जो हिंदी शिक्षक की मशाल दक्षिण अफ्रीका में
जलाये हुए हैं | मालती और उनका दक्षिण अफ्रीका से आया हुआ दल सम्मेलन के सहभागियों
के लिए प्रेरणास्रोत रहा |
इंदौर से पधारी ब्र. विजयलक्ष्मी जैन ने भारतीय
भाषाओं की पुनर्स्थापना के लिए राष्ट्र-राज्य एवं जिला स्तर पर ठोस कार्य योजना का
खाका रखा ताकि हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के नाम पर पिछले 67 सालों जारी जुबानी-जमाखर्च बंद हो और सच्चे अर्थों में देश
में भारतीय भाषाओं की स्थापना हो सके | शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के अतुल
कोठारी ने भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार को रोकने हेतु चल रहे कुत्सित षडयंत्र के
प्रति सभी को आगाह किया और कहा कि सभी भाषाएँ सहेलियों जैसी है और हिंदी के दक्षिण
में होने वाले राजनैतिक विरोध को रेखांकित किया | उन्होंने ऐसे झूठे विरोध का जमकर
खंडन किया और शिक्षा-न्याय एवं शासन प्रशासन में भारतीय भाषाओं के लिए
राष्ट्रव्यापी वैचारिक आन्दोलन पर बल दिया |
सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. एम. एल. गुप्ता ने अपने
उद्बोधन में हिंदी व भारतीय भाषाओं के प्रयोग व प्रसार के लिए शिक्षा, साहित्य,
मीडिया व मनोरंजन के साथ-साथ व्यापार-व्यवसाय तथा उद्योग जगत के लोगों को परस्पर मिलकर
सूचना-प्रौद्योगिकी को अपनाते हुए कार्य करने का आह्वान किया | उन्होंने हिंदी
भाषा को ऊँचाई पर ले जाने का भी आह्वान किया |
सम्मेलन के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी
पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) के कुलपति बृजकिशोर कुठियाला, हर्षद शाह,
कुलपति-बाल विश्वविद्यालय (राजकोट), प्रेम शुक्ल, संपादक ‘दोपहर का सामना’, हास्य
कलाकार राजू श्रीवास्तव, माधुरी छेड़ा, पूर्व निदेशक-एसएनडीटी विश्वविद्यालय, एसपी
गुप्ता, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, रमाकांत गुप्ता, महाप्रबंधक-भारतीय रिजर्व बैंक,
डॉ. एस. पी. दुबे, मुंबई विश्वविद्यालय, जयंती बेन मेहता, पूर्व केंद्रीय मंत्री,
बी.सी. गुप्ता, महामना मदन मोहन मालवीय मिशन, शंकर केजरीवाल, अध्यक्ष-परोपकार,
अतुल कोठारी, राष्ट्रीय सचिव-शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं शिक्षा बचाओ
आन्दोलन समिति, ब्र. विजयलक्ष्मी जैन, भूतपूर्व डिप्टी कलेक्टर, प्रवीण जैन, कंपनी सचिव
एवं युवा हिंदी सेवी, राजू
ठक्कर, पीआईएल कार्यकर्ता, बालेन्दु
दाधीच, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ, प्रदीप गुप्ता, सोशल मीडिया विशेषज्ञ, विनोद
टीबड़ेवाल, शिक्षा एक्टिविस्ट, सुश्री शक्ति मुंशी, जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र मो.
आफताब आलम, पत्रकारिता कोष, कृष्णमोहन मिश्र, चन्द्रकान्त जोशी, जीटीवी, संजीव
निगम, हिन्दुस्तानी प्रचार सभा, नन्दकिशोर नौटियाल, वरिष्ठ पत्रकार, संजय वर्मा,
संगीत विशेषज्ञ, बी.एन. श्रीवास्तव, सकाल मीडिया, संगीता कारिया, टेरो रीडर जैसे
हिंदी अनुरागी इस सम्मेलन में उपस्थित थे | सुबह 10 बजे से सायं 6 बजे तक चले इस सम्मेलन में तकनीक,
प्रचार, प्रसार, वैश्वीकरण आदि से जुड़े मुद्दों पर जैम कर संवाद-परिसंवाद हुआ
जिसने श्रोताओं को पूरे समय बांधे रखा |
सम्मेलन में राज्यपाल महोदया श्रीमती
मृदुला सिन्हा ने श्रीमती मालती रामबली (दक्षिण अफ्रीका) को वैश्विक हिंदी सेवा
सम्मान, बालेन्दु शर्मा दाधीच को भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी सम्मान, सीएस प्रवीण
जैन को भारतीय भाषा सक्रीय सेवा सम्मान एवं डॉ. सुधाकर मिश्र को आजीवन हिंदी
साहित्य सेवा सम्मान से विभूषित किया गया | सभी पुरस्कार प्राप्तकर्त्ताओं को
शाल-श्रीफल, प्रशस्ति-पत्र, शील्ड एवं नगद राशि प्रदान की गई |
इस अवसर पर कवि अतुल अग्रवाल, जो नई
मुंबई के जाने माने भवन निर्माता हैं, की पुस्तक ‘बैल का दूध’ का विमोचन हुआ, साथ
ही ‘मानव निर्माण’ नामक मासिक पत्रिका का भी विमोचन हुआ | अवसर पर संपत देवी
मुरारका, कमलेश केडिया, श्रीकांता सरावगी एवं बड़ी संख्या में दर्शन दीर्घा में शहर
के तथा देश-विदेश से आये गणमान्य लोग उपस्थित थे | सम्मेलन चार सत्रों में चला |
संचालन आनंद सिन्हा ने किया | सुस्मिता भट्टाचार्य ने अंत में धन्यवाद ज्ञापन
प्रस्तुत किया |
पस्तुति-संपत देवी मुरारका
संपत देवी मुरारका
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
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