सोमवार, 6 सितंबर 2021

[वैश्विक हिंदी सम्मेलन ] दिल्ली प्रदेश में काले अंग्रेजों की सरकार, हिन्दी का हुआ बंटाधार। झिलमिल - संस्कृत से सिविल सेवा की तैयारी करवाने में उत्तर प्रदेश सरकार की पहल

 

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लोक शिकायत
दिल्ली प्रदेश में काले अंग्रेजों की सरकार, हिन्दी का हुआ बंटाधार
महोदय

दिल्ली सरकार के सभी कार्यालयों में राजभाषा अधि. 2002 और केंद्रीय राजभाषा अधिनियम 1963 का लगातार उल्लंघन जारी है, आम जनता पर हर सरकारी कार्यालय में अंग्रेजी थोपी जा रही है-

1. दिल्ली सरकार की एक भी वेबसाइट और ऑनलाइन सेवाएँ हिन्दी में उपलब्ध नहीं हैं  

2. आम जनता के हिन्दी में लिखे आवेदनों, पत्रों व शिकायतों के उत्तर तब तक नहीं दिए जाते हैं जब तक कि वह अंग्रेजी में न हो।

3. सरकारी कार्यालयों में सारी स्टेशनरी, फार्म, साइन बोर्ड, लैटरहैड, रबर मुहरें, लिफाफे आदि अंग्रेजी में तैयार करवाए जाते हैं।

4. दिल्ली सरकार के अधिकारियों द्वारा हिंदी में लगे आरटीआई आवेदनों के उत्तर अंग्रेजी में दिए जाते हैं।

5. दिल्ली परिवहन की बसों पर डिजिटल बोर्ड में हिन्दी भाषा का विकल्प नहीं है, टिकट अंग्रेजी में होता है जिससे अंग्रेजी न जानने वाले यात्री परेशान होते हैं।

6. अंग्रेजी थोपे जाने के विरुद्ध आम जनता की शिकायतों को एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय को भेज दिया जाता है पर उन पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।

7. दिल्ली की जनता को योजनाओं की जानकारीसरकारी सेवाएँ केवल अंग्रेजी भाषा में दी जाती है जिसे जनता नहीं समझती है इसलिए वे ऐसी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते।

8. दिल्ली सरकार ने कोरोना काल में भी जनता पर अंग्रेजी थोपने में कोई कसर नहीं छोड़ी, कोरोना संबंधी सभी वेबसाइटें, एप, ऑनलाइन सेवाएँ अंग्रेजी में तैयार की गईं। 

9. कोरोना संबंधी सभी दिशा-निर्देश व परिपत्र केवल अंग्रेजी में जारी किए गए। अस्पतालों में कोरोना संबंधी बैनर, पोस्टर, सूचनाएं, कोरोना वार्ड के साइन बोर्ड केवल अंग्रेजी में लगाए गए।

10. दिल्ली सरकार के अधिकारी आम जनता से अंग्रेजी के आधार पर भेदभाव करते हैं, अंग्रेजी न जानने वाली आम जनता से भेदभाव किया जाता है।

10. परिवहन बसों के टिकटसंग्रहालयचिड़ियाघर आदि के टिकट से सिर्फ अंग्रेजी में छापे जा रहे हैं।

11. योजनाओं/संस्थाओं के प्रतीक-चिह्न अंग्रेजी में बनाये जा रहे हैं

12. दिल्ली हिंदी अकादमी ने पिछले 10 वर्षों में हिन्दी भाषा के लिए कोई काम नहीं किया, इसके सभी सदस्य हिन्दी के प्रति उदासीन व निष्क्रिय हैं, जो केवल बजट को खर्च करते हैं पर दिल्ली सरकार में हिन्दी की दुर्दशा पर कभी कोई काम नहीं करते हैं।

13. जहाँ पूरी दुनिया मातृभाषा में शिक्षा को बच्चों के बौद्धिक व मानसिक विकास का सर्वश्रेष्ठ माध्यम व बच्चों का मानवाधिकार मानती है वहीं दिल्ली की सरकार शासकीय विद्यालयों का अंग्रेजीकरण करके हिन्दी को सदा-2 के लिए समाप्त कर देना चाहती है। दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में हिन्दी का पठन-पाठन बंद किया जा रहा है।

 

दिल्ली सरकार पर आम आदमी नहीं बल्कि अंग्रेजों का राज चल रहा है जो जनता का शोषण करते रहेंगेअंग्रेजी जनता के शोषण का सबसे उम्दा हथियार है। 


आपके द्वारा हिन्दी में उत्तर व कार्यवाही किए जाने की अपेक्षा करता हूँ।

भवदीय 

प्रवीण कुमार जैन (एमकॉमएफसीएसएलएलबी) 

अणुडाक | Email: प्रवीणजैन@डाटामेल.भारत | cs.praveenjain@gmail.com 

झिमि


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प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी मुरारकाविश्व वात्सल्य मंच

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लेखिका यात्रा विवरण

मीडिया प्रभारी

हैदराबाद

मो.: 09703982136

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