रविवार, 13 नवंबर 2016

विश्व वात्सल्य मंच की हिंदी संगोष्ठी, सम्मान समारोह व काव्य-संध्या आयोजित








 






















विश्व वात्सच की हिंदी संगोष्ठी, सम्मान समारोह व काव्य-संध्या आयोजित 
विश्व वात्सल्य मंच, हैदराबाद एवं वैश्विक हिन्दी सम्मेलन, मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में हिन्दी संगोष्ठी, सम्मान समारोह एवं काव्य संध्या का आयोजन विगत रविवार दि.18 सितंबर को शाम 5.30 बजे सुल्तान बाजार स्थित संपत देवी मुरारका के निवास (श्रीकृष्ण मुरारका पैलेस) में वैश्विक हिन्दी सम्मेलन के निदेशक डॉ. एम.एल.गुप्ता ‘आदित्य’ एवं कादम्बिनी क्लब की अध्यक्ष डॉ. अहिल्या मिश्र के सम्मान में संपन्न हुआ |
     संस्था की अध्यक्ष संपत देवी मुरारका एवं प्रधान सचिव राजेश मुरारका ने यहाँ जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि सेवा निवृत डॉ.ऋषभदेव शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ.एम. एल. गुप्ता ‘आदित्य’ (निदेशक, वैश्विक हिन्दी सम्मेलन), विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ.अहिल्या मिश्र (अध्यक्ष एवं संयोजिका, कादम्बिनी क्लब), सम्माननीय अतिथि के रूप में विजयलक्ष्मी काबरा (पूर्व पार्षद एवं उपाध्यक्ष) एवं संस्था की अध्यक्ष संपत देवी मुरारका  मंचासीन हुए | प्रथम सत्र में अतिथियों के करकमलों से दीप प्रज्ज्वलन संपन्न हुआ | संपत देवी मुरारका ने सुमधुर स्वर में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की तथा स्वागत भाषण में मंचासीन अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया | तत्पश्चात संस्था की ओर से डॉ. एम.एल.गुप्ता ‘आदित्य’ एवं डॉ.अहिल्या मिश्र एवं मंचासीन अतिथियों का अंगवस्त्र, मुक्ता माला, पुष्प एवं मोमेंटो से सम्मान किया गया, जिसमें मदनदेवी पोकरणा, राजेश मुरारका, गीता अग्रवाल, सीता अग्रवाल एवं संपत देवी मुरारका ने सहयोग प्रदान किया |
      इस अवसर पर वैश्विक हिंदी सम्मेलन के निदेशक डॉ एम एल गुप्ता आदित्य ने कहा कि यह दौर भारतीय भाषाओं के लिए चुनौती भरा है | एक समय था जबकि लोग अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करते थे लेकिन अब अंग्रेजी माध्यम गांव-गांव तक पहुंच चुका है और तमाम भारतीय भाषायें हाशिए पर पहुंच चुकी है अगर हिंदी सहित तमाम भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाना है तो इसके लिए यह जरूरी होगा कि हिंदी को केवल कहानी कविता तक सीमित न कर इसे ज्ञान विज्ञान की, शिक्षा व रोजगार की तथा व्यापार व्यवहार की भाषा बनाया जाए | डॉ गुप्ता ने कहा कि आज भारत की बहुत बड़ी आबादी इंटरनेट से जुड़ी है लेकिन इसके बावजूद इंटरनेट पर हिंदी विश्व की प्रथम 20 भाषाओं में भी नहीं है देश में जब तक अपनी भाषाओं के लिए अपनी भाषा की लिपि के बजाय रोमन का प्रयोग कर रही है जबकि इस समय अंग्रेजी की तरह भारतीय भाषाओं में भी कंप्यूटर पर कार्य करने की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं लेकिन इसकी जानकारी अधिकांश लोगों को नहीं है इसलिए यह आवश्यक है कि भाषा शिक्षण को भाषा प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ा जाए और भाषाओं के प्रयोग व प्रसार के लिए भाषा प्रौद्योगिकी को शिक्षा के साथ जोड़ा जाए । डॉ.अहिल्या मिश्र, हीरालाल कर्णावट, प्रवीण प्रणव एवं नीरज कुमार ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये | डॉ.ऋषभदेव शर्मा ने अध्यक्षीय बात में कहा कि शहर में पधारे अतिथियों से परिचय हुआ | उन्होंने आगे कहा कि हिन्दी को तकनीकी से जोड़ने के लिए युवा पीढ़ी को आगे आना होगा | प्रथम सत्र का संचालन मदनदेवी पोकरणा ने तथा गीता अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया |
      दुसरे सत्र में डॉ. ऋषभदेव की अध्यक्षता एवं डॉ.अहिल्या मिश्र, रत्नमाला साबू, संपत देवी मुरारका  के आतिथ्य व डॉ. अहिल्या मिश्र के संचालन में कविगोष्ठी संपन्न हुई जिसमें सुषमा बैद, पुष्पा वर्मा, भँवरलाल उपाध्याय, दर्शन सिंह, जुगल बंग ‘जुगल’, प्रवीण प्रणव, शशि राय, संपत देवी मुरारका, डॉ.अहिल्या मिश्र, सुरेश जैन, डॉ. एम.एल. गुप्ता आदि ने काव्यपाठ किया | राजेश मुरारका, गीता अग्रवाल, सन्नी गर्ग, प्रिया गर्ग, डॉ. कामिनी गुप्ता, अनीता दवे, लीलाशंकर दवे, ममता शाह, रेखा मिश्रा, डॉ. मदनदेवी पोकरणा, विजयलक्ष्मी काबरा, भीकमचंद पोकरणा, किरण, लता व्यास, हीरालाल कर्णावट, किरण व्यास, रत्नमाला साबू, डॉ.अरुण कुमार इंगले, भूपेन्द्र मिश्र, मधुकर मिश्र की भी उपस्थिति रही | डॉ. ऋषभदेव शर्मा ने सभी की रचनाओं पर टिप्पणी देते हुए कहा कि सभी की रचनाओं में विषयों की विविधता देखने-सुनने मिली है और सभी को साधुवाद देते हुए अध्यक्षीय काव्यपाठ किया | जिसे सभी ने खूब सराहा | प्रवीण प्रणव ने धन्यवाद ज्ञापित किया |
संपत देवी मुरारका
अध्यक्ष विश्व वात्सल्य मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136


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