सोमवार, 21 नवंबर 2016

कादम्बिनी क्लब की गोष्ठी - पुस्तक लोकार्पण ता.20-11-2016





कादंबिनी क्लब की गोष्ठी - पुस्तक लोकार्पण संपन्न

कादंबिनी क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में रविवार दिनांक 20 नवंबर को तेलंगाना सारस्वत परिषद सभागार में डॉ.किशोरीलाल व्यास (पर्यावरणविद् , हिंदी विभागाध्यक्ष उस्मानिया विश्वविद्यालय) की अध्यक्षता में क्लब की 292 वीं मासिक गोष्ठी का आयोजन तथा गन्नू कृष्णमूर्ति के 2 रचना संग्रहों के हिंदी अनुवादित किताबों का लोकार्पण संपन्न हुआ।
     क्लब की अध्यक्षा डॉ अहिल्या मिश्र एवं कार्यकारी संयोजिका मीना मूथा ने प्रेस विज्ञप्ति में आगे बताया कि इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रदीप श्रीवास्तव ( दिव्यता पत्रिका के कार्यकारी संपादक, लखनऊ), प्रो. वाय. वेंकटरमण राव( पूर्व विभागाध्यक्ष केंद्रीय विश्वविद्यालय एवम अनुवादक), जे.बापू. रेड्डी (IAS लोकार्पण कर्ता), सी. वी. सुब्रमण्यम (ज्योतिषाचार्य विशेष अतिथि), लक्ष्मीनारायण अग्रवाल एवं डॉ रमा द्विवेदी (पुस्तक परिचय प्रस्तोता), डॉ.अहिल्या मिश्र एवं गन्नू कृष्णमूर्ति मंचासीन हुए ।

      अतिथियों के करकमलों से दीप प्रज्ज्वलित किया गया । डॉ. रमा ने सरस्वती वंदना की सुमधुर प्रस्तुति दी। मीना मुथा ने क्लब की संक्षिप्त जानकारी दी और बताया कि प्रथम सत्र में गन्नू कृष्णमूर्ति के रचना संग्रह (हिंदी अनुवादित) राम कौन है ? रामायण क्या है? और ऋषि हृदयम का लोकार्पण होने जा रहा है । डॉ. अहिल्या मिश्र ने अतिथियों के स्वागत में कहा कि संस्था निरंतर 22 वर्षों से हिंदी की साहित्य सेवा में समर्पित होकर कार्य कर रही है । आज वैज्ञानिक विश्लेषण से युक्त किताबों का क्लब के मंच से लोकार्पण हो रहा है, यह दुर्लभ और विशेष बात है तत्पश्चात मंच मंचासीन मंचासीन अतिथियों का सम्मान किया गया, जिसमें अवधेश कुमार सिन्हा, डॉ मदनदेवी पोकरणा, पवित्रा अग्रवाल, संपत देवी मुरारका, डॉ रमा द्विवेदी, सुनीता लुल्ला, सुख मोहन अग्रवाल ने सहयोग प्रदान किया । क्लब की ओर से डॉ अहिल्या मिश्र लक्ष्मी नारायण अग्रवाल एवं सदस्यों ने गन्नू कृष्णमूर्ति का सम्मान किया ।

     
लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने "राम कौन है ? रामायण क्या है ?" पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए कहा कि यह किताब हटकर है । रामायण के पात्रों को ब्रम्हांड के नक्षत्रों के साथ स्थापित किया है। रामायण का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आकलन किया गया है । राम को सूर्य और ब्रह्मा को चंद्रमा के साथ जोड़ा गया और सीता धरती है । राम विष्णु का एक अवतार है ।  रामायण के जो सकारात्मक पात्र हैं वह शक्ति का पुंज है तो नकारात्मक पात्रों का भी उल्लेख होना चाहिए ।  पदार्थ भ्रम है, पदार्थ अविनाशी है ये दोनों बातें एक साथ नहीं हो सकती। सूर्य एक जगह स्थिर है, सारे नक्षत्र घूमते हैं । रामराज्य अपने-आप में मिथक है ।  लेखक नीति वाली घटनाओं पर और परिश्रम करें तो समाज को अधिक फायदा होगा । स्वयंवर दास प्रथा तथा पुष्पक विमान से संबंधित उदाहरणों को देखकर लक्ष्मीनारायण ने अपनी बात को विराम दिया । डॉ.  रमा ने कहा कि सूर्य न होता तो संसार न होता । यह आस्था और विश्वास का परिणाम है । सूर्य के बिना जीव समुदाय का अस्तित्व नहीं है । रामायण सांकेतिक भाषा में लिखा गया, उसे हर कोई समझ नहीं सकता । आध्यात्मिक दृष्टिकोण के कारण ही रामायण लोकप्रिय हो पाई है । हर पात्र का नाम उसके गुणों के अनुसार रखा गया है । सूर्यवंश में राम का जन्म हुआ । अवतार अच्छे कुल में जन्म लेते हैंमनुष्य जन्म में शक्तियां सीमित हो जाती है । वायुपुत्र हनुमान और बंधनों से मुक्ति ही मोक्ष् है कहते हुए उन्होंने अपनी बात को पूर्ण किया । डॉ. अहिल्या मिश्र ने ऋषि हृदयम पर विचार रखते हुए कहा कि लेखक को जो मंत्र अच्छे लगे उसकी उन्होंने विस्तृत व्याख्या की है । कुछ वेद मंत्रों के मंत्रार्थ को पाठकों तक पहुंचाने का प्रयास गन्नू जी ने किया है । हमने संस्कृत पढ़ा, वेद पढ़ा परंतु कभी अंतर व्याख्या की ओर हमारा ध्यान कम गया । इस प्रयास में गन्नू जी सफल हुए है।
 तत्पश्चात जे बापू रेड्डी, प्रदीप श्रीवास्तव तथा मंचासीन अतिथियों के करकमलों से उपरोक्त किताबों का लोकार्पण हुआ । अनुवादक प्रो. वाय. वेंकटरमण ने कहा कि अध्ययन के पश्चात ही अनुवाद कार्य करना चाहिए । उस इतिहास, कहानी को समझने का प्रयास करना चाहिए । गन्नू जी का प्रयास शोधार्थी के प्रयासों से भी कहीं ज्यादा नजर आता है । पात्र किसके प्रतीक है इस गुढार्थ को खोजने का प्रयास हुआ है । तेलुगु से हिंदी में अनुवादित करने का मकसद भी यह रहा है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण चिंतन मंथन कर सकें । जे बापू रेड्डी, सी. शंकराचार्य, सी. वी. सुब्रमण्यम, व्ही  शंकराचार्य ने भी लेखक को आशीष प्रदान किए। प्रदीप श्रीवास्तव में कहा कि गन्नू के प्रति स्नेह मुझे लखनऊ से हैदराबाद खींच लाया । एक तेलुगु भाषी विद्वान ने शोधकार्य के बराबर परिश्रम किया, उन्हें साधुवाद देता हूं ।
     गन्नू कृष्णमूर्ति ने अपने व्यक्तव्य में कहा कि विगत 15 वर्षों से रामायण पर अध्ययनरत कार्य कर रहा हूं। उसी का परिणाम यह दो पुस्तके हैं। पाठक अवश्य पढ़ें और चिंतन मंथन करें । डॉ. किशोरीलाल व्यास ने अध्यक्षीय बात में कहा कि लेखक ने अर्थ को समझा और लेखन कर डाला । कल हम रहे या न रहे पुस्तके रहेंगी । पर्यावरण से संबंधित भी बात प्रस्तुत ग्रंथों में मौजूद है । पेड़ पक्षी जानवरों को हम समाप्त करते जा रहे हैं, अंत में बचेगा क्रूर मनुष्य ! चिंतन की नई धारा, सत्य है या नहीं इसकी पहचान आने वाले ही करेंगे ।

      दूसरे सत्र में कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ । इसमें कुंज बिहारी गुप्ता,सूरज प्रसाद सोनी, मंगला अभ्यंकर, सुनीता लुल्ला, सरिता सुराणा, पवन जैन, श्री पूनम जोधपुरी, संपत देवी मुरारकाभावना पुरोहित, सुखमोहन अग्रवाल, देवीदास अकसाल, डॉ. मदनदेवी पोकरणा, पवित्रा अग्रवाल, सुरेश जैन, भंवरलाल उपाध्याय,अवधेश कुमार सिन्हा, सुषमा बैद, रेणु अग्रवाल, एल. रंजना,नमिता सौम्या दुबे, शशी राय, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, डॉ रमा द्विवेदी, मीना मूथा ने काव्य पाठ किया । डॉ. व्यास ने अध्यक्षीय काव्यपाठ किया । नरेंद्र राय,श्रीनिवास सावरीकर, देवीदास घोडके, चंद्रकांत खानापूरकरलीला बजाज, सात्विक, बी के मिश्रा, भूपेंद्र मिश्रामल्लिकृष्णा रेड्डी, डॉ मसन्ना चेन्नप्पा, प्रवलिका, बी. सत्यनारायण, दयालचंद्र अग्रवाल, पी.वी.सुगुणा, उदय कुमार नाईक, वसंत कुलकर्णी, व्ही. पूर्णचन्द्रराव, पी. मंजु, राज मालपाणी, डॉ. पी. माणिक्य प्रभु, जी. दुर्गा, श्रीनिवास राव आदि की भी उपस्थिति रही । मीना मूथा  ने 
कार्यक्रम का संचालन किया तथा संयोजक गन्नू एवं उपस्थित सभा का आभार व्यक्त किया  
संपत देवी मुरारका 
मीडिया प्रभारी 
हैदराबाद

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