बुधवार, 22 अप्रैल 2015

कादम्बिनी क्लब की मासिक गोष्ठी आयोजित




कादम्बिनी क्लब की मासिक गोष्ठी आयोजित 

कादम्बिनी क्लब हैदराबाद के तत्त्वावधान में रविवार दि. 19 अप्रेल 2015 की शाम हिंदी प्रचार सभा परिसर नामपल्ली, में क्लब की 272 वीं मासिक गोष्ठी का आयोजन संपन्न हुआ |
     क्लब अध्यक्षा डॉ..अहिल्या मिश्र एवं कार्यकारी संयोजिका मीना मूथा ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में आगे बताया कि इस अवसर पर डॉ.सीता मिश्र (अध्यक्ष), अजीत गुप्ता (मुख्य अतिथि),संध्या गुप्ता (विशेष अतिथि), अवधेश कुमार सिन्हा (विशेष काव्यपाठ प्रस्तोता), डॉ.अहिल्या मिश्र (क्लब अध्यक्षा) मंचासीन हुए | मीना मूथा ने उपस्थित सभा का स्वागत किया | डॉ.मिश्र ने स्वागत भाषण में अतिथियों का परिचय दिया तथा क्लब की निरंतरता में क्लब सदस्यों, श्रोताओं को उनके महत्वपूर्ण योगदान की बात रखी | संपत देवी मुरारका ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की |
      प्रथम सत्र में अवधेशकुमार सिन्हा ने अपनी चुनिंदा रचनाओं का पाठ किया, जिसमें मेंटो ब्रिज, चिड़िया, जादुई डिबीया, आदि कविताओं का समावेश रहा | प्रस्तुत कविताओं पर अपने विचार रखते हुए डॉ.अर्चना झा ने कहा कि सिन्हाजी की कविताओं में चतुर्विध परिवेश देखने को मिलता है | मनुष्य ऊँची-ऊँची दीवारों के बीच घिर गया है, जबकि आवश्यकता है मानवीयता से युक्त घर बनाने की | सरल भाषा प्रयोग एवं आम आदमी से जुड़ी समस्याओं पर कवितायें केन्द्रित हैं | सरिता गर्ग ने कहा कि आज भी सिन्हाजी की कवितायें प्रासंगिक है | जब तक पेट की आग शांत नहीं होती, आदमी आगे बढ़ने की बात नहीं करता | आधुनिक तंत्रज्ञान के विकास ने आदमी को आदमी से बात न करने की स्थिति में पहुँचा दिया है | सुषमा वैद ने कवि को बधाई दी | लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने कविताओं में परिपक्वता की बात कहते हुए कहा कि अच्छी हिंदी, आस-पास के परिवेश का गहन अवलोकन उनके पास है | डॉ. मिश्र ने कहा कि आजकल कविताओं की नई ट्रेंड जो चली है, बहुत हद तक सिन्हाजी की रचनाएँ खरी उतरी है | अक्षर संस्कृति का प्रयोग यह दर्शाता है कि शब्द संस्कार खुद गढ़ें हैं | संध्या गुप्ता ने कवि को साधुवाद दिया | अजीत गुप्ता ने कहा कि शिल्प, लिंग दोष पर ध्यान देवें, रचनाएँ शहर से जुड़ी है तथा बातों को दोहराने से भी बचें | डॉ.सीता मिश्र ने अध्यक्षीय बात में कहा कि ये कवितायें अवधेशजी के मन के उद्गार हैं | चिथड़े बेचने वाले का वास्तविक चित्रण दिल को छू जाता है | अव्यक्त दर्द को बखूबी शब्दों में बांधने में कवि सफल हुए हैं | सरिता सुराणा जैन ने प्रथम सत्र का धन्यवाद ज्ञापित किया तथा मीना मूथा ने संचालन किया |
     अफ्रीका में इन दिनों वास्तव्य कर रही युवा कहानीकार कवयित्री ममता बाफना ने अपनी दो चुनिंदा रचनाओं का पाठ किया | व्यंग्य के पुट को लेकर इन कविताओं की सभी ने प्रशंसा की तथा उन्हें साधुवाद दिया |
       तत्त्पश्चात भंवरलाल उपाध्याय के संचालन में तथा नरेंद्र राय नरेन’, जी.परमेश्वर के आतिथ्य में कविगोष्ठी संपन्न हुई | इसमें संपत देवी मुरारका, डॉ.अर्चना झा, मंगला अभ्यंकर, सुनील गौड़, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, सुषमा बैद, सरिता सुराणा जैन, संध्या गुप्ता, संतोष कुमार रजा, सत्यनारायण काकडा, देवाप्रसाद मायला, सरिता गर्ग, जी.परमेश्वर, डॉ.अहिल्या मिश्र, सुरेश जैन, शिवकुमार तिवारी कोहिर, उमा सोनी, सूरजप्रसाद सोनी, हेमांगी ठाकर, मीना मूथा, पवनकुमार जैन आदि ने काव्यपाठ किया | शुभ्रा महंतो, रेनू सिन्हा, के.विजयकुमार गुप्ता, गौरांग चन्द्रमोहन, डॉ.मदनदेवी पोकरणा, सुनीता गुप्ता, रमेश तिवारी, भूपेन्द्र मिश्र भी अवसर पर उपस्थित थे | नरेंद्र रायजी ने अध्यक्षीय काव्यपाठ किया | मीना मूथा ने क्लब सदस्यों को उनके जन्मदिन विवाह दिन की बधाई दी तथा उपस्थित सभा का आभार व्यक्त किया |
डॉ.अहिल्या मिश्र
क्लब अध्यक्षा
संपत देवी मुरारका
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद


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