कादम्बिनी
का दीपावली मिलन-पुस्तक विमोचन संपन्न
कादम्बिनी क्लब हैदराबाद के तत्त्वावधान में रविवार दि.16 नवंबर को द.भा. हिंदी प्रचार सभा खैरताबाद के सभागार में क्लब की 268वीं मासिक गोष्ठी के अंतर्गत दीपावली मिलन, ”चिड़िया
मैं बन जाऊँ”, “सोनिया” इन क्रमश: बालकहानी संग्रह और काव्य संग्रह का लोकार्पण तथा सम्मान
समारोह संपन्न हुआ |
क्लब अध्यक्षा डॉ.अहिल्या मिश्र एवं कार्यकारी संयोजिका मीना
मूथा ने प्रेस विज्ञप्ति में आगे बताया कि इस अवसर पर श्री जसमत भाई पटेल ने
कार्यक्रम की अध्यक्षता की | प्रो.देवराज (वर्धा), डॉ.जोराम यालाम नाबाम (अरुणाचल
प्रदेश), अमन त्यागी (निजाबाबाद), अरविंदकुमार सिंग, डॉ. ऋषभदेव शर्मा (अध्यक्ष,
उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, द.भा.हि.प्र सभा), पवित्रा अग्रवाल (कथाकार, ”चिड़िया
मैं बन जाऊँ”), डॉ.अहिल्या मिश्र (क्लब अध्यक्ष/संयोजिका) मंचासीन हुए |
कार्यक्रम का आरंभ मंचासीन अतिथियों के करकमलों से दीप प्रज्ज्वलन के
साथ हुआ | शुभ्रा महंतो ने निराला रचित सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत की सुन्दर
प्रस्तुति दी | मीना मूथा ने सभा का स्वागत करते हुए क्लब
का संक्षिप्त परिचय दिया | डॉ.अहिल्या मिश्र ने अतिथियों का स्वागत व परिचय देते
हुए कहा कि त्रयनगर के रचनाकारों, साहित्यकारों को संस्था की दो दशकों की सफल
यात्रा का श्रेय जाता है | डॉ.मिश्र ने अरुणाचल प्रदेश की संस्कृति पर भी प्रकाश
डाला | सभा को दीपावली पर्व की शुभकामनाएं दी | मंचासीन अतिथियों का तथा प्रसिद्द
अनुवादक जी.परमेश्वर का (द्विवागीश अनुवाद पुरस्कार नई दिल्ली) शाल-माला-पुष्पक
प्रति भेंट कर सम्मान किया गया | इसमें डॉ.देवेन्द्र शर्मा, विनीता शर्मा, अनिल
वाजपेयी, डॉ.मदनदेवी पोकरणा, दत्त भारती, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, डॉ.सीता मिश्र,
डॉ.जी.नीरजा, संपत देवी मुरारका, सरिता गर्ग, जी.परमेश्वर, ज्योतिनारायण ने सहयोग
दिया | इस अवसर पर श्रीमती संपत देवी मुरारका ने अपनी यात्रा वृत्तांत संबंधी पुस्तकें
अंतर्राष्ट्रीय हिदी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर देवराजजी को भेंट की |
प्रथम सत्र में लघु-बालकथाकार पवित्रा अग्रवाल की किताब ”चिड़िया
मैं बन जाऊँ” का परिचय देते हुए डॉ.ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि यह पुस्तक पवित्राजी के
भीतर की माँ को बखूबी सामने लाता है | आज हिंदी में बालसाहित्य लिखने वाले बहुत कम
हैं | यह बड़ा चुनौती का कार्य है | ये कहानियां 6-7
वर्ष के बालकों के लिए हैं, ये कहानियां मनोरंजन करते-करते नैतिक
मूल्य की स्थापना करती है | प्रश्न करना और जिज्ञासा का समाधान करना लेखिका सिखाती
है | शिल्प वही है जो अपने आप आ जाये | इनमें माँ बोलती है, बच्चे बोलते हैं, यही
पवित्राजी के संग्रह की सफलता है |
पवित्राजी ने कहा कि इनके बच्चें और बच्चों से जुड़े अनुभव उनके लिए
प्रेरणा बने | एक जागृत माँ होना आवश्यक है | बदलते समय में बालिश मन अभ्यास, उनकी
चिंताएं, प्रश्नों को हमें टटोलना चाहिए | एक लघुकथा संग्रह प्रकाशनामार्ग पर होने
की भी बात उन्होंने कही | जी.परमेश्वर ने कहा कि पवित्राजी की बालकथाएं वे तेलुगु
में अनुदित कर रहे हैं |
तत्पश्चात प्रो.देवराज एवं मंचासीन अतिथियों के करकमलों से ”चिड़िया
मैं बन जाऊँ” का तालियों
की गूँज में लोकार्पण हुआ | तत्त्पश्चात “सोनिया”
काव्यसंग्रह (कवि डॉ.अशोक स्नेही) का परिचय देते हुए प्रकाशक अमनकुमार त्यागी ने
कहा कि पत्नी के निधन के बाद स्नेहीजी का डिप्रेशन में जाना और पुन: अपने चिकित्सा
कार्य में वापस आना “सोनिया”
के कारण ही संभव हुआ है | यह संग्रह किसी व्यक्ति को जीवन देने वाला
काव्य है | डॉ.शर्मा ने संग्रह के कुछ छंद सुनाकर सभी को भाव-विभोर कर दिया |
डॉ.यालाम के करकमलों से “सोनिया”
काव्यसंग्रह का लोकार्पण हुआ |
अरविंद सिंग ने कहा कि ऐसे आयोजन साहित्यिक क्षेत्र के लिए आवश्यक हैं
| डॉ.यालाम ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में ऐसे आयोजन कम होते हैं | वे आज के समारोह
को हमेशा याद रखेंगी | इस दौरान यालाम ने मीरा के पदों की प्रस्तुति दी |
प्रो.देवराज ने कहा कि पवित्राजी की कहानियों में माँ की चिंताएं, नई चुनौतियों के
साथ सामने आती है | बालकथाकार को लेखक के रूप में आज भी स्वीकारा नहीं जाता है, यह हिंदी साहित्य का दुर्भाग्य है
| बालकथाकार, बालकहानियों के माध्यम से एक पीढ़ी को रचता है | वह पीढ़ी जिसके हाथ
में भविष्य का नेतृत्त्व है | पवित्राजी का यह महत्त्वपूर्ण योगदान है साहित्य के
लिए | जसमत पटेल ने अध्यक्षीय बात में कहा कि पवित्राजी, अशोकजी को उनके संग्रह के
लोकार्पण पर अनेक बधाइयां तथा साहित्य की इस अमूल्य सेवा के लिए साधुवाद | प्रथम
सत्र का संचालन मीना मूथा ने किया और ज्योति नारायण ने आभार व्यक्त किया |
द्वितीय सत्र में भंवरलाल उपाध्याय के सफल संचालन में एवं प्रो.देवराज,
डॉ.यालाम के आतिथ्य में कविगोष्ठी का आयोजन हुआ | इसमें बी.बालाजो, लक्ष्मीकांत
जोशी, डॉ.देवेन्द्र शर्मा, विनीता शर्मा, संपत देवी मुरारका, सुषमा बैद, देवाप्रसाद
मयला, आशीष नैथानी, सूरजप्रसाद सोनी, उमा सोनी, पुष्पा वर्मा, डॉ.पूर्णिमा शर्मा,
डॉ.ऋषभदेव शर्मा, डॉ.जी.नीरजा, दत्तभारती, सुनील गौड़, संतोषकुमार रजा, अजीत
गुप्ता, डॉ.यालाम, अमनकुमार त्यागी, गौतम दीवाना, पवित्रा अग्रवाल, लक्ष्मीनारायण
अग्रवाल, डॉ.अहिल्या मिश्र, जी.परमेश्वर, मीना मूथा ने काव्य पाठ किया | प्रो.देवराज
ने अध्यक्षीय काव्यपाठ किया | इस अवसर पर डॉ.के.पद्मावती, लीला बजाज, डॉ.संगीता
व्यास, मंगला अभ्यंकर, रिद्धिश जागीरदार, डॉ.सीता मिश्र, सुजीत मिश्रा, पल्लव
पाण्डेय, जुगल बंग जुगल, जे.रामकृष्ण, भूपेन्द्र मिश्र, मधुकर मिश्र,आदि की
उपस्थिति रही | मीना मूथा के धन्यवाद के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ |
डॉ.अहिल्या मिश्र
क्लब अध्यक्ष/संयोजिका
संपत देवी मुरारका
यात्रा विवरण लेखिका
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
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