स्व.श्री नारायण दास जाजू की 72 वीं जयंती पर साहित्य एवं संगीत संध्या
आयोजित
विख्यात कवि एवं गजलकार स्व. नारायण दास
जाजू की 72 वीं जयंती के अवसर पर शनिवार 14 अप्रेल 2014 को सायं 5.30
बजे भास्कर ऑडिटोरियम बी.एम.बिड़ला साइंस सेंटर, आदर्शनगर में साहित्य
एवं संगीत संध्या का आयोजन संपन्न हुआ | यह कार्यक्रम हिंदी संवाद सेतु पत्रिका,
कादम्बिनी क्लब, सांझ के साथी, साहित्य संगम, संतोष एजुकेशन सोसाइटी, आदर्श महिला
संगठन, गीता प्रकाशन एवं दक्षिण समाचार के समन्वय से आयोजित हुआ |
इस अवसर पर डॉ.बलदेव वंशी (सुप्रसिद्ध कवि,
साहित्यकार, नई दिल्ली) ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की | उद्घाटन
कर्ता श्री संजय जाजू (आई.ए.एस.), मुख्य अतिथि श्री विश्वजीत सपन (आई. पी. एस,
प्रमुख कथाकार एवं शास्त्रीय गायक), प्रमुख वक्ता के रूप में श्री रफीक जाफर
(सुप्रसिद्ध फ़िल्म लेखक एवं गीतकार, मुंबई), श्री प्रभाकर लालन (सुप्रसिद्ध नाट्य
लेखक एवं निर्देशक), डॉ. विजय निशांत (मीडिया समन्वयक, नई दिल्ली) एवं डॉ.अहिल्या
मिश्र मंचासीन हुए |
अतिथियों के करकमलों से दीप प्रज्ज्वलित
किया गया | डॉ. अहिल्या मिश्र ने स्वागत भाषण दिया | रफीक जाफर ने सभा को संबोधित
करते हुए कहा कि जाजू की शायरी उनकी आत्मा के साथ जीती है | उन्होंने कविता को
टूटकर चाहा और उसका साथ निभाया | हालांकि उनके जीवन में काफी सुख सुविधाएं थी,
लेकिन जन के दुःख को उन्होंने अपनी कविताओं और गजलों में आत्मसात किया | उनकी
कविताओं में साफ झलकता है कि भीतर द्वंद की स्थिति उनकी आखिरी सांस तक चलती रहती
है और यही सच्चे साहित्यकार की पहचान होती है | उनकी साहित्य संपदा साहित्य प्रेमियों
के लिए किसी दौलत से कम नहीं है, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए मार्गदर्शन है, जो
जीवन को समझना चाहता है | रफीक साहब ने कहा कि स्व. नारायण दास जाजू ने गोलकोंडा
के शायर, कुली क़ुतुब शाह एवं नजीर अकबरा बादी की अवामी शायरी की रियायतों को आगे
बढ़ाया है | उन्हें भाषा से भी प्यार था और संस्कृति से भी |
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित आई.पी.एस.
अधिकारी एवं साहित्यकार विश्वजीत सपन ने कहा कि
नारायण दास जाजू आशावादी और चेतना के कवि
थे | उनकी शायरी पाता को नई प्रेरणा देती है | उद्घाटन करता संजय जाजू ने कहा कि
उनके पिता नारायण दास जाजू ने जिस काव्यात्मक धरोहर को सुरक्षित छोड़ा है, वे उसे
अगली पीढ़ियों को सौंपने का प्रयास कर रहे हैं | समारोह को नाट्य लेखाक एवं निदेशक प्रभाकर ललन, पत्रकार विजय निशांत एवं
शाशिनारायन स्वाधीन ने भी संबोधित किया | कवि एवं साहित्यकार बलदेव वंशी ने अपने
अध्यक्षीय भाषण में कहा कि नारायण दास जाजू ने कबीर की तरह कविता को वाणी का रूप
दिया है | वाणी मन से निकलती है, इसलिए दूसरों को प्रभावित करती है |इस अवसर पर
कविता पोस्टर भी जारी किया गया |
तत्पश्चात शुभ्रा महंतो, शशांक शेखर एवं
कल्पना डाग ने संगीतबद्ध गजलें सुनाई | अवसर पर वरिष्ठ आ.ए.एस.अधिकारी एस.पि.सिंह,
संपत देवी मुरारका, मदन देवी पोकरणा, विजयलक्ष्मी काबरा, सरोज शर्मा, सुरेश जैन,
बिशनलाल संघी, रूबी मिश्रा एवं बड़ी संख्या में दर्शक दीर्घा में साहित्य एवं कला
जगत की कई हस्तियाँ उपस्थित थीं |
प्रस्तुत कर्ता – संपत देवी
मुरारका
संपत
देवी मुरारका
लेखिका
यात्रा विवरण
मीडिया
प्रभारी
हैदराबाद
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