गुरुवार, 30 अगस्त 2012

तेलुगु से अनुदित पाँच पुस्तकें लोकार्पित


तेलुगु से अनुदित पाँच पुस्तकें लोकार्पित





तेलुगु से अनुदित पाँच पुस्तकें लोकार्पित

साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था ‘साहित्य मंथन’ के तत्वावधान में खैरताबाद स्थित दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा के सम्मेलन कक्ष में प्रो.ऋषभदेव शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में तेलुगु से हिन्दी में अनुदित पाँच साहित्यिक और आध्यात्मिक पुस्तकों तथा सभा की द्विभाषी पत्रिका ‘स्रवन्ति’ के नये अंक का लोकार्पण संपन्न हुआ |

आज यहाँ जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, वकुलाभरनम रामकृष्ण की तेलुगु पुस्तक ‘कन्दुकुरी वीरेशलिंगम’ के पारनंदी निर्मला द्वारा किये गये हिन्दी अनुवाद को लोकार्पित करते हुए पत्रकार डॉ.राधेश्याम शुक्ल ने कहा कि यह कृति तेलुगु नवजागरण के एक पुरोधा के जीवन और साहित्य पर चर्चा के माध्यम से देश में सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक चेतना को जगाने में समर्थ है |

दो खण्डों में प्रकाशित ‘तेलुगु की प्रतिनिधि कहानियाँ’ शीर्षक पुस्तक माला के प्रथम खंड का लोकार्पण अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य डॉ. एम. वेंकटेश्वर ने किया | उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में संकलित तेलुगु के बारह प्रमुख कहानीकारों की 24 कहानियों का पारनंदी निर्मला ने हिन्दी भाषा की प्रकृति के अनुरूप अनुवाद किया है, जिसके कारण इसमें पठनीयता का गुण स्वत: ही आ गया है | इस पुस्तकमाला के द्वितीय खंड में तेलुगु की 22 कहानियों का हिन्दी अनुवाद सम्मिलित है, जो चार राचाकोंडा बहनों के रूप में जानी जाने वाली अनुवादिकाओं - डॉ.स्वराज्य लक्ष्मी, पारनंदी निर्मला, मुनुकुट्ला पद्मा राव और गुंटूर रजनी प्रभा द्वारा हिन्दी में रूपांतरित की गई है | इस खंड को लोकार्पित करते हुए वोलेगा यूनिवर्सिटी (पूर्वी अफ्रीका) के अंग्रेजी विभाग के आचार्य डॉ.गोपाल शर्मा ने कहा कि राचाकोंडा बहनों ने मूल रचनाओं को आत्मसात करके उन्हें लक्ष्य भाषा हिन्दी के मुहावरे में इस प्रकार ढाला है कि यह अनुवाद मौलिक रचना पढ़ने जैसा आनन्द देता है | चौथी पुस्तक ‘कार्तिक महात्म्य’ का विमोचन करते हुए दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा-आन्ध्र के सचिव सी.एस.होसगौडर ने कहा कि भारतीय जीवन मूल्यों का संरक्षण करने वाले पौराणिक और आध्यात्मिक साहित्य की प्रासंगिकता पर भी चर्चा की गई है |

पांचवी पुस्तक ‘विज्ञानं ज्योति’ का लोकार्पण कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ.ऋषभदेव शर्मा ने किया | उन्होंने अनुवादकर्ता चारों विदुषियों के अनुवाद कर्म की प्रशंसा करते हुए कहा कि अनुवाद हमारे समक्ष अन्य सामाजों तक पहुँचने वाली अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक और दार्शनिक खिड़कियां खोलता है और हमें कूपमंडुकता से मुक्त करके व्यापक और समृद्ध बनाता है | इस अवसर पर दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा-आन्ध्र की अध्यक्ष एम.सीतालक्ष्मी ने सभा की साहित्यिक मासिक पत्रिका ‘स्रवन्ति’ के अगस्त-2012 के अंक का लोकार्पण किया |

आरम्भ में अतिथियों ने सरस्वती-दीप प्रज्जलित किया और और ‘साहित्य मंथन’ की संरक्षक ज्योति नारायण ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया | इस अवसर पर अनुवाद के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए चारों राचाकोंडा बहनों का अभिनन्दन भी किया गया | कार्यक्रम का संचालन उच्च शिक्षा और शोध संस्थान की प्राध्यापक डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा ने किया तथा ‘साहित्य मंथन’ के संयोजक डॉ. बी. बालाजी ने धन्यवाद ज्ञापित किया | शहर के गणमान्य साहित्यकारों के साथ सम्पत देवी मुरारका भी उपस्थित थीं |
सम्पत देवी मुरारका
मीडिया प्रभारी 
हैदराबाद 
  •  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें