गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

[वैश्विक हिंदी सम्मेलन ] वैश्विक हिंदी सेवा सम्मान पाने वाले भाषा-सेवियों का परिचय । झिलमिल - क्यों नहीं मिलता हमें अपनी भाषा में न्याय? क्या है इसका रास्ता, क्या है उपाय ?

 

vaishwik banner (small) - Copy.jpg
WhatsApp Image 2022-04-06 at 13.19.24.jpeg  WhatsApp Image 2022-04-06 at 13.19.24 (1).jpeg वैश्विक हिंदी सम्मान -22.jpeg
कार्यक्रम स्थल - अजंता हॉल, तीसरा तल, बाटा शोरूम के ऊपर, एस.वी.रोड, स्टेशन के निकट, गोरेगांव (पश्चिम)
प्रतिभागियों के लिए कोई शुल्क नहीं है। कृपया सहभागिता हेतु पंजीकरण के लिए  9869374607  पर संपर्क करें।


वैश्विक हिंदी सेवा सम्मान पाने वाले भाषा-सेवियों का परिचय
मधुकांत.jpeg
श्री मधुकांत
11 अक्टूबर 1949 को हरियाणा के सांपला गाँव में जन्मे श्री मधुकांत (अनूप बंसल) लगभग आधी सदी से भी अधिक समय से साहित्य सृजन में लगे हैं। अब तक आपके  09 उपन्यास,13 कहानी - 28 लघुकथा- 15 कविता,  42-  बाल साहित्य, 34 अन्य, 34 संपादन कार्य संपन्न हो चुके हैं।  
 पुरस्कार सम्मान - -हरियाणा साहित्य अकादमी पंचकूला से बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सम्मान तथा महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना सम्मान( पांच लाख)।  महामहिम राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री हरियाणा द्वारा पुरस्कृत ।  प्रकाशित साहित्य-(175 पुस्तकें)
रचनाओं पर शोध कार्य। नाटक ' युवा क्रांति के शोले 'महाराष्ट्र सरकार के 12वीं कक्षा की हिंदी पुस्तक युवकभारती में सम्मिलित । रचनाओं का 27 भाषाओं में अनुवाद ।
संप्रति -सेवानिवृत्त अध्यापक, स्वतंत्र लेखन ,रक्तदान सेवा तथा हरियाणा साहित्य अकादमी की पत्रिका हरिगंथा के नाटक अंक का संपादन।   प्रज्ञा साहित्यिक मंच के संरक्षक 
संपर्क -मधुकांत 211 एल, मॉडल टाउन,डबल पार्क, रोहतक ,हरियाणा 124001. मो 9896667714  ईमेल -
Madhukant@srirohtak.com

डॉ. उमाकांत बाजपेई.jpeg
डॉ. उमाकांत बाजपेयी 
आधी सदी से भी अधिक समय से मुंबई में इन्होंने हिंदी की अलख जगाए रखी है। कानपुर से साहित्य रत्न एवं होमियोपेथी में गोल्ड मेडल प्राप्त  बाजपेयी जी 1998 तक भारतीय जीवन बीमा निगम  में राजभाषा के क्षेत्र में कार्यरत रहे  तदुपरांत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर आशीर्वाद संस्था के कार्यों में पूर्णकालिक रूप से लग गए।  बाजपेयी  जी ने 52 वर्ष  पूर्व सन् 1969 में साहित्यिक-सामाजिक – सांस्कृतिक संस्था आशीर्वाद स्थापित की और उसके निदेशक पद का दायित्व संभाला। आशीर्वाद द्वारा  1977 से 2002 तक फिल्म पुरस्कार प्रदान किए जाते रहे हैं,  जहाँ फिल्म जगत की जानी मानी हस्तियों को पुरस्कृत किया गया।  1992 से अब तक राजभाषा पुरस्कार भी दिए जा रहे हैं।
प्रकाशित पुस्तकें – एक था नर-एक थी मादा , एक मृग सोने का, बैंड बाजा बुलेट, एवं जय राम जी, संपादन - आशीर्वाद की पुरस्कृत एकांकी, मुंबई के हिन्दी कवि, मुंबई की हिंदी कवयित्रियाँ। 
पुरस्कार – महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी का राज्यस्तरीय सम्मान एवं पुरस्कार, राष्ट्रीय हिन्दी सेवी महासंघ (2008), भारत सरकार विकास आयुक्त संस्थान द्वारा हिन्दी पत्रकारिता रत्न सम्मान, ब्रजेश पाठक मौन सम्मान, नीटी सम्मान, विश्व हिन्दी अकादमी हिन्दी सेवी सम्मान, जर्नलिस्ट एण्ड राइटर्स एसोसिएशन सम्मान, अहसास,  आपणो राजस्थान सम्मान, संस्कृति गौरव सम्मान , वाग्धारा नवरत्न सम्मान एवं अन्य।

प्रदीप कुमार जी.jpeg
श्री प्रदीप कुमार,
प्रदीप कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता, उच्च न्यायालय, इलाहाबाद।  1951 जुलाई में इटावा मैं जन्मे हिंदी गौरव न्यायमूर्ति प्रेम शंकर गुप्त के जेष्ठ पुत्र है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विधि स्नातक उपाधि प्राप्त कर, वर्ष 1976 से अधिवक्ता के रूप में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत  से जुड़े हैं और उन्होंने 10 वर्षअपर मुख्य स्थाई अधिवक्ताए के रूप में उत्तर प्रदेश शासन की ओर से उच्च न्यायालय में शासन का पक्ष प्रस्तुत किया। कालांतर में इस्तीफा देकर स्वयं की वकालत की। वर्ष 2018 मैं उच्च न्यायालय ने उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में सम्मानित किया। वह न्यायालय में अपना
पक्ष संकल्प के साथ केवल हिंदी भाषा में प्रस्तुत करते है, जो उनकी एक विशेषता है। जनता को न्याय हिंदी में ही मिले इसके लिए निरंतर प्रयासरत हैं। न्यायमूर्ति स्वर्गीय प्रेम शंकर गुप्ता द्वारा स्थापित इटावा हिंदी सेवा निधि के महासचिव के रूप में हिंदी भारतीय भाषाओं के उन्नयन व विकास की लिए विगत तीन दशक से मां भारती की सेवा में संलग्न है।
चौ. हरपाल सिंह राणा.jpeg
चौधरी हरपाल सिंह राणा
 हिन्दी हितों के लिए अनवरत संघर्षरत चौधरी हरपाल सिंह राणा का जन्म 23 जुलाई 1959 को गांव कादीपुर, दिल्ली में हुआ। राणा में बचपन से ही सामाजिक कार्य करने की लगन थी इसके लिए वह विभिन्न विषयों पर कार्य कर रहे हैं । भारतीय भाषाओं या हिन्दी को लागू करवाने के लिए 1988 से बोट क्लब और फिर संघ लोक सेवा आयोग पर विश्व के सबसे लम्बे धरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। न्यायालय में भारतीय भाषा लागू कराने की बात करें तो देश की सर्वोच्च अदालत में एक नागरिक की हैसियत से आजादी के बाद पहली बार सर्वोच्च न्यायालय की नियमावली 2013 को हिन्दी में प्रकाशित करवाने के लिए वर्ष 2017 में श्री राणा के द्वारा ही देश की मातृभाषा हिन्दी में सर्वोच्च न्यायालय में मुकद्दमा किया गया, हिंदी में वार्तालाप की गई और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास में पहली बार उसी मुकदमे में हिन्दी में परिपत्र जारी किया गया,परिपत्र में कहा गया कि सर्वोच्च न्यायालय में देश के किसी नागरिक को हिंदी में याचिका लगाने में कोई परेशानी आए तो वह व्यक्ति सर्वोच्च न्यायालय की हिन्दी समिति से मदद ले सकता है । देश की राजधानी दिल्ली की राजभाषा हिंदी होने के बावजूद वर्ष 2016 तक राज्य के किसी भी जिला न्यायालय में हिंदी में एक भी याचिका नहीं लगाई गई थी, जिसका श्रीगणोश श्री राणा जी के द्वारा ही जिला न्यायालय रोहिणी में किया गया । दिल्ली के सभी जिला न्यायालयों में हिंदी न्यायाधीशों की नियुक्ति भी आपके प्रयासों से हुई। विधि क्षेत्र में हिंदी के संघर्षशील योद्धा श्री राणा  को न्यायमूर्ति रामभूषण मेहरोत्रा स्मृति सम्मान - संघर्षशील हिन्दी सेवी से भी विभूषित किया गया है।
इंद्रदेव प्रसाद.jpeg 
श्री इंद्रदेव प्रसाद
अधिवक्ता श्री इंद्रदेव प्रसाद  पटना उच्च न्यायालय में वकालत करते हैं। कभी-कभी उच्चतम न्यायालय भी जाकर बहस करते हैं। लेकिन इनकी विशेषता यह है कि यह जानते हुए कि उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों की भाषा अंग्रेजी है, ये जनभाषा हिंदी में वकालत करते हैं।   इनकी नियुक्ति वर्ष 2016 में विधि पदाधिकारी के पद पर हुई है। उस अवधि से अभी तक ये विधि पदाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।  इन पर विद्वान महाधिवक्ता बिहार एवं कुछ न्यायमूर्तियों द्वारा हिंदी छोड़ने का बहुत दबाव बनाया गया, लेकिन ये कभी झुके नहीं और चट्टान की तरह अडिग रह कर व्यवस्था से संघर्ष करते रहे हैं और आज भी वर्ष 1998 से लगातार अभी तक जनभाषा हिंदी में ही वकालत कर रहे हैं। भाषा के लिए भी न्यायलयों में मुकदमे लगाते रहे हैं।
नवीन कौशिक.jpeg
श्री नवीन कौशिक
पेशे से अधिवक्ता श्री नवीन कौशिक का जन्म हरियाणा के पलवल जिले के ग्राम कटेसरा में 19 नवंबर 1974 को हुआ। आप ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के तौर पर कार्य प्रारंभ किया और पंजाब सरकार के लिए 2014 तक सहायक महाधिवक्ता के पद सुशोभित किया  
नवंबर 2014 में आपको हरियाणा सरकार द्वारा अपर महाधिवक्ता नियुक्त किया गया।   फरवरी 2015 से भारतीय भाषा आंदोलन के हरियाणा प्रांत के संयोजक के तौर पर दायित्व ग्रहण करने के बाद आपने हरियाणा प्रांत के सभी विधायकों से संपर्क करके हिंदी को हरियाणा प्रांत की न्यायालयों की भाषा के रूप में प्राधिकृत करने का निर्णय लिया और इस संकल्प के साथ आपने 78 विधायकों के हस्ताक्षर समर्थन में प्राप्त करके हरियाणा प्रांत के राज्यपाल को सौंपा जिसके परिणाम स्वरूप हरियाणा सरकार ने 6 मार्च 2020 को हिंदी भाषा को हरियाणा राज्य भाषा अधिनियम में संशोधन करके जिला एवं सत्र न्यायालय के लिए अनिवार्य कर दिया।
2017 में इन्होंने हरियाणा के प्रत्येक जिले का 25 दिन में दौरा किया और हर जिला बार एसोसिएशन से हिंदी को पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय की भाषा के रूप में प्राधिकृत कराने हेतु मांग पत्र भिजवाया। जिस पर कार्यवाही करते हुए हरियाणा सरकार ने इस मांग पत्र को भारत के माननीय राष्ट्रपति जी के पास सहमति हेतु भेज दिया है जो विचाराधीन है ।
अगस्त 2020 में भारत के संविधान में अनुच्छेद 348 में संशोधन करने हेतु मांग पत्र तैयार करके उस पर माननीय सांसदों के हस्ताक्षर लेना प्रारंभ किया और 14 राजनीतिक दलों के 62 सांसदों के हस्ताक्षर करवा कर मांग पत्र भारत के माननीय गृह राज्य मंत्री जी को सौंप दिया है।
अब तक आपकी 2 पुस्तकें "आंतरिक सुरक्षा के आयाम और हम" और "भारत का संविधान व भारतीय भाषाएं" प्रकाशित हो चुकी हैं । 
मध्य प्रदेश पुलिस प्रशिक्षण केंद्र द्वारा और विभिन्न राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थानों द्वारा आपके कानूनी व्याख्यान आयोजित किए गए हैं

3 झिलमिल.jpg

क्यों नहीं मिलता हमें अपनी भाषा में न्याय?
क्या है इसका रास्ता, क्या है उपाय ? 


 'वैश्विक हिंदी सम्मेलन' तथा 'जनता की आवाज फाउंडेशन' के तत्वावधान में

'जन भाषा में न्याय'  पर 9 अप्रैल को मुंबई में ऐतिहासिक अखिल भारतीय संगोष्ठी।

 जब विश्व के सभी देशों में वहां की जनता को उनके उच्चतम न्यायालय उच्च न्यायालय और सभी न्यायालयों में उनकी अपनी भाषा में राष्ट्र की भाषा में न्याय मिलता है जो भारत में ऐसा क्यों नहीं है ? जो हम न्यायालयों में ऐसी भाषा के लिए मजबूर हैं जो हमें समझ ही नहीं आती क्या यह अपने आप में सबसे बड़ा अन्याय  नहीं है।
 जनभाषा में न्याय पर आयोजित इस ऐतिहासिक अखिल भारतीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करेंगी मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और जिसमें जुटेंगे  विभिन्न उच्च न्यायालयों के अधिवक्ता जो वहां अपनी भाषा न्याय के लिए निरंतर कार्यपालिका और न्यायपालिका से जूझ रहे हैं।


Hindi Gandhi 1 - Copy - Copy.JPG

वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई

--
वैश्विक हिंदी सम्मेलन की वैबसाइट -www.vhindi.in
'वैश्विक हिंदी सम्मेलन' फेसबुक समूह का पता-https://www.facebook.com/groups/mumbaihindisammelan/
संपर्क - vaishwikhindisammelan@gmail.com

प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी मुरारकाविश्व वात्सल्य मंच

murarkasampatdevii@gmail.com  

लेखिका यात्रा विवरण

मीडिया प्रभारी

हैदराबाद

मो.: 09703982136

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें