नई शिक्षा नीति और भारतीय भाषाएँ विषय पर वरिष्ठ पत्रकार राहुलदेव के साथ गूगल मीट पर 29-08-2020, शनिवार कोदोपहर 4.15 बजे से ई-संवाद में जुड़ने के लिए निम्नलिखित लिंक पर क्लिक करें।------------------------------------------------------------ -
नई शिक्षा नीति और भारतीय भाषाएँ विषय पर वरिष्ठ पत्रकार राहुलदेव के साथ गूगल मीट पर 29-08-2020, शनिवार को
दोपहर 4.15 बजे से ई-संवाद को यू-ट्यूब पर निम्नलिखित लिंक के माध्यम से सजीव ( लाइव) देखा जा सकता है।
https://youtu.be/ckMa5YnnO4U
------------------------------------------------------------ --- 'धोनी को लिखे प्रधानमंत्री के पत्र पर बवाल और भाषाई राजनीति की चाल' पर टिप्पणियाँसंबंधित लेख का लिंकआदरणीय रविदत्त जी के बयान से मैं सहमत हूँ : हम सबके हिन्दी के साथ होने वाले पक्षपात के बारे में लिखने का असर हो रहा है -- आप लोग अपने - अपने क्षेत्र के सांसद अथवा विधायक से हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए निवेदन करते हुए बात कीजिए और किस दिन किस नम्बर से किस जन प्रतिनिधि से बात किया है -- ये विभिन्न समूहों में लिखिए भी जिससे अन्य का उत्साह बढ़ेगा और यदि ये आनाकानी करते हैं तो 2024 के चुनाव में जनता तथा सैकड़ों हिंदी प्रेमी संसद में पहुंचकर इनसे प्रश्न पूँछ कर इनके राजनीतिक कैरियर को भी प्रभावित करेंगे ।डॉ. अशोक कुमार तिवारीइन सभी झगड़ों का शमन 'देवनागरी लिपि' की बात करने से हो सकता है. आज यदि हिंदी भाषा का आग्रह रखेंगे तो इसी प्रकार के विवादोंका जन्म होता रहेगा. हमें तो अंगरेजी के वाक्यों को भी देवनागरी लिपि में लिखने का चलन बढ़ाना चाहिए. अंगरेजी केशब्द कोश को देवनागरी लिपि के उच्चारण के साथ तैयार कर अंगरेजी के उच्चारण को सुधारने की मुहीम चलाना चाहिए.इस वर्ष से हिंदी दिवस नहीं बल्कि नागरी लिपि दिवस मनाने की शुरुआत करनी चाहिए.डॉ पुष्पेन्द्र दुबे, प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष, हिंदी भाषा एवं साहित्यमहाराजा रणजीतसिंह कॉलेज ऑफ़ प्रोफेशनल साईंसेस, खंडवा रोड, इंदौरअसल में लिखित काम नौकरशाही करती है..यही विडंबना है..विजय कुमार मल्होत्राप्रयास यह होना चाहिए कि जनता की बात प्रधानमंत्री जी तक पहुंचे और प्रधानमंत्री जी अफसरशाही को आदेश दें । कम से कम क और ख क्षेत्र में तो ऐसे पत्र हिंदी में लिखे ही जा सकते हैं। प्रधानमंत्री जी के पास तो सभी साधन मौजूद हैं यदि ऐसे पत्र मातृभाषाओं में भेजे जाएं तो अधिक प्रभावी होंगे। भारतीय भाषाओं के लिए चयनित अनुवादकों को प्रति पत्र अनुवाद के लिए कुछ भुगतान किया जा सकता है।डॉ. एम.एल. गुप्ता 'आदित्य'निदेशक, वैश्विक हिंदी सम्मेलनगुप्ता जी का सुझाव बहुत व्यावहारिक है...विजय कुमार मल्होत्रायह सब प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठे अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। लेकिन यह भी माना नहीं जा सकता कि प्रधानमंत्री की इच्छा के विरुद्ध ऐसा करने की कोई हिम्मत कर सकता है। सरकार की भाषा को लेकर नीति दो कदम आगे बढ़ाने की तो चार कदम पीछे खींचने की लगती है। शायद सरकार को स्वयं लगता है कि अंग्रेजी के बिना कहीं देश पिछड़ न जाए। कन्नीमोई, शशि थरूर और इन जैसे लोग तो बहाना है। क्या कुछ लोग, जिनका अपना कोई आधार नहीं देश की नीति को बदल सकते हैं।प्रेम अग्रवाल, अंबाला
वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई
वैश्विक हिंदी सम्मेलन की वैबसाइट -www.vhindi.in
'वैश्विक हिंदी सम्मेलन' फेसबुक समूह का पता-https://www.facebook.com/
संपर्क - vaishwikhindisammelan@gmail.
प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें