कादम्बिनी क्लब की गोष्ठी संपन्न
कादम्बिनी क्लब की गोष्ठी संपन्न
कादम्बिनी क्लब हैदराबाद की मासिक गोष्ठी
रविवार दिनांक 16 सितम्बर 2012 को दिन में 12.00 बजे से हिन्दी प्रचार सभा में संपन्न हुई | डॉ. अहिल्या मिश्र ने प्रेस विज्ञप्ति दी है कि
इस अवसर पर प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने अध्यक्षता की, श्री हंसराज सोनकर
जू.प्रबंधक सर्वे ऑफ इण्डिया सम्मानीय अतिथि, श्री दयानाथ झा
एवं डॉ. अमरनाथ मिश्र विशेष अतिथि तथा विशेष कवि के रूप में विनय कुमार झा मंचासीन
हुए | श्रीमती ज्योति नारायण के सरस्वती वन्दना से
कार्यक्रम आरम्भ हुआ | डॉ. अहिल्या मिश्र ने सभी का स्वागत करते हुए
क्लब की गतिविधियों पर प्रकाश डाला एवं कार्यक्रम के प्रथम चरण का संचालन किया |
श्री विनय कुमार झा ने अपनी चुनी हुई पाँच
कविताओं का पाठ किया | हिन्दी दिवस, विशेष करुणा, पहला दीप जलाओ, तमसोमाँज्योतिर्गमय
एवं माँ कविता का पाठ किया | इस पर परिचर्चा
में भाग लेते हुए लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने अपने विचार रखे कि विनय जी एक
वैज्ञानिक है और कवि का संवेदन शील हदय हैं | मुझे उनसे जैसी
अपेक्षा थी उसपर वे खरे उतरे हैं | इनकी रचनाओं में
भौतिक चिंतन मौजूद है | कविताएँ समसामयिक हैं | कवि के अंदर कवित्व है | रचनाओं में लगातार व्यंग्य दिखाई देता है | विनय जी एक सशक्त व्यंग्यकार हैं | कविता के सभी तत्व इन रचनाओं में मौजूद हैं | डॉ. सीता मिश्र ने कहा कि ह्रदय की भावनाओं का
गहन समावेश इनकी कविताओं में दिखाई देता है | इनकी कविताएँ
उत्कृष्ट है | ज्योति नारायण ने कहा कि प्रखर अनुभूतियाँ इनकी
कविताओं में पायी जाती है | मुनीन्द्र मिश्र ने कहा कि इनकी कविताएँ
भावनाओं से ओत-प्रोत हैं | साहित्यिक शैली का समावेश है |
डॉ.अहिल्या मिश्र ने परिचर्चा में भाग लेते हुए
कहा कि विनय जी की कवितायेँ विज्ञान एवं जीवन को लेकर चलती हैं | ये ऐसे व्यंग्यकार हैं जो सकारात्मक पृष्ठ भूमि
को लेकर चलते है | नकारात्मकता के मार्ग से गुजरते हुए पुन: आशावादिता के साथ संपन्न है | हंसराज सोनकर ने कहा कि विनय कुमार जी ने
व्यंग्य के माध्यम से कुछ न कहते हुए सभी कुछ कह जाते हैं | दयानाथ झा जी ने कहा कि विनय जी की कविताएँ ठेठ
हिन्दी में है | मैथिल होते हुए भी इसका प्रभाव कहीं नहीं है | डॉ.अमरनाथ मिश्र ने कहा कि भाषा परिमार्जित है | माँ मुझे जाने दो में औघड़ शिव का रूप है, जो दुष्टों को नष्ट करते हैं |
प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने अध्यक्षीय टिप्पणी में
कहा कि झा जी की रचनाएँ बहुत अच्छी हैं | विचारों की सम्पदा
कवि के पास है एवं इसे गति देने की क्षमता कवि के पास है | कवि का छंदबद्धता पर बहुत अच्छा अधिकार है | मुक्त होते हुए भी कविताओं में छन्दोगता का
निर्वाह हुआ है | लयात्मकता का प्रवाह निरंतर बना रहता है | जो कवि इनको साध लेता है वह वास्तव में कवि
होता है | इनकी कविताएँ संवेदन शील है | संपत देवी मुरारका एवं जी. परमेश्वर ने भी अपने
विचार रखे |
गोष्ठी के दूसरे चरण में एक काव्य गोष्ठी का
आयोजन किया गया | इसमें श्री नरेंद्र राय अध्यक्ष, श्री दिलीप सिंह अतिथि एवं चंद्रमोहन कर्ण
विशेष अतिथि तथा संचालक लक्ष्मीनारायण अग्रवाल के साथ सर्व श्री जगजीवनलाल अस्थाना
शहर, भँवरलाल उपाध्याय, जी.परमेश्वर, डॉ.रमा द्विवेदी, डॉ.सीता मिश्र, संपत देवी मुरारका, हेमलता ठाकर, डॉ.अमरनाथ मिश्र, पवित्रा अग्रवाल, रेणुका सोनकर, डॉ. मिश्र, जुगल बंग जुगल, सूरज प्रसाद सोनी, दिलीप सिंह, एलिजाबेथ कुरियन
मोना, विनीता शर्मा, मुनीन्द्र मिश्र, विश्वनाथ पेंढारकर, वी.वरलक्ष्मी, प्रो.ऋषभदेव शर्मा, विनय कुमार झा आदि ने कविता पाठ किया |
इस बीच हमारे शहर के कुछ प्रमुख व्यक्तित्व से
हमें बिछुडना पड़ा | इस अपूरनीय क्षति में हमारे साहित्यकार एवं
साहित्यानुरागी हैं | इनके संबंध में विचार रखे गए एवं उद्गार प्रकट
किये गए | श्रद्धेय आ.धोंडीराव यादव जी, कादम्बिनी क्लब के संरक्षक एवं हिन्दी सेवी तथा
वर्षों क्लब के साथ सक्रीय स्व. श्री चंद्रमौलेश्वर प्रसाद, साहित्यक व चिंतक एवं क्लब के साहित्य समीक्षक
भगवानदास जोपट जी, हिन्दी सेवी एवं साहित्यकार आ.ब्रम्हदत्त मिश्र, कादम्बिनी क्लब की कार्यकारी मीना मुथा की माँ
श्रीमती शोभा अग्रवाल को क्लब के सदस्यों की ओर से इनके आकस्मिक गोलोकवास होने पर
उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की गई | इनके परिवार जनों
को दुःख को बहन करने की शक्ति हेतु प्रार्थना की गई एवं दो मिनट का मौन रखकर
उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई |
श्रीमती संपत देवी
मुरारका
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद