गुरुवार, 21 जून 2012

तेरे मेरे दरमियाँ लोकार्पित





तेरे मेरे दरमियाँ लोकार्पित

‘कवि नारायणदास जाजू के भीतर का आदमी उनकी गजलों में जीता था और आज भि उनकी गजलों में वह सांसें ले रहा है | वे इंसान में भगवान तलाश करने के शोधकर्ता थे | गजलों के रूप में छोड़ी गयी उनकी विरासत आदमी को इंसान बनाने की प्रक्रिया जारी रखेगी |’ ये विचार विख्यात शायर एवं गीतकार निदा फाजली ने व्यक्त किये |

आईएएस असोसिएशन परिसर में आयोजित एक समारोह में निदा फाजली स्व. नारायणदास जाजू की गजलों के संग्रह ‘तेरे मेरे दरमियाँ’ के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे | उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जाजू उसी जमीन से जुड़े थे, जिस जमीन से कालीदास, शिवमंगल सिंह सुमन और दुष्यंत कुमार का संबंध रहा है | उन्होंने अपनी गजलों के माध्यम से प्यार, मुहब्बत और इन्सानियत का पैगाम दिया | यही वजह है कि अपनी गजलों में वो जिन्दा है और आने वाले नस्लों का मार्गदर्शन कर रहे हैं |

‘तेरे मेरे दरमियाँ’ के लोकार्पण कर्ता कवि कुँवर बेचैन ने कहा कि नारायण जाजू ने अपने शब्द संसार से कवि रसिक समाज को नयी दिशा दी है | उन्होंने हमें अपनों और औरों सभी को अपनी रचनाधर्मिता से मिलाने का काम किया है | उनकी गजलें रिश्तों को बांधती है और रिश्ते बढ़ाती हैं | उन्होंने कहा कि कविता पाठक से जुड़ जाए तो पूजा भाव में बदल जाती है | यही भाव नारायणदास जाजू की गजलों का भी है | उन्होंने बड़ी आस्था और श्रृद्धा के साथ साहित्य का सृजन किया है |

नारायणदास जाजू के पुत्र संजय जाजू ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि कवि कभी नहीं मरता | उनके पिता ने भी अपने भौतिक परिवार के साथ-साथ साहित्यिक परिवार भी बनाया था, जिसमें वे जीवित रहेंगे | समारोह की अध्यक्षता डॉ. दिनेश प्रियमन ने की | उन्होंने इस आयोजन के लिए संजय जाजू को बधाई दी और कहा कि साहित्यकार के पुत्र के रूप में उन्होंने अपने पिता के साथ-साथ उनकी साहित्यधार्मिता का बड़ा सम्मान किया यह दूसरों के लिए बड़ी मिसाल होगी |

मुख्य सचिव पंकज द्विवेदी ने अतिथियों का सम्मान किया | कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. पुरोहित ने किया | नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली एवं हैदराबाद के लेखकों द्वारा आयोजित इस समारोह में शाशिनारायण स्वाधीन, डॉ. दुर्गेश नंदिनी, डॉ. के. एल. व्यास, डॉ. सलाहुद्दीन नय्यर, रूबी मिश्रा, डॉ. जी. नीरजा, बंसीलाल एवं मोहित मलिक ने भी अपने विचार रखे | एलिजाबेथ कुरियन मोना ने कार्यक्रम का संचालन किया | माला बरारिया ने नारायणदास जाजू की संगीतबद्ध गजलें प्रस्तुत कीं |
संपत देवी मुरारका
मीडिया प्रभारी 
हैदराबाद



2 टिप्‍पणियां: