शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

"कादम्बिनी क्लब की मासिक गोष्ठी हुई"






"कादम्बिनी क्लब की मासिक गोष्ठी हुई"

कादम्बिनी क्लब, हैदराबाद के तत्वावधान में रविवार, १६ अक्टूबर को हिन्दी प्रचार सभा परिसर में क्लब की २३० वीं मासिक गोष्ठी का आयोजन किया गया | 

क्लब संयोजिका डॉ. अहिल्या मिश्र  एवं कार्यकारी संयोजिका मीना मूथा ने आज यहाँ जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि अवसर पर डॉ. जी. नीरजा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की | डॉ. मदनदेवी पोकरना, डॉ. वेणुगोपाल अग्रवाल, श्रीनिवास सावरीकर, डॉ. बलविंदर कौर एवं डॉ. अहिल्या मिश्र मंचासीन हुए | कार्यक्रम का आरम्भ डॉ. रमा द्विवेदी द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुति से हुआ | मीना मूथा ने उपस्थित सभा का स्वागत किया | डॉ. अहिल्या मिश्र ने क्लब परिचय में कहा कि क्लब की निरंतरता ही इसका वैशिष्ट्य है | संस्था की यह अभिलाषा है कि इसमें विभिन्न विषयों के प्रगाढ़ विद्वानों को लेकर हम आगे बढ़ें | नई पीढ़ी को जोड़ना, उनके सोचों को सकारात्मक बनाना क्लब का ध्येय है |

यहाँ हर साहित्यकार को परखा जाता है, तराशा जाता है | प्रथम सत्र में डॉ, बलविंदर कौर ने 'केदारनाथ अग्रवाल का काव्य-संसार' विषय पर आलेख प्रस्तुत करते हुए कहा कि केदारनाथ का नाम प्रगतिशील कवियों से जुड़ाहै | वे प्रेम और प्रकृति के कवि है | किसी ने उन्हें ग्रामीण चेतना का कवि कहा, किसी ने प्रकृति का तो किसी ने राजनैतिक चेतना का कवि कहा, किसी ने व्यंग्य-रूप-रस का कवि कहा | दरअसल वे किसी एक धरातल के कवि नहीं है |

जनता को आंदोलित करने वाला स्वर केदार की रचनाओं में प्रधान है और व्यंग्य का स्वर गौण है | प्रकृति साधक इस कवि की धरती, आसमान, सूरज, चाँद, तारे, पशु-पक्षी, स्त्री-पुरुष, लोकतंत्र, राजतंत्र, तानाशाही पर लेखनी चली है | राष्ट्रीय भावना, श्रमिकों का उद्धार, प्रकृति सौन्दर्य की उपासना, भारतीय परम्पराओं का चित्रण उनके काव्य में दृष्टिगत होता है | सरल-सटीक भाषा में रचनाएँ लिखी है | खेद की बात यह है कि जितना नागार्जुन के साहित्य पर कार्य हुआ है, उतना केदारनाथजी पर नहीं हुआ है | तार सप्तक, फूल नहीं रंग बोलते हैं आदि का उल्लेख कर कुछ अंश भी सुनाये गए |

डॉ. पोकरना ने प्रस्तुत प्रपत्र को अभ्यासपूर्ण बताया | डॉ. जी. नीरजा ने अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि डॉ. कौर बधाई की पात्र है और भविष्य में उम्मीद करते हैं कि इस साहित्यकार पर भी विस्तृत शोध कार्य अवश्य होगा | तत्पश्चात लक्ष्मीनारायण अग्रवाल के संचालन एवं नरेंद्र राय के आतिथ्य में कवि गोष्ठी संपन्न हुई | इसमें विजय विशाल, मदनलाल मरलेचा, नीरज त्रिपाठी, भावना पुरोहित, डॉ.रमा द्विवेदी, मीना मूथा, सम्पत देवी मुरारका, डॉ. जी. नीरजा, भंवरलाल उपाध्याय, मुकुन्दलाल डोगरा, जुगल बंग 'जुगल', सूरजप्रसाद सोनी, पवित्रा अग्रवाल, डॉ. सीता मिश्र, श्रीनिवास सावरीकर, डॉ. अहिल्या मिश्र, सुरेश जैन, कुंजबिहारी गुप्ता, जी. परमेश्वर ने सम-सामायिक विषयों पर काव्यपाठ करते हुए तालियाँ  बटोरी | डॉ. वेणुगोपाल ने अध्यक्षीय काव्यपाठ किया | वी. कृष्णा, अखिलेश राय, वल्लभ पंत की भी उपस्थिति रही | मीना मूथा के धन्यवाद के साथ गोष्ठी का समापन हुआ |
संपत देवी मुरारका
लेखिका यात्रा विवरण 
मीडिया प्रभारी  
हैदराबाद.

2 टिप्‍पणियां:

  1. डॉ. बलविंदर कौर जी और डॉ. नीरजा जी जैसे विद्वानों का कादम्बिनी क्लब से जुड़ना एक शुभ संकेत है हैदराबाद के साहित्य जगत व हिंदी प्रेमियों के लिए। अच्छी रोपोर्ट के लिए बधाई।

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  2. आ. चंद्रमोलेश्वर जी,
    आशीर्वाद की आभारी हूँ|
    सादर सस्नेह,
    संपत

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