शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

कादम्बिनी क्लब की गोष्ठी आयोजित


 
   कादम्बिनी क्लब की गोष्ठी आयोजित

कादम्बिनी क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में गत रविवार को हिंदी प्रचार सभा परिसर में श्री विनय कुमार झा की अध्यक्षता में क्लब की मासिक गोष्ठी आयोजित की गई |

क्लब संयोजिका डॉ. अहिल्या मिश्र एवं कार्यकारी संयोजिका मीना मुथा ने आज यहाँ जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि इस अवसर पर श्रीमती पारनंदी निर्मला (मुख्य अतिथि), प्रो. शुभदा वांजपे (प्रपत्र-प्रस्तोता), डॉ. अहिल्या मिश्र मंचासीन हुए | डॉ. रमा द्विवेदी ने सुमधुर स्वर में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की | मीना मुथा ने नववर्ष की बधाई के साथ सभी का स्वागत किया | डॉ. मिश्र ने मंचासीन अतिथियों का परिचय एवं क्लब परिचय देते हुए कहा कि जो हमारे बीच आए, कुछ लेकर गए | नवांकुर प्रतिभाओं को लेखन विकास हेतु मंच और मार्गदर्शन दिया जाता है | क्लब द्वारा संपादित कार्यों की संक्षिप्त जानकारी उन्होंने दी | अतिथियों को मोतीमाला व पुष्पक-१९ भेंट कर सम्मानित किया गया | श्रीमती निर्मला जी ने साहित्यिक कृतियाँ क्लब को भेंट की |

तत्पश्चात प्रो. शुभदा वांजपे ने ‘समकालीन हिंदी कविता के नये तेवर’ विषय पर बोधपूर्ण वक्तव्य प्रस्तुत किया | उन्होंने वक्तव्य में कहा कि कवियों का दायित्व क्या है | रचनाकर्म के प्रति प्रतिबद्धता, छायावाद, प्रयोगवाद, नई कविता, समकालीन युग में किस प्रकार रही यह विचार करने जैसी बात है | छायावादी कवि शब्दों को तोलकर, प्रयोगवादी शब्दों को टटोलकर, नई कविता में शब्दों को बोलकर और समकालीन कवि शब्दों को खोलकर रखते हैं |सुमित्रानंदन पंत, अज्ञेय, केदारनाथ सिंह, भवानीप्रसाद मिश्र, भारत यायावर, कवयित्री वीर, रामगणेश मिश्र, मनोज सोनकर, शलभ, अरुण कमल, मोना गुलाटी, चंद्रकात देवतले, राजेन्द्र सिंह, मुक्तिबोध, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना आदि कवियों के काव्यांश सुनाकर हिंदी कविता में आये बदलाव को तालियों की गूँज में प्रस्तुत किया | राजनीति, समाज, स्त्री दशा का मार्मिक चित्रांकन प्रो. वांजपे ने अपने वक्तव्य में किया | श्रीमती सरिता सुराणा जैन ने पुष्पक-१९ का परिचय देते हुए कहा कि पुष्पक अपनी साहित्यिक यात्रा के १९ पड़ाव पूर्ण कर चुका है | कहानी, लघुकथा, संस्मरण, कविता, गीत, गजल, हायकू, क्षणिकाएँ, रिपोर्ट, पत्र-पत्रिकाओं की प्राप्ति सूचना, पुस्तक समीक्षा, आलेख आदि को संपादक मंडल ने खूबसूरती से पुष्पक में समेटा है |

अध्यक्षीय टिप्पणी में श्री झा ने प्रो. वांजपे और श्रीमती सुराणा को बधाई देते हुए कहा कि इस प्रकार के सत्र का आयोजन साहित्यिक गान विधि को अग्रसर करना है | दूसरे सत्र में श्री रामुलू एवं डॉ. देवेन्द्र शर्मा की अध्यक्षता और श्री लक्ष्मीनारायण अग्रवाल के संचालन में कवि गोष्ठी संपन्न हुई | इसमें जी.परमेश्वर, पवित्रा अग्रवाल, डॉ. रमा द्विवेदी, संपत देवी मुरारका, ज्योति नारायण, भंवरलाल उपाध्याय, मीना मूथा, मुकुंददास डांगरा, अवनीश डांग, भगवानदास जोपट, विनीता शर्मा, एलिजाबेथ कुरियन मोना, डॉ. सीता मिश्र, परसराम डालमिया, सरिता सुराणा जैन, विजय विशाल, लीला बजाज आदि ने काव्य पाठ किया | श्रीमती सूर्यमाला, माधवराम, भूपेन्द्र मिश्र आदि भी उपस्थित थे |

संपत देवी मुरारका 
हैदराबाद 

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