शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

"हिन्दी की लघु व मंझौली पत्रिकाओं पर संगोष्ठी संपन्न"













"हिन्दी की लघु व मंझौली पत्रिकाओं पर संगोष्ठी संपन्न"
हिन्दी पत्रकार संघ, रचनात्मक साहित्यिक एवं शैक्षणिक परिषद् एवं हिन्दी प्रचार
सभा हैदराबाद के संयुक्त तत्त्वावधान में राजमोहल्ला स्थित पं. नरेंद्र भवन के 
सभागार में लघु एवं मंझौली पत्र-पत्रिकाओं पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया|
     यहाँ जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस अवसर पर हिन्दी जगत के विद्वान
एवं अनुभवी पत्रकारों ने  राष्ट्रभाषा/ राजभाषा हिन्दी की लघु-मंझौली पत्रिकाओं के
सन्दर्भ में विचार व्यक्त किया तथा चुनिन्दा वरिष्ठ व नवोदित हिन्दी पत्रकारों का
जनजागृत सेवा सदभावना पुरस्कार एवं प्रशस्ति-पत्र द्वारा सम्मान भी किया गया|
     इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित "स्वतंत्र वार्ता" के सम्पादक
डॉ. राधेश्याम शुक्ल, स्वागताध्क्ष लक्ष्मीनिवास शर्मा (सचिव, हिन्दी महाविद्यालय
शिक्षा समिति), समारोह के अध्यक्ष विट्ठल राव आर्य (संपादक,मासिक 'आर्य जीवन'
व अध्यक्ष, आं. प्र. आर्य प्रतिनिधी सभा) एवं संगोष्ठी के अध्यक्ष डॉ. ऋषभदेव शर्मा
(आचार्य, उच्च  शिक्षा और शोध संस्थान-दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा), तिरुमलगिरी
सुरेंदर (आं. प्र. हिन्दी अकादमी के चेयरमैन), एम. प्रभुजी (हिन्दी प्रचार सभा के
प्रधान मंत्री) मंचासीन हुए| सभी ने अपने विचार व्यक्त किये| पत्रकार एच. विद्यारण्य
ने संगोष्ठी का पर्यवेक्षण किया|
     गोष्ठी में 'हिन्दी पत्रकारिता और मेरे अनुभव: वर्तमान परिवेश में' विषय पर डॉ.
अहिल्या मिश्र (सहायक संपादक, विवरण पत्रिका एवं पुष्पक), डॉ. एफ. एम. सलीम,
समीक्षक भगवानदास जोपट, नीरज कुमार (दक्षिण समाचार), डॉ. राम मनोहर राव,
जे. गंगाधर आदि ने अपने विचार व्यक्त किये|
     इस दौरान नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों से संबद्ध कार्यालयों द्वारा प्रका-
शित होने वाली गृह पत्रिकाओं पर भी चर्चा संगोष्ठी संपन्न हुई, जिसकी अध्यक्षता एन.
एम. डी. सी. के सहायक महाप्रबंधक (राजभाषा) विजय कुमार ने की| इस चर्चा संगोष्ठी में
स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद के वरिष्ठ प्रबंधक (राजभाषा) डॉ. विष्णु भगवान शर्मा, पंजाब
नॅशनल बैंक के प्रबंधक (रा. भा) बृहस्पति शर्मा, होमनिधि शर्मा (रा. भा. अधिकारी, बी.
डी.एल.) आदि ने भाग लिया|
     समापन एवं सम्मान समारोह में प्रेस अकादमी ऑफ आंध्र प्रदेश के चेयरमैन तिरु-
मलगिरी सुरेंदर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे| हिन्दी प्रचार सभा के प्रधान मंत्री
मदनूरे प्रभू ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की| इस अवसर पर बतौर विशेष अतिथि उपस्थित
किशनलाल, जी. डागा,शिवराज सोनी, डॉ.बजरंग राव बांगरे आदि ने अपने विचार व्यक्त
किये|
     समापन सत्र में पत्रकारों में पत्रकारिता पुरस्कार एवं प्रशस्ति-पत्र वितरित किये गए|
संगोष्ठी के प्रधान संयोजक डॉ. हरिश्चंद्र विद्यार्थी ने धन्यवाद ज्ञापित  किया| संगोष्ठी की
सफलता में देवप्रकाश लाहोटी सावन, भगतराम, रिद्धीश जागीरदार, जितेन्द्र प्रकाश, विजेंद्र
प्रकाश आदि का योगदान रहा|
     पुरस्कार एवं प्रशस्ति-पत्र ग्रहीताओं में लक्ष्मीनिवास शर्मा, ऋषभदेव शर्मा, एच. विद्यारण्य,
डॉ. अहिल्या मिश्र, नीरज कुमार, भगवानदास जोपट, जे. गंगाधर, विजय कुमार, श्रीमती अनुभा
सिंह, भगतराम गंगाराम, बृहस्पति शर्मा, डॉ.विष्णु भगवान शर्मा, किशनलाल डागा, मदनूरे प्रभु,
तिरुमलगिरी सुरेंदर, विट्ठलराव आर्य आदि के नाम शामिल है|
     इस अवसर पर नगरद्वय के कई साहित्यकार व प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित थे|
समाचार प्रेषित,
संपत देवी मुरारका

शुक्रवार, 22 जुलाई 2011

"कादम्बिनी क्लब की मासिक गोष्ठी आयोजित"

"कादम्बिनी क्लब की मासिक गोष्ठी आयोजित" 
     कादम्बिनी क्लब, हैदराबाद के तत्वावधान में १७ जुलाई २०११ को हिन्दी प्रचार सभा
परिसर में क्लब की २२७वीं मासिक गोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन हुआ|
     आज यहाँ क्लब संयोजिका डॉ. अहिल्या मिश्र ने जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि
अवसर पर प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की एवं दयानाथ  झा (मुख्य अतिथि),
डॉ. जी नीरजा (प्रपत्र-प्रस्तुतकर्ता), डॉ. अहिल्या मिश्र मंचासीन हुए| कार्यक्रम का आरम्भ डॉ. रमा
द्विवेदी द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुति  से हुआ| कार्यकारी संयोजिका मीना मुथा ने उपस्थित सभा
का स्वागत किया| डॉ. अहिल्या मिश्र ने क्लब का परिचय देते हुए कहा कि क्लब ने अपनी निरं-
तरता के बल पर १८वें वर्ष में प्रवेश किया है| क्लब का उद्देश्य है नए रचनाकारों को प्रोत्साहित 
 करना| नई-नई प्रतिभाओं को मंच प्रदान करना, साहित्यकार व उनके साहित्य से परिचित कराना,
क्लब प्रकाशन 'पुष्पक' के अंतर्गत विविध प्रतिभाओं को जोड़ना|
     प्रथम सत्र में सुप्रसिद्ध कवि शमशेर बहादुर सिंह की जन्म शताब्दी के अवसर पर डॉ. जी नीरजा
ने अपने प्रपत्र प्रस्तुति में कहा कि उ. प्र. मुज्जफर नगर के एक छोटे से कस्बेमें १३ जनवरी १९११ को शमशेर जी का जन्म हुआ| प्रयाग में उनकी शिक्षा हुई| हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी में वे विद्वान थे| उन दिनों कविता के क्षेत्र में छाए हुए जकड़न से वे अलिप्त रहे| गद्य हो या पद्य उनकी भाषा बनावटी नहीं है| उनका निजी जीवन ही अनुभव का संसार था| आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण जीवन के
ताप को सहकर  वे सहज बने| अभावों के कटघरे में बीते जीवन ने  उन्हें हालात के आगे घुटने न
टेकने का साहस दिया| कविता में इनकलाबी मिजाज जैसे 'सरकारें पलटती है जहाँ हम  दर्द से करवटें
बदलतें हैं' में झलकता है|
     भारत-चीन युद्ध के समय उन्होंने 'सत्यमेव जयते' पर जोर दिया| शमशेर जी संवेदनशील ही नहीं,
भावुक भी थे| दोआब, कहानियाँ और स्केच, कुछ कविताएँ आदि रचना संग्रहों में उनकी आंतरिक उर्जा
और खड़ी बोली के बोलचाल का महत्त्व दृष्टिगत होता है| अध्यक्षीय बात रखते हुए प्रो. शर्मा ने
शमशेरजी की कविताओं के कुछ अंश पढ़कर सुनाए जैसे 'देखो वो काजल की तलवार डूबी पलकन
धार/जागे सुप्त ह्रदय पर केवल कोमलतम उधार' | आगे प्रो.शर्मा ने कहा कि शमशेर सिंह सबसे कठिन
कवियों में से एक है| मुक्तिबोध, अज्ञेय को कठिन कवियों में माना जाता है और इसलिए अज्ञेय जैसे
रचनाकार ने उन्हें 'कवियों का कवि' कहा है|
      श्री दयानाथ झा ने आयोजन की सराहना की और कहा कि डॉ. अहिल्या मिश्र वह  स्तंभ है जो क्लब
की निरंतरता बनाए रखने में प्रमुख है| दूसरे सत्र में लक्ष्मीनारायण अग्रवाल के सफल संचालन में
कवि गोष्ठी हुई, जिसमें कुंजबिहारी गुप्ता, सत्यनारायण काकड़ा, गौतम दीवाना, सूरजप्रसाद सोनी, उमा
सोनी, डॉ. रमा द्विवेदी, आज्ञा खंडेलवाल, डॉ. अहिल्या मिश्र, मीना मूथा, भंवरलाल उपाध्याय, नीरज
त्रिपाठी, डॉ. देवेन्द्र शर्मा, विनीता शर्मा, मीना खोंड, जयश्री कुलकर्णी, मुकुंददास डांगरा, जुगल बंग
'जुगल', डॉ. सीता मिश्र, सरिता सुराणा जैन, पवित्रा अग्रवाल, संपत देवी मुरारका, दत्तभारती गोस्वामी,
भावना पुरोहित आदि ने विविध विषयों को केन्द्रित करते हुए काव्यपाठ किया| प्रो. ऋषभदेव शर्मा
ने अध्यक्षीय काव्यपाठ किया| वी. वरलक्ष्मी,संजय कुमार शर्मा ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई|
सरिता सुराणा जैन के धन्यवाद के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ|