शनिवार, 21 अप्रैल 2018

[वैश्विक हिंदी सम्मेलन ] हिन्दी में हो उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों की कार्यवाही: अतुल कोठारी


नई दिल्ली: न्यायपालिका के कार्यों में हिन्दी के प्रयोग का चलन शुरू करने की मांग एक बार फिर से उठने लगी है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हमें हिन्दी को अपनी अदालतों में लाना चाहिए. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में हिन्दी में कार्यवाही होना हर देशवासी के लिए गौरव की बात होगी. शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव और भारतीय भाषा अभियान के राष्ट्रीय संरक्षक अतुल कोठारी ने कहा कि भारत की भाषाओं में वे सभी क्षमताएं हैंजो न्यायिक क्षेत्र की किसी भी भाषा में होनी चाहिए. भारत की भाषाओं को न्यायालय  में कामकाज की भाषा बनाने से जुड़ी तकनीकी एवं व्यवहारिक बाधाओं के समाधान भी खोजे जा सकते हैं.
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की ओर से दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय ज्ञानोत्सव में महान्यायवादीपूर्व न्यायाधीश और उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय  के वकीलों समेत विधि क्षेत्र के कई विशेषज्ञ शामिल हुए. इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत और केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा भी शामिल हुए. तीन दिन में पांच राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की उपस्थिति ईश्वर की कृपा एवं कार्यकर्ताओं के परिश्रम से संपन्न हुआ.
अतुल कोठारी ने कहा कि देश की बहुसंख्य आबादी अपनी भाषा में संवाद करती है. इसके बावजूद न्यायालयों की भाषा आज भी अंग्रेजी बनी हुई है. न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता के लिए यह जरूरी है कि लोगों को उनकी भाषा में न्याय मिले. अपनी भाषा में न्यायिक प्रक्रिया चलेगी तो पारदर्शिता अधिक होगी और लोग न्यायालय के निर्णयों को बेहतर ढंग से समझ एवं आत्मसात कर पाएंगे. 
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है कि आजादी के करीब आठ दशक बीत जाने के बावजूद देश के उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में हिंदी में कार्यवाही नहीं होती है. अतुल कोठारी ने कहा कि भारतीय भाषा अभियान की यह मांग है कि जिला सत्र न्यायालयों में लोगों को अपनी भाषा में न्याय मिलना चाहिए. इसके साथ ही उच्च न्यायालय में भी अंग्रेजी के साथ-साथ राज्य के लोगों की भाषा में न्याय मिलने की व्यवस्था होनी चाहिए.
संविधान के अनुच्छेद 348 के खंड (1) के उपखंड (क) के तहत उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों की कार्यवाही अंग्रेजी भाषा में किए जाने का प्रावधान है. हालांकिइसी अनुच्छेद के खंड (2) के तहत किसी राज्य का राज्यपाल उस राज्य के उच्च न्यायालय में हिंदी भाषा या उस राज्य की राजभाषा का प्रयोग राष्ट्रपति की अनुमति से प्राधिकृत कर सकता है.
कोठारी ने बताया कि उत्तर प्रदेशबिहारराजस्थान और मध्य प्रदेश समेत देश के चार राज्यों के उच्च न्यायालयों को हिंदी में कामकाज के लिए प्राधिकृत किया गया है. जबकिअन्य न्यायालयों में सभी कार्यवाहियां अंग्रेजी में ही की जाती हैं. हालांकिमातृभाषा का कोई विकल्प नहीं हो सकता और यह एक वैज्ञानिक सत्य है. इसके बावजूद अपनी भाषा में न्याय पाने का अधिकार अभी तक लोगों को नहीं मिला है.
 ज़ी न्यूज़ जालस्थल: कड़ी 


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प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
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मो.: 09703982136

[वैश्विक हिंदी सम्मेलन ] वैबसाइट हैक होने से बचा सकती है देवनागरी लिपि - करुणा शंकर उपाध्याय, हिंदी भाषा डॉट कॉम का लिंक तथा वसुधा पत्रिका का 58वां अंक




लिंक पर क्लिक कर देखें और पढ़ें ।
​ www.hindibhashaa.com

 संलग्न 

 कनाडा से प्रकाशित पत्रिका 'वसुधा' का अंक 58 संलग्न है।

वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई



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शनिवार, 14 अप्रैल 2018

[वैश्विक हिंदी सम्मेलन ] हिंदी के नाम पर पाखंड - डॉ. वेदप्रताप वैदिक


हिंदी के नाम पर पाखंड

- डॉ. वेदप्रताप वैदिक

ताजा खबर यह है कि विश्व हिंदी सम्मेलन का 11 वां अधिवेशन अब मोरिशस में होगा। मोरिशस की शिक्षा मंत्री लीलादेवी दोखुन ने सम्मेलन की वेबसाइट का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ‘आज हिंदी की हालत पानी में जूझते हुए जहाज की तरह हो गई है।’ अच्छा हुआ कि उन्होंने डूबते हुए जहाज नहीं कहा। पिछले 70 सालों में यदि हमारी सरकारों का वश चलता तो वे हिंदी के इस जहाज को डुबाकर ही दम लेतीं। स्वतंत्र भारत की सरकारों को कौन चलाता रहा है ? नौकरशाह लोग ! ये ही लोग असली शाह हैं। हमारे नेता तो इनके नौकर हैं। हमारे नेता लोग शपथ लेने के बाद दावा करते हैं कि वे जन-सेवक हैं, प्रधान जन-सेवक! यदि सचमुच जनता उनकी मालिक है तो उनसे कोई पूछे कि तुम शासन किसकी जुबान में चला रहे हो ? जनता की जुबान में ? या अपने असली मालिकों, नौकरशाहों की जुबान में ? आज भी देश की सरकारों, अदालतों और शिक्षा-संस्थाओं के सारे महत्वपूर्ण काम अंग्रेजी में होते हैं। संसद में बहसें हिंदी में भी होती हैं, क्योंकि हमारे ज्यादातर सांसद अंग्रेजी धाराप्रवाह नहीं बोल सकते और उनके ज्यादातर मतदाता अंग्रेजी नहीं समझते। लेकिन संसद के सारे कानून अंग्रेजी में ही बनते हैं। हिंदी के नाम पर बस पाखंड चलता रहता है।

 43 साल पहले जब पहला विश्व हिंदी सम्मेलन नागपुर में हुआ था, तब मैंने ‘नवभारत टाइम्स’ में संपादकीय लिखा था- ‘हिंदी मेलाः आगे क्या?’ उस संपादकीय पर देश में बड़ी बहस चल पड़ी थी लेकिन जो सवाल मैंने तब उठाए थे, वे आज भी मुंह बाए खड़े हुए हैं। हर विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रस्ताव पारित होता है कि हिंदी को संयुक्तराष्ट्र की भाषा बनाओ। वह राष्ट्र की भाषा तो अभी तक बनी नहीं और आप चले, उसे संयुक्तराष्ट्र की भाषा बनाने ! घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने !! इस सम्मेलन पर हमारे विदेश मंत्रालय के करोड़ों रु. हर बार खर्च हो जाते हैं लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकलता। 

हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज स्वयं हिंदी की अनुपम वक्ता हैं और मेरे साथ उन्होंने हिंदी आंदोलनों में कई बार सक्रिय भूमिका निभाई है लेकिन वे क्या कर सकती है ? हिंदी के प्रति उनकी निष्ठा निष्कंप है लेकिन वे सरकार की नीति-निर्माता नहीं हैं।वे सरकार नहीं चला रही हैं। सरकार की सही भाषा नीति तभी बनेगी, जब जनता का जबर्दस्त दबाव पड़ेगा। लोकतंत्र की सरकारें गन्ने की तरह होती हैं। वे खूब रस देती हैं, बशर्ते कि उन्हें कोई कसकर निचोड़े, मरोड़े, दबाए, मसले, कुचले ! यह काम आज कौन करेगा ?


वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई


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गुरुवार, 12 अप्रैल 2018

वैश्विक हिंदी सम्मेलन ] दक्षिण अफ्रीका हिंदी शिक्षा संघ का मासिक बुलेटिन 'हिंदी खबर' मार्च, 2018 - एक श्रद्धांजलि तथा गोइन्का पुरस्कार समारोह 8 अप्रैल को।



दक्षिण अफ्रीका हिंदी शिक्षा संघ के मासिक बुलेटिन
 'हिंदी खबर' के मार्च, 2018 अंक में

 'वैश्विक हिंदी सम्मेलन' की प्रमुख स्तंभ डॉ.(श्रीमती) कामिनी गुप्ता को श्रद्धांजलि






गोइन्का पुरस्कार समारोह 8 अप्रैल को  

कमला गोइन्का फाउण्डेशन का पुरस्कार समारोह रविवार दिनांक 8 अप्रैल 2018 को 
सायंकाल 3:30 बजे से "गांधी भवन" सभागृह शिवानन्द सर्कल के पास, बैंगलोर में 
आयोजित है। इस पुरस्कार समारोह के समारोह अध्यक्ष अवकाश प्राप्त अतिरिक्त मुख्य 
सचिव, कर्नाटक सरकार के श्री चिरंजीव सिंह जी होंगे।

इस पुरस्कार समारोह में "पिताश्री गोपीराम गोइन्का हिन्दी-कन्नड़ अनुवाद 
पुरस्कार" से डॉ. टी.जी. प्रभाशंकर प्रेमी जी को, "बालकृष्ण गोइन्का अनूदित 
साहित्य पुरस्कार" से डॉ. पि.के. बालसुब्रह्मण्यन जी को, "सत्यनारायण गोइन्का 
अनूदित साहित्य पुरस्कार" से डॉ. सी.जी. राजगोपाल जी को एवं "बाबूलाल गोइन्का 
हिन्दी साहित्य पुरस्कार" से डॉ. के.वनजा जी को देकर पुरस्कृत किया जायेगा।

प्रबंध न्यासी श्री श्यामसुन्दर गोइन्का जी ने विज्ञप्ति द्वारा यह सूचित किया 
है कि उपरोक्त सभी साहित्यकारों को इक्कीस हजार रुपये नगद व प्रतीक चिन्ह देकर 
पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जायेगा। अत: बैंगलोर के साहित्य-रसिकों से आग्रह है 
कि इस पुरस्कार समारोह में शामिल होकर आयोजकों को कृतज्ञ करें।


कमलेश यादव (कार्यकारी सचिव) मो. 9900020161 
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दक्षिण अफ्रीका, हिंदी शिक्षा संघ के मासिक बुलेटिन 'हिंदी खबर' मार्च, 2018 की पीडीएफ प्रति संलग्न है।


 

वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई


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[वैश्विक हिंदी सम्मेलन ] डॉ. कर्नावट को बधाई, ऑनलाइन लीगल कोश तथा स्व. श्रीमती इन्द्रा स्वप्न की नवप्रकाशित


डॉ. जवाहर कर्नावट बैंक ऑफ़ बड़ौदा में 
महाप्रबंधक के रूप में पदोन्नत हो गए हैं.

डॉ. कर्नावट को शत-शत बधाई....


मित्रों
मुझे आपको यह बताने में ख़ुशी हो रही है कि हिन्दी सेंटर और मोडलिंगुआ ने मिलकर
एक ऑनलाइन लीगल कोश www.legalkosh.com लांच किया है
जिसका मकसद सार्वजानिक हित के लिए ऑनलाइन कानूनी शब्दावली और शब्दकोश बनाना है.
इस ऑनलाइन लीगल कोश की खूबी यह है कि यह समुदाय द्वारा संचालित प्लेटफार्म है। अर्ताथ,
इसे हर कोई नि:शुल्क खोज विकल्प के माध्यम से अपने मनचाहित शब्द ढूँढ सकता है.
और अगर आपका मनचाहा शब्द न मिले तो आप उस शब्द को ऑनलाइन शब्दाबली में जोड़ सकते हैं.
अगर आपके पास कुछ समय हो तो कुछ शब्द और उनके अर्थ अपने नाम के साथ जरुर जोड़ें.

हम अपने उन दोस्तों और योगदानकर्ताओं के आभारी हैं
जो एक विश्वसनीय ऑनलाइन कानूनी शब्दावली और शब्दकोश बनाने में हमारी सहायता कर रहे हैं।

आशा है इस सामुदायिक लीगलकोश को सफल बनाने में आपका सहयोग मिलेगा.

आपका

रवि कुमार
C/o Modlingua Learning Pvt. Ltd
New Delhi
M:+91-9810268481
स्व. इन्द्रा स्वप्न की नवप्रकाशित पुस्तकें।




संपर्क
श्री नरेश भटनागर
सी - 54, शिवाजी पार्क (पश्चिमी पंजाबी बाग)
दिल्ली -110026
मो. 8800875153

डॉ. एम.एल. गुप्ता 'आदित्य'




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डॉ. एम.एल. गुप्ता 'आदित्य'

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हिन्दी में हो उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों की कार्यवाही: अतुल कोठारी


नई दिल्ली: न्यायपालिका के कार्यों में हिन्दी के प्रयोग का चलन शुरू करने की मांग एक बार फिर से उठने लगी है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हमें हिन्दी को अपनी अदालतों में लाना चाहिए. उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में हिन्दी में कार्यवाही होना हर देशवासी के लिए गौरव की बात होगी. शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव और भारतीय भाषा अभियान के राष्ट्रीय संरक्षक अतुल कोठारी ने कहा कि भारत की भाषाओं में वे सभी क्षमताएं हैंजो न्यायिक क्षेत्र की किसी भी भाषा में होनी चाहिए. भारत की भाषाओं को न्यायालय  में कामकाज की भाषा बनाने से जुड़ी तकनीकी एवं व्यवहारिक बाधाओं के समाधान भी खोजे जा सकते हैं.
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की ओर से दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय ज्ञानोत्सव में महान्यायवादीपूर्व न्यायाधीश और उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय  के वकीलों समेत विधि क्षेत्र के कई विशेषज्ञ शामिल हुए. इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत और केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा भी शामिल हुए. तीन दिन में पांच राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की उपस्थिति ईश्वर की कृपा एवं कार्यकर्ताओं के परिश्रम से संपन्न हुआ.
अतुल कोठारी ने कहा कि देश की बहुसंख्य आबादी अपनी भाषा में संवाद करती है. इसके बावजूद न्यायालयों की भाषा आज भी अंग्रेजी बनी हुई है. न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता के लिए यह जरूरी है कि लोगों को उनकी भाषा में न्याय मिले. अपनी भाषा में न्यायिक प्रक्रिया चलेगी तो पारदर्शिता अधिक होगी और लोग न्यायालय के निर्णयों को बेहतर ढंग से समझ एवं आत्मसात कर पाएंगे. 
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है कि आजादी के करीब आठ दशक बीत जाने के बावजूद देश के उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में हिंदी में कार्यवाही नहीं होती है. अतुल कोठारी ने कहा कि भारतीय भाषा अभियान की यह मांग है कि जिला सत्र न्यायालयों में लोगों को अपनी भाषा में न्याय मिलना चाहिए. इसके साथ ही उच्च न्यायालय में भी अंग्रेजी के साथ-साथ राज्य के लोगों की भाषा में न्याय मिलने की व्यवस्था होनी चाहिए.
संविधान के अनुच्छेद 348 के खंड (1) के उपखंड (क) के तहत उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों की कार्यवाही अंग्रेजी भाषा में किए जाने का प्रावधान है. हालांकिइसी अनुच्छेद के खंड (2) के तहत किसी राज्य का राज्यपाल उस राज्य के उच्च न्यायालय में हिंदी भाषा या उस राज्य की राजभाषा का प्रयोग राष्ट्रपति की अनुमति से प्राधिकृत कर सकता है.
कोठारी ने बताया कि उत्तर प्रदेशबिहारराजस्थान और मध्य प्रदेश समेत देश के चार राज्यों के उच्च न्यायालयों को हिंदी में कामकाज के लिए प्राधिकृत किया गया है. जबकिअन्य न्यायालयों में सभी कार्यवाहियां अंग्रेजी में ही की जाती हैं. हालांकिमातृभाषा का कोई विकल्प नहीं हो सकता और यह एक वैज्ञानिक सत्य है. इसके बावजूद अपनी भाषा में न्याय पाने का अधिकार अभी तक लोगों को नहीं मिला है.
 ज़ी न्यूज़ जालस्थल: कड़ी 

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सोमवार, 9 अप्रैल 2018

दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार मिडिया समग्र मंथन -2018, अप्रेल 7-8 आजमगढ़







Kabeer Up ने 4 नई फ़ोटो जोड़ीं.
आज का बुद्धिजीवी वेश्या बन गया है - पूर्व डी जी पी - प्रकाश सिंह
आजमगढ़ : आजमगढ़ की धरती बड़ी उपजाऊ है इस धरती से कला मनीषियों के साथ साहित्य के मनीषियों को जन्म दिया है मैं इस धरती पर आया यह मेरा सौभाग्य है मैं इस धरती को प्रणाम करता हूँ उक्त विचार नेहरु हाल में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार मिडिया समग्र मंथन में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्व विद्यालय वर्धा के प्रोफ़ेसर देवराज ने कहा उन्होंने आगे कहा कि यह धरती अदभुत धरती है जहां खड़ी बोली के रचियता आचार्य चन्द्रबली पाण्डेय , घुमक्कड़ शास्त्र व अनेक भाषाओं के ज्ञाता और स्वतंत्रता आन्दोलन में अपनी भूमिका निभाने वाले महाज्ञानी राहुल सांस्कृत्यायन , प्रगतिशील शायर कैफ़ी आज़मी जैसे विभूतियों की है मैं इस मंच से अपील के साथ आपकी सहमती चाहता हूँ कि यहाँ पर आवासीय व शोध स्तर के विश्व विद्यालय की स्थापना होनी चाहिए प्रो देवराज ने कहा कि आज देश की शासन सत्ता समाज के हर क्षेत्र में अपना हस्तक्षेप जारी रखे हुए है जो देश के लिए शुभ संकेत नही है | बाबा साहेब आंबेडकर , डा लोहिया नरेंद्र देव की चर्चा करते हुए कहा कि बाबा साहेब ने कहा था कि ऐसा लोकतंत्र होना चाहिए एक व्यक्ति एक वोट न हो बल्कि एक व्यक्ति एक मूल्य हो व्यक्ति के साथ मूल्य का जुदा होना आवश्यक है लेकिन देश के नेताओं ने पिछले 70 सालो में इसको बदल दिया या मूल्य बदलने की कोशिश में लगातार लगे हुए है लोहिया जी ने सौन्दर्य दृष्टि से मुख्य धारा में बदलने की पैरवी की थी उनका कहना था कि आंतरिक सौन्दर्य यथार्थ , वास्तविक जीवन धारा से जोड़ता है , वह महत्वपूर्ण है आचार्य नरेंद्र देव जी ने कहा था कि विचारों की आवश्यकता है उसके साथ ही विचारों को स्वतंत्रता मिलनी चाहिए डा देवराज ने आगे कहा कि हमने लोकतंत्र को वोट तंत्र में बदल दिया है जिसके कारण जो लोकतंत्र वास्तविक है ही नही इस व्यवस्था को लोग बदलते चले जा रहे है अगर समय रहते चेता नही गया तो यह लोकतंत्र मात्र नाम का रह जाएगा आज के समय में मिडिया का विस्तार हुआ है पर मिडिया वास्तविक सरोकारों से नजरे चुराता है पत्रकारिता की जो प्रतिबद्धता है राजनीतिक , सामाजिक यथार्थ से मिडिया आज भागता है लोकतंत्र में लोक की भागीदारी कम हुई है जिसके कारण शिक्षा संस्कृति को बहुत बड़ा नुक्सान हो रहा है संस्कृति से ही हमारे जीवन के सारे पक्ष शुरू होते है अब मीडिया परिष्कृत नही रहा गया मीडिया इसमें भी असफल रहा | उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र का भाषा से सम्बन्ध आज कम हुआ है इस मामले में मीडिया का गहरा असर है आज हमारी कला - संस्कृति के साथ भयानक साजिश हो रही है यही कला और संस्कृति मानव चेतना को जगाने का काम करती है | क्रम को आगे बढाते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह ने कहा कि कहने को तो देश में लोकतंत्र है पर वो कही नजर नही आता देश के आला अधिकारी और नेता इस लोकतंत्र को कमजोर करने में लगे है , देश की अवाम को इस बात को समझना चाहिए अगर वो अपनी समझदारी नही खोलते है तो एक दिन बस नाम मात्र का लोकतंत्र देश में रह जाएगा पिछले तीन लोकसभा चुनाव का अगर हम आकलन करे तो हम पायेंगे 24% 30% 34% अपराधी लोग देश के उच्च सदन में बैठे है इन अपराधिक पृष्ठ भूमि के लोगो से देश क्या उम्मीद कर सकता है यह जो कुछ भी करंगे सिर्फ अपने लिए यह लोग दिखाने के लिए देश की तरक्की की आशा देते है पर यह लोग अपने धर्म , जाति क्षेत्र से बाहर की सोच रखते ही नही वर्तमान में लोकसभा का चरित्र बदल रहा है | मेरा मानना है अगर ऐसे ही रहा तो हमारा लोकतंत्र के बजाये यह देश क्रिमनल स्टेट बन जाएगा , पूर्व डी जी पी प्रकाश सिंह ने आगे कहा कि ऐसी ससंद किसलिए जहाँ पर कुछ काम नही हो रहा है यहाँ पर बस लोकतंत्र की कब्र खोदने का काम हो रहा है | अगर यही हाल रहा तो एक दिन कोई तानाशाह नेता आएगा और पूरे देश को अपनी मुठ्ठी में कर लेगा इस देश के बौद्धिक वर्ग को इसपे मंथन करना चाहिए पर ठीक इसके उल्टा हो रहा है यह बौद्धिक लोग बौद्धिक वेश्यावृति करने लगे है इन्हें जहाँ से पैसा मिलेगा यह बस उसी का गुणगान करेंगे | अगर लोग नही जगे तो आने वाले समय में भूल जाइए देश की आजादी को साथ ही लोकतंत्र को देश के लोकतंत्र में दीमक लग चूका है अब बारी है इस दीमको को साफ़ करने का , आजादी में हिन्दी मीडिया का महत्वपूर्ण रोल रहा है लेकिन अब पत्रकारिता के चरित्र में बड़ा बदलाव आया है यह चिंता का विषय है इसमें नैतिकता का दायरा सिमट रहा है | अगर मिडिया में खबर छपवानी है तो कुछ दान - दक्षिण दीजिये आपकी खबर छप जायेगी अब मिडिया का ऐसा रोल हो गया है | देश में विकास तो हो रहा है पर कुछ लोग मात्र अपना विकास कर रहे है | आज अगर पत्रकारिता बची है तो मात्र लघु पत्र और पत्रिकाओं के बदौलत समाजवादी विचारक गोपाल राय ने सम्बोधन करते हुए कहा कि मीडिया राजनैतिक सत्ता से प्रभावित रहता है जिसमे 72% खबर इन लोगो की होती है जनता के सरोकारों का हिस्सा मात्र 6% या 7% ही रह गया है राजनैतिक तौर पर सत्ता जो लोकतंत्र पर बोलेगा वही सच माना जा रहा है गाँव को शहर मुर्ख बना रहा है शहरों को महा नगर मुर्ख बना रहा है अब तो आम आदमी को सोचना है कि वो किस लोकतंत्र में जियेगा ?
समाजवादी विचारक विजय नरायण जी ने कहा कि हमने बहुत सेमिनार देखे है पर आज मैं यह बात दावे से कह सकता हूँ वर्षो बाद आज के सेमिनार में गंभीर और सार्थक चर्चा हुई है इसके लिए शार्प रिपोटर के सम्पादक अरविन्द सिंह और उनका पूरा कुनबा बधाई का हकदार है डा योगेन्द्र नारायण अरुण ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आज मैं बहुत ही प्रसन्न हूँ की मुझे इस पावन धरती पर आने का सौभाग्य मिला है उन्होंने आगे कहा की लोकतंत्र खतरे में है अगर मिडिया ने अपना चरित्र नही बदला तो हमारा लोकतन्त पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगा देश के अवाम को इस बात को समझना होगा वो मात्र किसी नेता के लिए वोट नही है उसका वोट नैतिक मूल्यों का वोट है अभी भी वक्त है सम्भाल जाओ मरते लोकतंत्र को बचाने के लिए आगे आओ |





आज़मगढ़। 8अप्रैल,2018। मीडिया समग्र मंथन -2018। द्वितीय दिवस। सम्मान समारोह। अध्यक्षता : प्रो. देवराज।
#मीडिया ने किया स्वचिंतन और लोकतन्त्र पर विचार मन्थन
आजमगढ़ से श्रीगोपाल नारसन
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ मे राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित दो दिवसीय मीडिया समग्र मन्थन 2018 संगोष्ठी मे भड़ास फॉर मीडिया के सम्पादक यशवंत सिंह की मौजूदगी मे मीडिया से जुड़े लोगो ने मिडिया से उम्मीदे के सवाल पर अपने अपने अनुभव बांटे।आज तक के पत्रकार रामकिंकर ने कहा कि मीडिया की उसकी निष्पक्षता को लेकर कितनी भी आलोचना क्यो न करे लेकिन जब ऐसे लोग संकट मे होते है तो वे अपनी आवाज उठाने के लिए मीडिया के पास ही आते है।इसी तरह मीडिया मिरर के सम्पादक प्रशांत राजावत ने कहा कि मीडिया मे जो सच्चाई परोसना चाहता है उनकी आवाज मीडिया के लोग ही निजी स्वार्थ की चाहत मे दबा देते है।वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश अखिल ने बिहार मे सत्ताधीशो द्वारा पत्रकारो की आवाज दबाने के लिए अपनाये जाने वाले हथकण्डो की जानकारी दी और अपने उत्पीड़न की दांस्ता सुनाई।वही हैदराबाद से आये प्रोफेसर ऋषभ देव शर्मा ने पत्रकारिता के मूल्यों को लेकर विचार विमर्श किया तो वर्धा हिन्दी विश्व विद्यालय से आये प्रोफेसर देवराज ने हिन्दी को क्षेत्रीय भाषाओ को आगे बढ़ाने वाली राष्ट्र भाषा के रूप मे प्रतिष्ठित जन जन की भाषा बताया ओर स्वयं के द्वारा गैर हिन्दी भाषी क्षेत्रो मे किये गए हिन्दी अभियान के अनुभव बांटे।व्यंग्यकार गिरीश पंकज ने बड़े ही प्रभावी ढंग से मीडिया मे हो रहे परिवर्तन को लेकर चर्चा की तो वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त ने मीडिया को कमजोर करने के लिए सरकार द्वारा बनाये जा रहे मनमाने कानूनों पर सवाल उठाये। छ राज्यो से आये पत्रकारो की मौजूदगी मे कई पत्रकार व साहित्यकार विभूतियो को सम्मानित भी किया गया ।उद्घाटन सत्र मे लोकतन्त्र,मिडिया और वर्तमान समय विषय पर अत्यंत गम्भीर व सार्थक संवाद के आयोजन के साथ साथ शार्प रिपोर्टर मासिक पत्रिका के उत्तर प्रदेश एवम् उत्तराखण्ड विशेषांक का विमोचन भी किया गया।उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता रुड़की से आये साहित्य अकादमी के पूर्व सदस्य डा योगीन्द्र नाथ शर्मा अरुण ने की और मुख्य अतिथि के रूप मे उत्तर प्रदेश के पूर्व डी जी पी प्रकाश सिंह के साथ ही अंतरराष्ट्रीय महात्मा गांधी हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के वरिष्ठ प्राध्यापक डा देवराज,उत्तराखण्ड से आये स्वतन्त्र पत्रकार श्रीगोपाल नारसन,दिल्ली से आये डा गोपाल राय तथा आजमगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार जय नारायण सिंह ने लोकतन्त्र व मीडिया पर अपने सारगर्भित विचार रखे।दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चर्चित पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी ने लाइव टेलीकास्ट के माध्यम से इस संवाद उत्सव को सम्बोधित किया और पत्रकारो द्वारा पूछे गए प्रश्नो के उत्तर भी दिए।इस संवाद उत्सव मे दो प्रस्ताव पारित किये गए।जिनमें केंद्र व राज्य सरकारो से यह मांग की गई कि पत्रकारो की राष्ट्र व्यापी सुरक्षा के लिए केंद्र व राज्यो की सरकारे तुरन्त प्रभावी कानून बनाये साथ ही अपना दायित्व निभाते हुए पत्रकार की हत्या पर या मौत पर उसके परिवार की शहीद सैनिको की भाँति ही सुविधा दी जाये।कवि सम्मेलन व मुशायरे के साथ रविवार देर रात्रि सम्पन्न हुई इस राष्ट्रीय संगोष्ठी मे दस कलमकारों को विभिन्न विभूतियो की स्म्रति मे सम्मानित किया गया।जिनमे डा योगेन्द्र नाथ शर्मा अरुण को राहुल सांकृत्यायन सम्मान दिया जाना भी शामिल है।कार्यक्रम का सफल संचालन अमन त्यागी ने किया तो शार्प रिपोर्टर पत्रिका के सम्पादक अरविंद सिंह व संस्थापक वीरेंद्र सिंह ने अतिथियों का भावपूर्ण स्वागत किया।
प्रस्तुति: डॉ. ऋषभदेव जी शर्मा 
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