गुरुवार, 26 जनवरी 2012

डॉ. राधेश्याम शुक्ल आचार्य हस्ती सेवा सम्मान से सम्मानित


डॉ. राधेश्याम शुक्ल आचार्य हस्ती सेवा सम्मान से सम्मानित



 डॉ. राधेश्याम शुक्ल आचार्य हस्ती सेवा सम्मान से सम्मानित

15 जनवरी 2012 को हैदराबाद में जैनाचार्य हस्तीमल जी की स्मृति में स्थापित ‘आचार्य हस्ती फाउंडेशन’, हैदराबाद की और से हिंदी महाविद्यालय के सभागृह में इस वर्ष का ‘आचार्य हस्ती सेवा-सम्मान’ ‘स्वतंत्र वार्ता’ के संपादक डॉ. राधेश्याम शुकल को प्रदान किया गया |

उल्लेखनीय है कि यह सम्मान साहित्य, कला एवं सस्कृति के क्षेत्र में समर्पित विशिष्ट सेवाओं के लिए प्रदान किया जाता है | इस सम्मान में माला, शॉल, प्रशस्ति-पत्र, साहित्य एवं 11 हजार रुपये की धनराशि का समावेश है | पिछले वर्ष यह सम्मान प्रख्यात कलाविद पद्मश्री जगदीश मित्तल को प्रदान किया गया था |

इस अवसर पर समारोह की अध्यक्षता समाज सेवी जैन-रत्न सुरेंद्रमल लूणिया ने  की | श्री बुधमल बोहरा, अ. भा. श्री जैन रत्न युवक परिषद, चेन्नई के राष्ट्रीय अध्यक्ष (मुख्य अतिथि), डॉ. ऋषभदेव शर्मा, अध्यक्ष, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा खैरताबाद (विशेष अतिथि) एवं स्वरुपचंद कोठारी, अध्यक्ष श्री व. स्था. जैन श्रावक संघ ग्रेटर हैदराबाद (विशेष अतिथि) मंचासीन हुए |

श्रीमती कल्पना सुराणा के मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ | स्वागत भाषण फाउंडेशन के अध्यक्ष हस्तीमल गुंदेचा ने दिया | महामंत्री श्रीपाल देशलहरा ने संस्था की रिपोर्ट प्रस्तुत की | श्रीमती सुराणा ने आचार्यश्री हस्तीमलजी द्वारा रचित दो आध्यात्मिक गीत सस्वर प्रस्तुत किये |

सर्वश्री बुधमल बोहरा, डॉ. ऋषभदेव शर्मा, स्वरुपचंद कोठारी, हस्तीमल मुणोत, निर्मलकुमार सिंघवी, अलका चौधरी आदि वक्ताओं ने आचार्यश्री के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित किये एवं सम्मान-ग्रहणकर्ता डॉ. राधेश्याम शुक्ल को बधाई एवं शुभकामनाएँ अर्पित की | कोषाध्यक्ष तेजराज जैन ने प्रशस्ति-पत्र का वाचन किया | श्री बुधमल बोहरा एवं अन्य अतिथियों ने डॉ. राधेश्याम शुक्ल को यह प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया | एवं संपत देवी मुरारका, अध्यक्ष इण्डिया काईन्डनेस मूवमेंट ने भी डॉ. राधेश्याम शुक्लजी का शॉल द्वारा सम्मान किया | डॉ. राधेश्याम शुक्ल ने आभार प्रकट करते हुए कहा कि आचार्य हस्तीमल जी जैसे संत महापुरुष के नाम पर प्रवर्तित इस सम्मान को पाकर मैं गौरवान्वित हुआ हूँ | सहमंत्री पारस डोसी ने धन्यवाद ज्ञापित किया |

सभा का संचालन श्रीपाल देशलहरा ने किया | राष्ट्रगान के साथ सभा विसर्जित हुई |समारोह में शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे |
 संपत देवी मुरारका
हैदराबाद





मंगलवार, 24 जनवरी 2012

हैदराबाद साहित्य उत्सव [16-18 जनवरी 2012] में हिंदी-उर्दू काव्य पाठ संपन्न


हैदराबाद साहित्य उत्सव [16-18 जनवरी 2012] में हिंदी-उर्दू काव्य पाठ संपन्न 












हैदराबाद साहित्य उत्सव [16-18 जनवरी 2012] में हिंदी-उर्दू काव्य पाठ संपन्न 

हैदराबाद में विगत दिनों सरस्वती भारत एवं आंध्र प्रदेश पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में त्रिदिवसीय महोत्सव, तारामती बारादरी, के तारामती-प्रेमामती रूम, कोहिनूर हॉल एवं गोलकोंडा हॉल में एक विशाल साहित्यिक समारोह का उद्घाटन भूटान में स्थित भारतीय राजदूत, साहित्यकार एवं राजनयिक श्री पवन के. वर्मा आईएफएस (मुख्य अतिथि) के करकमलों से संपन्न हुआ |

इस अवसर पर श्री पवन के. वर्मा, आईएफएस, साहित्यकार, राजनयिक एवं भूटान के भारतीय राजदूत (मुख्य अतिथि), पद्मभूषण श्री गुलज़ार कवि, फिल्मकार और गीतकार ऑस्कर विजेता (विशिष्ट अतिथि), श्रीमती चंदना खान, आईएएस, प्रधान सचिव (स्कूल शिक्षा) एवं सचिव (पर्यटन विभाग आंध्र प्रदेश सरकार) ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की | संयोजक द्वय श्री सूर्याराव एवं प्रो. विजय कुमार (OUCIP)  ने कार्यक्रम का संचालन तथा अतिथि, साहित्यकारों  एवं दर्शकों का स्वागत किया | देश-विदेश से पधारे विभिन्न भाषा भाषी साहित्यकारों ने कहानी, कविता, संस्मरण, बातचीत, साक्षात्कार आदि से संबंधित चर्चा गोष्ठी एवं रचना गोष्ठियों में अपनी रचनाओं का पाठ किया |

उद्घाटन समारोह में पवन के. वर्मा और गुलज़ार दोनों ने ही जोर देकर कहा कि इस तरह के ‘फेस्टिवल’ का अंग्रेजी में स्वरूप मानसिक औपनिवेशिकता का द्योतक  है और कि ऐसे अवसरों पर भारतीय भाषा, भारतीय संस्कृति और भारतीयता को केन्द्र में रखा जाना चाहिए | चंदना खान, प्रधान सचिव ने कहा कि साहित्य भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए व्यवहार में लाया जा सकता है | साहित्य को प्रोत्साहित करने और इसे आगे लाने के महत्त्व पर बल दिया | उन्होंने कहा कि तारामती बारादरी उत्सवों के लिए स्थायी स्थल बनाया जाएगा |

इसी संदर्भ में 17 जनवरी 2012 को 11 बजे से एक सत्र में गुलज़ार जी की छात्रों के साथ बातचीत के समय मैंने (संपत देवी मुरारका, अध्यक्षा, इंडिया काईन्डनेस मूवमेंट) स्वयं की पुस्तक यात्रा क्रम-प्रथम भाग भेंट स्वरूप दी |

इसी संदर्भ में 18 जनवरी 2012  को 2 बजे से एक-एक सत्र क्रमश: उर्दू और हिंदी कविता पाठ का रहा | तुरंत बाद हिंदी-उर्दू का संयुक्त मुशायरा भी रखा गया | काव्य पाठ के सत्र में संयोजिका एवं अनुवादक श्रीमती एलिजाबेथ कुरियन ‘मोना’ ने हिंदी काव्य पाठ के लिए निमंत्रित प्रो. ऋषभदेव शर्मा (विभागाध्यक्ष उ.शि. एवं शोध संस्थान दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, खैरताबाद), डॉ. अहिल्या मिश्र प्रसिद्ध एवं वरिष्ठ कवयित्री, कहानीकार, प्रो.किशोरीलाल व्यास प्रसिद्ध पर्यावरण सचेतक, श्री शशि नारायण ‘स्वाधीन’ संपादक संवाद-सेतु को मंच पर आमंत्रित किया | प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने इसकी अध्यक्षता की | सभी कवियों ने अपनी चुनी हुई तीन रचनाओं का पाठ किया | इस सत्र में शहर के गणमान्य एवं साहित्यकारों की उपस्थिति रही | विशेष रूप से विनीता शर्मा, डॉ.देवेन्द्र शर्मा,संपत देवी मुरारका, प्रो. सत्यनारायण, डॉ. राजकुमारी सिंह, एवं बीना माथुर आदि ने सहभागिता निभाई | एलिजाबेथ कुरियन ‘मोना’ ने अत्यंत रूचि व श्रम पूर्वक हिंदी-उर्दू कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद करके श्रोताओं को अनूदित पाठ भी उपलब्ध करा दिया था | समारोह में प्रतिनिधियों सहित 200 लोगों ने उद्घाटन सत्र में भाग लिया | प्रो. विजय कुमार, श्री सूर्याराव एवं अमिता देसाई के धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम संपन्न हुआ |
संपत देवी मुरारका  
हैदराबाद



  

शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

कादम्बिनी क्लब की गोष्ठी आयोजित


 
   कादम्बिनी क्लब की गोष्ठी आयोजित

कादम्बिनी क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में गत रविवार को हिंदी प्रचार सभा परिसर में श्री विनय कुमार झा की अध्यक्षता में क्लब की मासिक गोष्ठी आयोजित की गई |

क्लब संयोजिका डॉ. अहिल्या मिश्र एवं कार्यकारी संयोजिका मीना मुथा ने आज यहाँ जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि इस अवसर पर श्रीमती पारनंदी निर्मला (मुख्य अतिथि), प्रो. शुभदा वांजपे (प्रपत्र-प्रस्तोता), डॉ. अहिल्या मिश्र मंचासीन हुए | डॉ. रमा द्विवेदी ने सुमधुर स्वर में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की | मीना मुथा ने नववर्ष की बधाई के साथ सभी का स्वागत किया | डॉ. मिश्र ने मंचासीन अतिथियों का परिचय एवं क्लब परिचय देते हुए कहा कि जो हमारे बीच आए, कुछ लेकर गए | नवांकुर प्रतिभाओं को लेखन विकास हेतु मंच और मार्गदर्शन दिया जाता है | क्लब द्वारा संपादित कार्यों की संक्षिप्त जानकारी उन्होंने दी | अतिथियों को मोतीमाला व पुष्पक-१९ भेंट कर सम्मानित किया गया | श्रीमती निर्मला जी ने साहित्यिक कृतियाँ क्लब को भेंट की |

तत्पश्चात प्रो. शुभदा वांजपे ने ‘समकालीन हिंदी कविता के नये तेवर’ विषय पर बोधपूर्ण वक्तव्य प्रस्तुत किया | उन्होंने वक्तव्य में कहा कि कवियों का दायित्व क्या है | रचनाकर्म के प्रति प्रतिबद्धता, छायावाद, प्रयोगवाद, नई कविता, समकालीन युग में किस प्रकार रही यह विचार करने जैसी बात है | छायावादी कवि शब्दों को तोलकर, प्रयोगवादी शब्दों को टटोलकर, नई कविता में शब्दों को बोलकर और समकालीन कवि शब्दों को खोलकर रखते हैं |सुमित्रानंदन पंत, अज्ञेय, केदारनाथ सिंह, भवानीप्रसाद मिश्र, भारत यायावर, कवयित्री वीर, रामगणेश मिश्र, मनोज सोनकर, शलभ, अरुण कमल, मोना गुलाटी, चंद्रकात देवतले, राजेन्द्र सिंह, मुक्तिबोध, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना आदि कवियों के काव्यांश सुनाकर हिंदी कविता में आये बदलाव को तालियों की गूँज में प्रस्तुत किया | राजनीति, समाज, स्त्री दशा का मार्मिक चित्रांकन प्रो. वांजपे ने अपने वक्तव्य में किया | श्रीमती सरिता सुराणा जैन ने पुष्पक-१९ का परिचय देते हुए कहा कि पुष्पक अपनी साहित्यिक यात्रा के १९ पड़ाव पूर्ण कर चुका है | कहानी, लघुकथा, संस्मरण, कविता, गीत, गजल, हायकू, क्षणिकाएँ, रिपोर्ट, पत्र-पत्रिकाओं की प्राप्ति सूचना, पुस्तक समीक्षा, आलेख आदि को संपादक मंडल ने खूबसूरती से पुष्पक में समेटा है |

अध्यक्षीय टिप्पणी में श्री झा ने प्रो. वांजपे और श्रीमती सुराणा को बधाई देते हुए कहा कि इस प्रकार के सत्र का आयोजन साहित्यिक गान विधि को अग्रसर करना है | दूसरे सत्र में श्री रामुलू एवं डॉ. देवेन्द्र शर्मा की अध्यक्षता और श्री लक्ष्मीनारायण अग्रवाल के संचालन में कवि गोष्ठी संपन्न हुई | इसमें जी.परमेश्वर, पवित्रा अग्रवाल, डॉ. रमा द्विवेदी, संपत देवी मुरारका, ज्योति नारायण, भंवरलाल उपाध्याय, मीना मूथा, मुकुंददास डांगरा, अवनीश डांग, भगवानदास जोपट, विनीता शर्मा, एलिजाबेथ कुरियन मोना, डॉ. सीता मिश्र, परसराम डालमिया, सरिता सुराणा जैन, विजय विशाल, लीला बजाज आदि ने काव्य पाठ किया | श्रीमती सूर्यमाला, माधवराम, भूपेन्द्र मिश्र आदि भी उपस्थित थे |

संपत देवी मुरारका 
हैदराबाद 

बुधवार, 11 जनवरी 2012

"क्रूज में सिंगापुर यात्रा"

"क्रूज में सिंगापुर यात्रा"


  "क्रूज में सिंगापुर यात्रा" 


                           एक नितांत घरेलू महिला होने के बावजुद पर्यटन और तीर्थयात्रा अब मेरी आदत और दिनचर्या में शुमार हो गई थी हालांकि अपनी गृहस्थी की जिम्मेदारियों को में पूरे मनोयोग के साथ निभाती रही हूँलेकिन जब भी कोई ऐसा अवसर सामने आयाजब मैं देश-विदेश का परिभ्रमण कर सकती थी तब मैंने इस अवसर को आगे बढ़कर लपकने में कोई कोताही नहीं बरती है वृद्धावस्था की दहलीज पर पहुँचने और शारीरिक क्षमता में होती निरंतर छीजन के बावजूद मैंने इस दिशा में अपने आत्मबल को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया 

  इसी क्रम में मुझे हैदराबाद से प्रकाशित 'डेली हिन्दी मिलापमें एक विज्ञापन पढ़ने को मिला विज्ञापन में 'सुपर स्टार जेमिनी क्रूजपर भागवत कथा के साथ ही तीन दक्षिण-पूर्व के एशियाई देशों के पाँच महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों की यात्रा का आमंत्रण था |मुझे यह एक अनूठा संयोग प्रतीत हुआ धार्मिक अभिरुचि की महिला होने के नाते इस तरह के आयोजनों में मैं हमेशा से रूचि लेती रही हूँलेकिन पर्यटन के साथ यह दुर्लभ संयोग मेरे लिए प्रसन्नतादायक भी था और आकर्षक भी विज्ञापन पढ़ने के साथ ही मेरा मन कल्पना- जगत की वीथिका में अनायास ही भटकने लगा प्रसन्नता के अतिरेक में मेरा मन-मयूर अपनी चित्ताकर्षक रंगीन पंखों को फैलाए नृत्य करने लगा भागवत-कथा की भक्ति-धारा में नहाये मन को ऊँचे-ऊँचे पहाड़ोंगहरी घाटियों और वन-प्रांतों की अनंत सुषमा के साथ ही अथाह सागर की उताल तरंगें एक दूरागत पुकार बनकर आमंत्रण देने लगीं |

  हालांकि यह मेरी पाँचवीं विदेश-यात्रा होतीलेकिन क्रूज (जलयान) पर पहली जहाज के डेक पर खड़े होकर अंतहीन समुद्र के विस्तार को अपनी खुली आँखों से विस्मय-विमुग्ध होकर नापना एक अप्रतिम अनुभव ही कहा जा सकता हैअत: मैंने इस यात्रा के लिए आवेदन करने और पंजीकरण कराने में विलंब भी नहीं किया यह एक सुखद संयोग ही कहा जाएगा कि इसके लिए मुझे इस यात्रा में श्रीमती विजयलक्ष्मी काबरासीताराम जी काबरा और पुष्प दरक का साथ भी मिल गया इनके अतिरिक्त ७१ लोगों का एक दल इस यात्रा के लिए वायुयान से श्रीलंका के लिए २१ जून २००८ को रवाना हुआ कोलंबो से  हमें वायुयान के जरिये ही सिंगापुर के लिए रवाना होना था वहाँ से आगे की तीन देशों के पाँच महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों की यात्रा क्रूज से होनी थी अजीब संयोग यह कि जब मैं हैदराबाद से यात्रा के लिए चली तो मुझे वर्षा की रिमझिम फुहारों ने विदा किया था और उन्हीं फुहारों ने सिंगापुर पहुँचने के बाद मेरा और मेरे यात्रीदल का स्वागत भी किया यहाँ तक पहुँचते-पहुँचते मौसम अजीब हो गया था पल में धूप और पल में साया और साया भी ऐसा कि बादलों के घटाटोप के साथ वातावरण में रात के उतर आने का आभास होने लगता 

  ऐसे में क्रूज पर हमारी यात्रा की शुरूआत  सिंगापुर से ही होनी थी सिंगापुर दक्षिण-पूर्व एशिया का एक बहुजातीय और बहुभाषी नगर है अपने प्राकृतिक सौन्दर्य में सिमटा यह नगर दुनिया भर के सैलानियों को सदैव आकर्षित करता रहता है नगर को इस तरह विन्यास दिया गया है कि यह हरीतिमा की गोद में लेटा किसी नन्हें शिशु सा प्रतीत होता है समतल भूमि होने के कारण यहाँ गर्मी भी बहुत पड़ती है और वातावरण में उमस भी बहुत होती है इस द्वीप का विस्तार सिंगापुर नदी के दक्षिण तट से प्रारंभ होता है यह भूमध्य रेखा से १३७ कि.मी. की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है इसके दक्षिण मलेशिया का नगर जोहोर है और उत्तर में इंडोनेशिया का रैव-द्वीप है वैसे सिंगापुर कुल ६३ द्वीपों का एक समूह है जिसमें सिंगापुर शहर को अतिविशिष्ट माना जाता है इस श्रंखला में कई बड़े द्वीप हैं जिनमें जोरांगपुलाव टेकांगपुलाव डबीन  और सेंट्रशा को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है जिन प्रमुख द्वीपों में पानी का श्रोत है उनमें से सिंगापुरजोरांगक्लंगक्रेंजीसेलेटर और सेरांगुन की गणना की जाती है |

  वैसे सिंगापुर स्ट्रेट्स ऑफ मलक्का और साऊथ चायना समुद्री तटों के संगम पर स्थित है शहर का कुल क्षेत्रफल २७० वर्गमील है जनसंख्या ४५ लाख के ऊपर है जनसंख्या में सिंगापुर के मूल निवासी ३.५७ मिलियन और बाक़ी चीनीमलय और भारतीय है अंग्रेजीमंदारिन (चीनी)मलय और तमिल भाषायें बहुतायत बोली जाती हैं वैसे यहाँ की राज्य भाषा मलय है राष्ट्रगीत 'मजुला सिंगापुरकी रचना भी मलय भाषा में ही हुई है सिंगापुर विश्व के उन तीन नगरों में है जो आधिकारिक तौर पर राज्य होने का गौरव रखते हैं बहुत पहले यहाँ अफीम का कारोबार बहुतायत होता था रिक्शों की सवारी आम बात थी वैसे सिंगापुर बृहसांस्कृतिक नगर है जिस पर चीनीमलय और भारतीय सस्कृति का गहरा प्रभाव है यहाँ फेंगसुई से पूर्वजों की प्रार्थना होती है जिस कारण नगर हमेशा गुंजान और रंगीन बना रहता है यहाँ के सांस्कृतिक-उत्सवलोक परम्परायेंस्थापत्य और कला तथा रीति रिवाज और खान-पान पूरब और पश्चिम की सभ्यता के सम्मिश्रण प्रतीत होते हैं नगर एक शक्तिमान अलौकिकता से हमेशा जागृत रहता है पर्यटन यहाँ का मुख्य व्यवसाय हैअत: सिंगापुर के लोग पर्यटकों का स्वागत-सत्कार अतिथि के रूप में करते हैं कहा जाता है कि बहुत पहले यह नगर सिंगापुर नदी के तट पर मछुआरों का एक छोटा सा गाँव था १८१९ ई. में ब्रिटिश साम्राज्य ने यहाँ अपनी सेना का एक मुख्यालय स्थापित किया और यहाँ व्यापार भी शुरू किया |द्वितीय विश्व के दौरान १९४५ में इसे जापानियों ने अपने अधीन कर लियालेकिन जापान की पराजय के बाद फिर यह ब्रिटिश कॉलोनी हो गया जो आगे चल कर १९६३ में आजाद हुआलेकिन उसके बाद यहाँ मलेशिया का कब्ज़ा हुआ जो ९ अगस्त१९६५ तक बना रहा उसके बाद यह नगर एक स्वतन्त्र गणराज्य के रूप में स्थापित हो गया |

  यहाँ का मौसम पूरे साल लगभग एक सा रहता है और साधारण वर्षा होती है उत्तर-पूर्वी मानसून के समय यहाँ तूफानी हवायें चलती है इन हवाओं को 'सुमत्रासकहा जाता है यहाँ के त्योंहार इतने आकर्षक और रंगीन होते हैं कि इस अवसर का अवलोकन करने दुनिया भर से पर्यटक भागे चले आते हैं | 'थाईपूजनयहाँ के हिन्दुओं का एक दर्शनीय त्योंहार है अप्रेल महीने में यहाँ 'सिंगापुर फूड फेस्टिबलऔर जून में 'ग्रेट सिंगापुर सेलकी धूम रहती है सितम्बर में यहाँ 'मेरलाइनका स्थापना-त्योंहार मनाया जाता है सिंगापुर के बारे में इतनी सारी जानकारियाँ हमें यात्रा के गाइड अनूप कुमार अग्रवाल से मिली वैसे तो एयर पोर्ट पर उतरने के साथ ही वर्षा शुरू हो गई थीलेकिन हम जिस उद्देश्य के साथ यहाँ आये थे उसे तो हर हाल में पूरा करना ही था |

   हमारी यात्रा की शुरुआत मुरुगन मंदिर से हुई इस मंदिर को यहाँ चेट्टियार मंदिर भी कहते हैं और यह १५० वर्ष पुराना एक भव्य और प्राचीन मंदिर है अपनी कलात्मकता और स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध यह हिन्दू मंदिर भगवान मुरुगन (स्वामी कार्तिकेय) को समर्पित है सिंगापुर के टेंक रोड पर स्थित इस मंदिर का निर्माण १८५८ ई. में नत्तकोत्ताई चेट्टियार ने कराया था स्थानीय लोग इसे 'थेड़ायुथपानीजिसका अर्थथेंडम+आयुधम+पानी संधिविच्छेद के साथ वह देवता जिसके हाथ में भाला होहोता है मान्यता है कि  मुरुगन अपने इस भाले से पापियों का संहार कर भक्तों की रक्षा करते हैं पुराणों के अनुसार इन्हें शिव-पार्वती का पुत्र माना जाता है ये स्वामी गणेश के भ्राता हैं 

  चेट्टियार जाति के लोगों नेजब यहाँ मंदिर नहीं बना थाएक पीपल-वृक्ष के नीचे एक भाला जो मुरुगन स्वामी का प्रतीक चिह्न है गाड़ कर पूजा-उपासना प्रारम्भ की थी और बाद में यह एक भव्य मंदिर के रूप में प्रतिष्ठित हुआ हमारा यात्री  दल इस भव्य मंदिर की शोभा से चमत्कृत था प्रवेश द्वार के दाहिनी ओर गणेश और बायीं ओर इडम्वन जी के सुन्दर विग्रह प्रतिष्ठित है मंदिर के गर्भगृह में स्वामी मुरुगन की एक अत्यंत सुन्दर मूर्ति दाहिने हाथ में लकड़ी का भाला लिए प्रतिष्ठित है इनका रूप संन्यासी का है इस मूर्ति के अवलोकन के बाद मुझे अपनी दक्षिण भारत की यात्रा याद आ गई दक्षिण भारत के मंदिरों में स्थापित मुरुगन से यह विग्रह किसी अर्थ में भिन्न नहीं है यह भारत के सांस्कृतिक अवदान का भी परिचायक है मुरुगन के इस श्री विग्रह के समक्ष मैं भाव-विभोर हो गई और मेरी आँखों से आनंदाश्रु का प्रवाह शुरू हो गया चेट्टियार मंदिर के इस प्रांगण में 1878 ई. में दो अन्य शिव एवं पार्वती के मंदिरों की स्थापन हुई इन्हें यहाँ सुन्दरेश्वर और मीनाक्षी अम्मा भी कहा जाता है इनका दर्शन कर मुझे मदुरै का मीनाक्षी मंदिर का स्मरण हो आया मुझे यह भी आश्चर्य हुआ कि हिन्दू धर्म-दर्शन का प्रसार विश्व-स्तर पर कितना व्यापक है वैसे इस मंदिर के विशाल प्रांगण में भैरवदुर्गादक्षिण-मूर्तिअन्तभल्लायरनटराजशिवगामी अम्मामानिकेश्वरचंडीकेश्वर और नवग्रहों के स्थापत्य भी दर्शनीय हैं इन दर्शनों के बाद हमारा यात्री दल बस में बैठ कर आगे की यात्रा की ओर निकला बस से ही मैंने यहाँ के सबसे ऊँचे पहाड़ 'बुकिट टीमका दर्शन किया गाइड ने बताया कि इसकी ऊँचाई 166 मीटर है बस में बैठे-बैठे ही हमने यहाँ के सुन्दर बागोंगगन चुंबी इमारतोंचीनी मंदिरोंमुसलमानों के मकबरों और ईसाइयों के भव्य गिरजाघरों के साथ ही कई हिन्दू मंदिरों को बाहर-बाहर से देखा इन सबके बारे में आवश्यक जानकारी देते हुए गाइड ने हमें मेरलॉयन के बारे में बताना शुरू किया 

  मेरलॉयन वास्तव में सिंगापुर बोर्ड का एक प्रतीक-चिह्न है सन 1964 में इसका प्रारूप फ्रेजर ब्रूनर ने तैयार किया था इस प्रतीक का एक पौराणिक इतिहास 'मलय अन्ताल्समें दर्ज है पहले सिंगापुर तैमासिक के रूप मेंजिसका अर्थ जवानिस भाषा में समुद्र हैके नाम से जाना जाता था यह मछुआरों का एक गाँव था इसी कारण प्रतीक-चिह्न का अधोभाग मछली का बनाया गया है कहा जाता है कि ग्यारहवीं शताब्दी में श्री विजय राज्य के राजकुमार संग नीला उत्तमा ने इस द्वीप की पुर्नखोज की थी इस जंगल में उसे बहुतायत सिंहों के दर्शन हुए जिस आधार पर उसने इस द्वीप का नाम सिंगापुर रख दिया यही कारण है कि प्रतीक-चिह्न का शीर्षभाग सिंह की आकृति का है प्रतिक-चिह्न मेरलॉयन  समुद्री लहरों के शिखर पर प्रतिष्ठित है | 15 सितम्बर 1972 में सिंगापुर के तत्कालीन प्रधान मंत्री ली क्वान यू थे ने इस प्रतीक-चिह्न का स्थापना दिवस समारोह पूर्वक मनाया था मेरलॉयन  प्रतिमा की ऊँचाई 8.6 मीटर तथा वजन 70 टन है प्रतिमा सीमेंट निर्मित है किन्तु इसका ऊपरी आवरण चीनी मिट्टी का बना है बगल में एक छोटी आकृति भी इसकी प्रतिष्ठित हैजिसकी ऊँचाई लगभग मीटर और वजन ३ टन है दोनों का निर्माण एक ही कारीगर लिम नेंग सेंग ने किया है इसी स्थान पर एक भव्य पार्क का भी निर्माण किया गया है जो पर्यटकों के लिए अपने सौन्दर्य के चलते आकर्षण का केंद्र है पार्क में जाने के लिए काफी सीढ़ियाँ उतरनी पड़ती हैं 

  मैं पार्क की विशालताउसकी सुषमा और भव्यता से चमत्कृत थी दूर से बड़े मेरलॉयन का पृष्ठ भाग ही दृष्टिगोचर हो रहा था बहुत दूर चलकर मेरलॉयन की प्रतिमा तक पहुँचना हुआ प्रतीक-चिह्न का निकट से अवलोकन और उसकी पृष्ठभूमि ने मुझे काफी प्रभावित किया प्रतिमाजो शीर्ष पर सिंह के आकर की हैके मुख से निरंतर फौव्वारे के रूप में जलधारा निकलकर नदी में गिर रही थीएक कांसे की प्लेट पर वहाँ पर्यटकों के लिए स्वागत लिखा हुआ भी मिला प्रतीक-चिह्न के अवलोकन और पार्क के भ्रमण में काफी समय निकल गया इस बीच गाइड ने वापस चलने का संकेत किया और हमारा यात्री दल वापस आकर बस में बैठ गया क्रूज पर वापस आने के बाद हमारे दल ने शुद्ध शाकाहारी भोजन किया और उसके बाद कुछ देर तक विश्राम शाम ढलने के बाद हम डेक पर इकट्ठा हुए और भागवत कथा का रसामृत पान करने लगे समूचा वातावरण भक्तिमय हो गया हमारा क्रूज वहाँ के समयानुसार बजे लंकावी के लिए प्रस्थान करने वाला था 

संपत देवी मुरारका 
हैदराबाद .




                                     





सोमवार, 9 जनवरी 2012

भारतीय गौवंश रक्षण संबर्धन परिषद आं.प्र.द्वारा द्विदिवसीय अखिल भारतीय संगोष्ठी आयोजित


भारतीय गौवंश रक्षण संबर्धन परिषद आं.प्र.द्वारा    द्विदिवसीय अखिल भारतीय संगोष्ठी आयोजित








 भारतीय गौवंश रक्षण संबर्धन परिषद आं.प्र.द्वारा    द्विदिवसीय अखिल भारतीय संगोष्ठी आयोजित

भारतीय गौवंश रक्षण संबर्धन परिषद, गौ हत्या एवं मांस निर्यात निरोध परिषद, अखिल भारतीय गौरक्षा आन्दोलन समिति (विश्व हिन्दू परिषद गौरक्षा विभाग) के संयुक्त तत्वावधान में आगामी शनिवार, रविवार ७-८ जनवरी २०१२ को रामकोट स्थित श्री जैन सेवा संघ भवन में सफल आयोजन किया गया |

इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रवीण भाई तोगड़िया (विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष), अध्यक्ष जसराज श्री श्रीमाल (भारतीय गौवंश रक्षण संबर्धन परिषद, अध्यक्ष), जी. राघव रेड्डी (अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष), स्वामी सहदेव दास जी, हुकमचंद सांवला, भंवरलाल कोठारी, विरेन्द्र ढाकर, आर. एस. सावरेकर, डॉ. गंगा सत्यम, खेमचंद शर्मा, मंचासीन हुए |

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ | इस अवसर मुख्य अतिथि प्रवीण भाई तोगड़िया (विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष) ने अपने वक्तव्य में कहा कि गौ सेवा को गौशालाओं तक सिमित न करते हुए सभी हिन्दूओं को गौरक्षा एवं संरक्षण का संकल्प लेना चाहिए | उन्होंने कहा कि वर्ष में दो बार गौरक्षा विभाग की बैठक आयोजित की जाती है, जिसमें पूर्व में किये गये कार्य का कार्यवत्त प्रस्तुत कर भविष्य में किये जाने वाले कार्य की रूप रेखा तैयार की जाती है | उन्होंने कहा कि कर्म के सिद्धांत के अनुसार, जो बुरे कर्म करता है, उसका फल उसे इस जन्म के साथ-साथ अगले जन्म में भी भोगना पड़ता है | जीव को अपने बुरे कर्मों से मुक्त होने के लिए गौसेवा ही एकमात्र मार्ग है, क्योंकि गौ की सेवा करने से सारे देवता की पूजा करने का फल प्राप्त होता है, क्योंकि इसमें 33 करोड़ देवी देवता का निवास है |

प्रवीण भाई ने कहा कि आज प्रत्येक हिन्दू को अपने घर में गाय की सेवा करने का संकल्प लेना होगा | बिना गाय के कोई घर न हो | गाय का पालन और सेवा से घर में सुख समृधि आती है, तथा पंचगव्य से आय में वृद्धि होती है | बच्चों के लिए चॉकलेट गाय के दूध से निर्मित की जायेगी तब भी आय में वृद्धि होगी | उन्होंने कहा कि घर में गाय संकर नहीं, बल्कि देशी होनी चाहिए | देशी गाय की सेवा से ही जीव के सारे कष्ट दूर होते हैं | उन्होंने कहा कि देश में गौहत्या मुसलमानों एवं ईसाइयों के प्रवेश से ही हुई, क्योंकि हिन्दू चाहे जो भी करें, लेकिन वह गौ की हत्या कभी नहीं कर सकता | आज उक्त सम्प्रदायों के कारण ही विहिप को गौहत्या एवं उसके मांस के निर्यात के लिए विरोध करना पड़ रहा है |

डॉ. तोगड़िया ने कहा कि देश में गौहत्या बंद हो, इसके लिए सभी को संकल्प लेना होगा | इसके लिए विहिप ने सक्रिय बनाई है, जिसके अभियान के अंतर्गत गाय के दूध एवं घी का उपयोग, प्रतिदिन भोजन करने से पूर्व गौ ग्रास निकालना, प्रतिदिन गाय के नाम पर एक रूपया निकालना इत्यादि प्रमुख है | उन्होंने कहा कि देश के हर जिले के ग्रामों में पंचगव्य का उपयोग करना तथा पंचगव्य से बने उत्पादों का ही उपयोग करने का सभी को संकल्प लेना होगा | पंचगव्य से बने उत्पादों के अधिकाधिक प्रयोग से देश में घर-घर में गाय की सेवा होगी उन्हें आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी | उन्होंने कहा कि आज सभी को गोचर की रक्षा करने का संकल्प करना होगा, क्योंकि आज विभिन्न कारणों के चलते गोचर की भूमि खत्म होती जा रही है | अभी जो भूमि बची है उसे खत्म होने से बचाना होगा | आज सभी को गोचर का संबर्धन, देशी गाय के नस्ल का बढ़ावा, गौ आधारित कृषि को प्रेरित करना होगा | उन्होंने कहा कि केवल गौशाला का निर्माण करने से गौसेवा नहीं होगी | गौशालाओं के साथ-साथ गाय को संरक्षण देना और उसे घर-घर में पालने की जरुरत है | गौरक्षा के लिए जनता को प्रेरणा देने के लिए आगामी वर्ष से भारत वर्ष में गौ विज्ञान परीक्षा का आयोजन किया जायेगा, ताकि स्कूल में बच्चों को गौ रक्षा की सेवा की जा सके | सभी इसमें सक्रिय रूप से भूमिका बनाकर इस दिशा में कार्य करें | अंत में उन्होंने कहा कि गौरक्षा के लिए सड़कों पर यदि आन्दोलन करना पड़ा तो भी आगे आयें | गायों को कसाइयों के हाथों से बचाएँ |

अवसर पर विहिप के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष जी. राघव रेड्डी ने कहा कि आज गौ सेवा के लिए युवाओं को आगे आने की जरुरत है | युवा वर्ग ही पंचगव्य से बने उत्पादों को मार्केटिंग के लिए आगे आकर कार्य कर सकते हैं | उन्होंने बताया कि उनकी माता के नाम पर इब्राहिमपट्टनम में गौशाला चल रही है और मेडचल में भी एक गौशाला शुरू की जायेगी |

कार्यक्रम में स्वागत भाषण में अध्यक्ष जसराज श्रीश्रीमाल ने कहा कि गौ रक्षा के लिए हैदराबाद में गत 21 वर्ष पूर्व अल-कबीर को बंद करवाने का आन्दोलन आरम्भ हुआ था, जिसका प्रभाव देश के अन्य राज्यों में भी पड़ा | अल-कबीर को बंद करने के लिए सभी को सक्रिय रूप से कार्य करना होगा और गुजरात तथा राजस्थान में जिस प्रकार गाय की हत्या पर कानून बने हैं, वैसे ही देश के अन्य राज्यों में भी चलाये जाने की जरुरत है | उन्होंने कहा कि कर्नाटक में भी बिल पास हुआ है, लेकिन इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति नहीं मिली है | स्वीकृति मिलाने पर कर्नाटक दक्षिण भारत का पहला ऐसा राज्य होगा, जहाँ गौ हत्या पर प्रतिबंध होगा| उन्होंने कहा कि दो दिवसीय अखिल भारतीय बैठक में गौ रक्षा पर सत्र आयोजित कर भविष्य की रणनीतियाँ तैयार की जायेगी | इस अवसर पर देश के 22-23 प्रान्तों से लगभग 200 प्रतिनिधि उपस्थित थे | अवसर पर अर्चना सिंह तोमर (उ.प्र.) से पधारी थीं | श्री जैन सेवा संघ, करुणा इंटरनेशनल, इण्डिया काईन्डनेस मूवमेंट सहित अन्य संगठनों ने डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया, राघव रेड्डी सहित अन्यों का सम्मान किया |
संपत देवी मुरारका
हैदराबाद 

रविवार, 8 जनवरी 2012

अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन के आं.प्र. शाखा का द्विदिवसीय कार्यक्रम संपन्न





अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन के आं.प्र. शाखा का द्विदिवसीय कार्यक्रम संपन्न
विगत दिनों अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन भोपाल की आंध्र प्रदेश शाखाओं द्वारा क्रमश:श्रीकृष्ण देवराय भाषा निलयम एवं मुरारका पैलेस सुल्तान बाजार में द्विदिवसीय साहित्य सम्मेलन एवं सम्मान समारोह एवं पुरस्कार कार्यक्रम संपन्न हुआ | अ.भा.भा.सा.स. महिला शाखा की अध्यक्षा डॉ. अहिल्या मिश्र एवं मंत्रिणी डॉ. रमा द्विवेदी ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि प्रथम दिवस में साहित्य सम्मेलन एवं कृष्णानंदा कलापूर्णम डॉ. पोतिकुची पुरस्कार का आयोजन सायं 5.30 बजे से संपन्न हुआ | इस अवसर पर मुख्य अतिथि के.बी.रमणाचारी आईएएस, पूर्व सेक्रेट्री रेवेन्यू आं.प्र. सरकार, अध्यक्ष पी.वी.ब्रह्मम, अध्यक्ष अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन आं.प्र.विभाग, विशेष अतिथि डॉ. मारिया कुमार आईएएस आईजी ऑफ पुलिस (भोपाल म.प्र.) पुरस्कार ग्रहीता सतीश चतुर्वेदी अ.भा.भा.सा.स.भोपाल के अध्यक्ष सम्मानित अतिथि डॉ. पोतिकुची सांबशिवा राव अध्यक्ष विश्व (साहिति) एस. प्रसाद राव विश्व भूषण, डॉ. एमएल नरसिम्ह राव एवं डॉ. अहिल्या मिश्र महिला अध्यक्ष (अ.भा.भा.सा.स. आं.प्र.महिला विभाग) मंचासीन हुए | पी.वी.ब्रह्मम ने सभी का स्वागत किया |

रमणाचारी ने अपनी बात रखते हुए अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन के  सर्वभाषा में साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के कार्य को समयानुकूल बताया | डॉ. अहिल्या मिश्र ने पुरस्कार प्रदान करने हेतु पी.सांबशिव राव को धन्यवाद देने हेतु इस संस्था को भविष्य में भी पुरस्कार बनाए रखने हेतु प्रदत्त 15000 रुपये की राशि प्रदान करने हेतु सराहना की | 40 वर्षों की संस्था का 3000 हजार से ऊपर भाषा एवं सार्वदेशिक संगन के अध्यक्ष को यह पुरस्कार देना एवं आगे भी इस कार्य की सुचारूता का भार सोंपना उत्तममोत्तर कार्य है | सतीश चतुर्वेदी ने अपने विचार प्रकट किए | भोपाल से पधारे जगदीश श्रीवास्तव एवं पी.मारिया कुमार के आतिथ्य में विभिन्न तेलुगु भाषा-भाषी करीब 20 कवि एवं कवयित्रियों के साथ डॉ.अहिल्या मिश्र एवं रत्नकला मिश्र ने भी सहभागिता निभाई |

सम्मान कार्यक्रम व काव्य गोष्ठी संपन्न
अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन, आं.प्र. महिला शाखा के तत्वावधान में बड़ी चावडी स्थित मुरारका पैलेस में सम्मान और साहित्यिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया | शाखा की अध्यक्षा डॉ. अहिल्या मिश्र एवं महासचिव डॉ.रमा द्विवेदी ने संयुक्त विज्ञप्ति दी है | इस आयोजन की अध्यक्षता केंद्रीय राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सतीश चतुर्वेदी ने की | आं.प्र. शाखा के परामर्शदाता डॉ. पी. सांबशिवराव मुख्य अतिथि, शाखा के अध्यक्ष ब्रह्मम, विशेष अतिथि एवं विशेष आमंत्रित गीतकार जगदीश श्रीवास्तव (भोपाल), गौरवनीय अतिथि तथा महिला शाखा की अध्यक्षा डॉ. अहिल्या मिश्र मंचासीन हुए |

संपत देवी मुरारका ने अतिथियों का स्वागत किया | श्रीमती ज्योति नारायण का सुरसरस्वती वंदना से कार्यक्रम आरंभ हुआ |

तत्पश्चात डॉ. चतुर्वेदी, डॉ. सांबशिवराव, ब्रह्मम व जगदीश श्रीवास्तव (भोपाल) का सम्मान शाल, मोती माला व पुष्प गुच्छ से शाखा के सदस्यों द्वारा किया गया |

डॉ. चतुर्वेदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि संयुक्त कार्यक्रम करके शाखा का विस्तार एवं प्रकाशन के द्वारा शाखा की रिपोर्ट प्रकाशित करने की बात कही | डॉ.सांबशिव राव ने कहा कि विभिन्न भाषाओँ से संबंधित लोगों को आमंत्रित करके चर्चा करनी चाहिए | श्री ब्रह्मम ने सहकारिता की उपयोगिता पर अपने विचार रखे |

श्रीवास्तव ने भी अपने विचार व्यक्त किये | डॉ. रमा द्विवेदी ने शाखा के कार्यकलापों का विवरण प्रस्तुत किया | तत्पश्चात बहुभाषी काव्यगोष्ठी संपन्न हुई जिसमें संपत देवी मुरारका, मीना मुथा, ज्योतिनारायण, डॉ. मदन देवी पोकरणा, डॉ. सीता मिश्र, डॉ.रमा द्विवेदी, उमा सोनी, भावना पुरोहित, सरिता सुराणा जैन, (मारवाड़ी कविता), डॉ. अहिल्या मिश्र, विनीता शर्मा एवं डॉ. चतुर्वेदी ने विविध रसों से भरपूर रचनाएँ सुनाकर समां बाँध दिया |

प्रसिद्ध गीतकार गजलकार श्रीवास्तव ने विविध रंगों, विविध अर्थी एवं विविध रसों से पूर्ण रचनाएँ प्रस्तुत करके सबका मन मोह लिया | कुछ पंक्तियाँ दृष्टव्य है-बरसता है कहीं बादल तुम्हारी याद आती है /बिखरता है कहीं काजल तुम्हारी याद आती है | या फिर- कुछ तो हकीकत है इस कहानी में/दोस्ती होने लगी है आग-पानी में | संचालन मीना मूथा ने किया | सरिता सुराणा के धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम समाप्त हुआ | संपत देवी मुरारका इस कार्यक्रम की आयोजक रही |
संपत देवी मुरारका,
 हैदराबाद